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#कविता #Tranding #Lake #poem  White ह्बायों के रुख से लगता है कि रुखसत हो जाएगी बरसात
बेदर्द समां बदलेगा और आँखों से थम जाएगी बरसात .
अब जब थम गयी हैं बरसात तो किसान तरसा पानी को
बो वैठा हैं इसी आस मे कि अब कब आएगी बरसात .
दिल की बगिया को इस मोसम से कोई नहीं रही आस
आजाओ तुम इस बे रूखे मोसम में बन के बरसात .
चांदनी चादर बन ढक लेती हैं जब गलतफेहमियां हर रात
तब सुबह नई किरणों से फिर होती हें खुसिओं की बरसात .
सुबह की पहली किरण जब छू लेती हें तेरी बंद पलकें
चारों तरफ कलिओं से तेरी खुशबू की हो जाती बरसात .
नहा धो कर चमक जाती हर चोटी धोलाधार की
जब पश्चिम से बादल गरजते चमकते बनते बरसात

©ishant Thakur

prakrti poem #Lake #poem #Tranding

90 View

#कविता #Billi  White बिल्ली की एक दिन आई खाला, 
पहन कानों में बड़ा सा बाला,।
बोली कैसे हो तुम लाला, 
जाओ झट से लाओ कोई प्याला। 
देह हो गई है बिल्कुल काला, 
लाली पाउडर का पड़ा है ठाला ।
फ़ट से पानी बिल्ली ने बर्तन में घाला ,
खाला ने फौरन स्नान कर डाला। 
बोली काके लाओ अब कुछ खाने वाला, 
गुड़ गुड़ पेट में बन रही गैस का जाला। 
गले में चुभ रहा जैसे कोई भाला, 
दौड़ लाया उसने तुरंत मटन मसाला। 
पूरी चट कर गई अकेले खाला, 
बिल्ली बैठ जपती रही कंठी माला। 
बोली खाना था बड़ा रसीला, 
उठ बोली अब कर लेने दो थोड़ा पैंट ढीला। ।
written by संतोष वर्मा azamgarh वाले 
खुद की जुबानी। ।

©Santosh Verma

#Billi की khala##

126 View

वक्त शायद जख़्मो को भर भी दे, मगर जाओं... जिंदगी से पूछकर आओं... क्या वोह मेरी उम्र की भरपाई कर पायेगी....! ©Aarti Sirsat

#विचार #poem  वक्त शायद जख़्मो को भर भी दे, 
मगर जाओं... 
जिंदगी से पूछकर आओं... 
क्या वोह मेरी उम्र की भरपाई कर पायेगी....!

©Aarti Sirsat

#poem

17 Love

#shayaari #sjspoet #poatry #poem
#Motivational

poem

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#Videos

billi mausi

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#कविता #Tranding #Lake #poem  White ह्बायों के रुख से लगता है कि रुखसत हो जाएगी बरसात
बेदर्द समां बदलेगा और आँखों से थम जाएगी बरसात .
अब जब थम गयी हैं बरसात तो किसान तरसा पानी को
बो वैठा हैं इसी आस मे कि अब कब आएगी बरसात .
दिल की बगिया को इस मोसम से कोई नहीं रही आस
आजाओ तुम इस बे रूखे मोसम में बन के बरसात .
चांदनी चादर बन ढक लेती हैं जब गलतफेहमियां हर रात
तब सुबह नई किरणों से फिर होती हें खुसिओं की बरसात .
सुबह की पहली किरण जब छू लेती हें तेरी बंद पलकें
चारों तरफ कलिओं से तेरी खुशबू की हो जाती बरसात .
नहा धो कर चमक जाती हर चोटी धोलाधार की
जब पश्चिम से बादल गरजते चमकते बनते बरसात

©ishant Thakur

prakrti poem #Lake #poem #Tranding

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#कविता #Billi  White बिल्ली की एक दिन आई खाला, 
पहन कानों में बड़ा सा बाला,।
बोली कैसे हो तुम लाला, 
जाओ झट से लाओ कोई प्याला। 
देह हो गई है बिल्कुल काला, 
लाली पाउडर का पड़ा है ठाला ।
फ़ट से पानी बिल्ली ने बर्तन में घाला ,
खाला ने फौरन स्नान कर डाला। 
बोली काके लाओ अब कुछ खाने वाला, 
गुड़ गुड़ पेट में बन रही गैस का जाला। 
गले में चुभ रहा जैसे कोई भाला, 
दौड़ लाया उसने तुरंत मटन मसाला। 
पूरी चट कर गई अकेले खाला, 
बिल्ली बैठ जपती रही कंठी माला। 
बोली खाना था बड़ा रसीला, 
उठ बोली अब कर लेने दो थोड़ा पैंट ढीला। ।
written by संतोष वर्मा azamgarh वाले 
खुद की जुबानी। ।

©Santosh Verma

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वक्त शायद जख़्मो को भर भी दे, मगर जाओं... जिंदगी से पूछकर आओं... क्या वोह मेरी उम्र की भरपाई कर पायेगी....! ©Aarti Sirsat

#विचार #poem  वक्त शायद जख़्मो को भर भी दे, 
मगर जाओं... 
जिंदगी से पूछकर आओं... 
क्या वोह मेरी उम्र की भरपाई कर पायेगी....!

©Aarti Sirsat

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