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दोहा :- देख सुदामा की दशा , नगर लोग बेहाल । झर-झर झरते नीर से , पग धुलते गोपाल ।। देख सुदामा यह भवन , हुए बहुत भयभीत । कैसे पहरेदार से , कहूँ कृष्ण हैं मीत ।। करते बातें लोग है , आज सुदामा देख । आये दर पे श्याम के , बदलेंगे वो रेख  ।। शयन कक्ष बैठा दिया, मित्र सुदामा देख । नयन नयन पढ़ने लगे , देखो विधि की रेख ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  दोहा :-
देख सुदामा की दशा , नगर लोग बेहाल ।
झर-झर झरते नीर से , पग धुलते गोपाल ।।

देख सुदामा यह भवन , हुए बहुत भयभीत ।
कैसे पहरेदार से , कहूँ कृष्ण हैं मीत ।।

करते बातें लोग है , आज सुदामा देख ।
आये दर पे श्याम के , बदलेंगे वो रेख  ।।

शयन कक्ष बैठा दिया, मित्र सुदामा देख ।
नयन नयन पढ़ने लगे , देखो विधि की रेख ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- देख सुदामा की दशा , नगर लोग बेहाल । झर-झर झरते नीर से , पग धुलते गोपाल ।। देख सुदामा यह भवन , हुए बहुत भयभीत । कैसे पहरेदार से , कह

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#ekvichar4you #Motivation #confidence #ekvichar #lakeview #Success  ☝️एक विचार ✍️
यदि एक ही राह पर चलकर मंजिल नहीं मिल रही...
तो दिशा बदलकर देखिए शायद दशा बदल जाए...

©MUKESH KUMAR

☝️एक विचार ✍️ यदि एक ही राह पर चलकर मंजिल नहीं मिल रही... तो दिशा बदलकर देखिए शायद दशा बदल जाए... #ekvichar #ekvichar4you #Motivation #thoug

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#shamawritesBebaak  तेरा*विसाल है मुझको *मसर्रतो की तरह,बिछड़के मर ही न जाऊँ,मैं*जांसिता की तरह//१*मिलन*हर्ष
*जानलेवा

मिटा न डाले कहीं *जुल्मत्तों के सन्नाटे,
मेरी हयात में आजा  महरबा की तरह/२
*घोर अन्धकार *शाश्वत

मेरे फ़सानो के किस्से बहुत रसीले है,के लोग पूछते रहते है,लापता की तरह//३

ये*वहश्तो के तकाजे यहीं पे रहने दो,क्यूं पूछते हो मिरा हाल राजदां की तरह//४

कई दफा तेरे*हुजरे से होके गुजरें है,तेरे दीदार में
*खांबिदा की तरह//५
*इबादतगाह *निद्रालु दशा

तुम्हारे साथ तो सेहरा में भी मेरे हमदम,ये खिंजा भी मुझे लगती है
*गुलसिता की तरह/६
*पुष्पाच्छादित चमन

तेरी मसर्रते*आराइयां कहाँ"अख्तर"हो*मयस्सरे विसाल*नौख़ेज़ दास्ता की तरह//७
*संवारने वाला
*मिलन*उपलब्ध
*नया उत्पन्न/नया नया
#shamawritesBebaak

©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

#Nojoto तेरा*विसाल है मुझको *मसर्रतो की तरह,बिछड़के मर ही न जाऊँ,मैं*जांसिता की तरह//१ *मिलन*हर्ष*जानलेवा मिटा न डाले कहीं *जुल्मत्तों के स

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#मोटिवेशनल #GoodMorning  White रानीजी ! यदि मैं उस प्रतिज्ञा को पूर्ण न करता तो सदा के लिये क्ष‍त्रिय-धर्म से गिर जाता पढ़िए महाभारत !! 📒📒
{Bolo Ji Radhey Radhey}
महाभारत: स्‍त्री पर्व 
पत्र्चदश अध्याय: श्लोक 19-37 
{Bolo Ji Radhey Radhey}

📙 रानीजी ! यदि मैं उस प्रतिज्ञा को पूर्ण न करता तो सदा के लिये क्ष‍त्रिय-धर्म से गिर जाता, इसलिये मैंने यह काम किया था। माता गान्‍धारी ! आपको मुझमें दोष की आशड्bका नहीं करनी चाहिये। पहले जब हम लोगों ने काई अपराध नहीं किया था, उस समय हम पर अत्‍याचार करने वाले अपने पुत्रों-को तो आपने रोका नही; फिर इस समय आप क्‍यों मुझ पर दोषा रोपण करती है.

📙 गान्‍धार्युवाच गान्‍धारी बोलीं—बेटा ! तुम अपराजित वीर हो। तुमने इन बूढ़े महाराज के सौ पुत्रों को मारते समय कि‍सी एक को भी, जिसने बहुत थोड़ा अपराध किया था, क्‍यों नहीं जीवित छोड़ दिया ? तात ! हम दोनों बूढ़े हुए। हमारा राज्‍य भी तुमने छीन लिया। ऐसी दशा में हमारी एक ही संतान को—हम दो अन्‍धों के लिये एक ही लाठी के सहारे को तुमने क्‍यों नहीं जीवित छोड़ दिया ? 

📙 तात ! तुम मेरे सारे पुत्रों के लिये यमराज बन गये। यदि तुम धर्म का आचरण करते और मेरा एक पुत्र भी शेष रह जाता तो मुझे इतना दु:ख नहीं होता। वैशम्‍पायन उवाच वैशम्‍पायन जी कहते हैं-राजन्! भीमसेन से ऐसा कहकर अपने पुत्रों और पौत्रों और पौत्रों के वध से पीडित हुई गान्‍धारी ने कुपित होकर पूछा—कहॉ है वह राज युधिष्ठिर।

📙 यह सुनकर महाराज युधिष्ठिर कॉंपते हुए हाथ जोड़े उनके सामने आये और बड़ी मीठी वाणी में बोले—देवि ! आपके पुत्रों का संहार करने वाला क्रूरकर्मा युधिष्ठिर मैं हूँ। पृथ्‍वी भर के राजाओं का नाश कराने में मैं ही हेतु हूँ, इसलिये शाप के योग्‍य हूँ।

📙 आप मुझे शाप दे दीजिये। मैं अपने सुह्रदों का द्रोही और अविवकी हूँ। वैसे-वैसे श्रेष्‍ठ सुह्रदों का वधकर के अब मुझे जीवन, राज्‍य अथवा धनसे कोई प्रयोजन नहीं है’। जब निकट आकर डरे हुए राजा युधिष्‍ठर ने, ऐसी बातें कहीं, तब गान्‍धारी देवी जोर-जोर से सॉंस खींचती हुई सिसकने लगीं। वे मुँह से कुछ बोल न सकीं। राजा युधिष्ठिर शरीर को झुकाकर गान्‍धारी के चरणों पर गिर जाना चाहते थे। 

📙 इतने ही में धर्म को जानने वाली दूर-दर्शिनी देवी गान्‍धारी ने पट्टी के भीतर से ही राजा युधिष्ठिर के पैरों की अगुलियों के अग्रभाग देख लिये। इतने ही से राजा के नख काले पड़ गये। इसके पहले उनके नख बड़े ही सुन्‍दर और दर्शनीय थे। उनकी यह अवस्‍था देख अर्जुन भगवान् श्रीकृष्‍ण के पीछे जाकर छिप गये। 

📙 भारत ! उन्‍हें इस प्रकार इधर-उधर छिपने की चेष्‍टा करते देख गान्‍धारी का क्रोध उतर गया और उन्‍होंने उन सबको स्‍नेहमयी माता के समान सान्‍त्‍वना दी। फिर उनकी आज्ञा ले चौड़ी छाती वाले सभी पाण्‍ड वन एक साथ वीर जननी माता कुन्‍ती के पास गये। कुन्‍ती देवी दीर्घकाल के बाद अपने पुत्रों को देखकर उनके कष्‍टों का स्‍मरण करके करुणाbमें डूब गयीं और आचल से मुँह ढककर ऑंसू बहाने लगीं।

📙 पुत्रों सहित ऑंसू बहाकर उन्‍होंने उनके शरीरों पर बारबार दृष्टिपात कि‍या। वे सभी अस्‍त्र-शस्त्रों की चोट से घायल हो रहे थे। बारी-बारी से पुत्रों के शरीर पर बारंबार हाथ फेरती हुई कुन्‍ती दु:खसे आतुर हो उस द्रौपदी के लिय शोक करने लगी, जिसके सभी पुत्र मारे गये थे। इतने में ही उन्‍होंने देखा कि द्रौपदी पास ही पृथ्‍वी पर गिरकर रो रही है।

📙 द्रौपद्युवाच द्रौपदी बोली-आयें ! अभिमन्‍यु सहित वे आपके सभी पौत्र कहॉं चले गये ? वे दीर्घकाल के बाद आयी हुई आज आप तपस्विनी देवी को देखकर आपके निकट क्‍यों नहीं आ रहे हैं ? अपने पुत्रों से हीन होकर अब इस राज्‍य से हमें क्‍या कार्य है ?

©N S Yadav GoldMine

#GoodMorning रानीजी ! यदि मैं उस प्रतिज्ञा को पूर्ण न करता तो सदा के लिये क्ष‍त्रिय-धर्म से गिर जाता पढ़िए महाभारत !! 📒📒 {Bolo Ji Radhey Rad

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#कविता

स्त्री की नग्न दशा हुई 😖🤐।

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#उर्मिला #कविता  Urmila ki manodasha .
मन में उठती व्याकुलता ओ को अब किससे मैं कह दू
मन इतना जायदा विचलित है 
मैं कितना जायदा रो लू
प्रियतम बिन एक पल भी लगता  है 
सौ बरस सा
चदौहा वर्ष उनके विरहा अब कैसे मैं सहलू 
मन इतना ज्यादा विचलित है ....
ले जाते मुझे जो वन अगर मैं संग में विचरण करती 
पाव में चुभते काटे अगर मैं फिर खुश रह लेती 
मैं घास फूस और शैल की चट्टानों पर सो ली 
वन उपवन में रहे रहकर मैं ऐसे खुश रह लेती
ए भवन महल अटारी लगता मुझको निष्काम है
एक फूलों के बिस्तर भी लगता कंकर समान है
कब आएंगे लखन मेरे मैं हर पाल मार्ग निहारता हूं
उनकी बिन कितनी अधूरी है उनसे कहना चाहती हूं ....pu

©पूर्णिमा

#उर्मिला की मनो दशा#

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दोहा :- देख सुदामा की दशा , नगर लोग बेहाल । झर-झर झरते नीर से , पग धुलते गोपाल ।। देख सुदामा यह भवन , हुए बहुत भयभीत । कैसे पहरेदार से , कहूँ कृष्ण हैं मीत ।। करते बातें लोग है , आज सुदामा देख । आये दर पे श्याम के , बदलेंगे वो रेख  ।। शयन कक्ष बैठा दिया, मित्र सुदामा देख । नयन नयन पढ़ने लगे , देखो विधि की रेख ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  दोहा :-
देख सुदामा की दशा , नगर लोग बेहाल ।
झर-झर झरते नीर से , पग धुलते गोपाल ।।

देख सुदामा यह भवन , हुए बहुत भयभीत ।
कैसे पहरेदार से , कहूँ कृष्ण हैं मीत ।।

करते बातें लोग है , आज सुदामा देख ।
आये दर पे श्याम के , बदलेंगे वो रेख  ।।

शयन कक्ष बैठा दिया, मित्र सुदामा देख ।
नयन नयन पढ़ने लगे , देखो विधि की रेख ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- देख सुदामा की दशा , नगर लोग बेहाल । झर-झर झरते नीर से , पग धुलते गोपाल ।। देख सुदामा यह भवन , हुए बहुत भयभीत । कैसे पहरेदार से , कह

15 Love

#ekvichar4you #Motivation #confidence #ekvichar #lakeview #Success  ☝️एक विचार ✍️
यदि एक ही राह पर चलकर मंजिल नहीं मिल रही...
तो दिशा बदलकर देखिए शायद दशा बदल जाए...

©MUKESH KUMAR

☝️एक विचार ✍️ यदि एक ही राह पर चलकर मंजिल नहीं मिल रही... तो दिशा बदलकर देखिए शायद दशा बदल जाए... #ekvichar #ekvichar4you #Motivation #thoug

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#shamawritesBebaak  तेरा*विसाल है मुझको *मसर्रतो की तरह,बिछड़के मर ही न जाऊँ,मैं*जांसिता की तरह//१*मिलन*हर्ष
*जानलेवा

मिटा न डाले कहीं *जुल्मत्तों के सन्नाटे,
मेरी हयात में आजा  महरबा की तरह/२
*घोर अन्धकार *शाश्वत

मेरे फ़सानो के किस्से बहुत रसीले है,के लोग पूछते रहते है,लापता की तरह//३

ये*वहश्तो के तकाजे यहीं पे रहने दो,क्यूं पूछते हो मिरा हाल राजदां की तरह//४

कई दफा तेरे*हुजरे से होके गुजरें है,तेरे दीदार में
*खांबिदा की तरह//५
*इबादतगाह *निद्रालु दशा

तुम्हारे साथ तो सेहरा में भी मेरे हमदम,ये खिंजा भी मुझे लगती है
*गुलसिता की तरह/६
*पुष्पाच्छादित चमन

तेरी मसर्रते*आराइयां कहाँ"अख्तर"हो*मयस्सरे विसाल*नौख़ेज़ दास्ता की तरह//७
*संवारने वाला
*मिलन*उपलब्ध
*नया उत्पन्न/नया नया
#shamawritesBebaak

©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

#Nojoto तेरा*विसाल है मुझको *मसर्रतो की तरह,बिछड़के मर ही न जाऊँ,मैं*जांसिता की तरह//१ *मिलन*हर्ष*जानलेवा मिटा न डाले कहीं *जुल्मत्तों के स

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#मोटिवेशनल #GoodMorning  White रानीजी ! यदि मैं उस प्रतिज्ञा को पूर्ण न करता तो सदा के लिये क्ष‍त्रिय-धर्म से गिर जाता पढ़िए महाभारत !! 📒📒
{Bolo Ji Radhey Radhey}
महाभारत: स्‍त्री पर्व 
पत्र्चदश अध्याय: श्लोक 19-37 
{Bolo Ji Radhey Radhey}

📙 रानीजी ! यदि मैं उस प्रतिज्ञा को पूर्ण न करता तो सदा के लिये क्ष‍त्रिय-धर्म से गिर जाता, इसलिये मैंने यह काम किया था। माता गान्‍धारी ! आपको मुझमें दोष की आशड्bका नहीं करनी चाहिये। पहले जब हम लोगों ने काई अपराध नहीं किया था, उस समय हम पर अत्‍याचार करने वाले अपने पुत्रों-को तो आपने रोका नही; फिर इस समय आप क्‍यों मुझ पर दोषा रोपण करती है.

📙 गान्‍धार्युवाच गान्‍धारी बोलीं—बेटा ! तुम अपराजित वीर हो। तुमने इन बूढ़े महाराज के सौ पुत्रों को मारते समय कि‍सी एक को भी, जिसने बहुत थोड़ा अपराध किया था, क्‍यों नहीं जीवित छोड़ दिया ? तात ! हम दोनों बूढ़े हुए। हमारा राज्‍य भी तुमने छीन लिया। ऐसी दशा में हमारी एक ही संतान को—हम दो अन्‍धों के लिये एक ही लाठी के सहारे को तुमने क्‍यों नहीं जीवित छोड़ दिया ? 

📙 तात ! तुम मेरे सारे पुत्रों के लिये यमराज बन गये। यदि तुम धर्म का आचरण करते और मेरा एक पुत्र भी शेष रह जाता तो मुझे इतना दु:ख नहीं होता। वैशम्‍पायन उवाच वैशम्‍पायन जी कहते हैं-राजन्! भीमसेन से ऐसा कहकर अपने पुत्रों और पौत्रों और पौत्रों के वध से पीडित हुई गान्‍धारी ने कुपित होकर पूछा—कहॉ है वह राज युधिष्ठिर।

📙 यह सुनकर महाराज युधिष्ठिर कॉंपते हुए हाथ जोड़े उनके सामने आये और बड़ी मीठी वाणी में बोले—देवि ! आपके पुत्रों का संहार करने वाला क्रूरकर्मा युधिष्ठिर मैं हूँ। पृथ्‍वी भर के राजाओं का नाश कराने में मैं ही हेतु हूँ, इसलिये शाप के योग्‍य हूँ।

📙 आप मुझे शाप दे दीजिये। मैं अपने सुह्रदों का द्रोही और अविवकी हूँ। वैसे-वैसे श्रेष्‍ठ सुह्रदों का वधकर के अब मुझे जीवन, राज्‍य अथवा धनसे कोई प्रयोजन नहीं है’। जब निकट आकर डरे हुए राजा युधिष्‍ठर ने, ऐसी बातें कहीं, तब गान्‍धारी देवी जोर-जोर से सॉंस खींचती हुई सिसकने लगीं। वे मुँह से कुछ बोल न सकीं। राजा युधिष्ठिर शरीर को झुकाकर गान्‍धारी के चरणों पर गिर जाना चाहते थे। 

📙 इतने ही में धर्म को जानने वाली दूर-दर्शिनी देवी गान्‍धारी ने पट्टी के भीतर से ही राजा युधिष्ठिर के पैरों की अगुलियों के अग्रभाग देख लिये। इतने ही से राजा के नख काले पड़ गये। इसके पहले उनके नख बड़े ही सुन्‍दर और दर्शनीय थे। उनकी यह अवस्‍था देख अर्जुन भगवान् श्रीकृष्‍ण के पीछे जाकर छिप गये। 

📙 भारत ! उन्‍हें इस प्रकार इधर-उधर छिपने की चेष्‍टा करते देख गान्‍धारी का क्रोध उतर गया और उन्‍होंने उन सबको स्‍नेहमयी माता के समान सान्‍त्‍वना दी। फिर उनकी आज्ञा ले चौड़ी छाती वाले सभी पाण्‍ड वन एक साथ वीर जननी माता कुन्‍ती के पास गये। कुन्‍ती देवी दीर्घकाल के बाद अपने पुत्रों को देखकर उनके कष्‍टों का स्‍मरण करके करुणाbमें डूब गयीं और आचल से मुँह ढककर ऑंसू बहाने लगीं।

📙 पुत्रों सहित ऑंसू बहाकर उन्‍होंने उनके शरीरों पर बारबार दृष्टिपात कि‍या। वे सभी अस्‍त्र-शस्त्रों की चोट से घायल हो रहे थे। बारी-बारी से पुत्रों के शरीर पर बारंबार हाथ फेरती हुई कुन्‍ती दु:खसे आतुर हो उस द्रौपदी के लिय शोक करने लगी, जिसके सभी पुत्र मारे गये थे। इतने में ही उन्‍होंने देखा कि द्रौपदी पास ही पृथ्‍वी पर गिरकर रो रही है।

📙 द्रौपद्युवाच द्रौपदी बोली-आयें ! अभिमन्‍यु सहित वे आपके सभी पौत्र कहॉं चले गये ? वे दीर्घकाल के बाद आयी हुई आज आप तपस्विनी देवी को देखकर आपके निकट क्‍यों नहीं आ रहे हैं ? अपने पुत्रों से हीन होकर अब इस राज्‍य से हमें क्‍या कार्य है ?

©N S Yadav GoldMine

#GoodMorning रानीजी ! यदि मैं उस प्रतिज्ञा को पूर्ण न करता तो सदा के लिये क्ष‍त्रिय-धर्म से गिर जाता पढ़िए महाभारत !! 📒📒 {Bolo Ji Radhey Rad

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#कविता

स्त्री की नग्न दशा हुई 😖🤐।

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#उर्मिला #कविता  Urmila ki manodasha .
मन में उठती व्याकुलता ओ को अब किससे मैं कह दू
मन इतना जायदा विचलित है 
मैं कितना जायदा रो लू
प्रियतम बिन एक पल भी लगता  है 
सौ बरस सा
चदौहा वर्ष उनके विरहा अब कैसे मैं सहलू 
मन इतना ज्यादा विचलित है ....
ले जाते मुझे जो वन अगर मैं संग में विचरण करती 
पाव में चुभते काटे अगर मैं फिर खुश रह लेती 
मैं घास फूस और शैल की चट्टानों पर सो ली 
वन उपवन में रहे रहकर मैं ऐसे खुश रह लेती
ए भवन महल अटारी लगता मुझको निष्काम है
एक फूलों के बिस्तर भी लगता कंकर समान है
कब आएंगे लखन मेरे मैं हर पाल मार्ग निहारता हूं
उनकी बिन कितनी अधूरी है उनसे कहना चाहती हूं ....pu

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