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#nojotohindipoetry #दोहे #sandiprohila #nojotohindi #भूल  भूल (दोहे)

भूल हुई जो मान लो, पर हो छोटी जान।
माफी भी तुमको मिले, और नहीं अपमान।।

अपराधी में नाम हो, करो न ऐसी भूल।
माफी उसकी है नहीं, लगते खुद को शूल।।

भूल करो जो तुम वही, खाओगे फटकार।
माफी फिर मिलती नहीं, सजा मिले हर बार।।

बार बार अपराध कर, रटे भूल का नाम।
मिले नहीं सम्मान है, रहता दुखी तमाम।।

साधारण सी भूल पर, तुम जो करो विचार।
फिर पनपेगा वो नहीं, होगा भी उद्धार।।
...........................................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#भूल #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi भूल (दोहे) भूल हुई जो मान लो, पर हो छोटी जान। माफी भी तुमको मिले, और नहीं अपमान।। अपराधी में

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#धन_दौलत #nojotohindipoetry #दोहे #sandiprohila #nojotohindi  धन-दौलत (दोहे)

धन-दौलत ये है बड़ी, इसका ही सम्मान।
जो इससे पीछे रहा, कम कीमत ये जान।।

मानवता बस नाम की, धन-दौलत से मान।
अहंकार में डूब कर, बनता वह अनजान।।

जूझ रहा इंसान है, धन-दौलत को आज।
इसको पाने के लिए, करता कुछ भी काज।।

धन-दौलत ही चाहिए, पाने को सम्मान।
इसके बिन कुछ है नहीं, खोते सब अरमान।।

अपराधी घूमें फिरें, करने को वह काज।
धन-दौलत को लूटते, समझें खुद सरताज।।

धन-दौलत की चाह में, भटक रहा इंसान।
उसे झपटने के लिए, भूल रहा ईमान।।
.........................................................
देवेश दीक्षित 
स्वरचित एवं मौलिक

©Devesh Dixit

#धन_दौलत #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi धन-दौलत (दोहे) धन-दौलत ये है बड़ी, इसका ही सम्मान। जो इससे पीछे रहा, कम कीमत ये जान।। मानव

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#उलझा_है_मन_खुद_में #nojotohindipoetry #sandiprohila #nojotohindi #Bhakti  उलझा है मन खुद में

उलझा है मन खुद में मेरा, 
कैसे अपनी मैं बात कहूँ।
हे शिव जी अब तो कृपा करो, 
तुमसे ही अब मैं आस करूँ।

दुनिया में है ये विष कितना,
बिन पिये मुरझा हम तो रहे।
बाजू में छूरी हैं रखते,
मुख से श्री राम पुकार रहे।

अपराधों की है भीड़ लगी,
ले खंजर अब वे भोंक रहे।
चैनो अमन है कैसे कहें,
वे तो विपदा में झोंक रहे।

अब कैसे हो विश्वास यहांँ,
संशय में जीवन डोल रहा।
जो टूट गये विश्वास यहाँ,
रिश्तों में है जंग बोल रहा।

मानवता को है चोट लगी, 
शैतानी जज़्बे जाग उठे।
संस्कारों की भी बली चढ़ी,
अब देख तमाशा भाग उठे।

उलझा है मन खुद में मेरा, 
कैसे अपनी मैं बात कहूँ।
हे शिव जी अब तो कृपा करो, 
तुमसे ही अब मैं आस करूँ।
.......................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#उलझा_है_मन_खुद_में #nojotohindi #nojotohindipoetry उलझा है मन खुद में उलझा है मन खुद में मेरा, कैसे अपनी मैं बात कहूँ। हे शिव जी अब तो

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#वीडियो

ज्येष्ठ माह पहले बडे मंगल के अवसर पर बाबागंज के विभिन्न स्थानों पर हुआ भंडारे का अयोजन । चरदा बहराइच।ज्येष्ठ माह के प्रथम बडे मंगल के शुभ अ

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#नहीं_चाहिए_ऐसा_जीवन #nojotohindipoetry #sandiprohila #nojotohindi  नहीं चाहिए ऐसा जीवन

नहीं चाहिए ऐसा जीवन,
जिसमें दर्द बेशुमार हो।
आतंकों से भरा ये जीवन,
जहाँ तड़पा इन्साफ हो।

दुष्कर्मों की लगी झड़ी है,
कहाँ रहा विश्वास है?
संकट की जो ये घड़ी है,
नहीं बचा ऐहसास है।

चेहरे पर सब मुखौटा पहनें,
कैसे अब पहचान हो?
खून की लगी नदियाँ बहनें,
क्यों बने अनजान हो?

दौलत की खातिर देखो,
बिकता जो ईमान है।
कैसे मजबूत होगा देखो?
ये जो हिन्दुस्तान है।

नहीं चाहिए ऐसा जीवन,
जिसमें रक्त शृंगार हो।
हैवानियत में डूबा जीवन,
पाप का ये आधार हो।
....................................
देवेश दीक्षित
स्वरचित एवं मौलिक

©Devesh Dixit

#नहीं_चाहिए_ऐसा_जीवन #nojotohindi #nojotohindipoetry नहीं चाहिए ऐसा जीवन नहीं चाहिए ऐसा जीवन, जिसमें दर्द बेशुमार हो। आतंकों से भरा ये जी

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#nojotohindipoetry #दोहे #sandiprohila #nojotohindi #भूल  भूल (दोहे)

भूल हुई जो मान लो, पर हो छोटी जान।
माफी भी तुमको मिले, और नहीं अपमान।।

अपराधी में नाम हो, करो न ऐसी भूल।
माफी उसकी है नहीं, लगते खुद को शूल।।

भूल करो जो तुम वही, खाओगे फटकार।
माफी फिर मिलती नहीं, सजा मिले हर बार।।

बार बार अपराध कर, रटे भूल का नाम।
मिले नहीं सम्मान है, रहता दुखी तमाम।।

साधारण सी भूल पर, तुम जो करो विचार।
फिर पनपेगा वो नहीं, होगा भी उद्धार।।
...........................................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#भूल #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi भूल (दोहे) भूल हुई जो मान लो, पर हो छोटी जान। माफी भी तुमको मिले, और नहीं अपमान।। अपराधी में

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#धन_दौलत #nojotohindipoetry #दोहे #sandiprohila #nojotohindi  धन-दौलत (दोहे)

धन-दौलत ये है बड़ी, इसका ही सम्मान।
जो इससे पीछे रहा, कम कीमत ये जान।।

मानवता बस नाम की, धन-दौलत से मान।
अहंकार में डूब कर, बनता वह अनजान।।

जूझ रहा इंसान है, धन-दौलत को आज।
इसको पाने के लिए, करता कुछ भी काज।।

धन-दौलत ही चाहिए, पाने को सम्मान।
इसके बिन कुछ है नहीं, खोते सब अरमान।।

अपराधी घूमें फिरें, करने को वह काज।
धन-दौलत को लूटते, समझें खुद सरताज।।

धन-दौलत की चाह में, भटक रहा इंसान।
उसे झपटने के लिए, भूल रहा ईमान।।
.........................................................
देवेश दीक्षित 
स्वरचित एवं मौलिक

©Devesh Dixit

#धन_दौलत #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi धन-दौलत (दोहे) धन-दौलत ये है बड़ी, इसका ही सम्मान। जो इससे पीछे रहा, कम कीमत ये जान।। मानव

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#उलझा_है_मन_खुद_में #nojotohindipoetry #sandiprohila #nojotohindi #Bhakti  उलझा है मन खुद में

उलझा है मन खुद में मेरा, 
कैसे अपनी मैं बात कहूँ।
हे शिव जी अब तो कृपा करो, 
तुमसे ही अब मैं आस करूँ।

दुनिया में है ये विष कितना,
बिन पिये मुरझा हम तो रहे।
बाजू में छूरी हैं रखते,
मुख से श्री राम पुकार रहे।

अपराधों की है भीड़ लगी,
ले खंजर अब वे भोंक रहे।
चैनो अमन है कैसे कहें,
वे तो विपदा में झोंक रहे।

अब कैसे हो विश्वास यहांँ,
संशय में जीवन डोल रहा।
जो टूट गये विश्वास यहाँ,
रिश्तों में है जंग बोल रहा।

मानवता को है चोट लगी, 
शैतानी जज़्बे जाग उठे।
संस्कारों की भी बली चढ़ी,
अब देख तमाशा भाग उठे।

उलझा है मन खुद में मेरा, 
कैसे अपनी मैं बात कहूँ।
हे शिव जी अब तो कृपा करो, 
तुमसे ही अब मैं आस करूँ।
.......................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#उलझा_है_मन_खुद_में #nojotohindi #nojotohindipoetry उलझा है मन खुद में उलझा है मन खुद में मेरा, कैसे अपनी मैं बात कहूँ। हे शिव जी अब तो

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ज्येष्ठ माह पहले बडे मंगल के अवसर पर बाबागंज के विभिन्न स्थानों पर हुआ भंडारे का अयोजन । चरदा बहराइच।ज्येष्ठ माह के प्रथम बडे मंगल के शुभ अ

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#नहीं_चाहिए_ऐसा_जीवन #nojotohindipoetry #sandiprohila #nojotohindi  नहीं चाहिए ऐसा जीवन

नहीं चाहिए ऐसा जीवन,
जिसमें दर्द बेशुमार हो।
आतंकों से भरा ये जीवन,
जहाँ तड़पा इन्साफ हो।

दुष्कर्मों की लगी झड़ी है,
कहाँ रहा विश्वास है?
संकट की जो ये घड़ी है,
नहीं बचा ऐहसास है।

चेहरे पर सब मुखौटा पहनें,
कैसे अब पहचान हो?
खून की लगी नदियाँ बहनें,
क्यों बने अनजान हो?

दौलत की खातिर देखो,
बिकता जो ईमान है।
कैसे मजबूत होगा देखो?
ये जो हिन्दुस्तान है।

नहीं चाहिए ऐसा जीवन,
जिसमें रक्त शृंगार हो।
हैवानियत में डूबा जीवन,
पाप का ये आधार हो।
....................................
देवेश दीक्षित
स्वरचित एवं मौलिक

©Devesh Dixit

#नहीं_चाहिए_ऐसा_जीवन #nojotohindi #nojotohindipoetry नहीं चाहिए ऐसा जीवन नहीं चाहिए ऐसा जीवन, जिसमें दर्द बेशुमार हो। आतंकों से भरा ये जी

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