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New 'क्यों बनाती हो रेत के महल' Status, Photo, Video

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White क्यो इतरा रहे हो अपनी दौलत पर हम वैसे भी अपनी औकात में ही रिश्ता बनाया करते है ©sujeeta

 White क्यो इतरा रहे हो अपनी दौलत पर
हम वैसे भी अपनी औकात में 
ही रिश्ता बनाया करते है

©sujeeta

क्यों इतराते हो

10 Love

#शायरी  रेत के घर बनाते रहते हैं"

तुम्हीं को इश्क़ मेरी 
जान,मोहब्बत तुम्हीं को कहते हैं।

पकाते हैं खिचड़ी अधेड़
 धुन में, ज़िन्दगी तुम ही को कहते हैं।

डरते हैं ख़्वाब टूट के बह जाए न 
पानी में, फिर भी रेत के घर बनाते रहते हैं।

©Anuj Ray

# रेत के घर बनाते रहते हैं"

99 View

रेत के घर बनाते रहते हैं, स्वप्न दिल में सजाते रहते हैं, टूट जाए नहीं कोई सपना, नींद पलकों पे लाते रहते हैं, रहे रौशन सदा अरमान मेरे, एक दीपक जलाके रहते हैं, अंधेरी रात में डर का साया, राम धुन गुनगुनाते रहते हैं, बड़ी दुश्वारियां भरा जीवन, राग भैरव सुनाते रहते हैं, दरीचा-ए-दिल में रहे रौनक, रूठे रहबर मनाते रहते हैं, रहे मदहोश न दुनिया गुंजन, यहाँ सब आते-जाते रहते हैं, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra

#शायरी #रेत  रेत  के  घर  बनाते  रहते हैं, 
स्वप्न दिल में सजाते रहते हैं,

टूट जाए  नहीं  कोई सपना, 
नींद पलकों पे लाते रहते हैं, 

रहे रौशन सदा  अरमान मेरे, 
एक दीपक  जलाके रहते हैं,

अंधेरी रात में  डर का साया, 
राम  धुन  गुनगुनाते  रहते हैं,

बड़ी  दुश्वारियां  भरा जीवन, 
राग  भैरव   सुनाते   रहते हैं,

दरीचा-ए-दिल में  रहे रौनक, 
रूठे  रहबर  मनाते   रहते हैं,

रहे मदहोश न दुनिया गुंजन, 
यहाँ सब आते-जाते रहते हैं,
 --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
        चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra

#रेत के घर बनाते रहते हैं#

10 Love

#Emotional  Men walking on dark street क्यों छेड़ते हो इस शायर को
जी प्यासा है और कलम को तराशा है
कही उठा लिया कुछ पन्नो को
 तो बनते देर नही तमाशा हैं।

©लेखक ओझा

#Emotional क्यों छेड़ते हो

81 View

#हॉरर  राहुल को अपनी जान बचाने के लिए अब आगे बढ़ने की कोशिश करते हुए, उसने हवेली के अंदर की खोज की। वह दीवारों के पीछे छिपे हुए गुप्त रास्तों को खोजने लगा, लेकिन कोई उम्मीदवार नहीं मिला। समय बीत रहा था और भूत उसके पास आ रहा था।

आखिरकार, राहुल ने अपनी टॉर्च को बाहर निकाला और भूत को प्रकाश में लपेटा। उसकी डरावनी चीख के साथ, भूत ने डगमगाते हुए पीछे हटकर अंधकार में ग़ायब हो गया।

हवेली के दरवाज़े खुल गए, और राहुल भागते हुए बाहर निकल गया। वह सुरक्षित था, लेकिन उसके जीवन में वह भूतिया अनुभव सदैव याद रहेगा। उसने सीखा कि कभी-कभी, भूतों की कहानियों की बात सत्य हो सकती है, और कुछ रहस्य बेहतर हैं कि वे अनसुलझे ही रहें। ( End)

©Naren K

भूतिया महल... (End)

63 View

#शायरी  “सोचा था बतायेंगे सारा दर्द...सारी शिकायतें तुमको,
पर...तुमने ये भी ना पूछा कि ख़ामोश क्यों हो।”

©paritosh@run

ख़ामोश क्यों हो..

126 View

White क्यो इतरा रहे हो अपनी दौलत पर हम वैसे भी अपनी औकात में ही रिश्ता बनाया करते है ©sujeeta

 White क्यो इतरा रहे हो अपनी दौलत पर
हम वैसे भी अपनी औकात में 
ही रिश्ता बनाया करते है

©sujeeta

क्यों इतराते हो

10 Love

#शायरी  रेत के घर बनाते रहते हैं"

तुम्हीं को इश्क़ मेरी 
जान,मोहब्बत तुम्हीं को कहते हैं।

पकाते हैं खिचड़ी अधेड़
 धुन में, ज़िन्दगी तुम ही को कहते हैं।

डरते हैं ख़्वाब टूट के बह जाए न 
पानी में, फिर भी रेत के घर बनाते रहते हैं।

©Anuj Ray

# रेत के घर बनाते रहते हैं"

99 View

रेत के घर बनाते रहते हैं, स्वप्न दिल में सजाते रहते हैं, टूट जाए नहीं कोई सपना, नींद पलकों पे लाते रहते हैं, रहे रौशन सदा अरमान मेरे, एक दीपक जलाके रहते हैं, अंधेरी रात में डर का साया, राम धुन गुनगुनाते रहते हैं, बड़ी दुश्वारियां भरा जीवन, राग भैरव सुनाते रहते हैं, दरीचा-ए-दिल में रहे रौनक, रूठे रहबर मनाते रहते हैं, रहे मदहोश न दुनिया गुंजन, यहाँ सब आते-जाते रहते हैं, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra

#शायरी #रेत  रेत  के  घर  बनाते  रहते हैं, 
स्वप्न दिल में सजाते रहते हैं,

टूट जाए  नहीं  कोई सपना, 
नींद पलकों पे लाते रहते हैं, 

रहे रौशन सदा  अरमान मेरे, 
एक दीपक  जलाके रहते हैं,

अंधेरी रात में  डर का साया, 
राम  धुन  गुनगुनाते  रहते हैं,

बड़ी  दुश्वारियां  भरा जीवन, 
राग  भैरव   सुनाते   रहते हैं,

दरीचा-ए-दिल में  रहे रौनक, 
रूठे  रहबर  मनाते   रहते हैं,

रहे मदहोश न दुनिया गुंजन, 
यहाँ सब आते-जाते रहते हैं,
 --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
        चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra

#रेत के घर बनाते रहते हैं#

10 Love

#Emotional  Men walking on dark street क्यों छेड़ते हो इस शायर को
जी प्यासा है और कलम को तराशा है
कही उठा लिया कुछ पन्नो को
 तो बनते देर नही तमाशा हैं।

©लेखक ओझा

#Emotional क्यों छेड़ते हो

81 View

#हॉरर  राहुल को अपनी जान बचाने के लिए अब आगे बढ़ने की कोशिश करते हुए, उसने हवेली के अंदर की खोज की। वह दीवारों के पीछे छिपे हुए गुप्त रास्तों को खोजने लगा, लेकिन कोई उम्मीदवार नहीं मिला। समय बीत रहा था और भूत उसके पास आ रहा था।

आखिरकार, राहुल ने अपनी टॉर्च को बाहर निकाला और भूत को प्रकाश में लपेटा। उसकी डरावनी चीख के साथ, भूत ने डगमगाते हुए पीछे हटकर अंधकार में ग़ायब हो गया।

हवेली के दरवाज़े खुल गए, और राहुल भागते हुए बाहर निकल गया। वह सुरक्षित था, लेकिन उसके जीवन में वह भूतिया अनुभव सदैव याद रहेगा। उसने सीखा कि कभी-कभी, भूतों की कहानियों की बात सत्य हो सकती है, और कुछ रहस्य बेहतर हैं कि वे अनसुलझे ही रहें। ( End)

©Naren K

भूतिया महल... (End)

63 View

#शायरी  “सोचा था बतायेंगे सारा दर्द...सारी शिकायतें तुमको,
पर...तुमने ये भी ना पूछा कि ख़ामोश क्यों हो।”

©paritosh@run

ख़ामोश क्यों हो..

126 View

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