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New प्यासा कौवा Status, Photo, Video

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दोहा :- मन की मन से बात कर , मन समझेगा खूब । औरों की मत बात सुन , आज गया मन ऊब ।। मन की सुनकर आजतक , किए बहुत शुभ काम । फिर कहता मन आज है , चलो शरण प्रभु राम ।। रखे शरण प्रभु राम जी , मन की आज पुकार । मन की महिमा राम की , देंगें भव से तार ।। मन को कुंठित मत कहो , यह है एक विचार । मन ही तुमको एक दिन , ले जाये भव पार ।। मन मैला जिनका रहा, उनके नेक विचार । नेकी करके आज हम , बैठे हैं मझधार ।। प्रेम समझ पाया नहीं , कहता है दिलदार । जीवन बाजी हार के , बैठा मैं मझधार ।। बन मरहम जो भी मिले , दिए नई वो पीर । सिसक-सिसक कर कह रही , अब आँखो की नीर ।। दिखती हो गुडिया हमें , पर होती हो दूर । छूना चाहूँ मैं तुझे , पर होता मजबूर ।। मोर पंख ले हाथ में , देखे चारो ओर । मैं प्यासा पनघट तकूँ , मीत बना है चोर ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  दोहा :-
मन की मन से बात कर , मन समझेगा खूब ।
औरों की मत बात सुन , आज गया मन ऊब ।।

मन की सुनकर आजतक , किए बहुत शुभ काम ।
फिर कहता मन आज है , चलो शरण प्रभु राम ।।

रखे शरण प्रभु राम जी , मन की आज पुकार ।
मन की महिमा राम की , देंगें भव से तार ।।

मन को कुंठित मत कहो , यह है एक विचार ।
मन ही तुमको एक दिन , ले जाये भव पार ।।

मन मैला जिनका रहा, उनके नेक विचार ।
नेकी करके आज हम , बैठे हैं मझधार ।।

प्रेम समझ पाया नहीं , कहता है दिलदार ।
जीवन बाजी हार के , बैठा मैं मझधार ।।

बन मरहम जो भी मिले , दिए नई वो पीर ।
सिसक-सिसक कर कह रही , अब आँखो की नीर ।।

दिखती हो गुडिया हमें , पर होती हो दूर ।
छूना चाहूँ मैं तुझे , पर होता मजबूर ।।

मोर पंख ले हाथ में , देखे चारो ओर ।
मैं प्यासा पनघट तकूँ , मीत बना है चोर ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- मन की मन से बात कर , मन समझेगा खूब । औरों की मत बात सुन , आज गया मन ऊब ।। मन की सुनकर आजतक , किए बहुत शुभ काम । फिर कहता मन आज है ,

15 Love

ग़ज़ल :- उसे कैसे यहाँ अपनी बता दुल्हन बना लेता । लिखा तकदीर में था ये कि मैं आँसू बहा लेता ।।१ वफ़ा उनसे किया जबसे तभी मुश्किल हुई यारो । सजा तो मिल रही है अब खता मैं क्या छुपा लेता ।।३ तुम्हारे आज जाने से यही अच्छा मुझे लगता । तुम्हारे बाद ही अपना गला मैं भी दबा लेता ।।३ ज़फा करके करोगे तुम सामना इस तरह मेरा । पता होता तो मैं पहले निगाहें ये घुमा लेता ।।४ बुलाकर आप महफ़िल में रखोगे इस तरह प्यासा । कसम से जहर ही मैं फिर लवों से इन लगा लेता ।।५ अदब से पेश आते तो उन्हें कहना नही पड़ता । प्रखर ये सिर चरण उनके स्वयं से फिर झुका लेता ।।६ प्रखर से तोड़कर रिश्ता सजा तुम डोलियां लोगे । यकीं होता तो मैं अपनी वहीं अर्थी सजा लेता ।।७ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#शायरी  ग़ज़ल :-
उसे कैसे यहाँ अपनी बता दुल्हन बना लेता ।
लिखा तकदीर में था ये कि मैं आँसू बहा लेता ।।१

वफ़ा उनसे किया जबसे तभी मुश्किल हुई यारो ।
सजा तो मिल रही है अब खता मैं क्या छुपा लेता ।।३

तुम्हारे आज जाने से यही अच्छा मुझे लगता ।
तुम्हारे बाद ही अपना गला मैं भी दबा लेता ।।३

ज़फा करके करोगे तुम सामना इस तरह मेरा ।
पता होता तो मैं पहले निगाहें ये घुमा लेता ।।४

बुलाकर आप महफ़िल में रखोगे इस तरह प्यासा ।
कसम से जहर ही मैं फिर लवों से इन लगा लेता ।।५

अदब से पेश आते तो उन्हें कहना नही पड़ता ।
प्रखर ये सिर चरण उनके स्वयं से फिर झुका लेता ।।६

प्रखर से तोड़कर रिश्ता सजा तुम डोलियां लोगे ।
यकीं होता तो मैं अपनी वहीं अर्थी सजा लेता ।।७
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- उसे कैसे यहाँ अपनी बता दुल्हन बना लेता । लिखा तकदीर में था ये कि मैं आँसू बहा लेता ।।१ वफ़ा उनसे किया जबसे तभी मुश्किल हुई यारो । सजा

15 Love

White ग़ज़ल :- ख्वाब में आप क्यूँ मेरे आने लगे । बेसबब आप क्यों फिर सताने लगे ।। दीद तो आपके यार आँसा नहीं । दर्द क्यों आप दिल में उठाने लगे ।। कह दिया जो नही प्यार है आपसे । नैन फिर यार क्यों अब मिलाने लगे ।। दिल न माना हमारा तुझे देखकर । बार बा तेरी गलियों में आने लगे ।। जिस तरह आपने जुल्फ खोली वहाँ । लोग सारे के सारे दीवाने लगे ।। होंठ से होंठ अपने मिले ही नही । लोग यूँ ही धुआं अब उठाने लगे ।। देख प्यासा प्रखर को रहम आ गया । ज़ाम आँखों से फिर वो पिलाने लगे ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#शायरी  White ग़ज़ल :-

ख्वाब में आप क्यूँ मेरे आने लगे ।
बेसबब आप क्यों फिर सताने लगे ।।
दीद तो आपके यार आँसा नहीं ।
दर्द क्यों आप दिल में उठाने लगे ।।
कह दिया जो नही प्यार है आपसे ।
नैन फिर यार क्यों अब मिलाने लगे ।।
दिल न माना हमारा तुझे देखकर ।
बार बा तेरी गलियों में आने लगे ।।
जिस तरह आपने जुल्फ खोली वहाँ ।
लोग सारे के सारे दीवाने लगे ।।
होंठ से होंठ अपने मिले ही नही ।
लोग यूँ ही धुआं अब उठाने लगे ।।
देख प्यासा प्रखर को रहम आ गया ।
ज़ाम आँखों से फिर वो पिलाने लगे ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- ख्वाब में आप क्यूँ मेरे आने लगे । बेसबब आप क्यों फिर सताने लगे ।। दीद तो आपके यार आँसा नहीं । दर्द क्यों आप दिल में उठाने लगे ।। कह

14 Love

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कौवा कि नादानी भारी पड़ गया 🥺😔😲🤔👍🙏🙏

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बाज के बच्चे को नुक्सान पहुंचाने के अंजाम कौवा को भारी पड़ा

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लूट लिए हमको सजन., तेरे ये दो नैन । आता अब पल भर नहीं , सुनो जिया को चैन ।। देखो जब भी हम मिले , किए बात दो नैन । मन ये प्यासा रह गया , बीत गई फिर रैन ।। रूप मोहिनी देखकर , ठहर गये दो नैन । लब बेचारे  मौन थे , कह न सके दो बैन ।। जिनकी सुन तारीफ में , निकल न पाये बैन । कजरारे वह नैन अब , लूट रहें हैं चैन ।। इतना तो अब ध्यान रख , भोर नही ये रैन । झूठ बोलते आप हैं , बोल रहे दो नैन ।। अमृत कलश पिला दिए , तेरे ये दो नैन । झूम-रहा हूँ देख लो , पीकर अब दिन रैन ।। लाकर होठों पर हँसी , पीर छुपाये कौन । दो नैना यह देखकर , रह न सकेंगे मौन ।। दो नैना जो चार हो, खिले अधर मुस्कान धीरे-धीरे हो गया , देख हृदय का दान ।। ०४/०४/२०२४     -    महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  लूट लिए हमको सजन., तेरे ये दो नैन ।
आता अब पल भर नहीं , सुनो जिया को चैन ।।

देखो जब भी हम मिले , किए बात दो नैन ।
मन ये प्यासा रह गया , बीत गई फिर रैन ।।

रूप मोहिनी देखकर , ठहर गये दो नैन ।
लब बेचारे  मौन थे , कह न सके दो बैन ।।

जिनकी सुन तारीफ में , निकल न पाये बैन ।
कजरारे वह नैन अब , लूट रहें हैं चैन ।।

इतना तो अब ध्यान रख , भोर नही ये रैन ।
झूठ बोलते आप हैं , बोल रहे दो नैन ।।

अमृत कलश पिला दिए , तेरे ये दो नैन ।
झूम-रहा हूँ देख लो , पीकर अब दिन रैन ।।

लाकर होठों पर हँसी , पीर छुपाये कौन ।
दो नैना यह देखकर , रह न सकेंगे मौन ।।

दो नैना जो चार हो, खिले अधर मुस्कान
धीरे-धीरे हो गया , देख हृदय का दान ।।

०४/०४/२०२४     -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

लूट लिए हमको सजन., तेरे ये दो नैन । आता अब पल भर नहीं , सुनो जिया को चैन ।। देखो जब भी हम मिले , किए बात दो नैन । मन ये प्यासा रह गया ,

13 Love

दोहा :- मन की मन से बात कर , मन समझेगा खूब । औरों की मत बात सुन , आज गया मन ऊब ।। मन की सुनकर आजतक , किए बहुत शुभ काम । फिर कहता मन आज है , चलो शरण प्रभु राम ।। रखे शरण प्रभु राम जी , मन की आज पुकार । मन की महिमा राम की , देंगें भव से तार ।। मन को कुंठित मत कहो , यह है एक विचार । मन ही तुमको एक दिन , ले जाये भव पार ।। मन मैला जिनका रहा, उनके नेक विचार । नेकी करके आज हम , बैठे हैं मझधार ।। प्रेम समझ पाया नहीं , कहता है दिलदार । जीवन बाजी हार के , बैठा मैं मझधार ।। बन मरहम जो भी मिले , दिए नई वो पीर । सिसक-सिसक कर कह रही , अब आँखो की नीर ।। दिखती हो गुडिया हमें , पर होती हो दूर । छूना चाहूँ मैं तुझे , पर होता मजबूर ।। मोर पंख ले हाथ में , देखे चारो ओर । मैं प्यासा पनघट तकूँ , मीत बना है चोर ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  दोहा :-
मन की मन से बात कर , मन समझेगा खूब ।
औरों की मत बात सुन , आज गया मन ऊब ।।

मन की सुनकर आजतक , किए बहुत शुभ काम ।
फिर कहता मन आज है , चलो शरण प्रभु राम ।।

रखे शरण प्रभु राम जी , मन की आज पुकार ।
मन की महिमा राम की , देंगें भव से तार ।।

मन को कुंठित मत कहो , यह है एक विचार ।
मन ही तुमको एक दिन , ले जाये भव पार ।।

मन मैला जिनका रहा, उनके नेक विचार ।
नेकी करके आज हम , बैठे हैं मझधार ।।

प्रेम समझ पाया नहीं , कहता है दिलदार ।
जीवन बाजी हार के , बैठा मैं मझधार ।।

बन मरहम जो भी मिले , दिए नई वो पीर ।
सिसक-सिसक कर कह रही , अब आँखो की नीर ।।

दिखती हो गुडिया हमें , पर होती हो दूर ।
छूना चाहूँ मैं तुझे , पर होता मजबूर ।।

मोर पंख ले हाथ में , देखे चारो ओर ।
मैं प्यासा पनघट तकूँ , मीत बना है चोर ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- मन की मन से बात कर , मन समझेगा खूब । औरों की मत बात सुन , आज गया मन ऊब ।। मन की सुनकर आजतक , किए बहुत शुभ काम । फिर कहता मन आज है ,

15 Love

ग़ज़ल :- उसे कैसे यहाँ अपनी बता दुल्हन बना लेता । लिखा तकदीर में था ये कि मैं आँसू बहा लेता ।।१ वफ़ा उनसे किया जबसे तभी मुश्किल हुई यारो । सजा तो मिल रही है अब खता मैं क्या छुपा लेता ।।३ तुम्हारे आज जाने से यही अच्छा मुझे लगता । तुम्हारे बाद ही अपना गला मैं भी दबा लेता ।।३ ज़फा करके करोगे तुम सामना इस तरह मेरा । पता होता तो मैं पहले निगाहें ये घुमा लेता ।।४ बुलाकर आप महफ़िल में रखोगे इस तरह प्यासा । कसम से जहर ही मैं फिर लवों से इन लगा लेता ।।५ अदब से पेश आते तो उन्हें कहना नही पड़ता । प्रखर ये सिर चरण उनके स्वयं से फिर झुका लेता ।।६ प्रखर से तोड़कर रिश्ता सजा तुम डोलियां लोगे । यकीं होता तो मैं अपनी वहीं अर्थी सजा लेता ।।७ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#शायरी  ग़ज़ल :-
उसे कैसे यहाँ अपनी बता दुल्हन बना लेता ।
लिखा तकदीर में था ये कि मैं आँसू बहा लेता ।।१

वफ़ा उनसे किया जबसे तभी मुश्किल हुई यारो ।
सजा तो मिल रही है अब खता मैं क्या छुपा लेता ।।३

तुम्हारे आज जाने से यही अच्छा मुझे लगता ।
तुम्हारे बाद ही अपना गला मैं भी दबा लेता ।।३

ज़फा करके करोगे तुम सामना इस तरह मेरा ।
पता होता तो मैं पहले निगाहें ये घुमा लेता ।।४

बुलाकर आप महफ़िल में रखोगे इस तरह प्यासा ।
कसम से जहर ही मैं फिर लवों से इन लगा लेता ।।५

अदब से पेश आते तो उन्हें कहना नही पड़ता ।
प्रखर ये सिर चरण उनके स्वयं से फिर झुका लेता ।।६

प्रखर से तोड़कर रिश्ता सजा तुम डोलियां लोगे ।
यकीं होता तो मैं अपनी वहीं अर्थी सजा लेता ।।७
महेन्द्र सिंह प्रखर

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ग़ज़ल :- उसे कैसे यहाँ अपनी बता दुल्हन बना लेता । लिखा तकदीर में था ये कि मैं आँसू बहा लेता ।।१ वफ़ा उनसे किया जबसे तभी मुश्किल हुई यारो । सजा

15 Love

White ग़ज़ल :- ख्वाब में आप क्यूँ मेरे आने लगे । बेसबब आप क्यों फिर सताने लगे ।। दीद तो आपके यार आँसा नहीं । दर्द क्यों आप दिल में उठाने लगे ।। कह दिया जो नही प्यार है आपसे । नैन फिर यार क्यों अब मिलाने लगे ।। दिल न माना हमारा तुझे देखकर । बार बा तेरी गलियों में आने लगे ।। जिस तरह आपने जुल्फ खोली वहाँ । लोग सारे के सारे दीवाने लगे ।। होंठ से होंठ अपने मिले ही नही । लोग यूँ ही धुआं अब उठाने लगे ।। देख प्यासा प्रखर को रहम आ गया । ज़ाम आँखों से फिर वो पिलाने लगे ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#शायरी  White ग़ज़ल :-

ख्वाब में आप क्यूँ मेरे आने लगे ।
बेसबब आप क्यों फिर सताने लगे ।।
दीद तो आपके यार आँसा नहीं ।
दर्द क्यों आप दिल में उठाने लगे ।।
कह दिया जो नही प्यार है आपसे ।
नैन फिर यार क्यों अब मिलाने लगे ।।
दिल न माना हमारा तुझे देखकर ।
बार बा तेरी गलियों में आने लगे ।।
जिस तरह आपने जुल्फ खोली वहाँ ।
लोग सारे के सारे दीवाने लगे ।।
होंठ से होंठ अपने मिले ही नही ।
लोग यूँ ही धुआं अब उठाने लगे ।।
देख प्यासा प्रखर को रहम आ गया ।
ज़ाम आँखों से फिर वो पिलाने लगे ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

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ग़ज़ल :- ख्वाब में आप क्यूँ मेरे आने लगे । बेसबब आप क्यों फिर सताने लगे ।। दीद तो आपके यार आँसा नहीं । दर्द क्यों आप दिल में उठाने लगे ।। कह

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बाज के बच्चे को नुक्सान पहुंचाने के अंजाम कौवा को भारी पड़ा

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लूट लिए हमको सजन., तेरे ये दो नैन । आता अब पल भर नहीं , सुनो जिया को चैन ।। देखो जब भी हम मिले , किए बात दो नैन । मन ये प्यासा रह गया , बीत गई फिर रैन ।। रूप मोहिनी देखकर , ठहर गये दो नैन । लब बेचारे  मौन थे , कह न सके दो बैन ।। जिनकी सुन तारीफ में , निकल न पाये बैन । कजरारे वह नैन अब , लूट रहें हैं चैन ।। इतना तो अब ध्यान रख , भोर नही ये रैन । झूठ बोलते आप हैं , बोल रहे दो नैन ।। अमृत कलश पिला दिए , तेरे ये दो नैन । झूम-रहा हूँ देख लो , पीकर अब दिन रैन ।। लाकर होठों पर हँसी , पीर छुपाये कौन । दो नैना यह देखकर , रह न सकेंगे मौन ।। दो नैना जो चार हो, खिले अधर मुस्कान धीरे-धीरे हो गया , देख हृदय का दान ।। ०४/०४/२०२४     -    महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  लूट लिए हमको सजन., तेरे ये दो नैन ।
आता अब पल भर नहीं , सुनो जिया को चैन ।।

देखो जब भी हम मिले , किए बात दो नैन ।
मन ये प्यासा रह गया , बीत गई फिर रैन ।।

रूप मोहिनी देखकर , ठहर गये दो नैन ।
लब बेचारे  मौन थे , कह न सके दो बैन ।।

जिनकी सुन तारीफ में , निकल न पाये बैन ।
कजरारे वह नैन अब , लूट रहें हैं चैन ।।

इतना तो अब ध्यान रख , भोर नही ये रैन ।
झूठ बोलते आप हैं , बोल रहे दो नैन ।।

अमृत कलश पिला दिए , तेरे ये दो नैन ।
झूम-रहा हूँ देख लो , पीकर अब दिन रैन ।।

लाकर होठों पर हँसी , पीर छुपाये कौन ।
दो नैना यह देखकर , रह न सकेंगे मौन ।।

दो नैना जो चार हो, खिले अधर मुस्कान
धीरे-धीरे हो गया , देख हृदय का दान ।।

०४/०४/२०२४     -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

लूट लिए हमको सजन., तेरे ये दो नैन । आता अब पल भर नहीं , सुनो जिया को चैन ।। देखो जब भी हम मिले , किए बात दो नैन । मन ये प्यासा रह गया ,

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