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#happy_independence_day #sandiprohila  White स्वतंत्रता दिवस

स्वतंत्रता पाने की खातिर
कितनों के दिमाग लगे शातिर

अंग्रेजों ने जब तक राज़ किया था
देशवासियों का अपने अपमान किया था

क्रांतिकारी भी जोश में थे
नेता अपने होश में थे

अंग्रेजों की सत्ता हिलाई थी
दांतों तले उंगलियां दबवाई थी

शासन अंग्रेजों का डोल गया था
धीरज उनका बोल गया था

क्रांतिकारियों से थर्राने लगे थे
नेताओं से वो घबराने लगे थे

बोरिया बिस्तरा अपना बांध लिया था
एक एक अंग्रेज देश छोड़ कर भाग लिया था

देश अपना तब आजाद हुआ
हिंदुस्तानी अपना आबाद हुआ

ध्वजारोहण तब से हुआ है
15 अगस्त विख्यात हुआ है

यह राष्ट्र दिवस हमारा है
हमको जां से प्यारा है
...........................................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#happy_independence_day स्वतंत्रता दिवस स्वतंत्रता पाने की खातिर कितनों के दिमाग लगे शातिर अंग्रेजों ने जब तक राज़ किया था

225 View

#मोटिवेशनल #happy_independence_day  White {Bolo Ji Radhey Radhey}
भगवान श्रीहरि की पावन कथा यही है:- 
महाभारत कथा:- अर्पण, तर्पण, समर्पण,
यही समस्त भारत के वासियों का भी 
सकल्प होना चाहिए, अपने पावन, 
पवित्र, सुखद, समरथ देश को आगे 
ओर आगे लेकर जाना, भारत की 
स्वतंत्रता दिवस पर सब सुखी जीवन 
की प्ररणा की ओर समर्पित हो।।
N S Yadav GoldMine
Rohini Delhi-110085

©N S Yadav GoldMine

#happy_independence_day {Bolo Ji Radhey Radhey} भगवान श्रीहरि की पावन कथा यही है:- महाभारत कथा:- अर्पण, तर्पण, समर्पण, यही समस्त भारत के वा

90 View

#विचार #sad_shayari  White  मनुष्य को अपनी गलतियों
 की सजा भले ही तुरंत ना मिले 
परंतु समय के साथ कभी
 ना कभी सजा जरूर मिलती है 
अगर कोई आपको अपनी 
तकलीफ सुनाये तो 
उसे ध्यान से सुनो क्योंकि 
आप सिर्फ उसे सुन रहे हो 
और वह उसे महसूस कर रहा है

©PURAN SING‌H CHILWAL

#sad_shayari 🥀🥀अगर जिंदगी में मुश्किलें है तो उदास मत होना अच्छे बुरे दिन तो आते जाते रहते हैं खुश रहो मस्त रहो सब अच्छा होगा खुशियों की

315 View

#Videos

यानी लड़की का बाप अपनी मां चुदवाता पूछ कर के लड़के के पास कितनी जमीनें है जयजाद है सरकारी नौकरी हैं की नही? दहेज़ देने में इनकी मां बहन बेटि

90 View

#विचार #ekvichar4you #Motivation #confidence #ekvichar #Success  White ☝️एक विचार ✍️
आशा ईश्वर से और विश्वास स्वयं पर...
सुखी रहने का बस यही मूल मन्त्र है...

©MUKESH KUMAR

☝️एक विचार ✍️ आशा ईश्वर से और विश्वास स्वयं पर... सुखी रहने का बस यही मूल मन्त्र है... #ekvichar #ekvichar4you #Motivation #thoughts #succes

117 View

White गीत :- उलझ रहा है निशिदिन मानव , जिनके नित्य विचारो से । भाषण देते बन अभिनेता , सत्ता के गलियारों से ।। उलझ रहा है निशिदिन मानव .... छोड़ सभी वह रिश्ते-नाते, बैठे ऊँचे आसन पे । पहचाने इंसान नही जो , भाषण देते जीवन पे ।। जिसे खेलना पाप कहा था , मातु-पिता औ गुरुवर ने । उसी खेल का मिले प्रलोभन , सुन लो अब सरकारों से ।। उलझ रहा है निशिदिन मानव ..... मातु-पिता बिन कैसा जीवन , हमने पढ़ा किताबों में । ये बतलाते आकर हमको , दौलत नही हिसाबों में ।। इनके जैसा कभी न बनना , ये तो हैं खुद्दारों में । दया धर्म की टाँगें टूटी , इन सबके व्यापारो से ।। उलझ रहा है निशिदिन मानव.... नंगा नाच भरे आँगन में, इनके देख घरानों में । बेटी बेटा झूम रहे हैं , जाने किस-किस बाहों में ।। अपने घर को आप सँभाले, आया आज विचारों में । झाँक नही तू इनके घर को , पतन हुए संस्कारो से ।। उलझ रहा है निशिदिन मानव..... दौड़ रहे क्यों भूखे बच्चे , तेरे इन दरबारों में । क्या इनको तू मान लिया है , निर्गुण औ लाचारों में ।। बनकर दास रहे ये तेरा , करे भोग भण्डारों में । ऐसी सोच झलक कर आयी , जग के ठेकेदारों से ।। उलझ रहा है निशिदिन मानव ... बदलो मिलकर चाल सभी यह , प्रकृति बदलने वाली है । भूखे प्यासे लोगो की अब , आह निकलने वाली है । हमने वह आवाज सुनी है , चीखों और पुकारों से । आने वाले हैं हक लेने , देखो वह हथियारों से ।। उलझ रहा है निशिदिन मानव .... उलझ रहा है निशिदिन मानव , जिनके नित्य विचारो से । भाषण देते वे अभिनेता , सत्ता के गलियारों से ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  White गीत :-
उलझ रहा है निशिदिन मानव , जिनके नित्य विचारो से ।
भाषण देते बन अभिनेता , सत्ता के गलियारों से ।।
उलझ रहा है निशिदिन मानव ....

छोड़ सभी वह रिश्ते-नाते, बैठे ऊँचे आसन पे ।
पहचाने इंसान नही जो , भाषण देते जीवन पे ।।
जिसे खेलना पाप कहा था , मातु-पिता औ गुरुवर ने ।
उसी खेल का मिले प्रलोभन , सुन लो अब सरकारों से ।।
उलझ रहा है निशिदिन मानव .....

मातु-पिता बिन कैसा जीवन , हमने पढ़ा किताबों में ।
ये बतलाते आकर हमको , दौलत नही हिसाबों में ।।
इनके जैसा कभी न बनना , ये तो हैं खुद्दारों में ।
दया धर्म की टाँगें टूटी , इन सबके व्यापारो से ।।
उलझ रहा है निशिदिन मानव....

नंगा नाच भरे आँगन में, इनके देख घरानों में ।
बेटी बेटा झूम रहे हैं , जाने किस-किस बाहों में ।।
अपने घर को आप सँभाले, आया आज विचारों में ।
झाँक नही तू इनके घर को , पतन हुए संस्कारो से ।।
उलझ रहा है निशिदिन मानव.....

दौड़ रहे क्यों भूखे बच्चे , तेरे इन दरबारों में ।
क्या इनको तू मान लिया है , निर्गुण औ लाचारों में ।।
बनकर दास रहे ये तेरा , करे भोग भण्डारों में ।
ऐसी सोच झलक कर आयी , जग के ठेकेदारों से ।।
उलझ रहा है निशिदिन मानव ...

बदलो मिलकर चाल सभी यह , प्रकृति बदलने वाली है ।
भूखे प्यासे लोगो की अब , आह निकलने वाली है ।
हमने वह आवाज सुनी है , चीखों और पुकारों से ।
आने वाले हैं हक लेने , देखो वह हथियारों से ।।
उलझ रहा है निशिदिन मानव ....

उलझ रहा है निशिदिन मानव , जिनके नित्य विचारो से ।
भाषण देते वे अभिनेता , सत्ता के गलियारों से ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत :- उलझ रहा है निशिदिन मानव , जिनके नित्य विचारो से । भाषण देते बन अभिनेता , सत्ता के गलियारों से ।। उलझ रहा है निशिदिन मानव .... छोड़ सभ

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#happy_independence_day #sandiprohila  White स्वतंत्रता दिवस

स्वतंत्रता पाने की खातिर
कितनों के दिमाग लगे शातिर

अंग्रेजों ने जब तक राज़ किया था
देशवासियों का अपने अपमान किया था

क्रांतिकारी भी जोश में थे
नेता अपने होश में थे

अंग्रेजों की सत्ता हिलाई थी
दांतों तले उंगलियां दबवाई थी

शासन अंग्रेजों का डोल गया था
धीरज उनका बोल गया था

क्रांतिकारियों से थर्राने लगे थे
नेताओं से वो घबराने लगे थे

बोरिया बिस्तरा अपना बांध लिया था
एक एक अंग्रेज देश छोड़ कर भाग लिया था

देश अपना तब आजाद हुआ
हिंदुस्तानी अपना आबाद हुआ

ध्वजारोहण तब से हुआ है
15 अगस्त विख्यात हुआ है

यह राष्ट्र दिवस हमारा है
हमको जां से प्यारा है
...........................................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#happy_independence_day स्वतंत्रता दिवस स्वतंत्रता पाने की खातिर कितनों के दिमाग लगे शातिर अंग्रेजों ने जब तक राज़ किया था

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#मोटिवेशनल #happy_independence_day  White {Bolo Ji Radhey Radhey}
भगवान श्रीहरि की पावन कथा यही है:- 
महाभारत कथा:- अर्पण, तर्पण, समर्पण,
यही समस्त भारत के वासियों का भी 
सकल्प होना चाहिए, अपने पावन, 
पवित्र, सुखद, समरथ देश को आगे 
ओर आगे लेकर जाना, भारत की 
स्वतंत्रता दिवस पर सब सुखी जीवन 
की प्ररणा की ओर समर्पित हो।।
N S Yadav GoldMine
Rohini Delhi-110085

©N S Yadav GoldMine

#happy_independence_day {Bolo Ji Radhey Radhey} भगवान श्रीहरि की पावन कथा यही है:- महाभारत कथा:- अर्पण, तर्पण, समर्पण, यही समस्त भारत के वा

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#विचार #sad_shayari  White  मनुष्य को अपनी गलतियों
 की सजा भले ही तुरंत ना मिले 
परंतु समय के साथ कभी
 ना कभी सजा जरूर मिलती है 
अगर कोई आपको अपनी 
तकलीफ सुनाये तो 
उसे ध्यान से सुनो क्योंकि 
आप सिर्फ उसे सुन रहे हो 
और वह उसे महसूस कर रहा है

©PURAN SING‌H CHILWAL

#sad_shayari 🥀🥀अगर जिंदगी में मुश्किलें है तो उदास मत होना अच्छे बुरे दिन तो आते जाते रहते हैं खुश रहो मस्त रहो सब अच्छा होगा खुशियों की

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#Videos

यानी लड़की का बाप अपनी मां चुदवाता पूछ कर के लड़के के पास कितनी जमीनें है जयजाद है सरकारी नौकरी हैं की नही? दहेज़ देने में इनकी मां बहन बेटि

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#विचार #ekvichar4you #Motivation #confidence #ekvichar #Success  White ☝️एक विचार ✍️
आशा ईश्वर से और विश्वास स्वयं पर...
सुखी रहने का बस यही मूल मन्त्र है...

©MUKESH KUMAR

☝️एक विचार ✍️ आशा ईश्वर से और विश्वास स्वयं पर... सुखी रहने का बस यही मूल मन्त्र है... #ekvichar #ekvichar4you #Motivation #thoughts #succes

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White गीत :- उलझ रहा है निशिदिन मानव , जिनके नित्य विचारो से । भाषण देते बन अभिनेता , सत्ता के गलियारों से ।। उलझ रहा है निशिदिन मानव .... छोड़ सभी वह रिश्ते-नाते, बैठे ऊँचे आसन पे । पहचाने इंसान नही जो , भाषण देते जीवन पे ।। जिसे खेलना पाप कहा था , मातु-पिता औ गुरुवर ने । उसी खेल का मिले प्रलोभन , सुन लो अब सरकारों से ।। उलझ रहा है निशिदिन मानव ..... मातु-पिता बिन कैसा जीवन , हमने पढ़ा किताबों में । ये बतलाते आकर हमको , दौलत नही हिसाबों में ।। इनके जैसा कभी न बनना , ये तो हैं खुद्दारों में । दया धर्म की टाँगें टूटी , इन सबके व्यापारो से ।। उलझ रहा है निशिदिन मानव.... नंगा नाच भरे आँगन में, इनके देख घरानों में । बेटी बेटा झूम रहे हैं , जाने किस-किस बाहों में ।। अपने घर को आप सँभाले, आया आज विचारों में । झाँक नही तू इनके घर को , पतन हुए संस्कारो से ।। उलझ रहा है निशिदिन मानव..... दौड़ रहे क्यों भूखे बच्चे , तेरे इन दरबारों में । क्या इनको तू मान लिया है , निर्गुण औ लाचारों में ।। बनकर दास रहे ये तेरा , करे भोग भण्डारों में । ऐसी सोच झलक कर आयी , जग के ठेकेदारों से ।। उलझ रहा है निशिदिन मानव ... बदलो मिलकर चाल सभी यह , प्रकृति बदलने वाली है । भूखे प्यासे लोगो की अब , आह निकलने वाली है । हमने वह आवाज सुनी है , चीखों और पुकारों से । आने वाले हैं हक लेने , देखो वह हथियारों से ।। उलझ रहा है निशिदिन मानव .... उलझ रहा है निशिदिन मानव , जिनके नित्य विचारो से । भाषण देते वे अभिनेता , सत्ता के गलियारों से ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  White गीत :-
उलझ रहा है निशिदिन मानव , जिनके नित्य विचारो से ।
भाषण देते बन अभिनेता , सत्ता के गलियारों से ।।
उलझ रहा है निशिदिन मानव ....

छोड़ सभी वह रिश्ते-नाते, बैठे ऊँचे आसन पे ।
पहचाने इंसान नही जो , भाषण देते जीवन पे ।।
जिसे खेलना पाप कहा था , मातु-पिता औ गुरुवर ने ।
उसी खेल का मिले प्रलोभन , सुन लो अब सरकारों से ।।
उलझ रहा है निशिदिन मानव .....

मातु-पिता बिन कैसा जीवन , हमने पढ़ा किताबों में ।
ये बतलाते आकर हमको , दौलत नही हिसाबों में ।।
इनके जैसा कभी न बनना , ये तो हैं खुद्दारों में ।
दया धर्म की टाँगें टूटी , इन सबके व्यापारो से ।।
उलझ रहा है निशिदिन मानव....

नंगा नाच भरे आँगन में, इनके देख घरानों में ।
बेटी बेटा झूम रहे हैं , जाने किस-किस बाहों में ।।
अपने घर को आप सँभाले, आया आज विचारों में ।
झाँक नही तू इनके घर को , पतन हुए संस्कारो से ।।
उलझ रहा है निशिदिन मानव.....

दौड़ रहे क्यों भूखे बच्चे , तेरे इन दरबारों में ।
क्या इनको तू मान लिया है , निर्गुण औ लाचारों में ।।
बनकर दास रहे ये तेरा , करे भोग भण्डारों में ।
ऐसी सोच झलक कर आयी , जग के ठेकेदारों से ।।
उलझ रहा है निशिदिन मानव ...

बदलो मिलकर चाल सभी यह , प्रकृति बदलने वाली है ।
भूखे प्यासे लोगो की अब , आह निकलने वाली है ।
हमने वह आवाज सुनी है , चीखों और पुकारों से ।
आने वाले हैं हक लेने , देखो वह हथियारों से ।।
उलझ रहा है निशिदिन मानव ....

उलझ रहा है निशिदिन मानव , जिनके नित्य विचारो से ।
भाषण देते वे अभिनेता , सत्ता के गलियारों से ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत :- उलझ रहा है निशिदिन मानव , जिनके नित्य विचारो से । भाषण देते बन अभिनेता , सत्ता के गलियारों से ।। उलझ रहा है निशिदिन मानव .... छोड़ सभ

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