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New रम्य ते बालपण कविता Status, Photo, Video

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#शायरी

कोशिश कर ते रहो दोस्त ✌️🔥🤗

153 View

#शायरी  ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए,
भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए।

पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई,
लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए।

बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी,
सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए।

उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं,
दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए।

थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने।
चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए।

                                   कवि-शिव गोपाल अवस्थी

©Shiv gopal awasthi

कविता

99 View

#कविता

कविता

432 View

Nature Quotes वाटत कधी लहान होऊन बघावं चिऊ काऊ संगे गाणे गाऊ थोडी हट्टी थोडी खट्टी राहू दिसभर बागडत राहू परि ती सुखाचे दिस विरले ते हास्य विसरले नि काय हे वय वाढून गेले ©Jaymala Bharkade

#मराठीकविता  Nature Quotes वाटत कधी लहान होऊन बघावं
चिऊ काऊ संगे गाणे गाऊ
थोडी हट्टी थोडी खट्टी राहू
दिसभर बागडत राहू
परि ती सुखाचे दिस विरले
ते हास्य विसरले नि 
काय  हे वय वाढून गेले

©Jaymala Bharkade

बालपण#

15 Love

#कविता

12825 View

 में थी और शायद तू भी…
शायद एक सांस के फासले पर खड़ा
शायद एक नज़र के अँधेरे पे बैठा
शायद एहसास के एक मोड़ पर चल रहा
पर वह
पुराने-ऐतिहासिक समय की बात है

©Saroj Patwa

#कविता

198 View

#शायरी

कोशिश कर ते रहो दोस्त ✌️🔥🤗

153 View

#शायरी  ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए,
भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए।

पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई,
लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए।

बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी,
सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए।

उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं,
दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए।

थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने।
चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए।

                                   कवि-शिव गोपाल अवस्थी

©Shiv gopal awasthi

कविता

99 View

#कविता

कविता

432 View

Nature Quotes वाटत कधी लहान होऊन बघावं चिऊ काऊ संगे गाणे गाऊ थोडी हट्टी थोडी खट्टी राहू दिसभर बागडत राहू परि ती सुखाचे दिस विरले ते हास्य विसरले नि काय हे वय वाढून गेले ©Jaymala Bharkade

#मराठीकविता  Nature Quotes वाटत कधी लहान होऊन बघावं
चिऊ काऊ संगे गाणे गाऊ
थोडी हट्टी थोडी खट्टी राहू
दिसभर बागडत राहू
परि ती सुखाचे दिस विरले
ते हास्य विसरले नि 
काय  हे वय वाढून गेले

©Jaymala Bharkade

बालपण#

15 Love

#कविता

12825 View

 में थी और शायद तू भी…
शायद एक सांस के फासले पर खड़ा
शायद एक नज़र के अँधेरे पे बैठा
शायद एहसास के एक मोड़ पर चल रहा
पर वह
पुराने-ऐतिहासिक समय की बात है

©Saroj Patwa

#कविता

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