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New पीठ पीछे कौन क्या बोलता है Status, Photo, Video

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#शायरी  White दौलत जिसकी है, दुनिया उसकी हैं
कम हैं तो, गम हैं
नही हैं तो, कुछ नहीं
ज्यादा हैं तो, कद्र नहीं
दौलत चीज ही ऐसी है।

©Riya Tak

# पैसा बोलता है

72 View

पैसा बोलता है..

108 View

ये है कौन क्यों ऐसे अड़ा है पहाड़े पिघल रही है और ये सोच वो दुख में पड़ा है पर क्यों माना नदियां सूख रही है खेतों की मिट्टी रेत हो रही है जंगल कम हो गए हवाओं में थोड़ा जहर है तो क्या सरकारें हैं न माना अभी चुनाव है जब नही होगा तब वो दुनिया भर घूम कर पर्यावरण की ही तो बात करते है है तो लोकतंत्र जनता ने सरकार बना दी है वो क्यों पीछे पड़ा है वो है कोन क्यों भूखे अड़ा है !! ©मिहिर

#कविता  ये है कौन 
क्यों ऐसे अड़ा है
पहाड़े पिघल रही है
और ये सोच वो दुख में पड़ा है
पर क्यों
माना नदियां सूख रही है
खेतों की मिट्टी रेत हो रही है
जंगल कम हो गए
हवाओं में थोड़ा जहर है 
तो क्या 
सरकारें हैं न 
माना अभी चुनाव है 
जब नही होगा तब वो दुनिया भर घूम कर
पर्यावरण की ही तो बात करते है
है तो लोकतंत्र जनता ने सरकार बना दी है
वो क्यों पीछे पड़ा है
वो है कोन
क्यों भूखे अड़ा है !!

©मिहिर

#वो है कौन !!

14 Love

#समाज

हम बोलेगा तो बोलोगे की बोलता है

171 View

#Bhakti

कौन सा देश कितना खुश... पाकिस्तान से पीछे हुआ भारत

171 View

गलती कर देता हूँ आकर, झुक जाता हर बात भुलाकर, हो जाए जब सजा मुक़र्रर, भूल माफ़ कर दे करुणाकर, अक्ल न आई समय के रहते, क्या होगा पीछे पछताकर, समझ की खिड़की बंद पड़ी है, क्या कर लेंगे स्वयं दिवाकर, शंकाओं के बादल घिरकर, ढक देते हैं पूर्ण सुधाकर, शांति बिना सब वैभव फीका, व्यापक सत्य सदैव चराचर, तारतम्य बिन सफर अधूरा, चलना पड़ता कदम मिलाकर, अंतर्मुख हो जाओ 'गुंजन', अंतर्घट हैं परम विभाकर, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra

#शायरी #क्या  गलती  कर   देता  हूँ  आकर, 
झुक जाता हर बात भुलाकर,

हो  जाए  जब  सजा  मुक़र्रर,
भूल  माफ़  कर दे करुणाकर,

अक्ल न आई समय के रहते, 
क्या  होगा   पीछे  पछताकर,

समझ की खिड़की बंद पड़ी है, 
क्या  कर  लेंगे  स्वयं  दिवाकर,

शंकाओं  के  बादल   घिरकर, 
ढक   देते   हैं   पूर्ण  सुधाकर,

शांति बिना सब वैभव फीका, 
व्यापक  सत्य  सदैव  चराचर,

तारतम्य  बिन  सफर  अधूरा, 
चलना पड़ता कदम मिलाकर,

अंतर्मुख   हो  जाओ  'गुंजन',
अंतर्घट  हैं   परम   विभाकर,
 --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
        चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra

#क्या होगा पीछे पछताकर#

11 Love

#शायरी  White दौलत जिसकी है, दुनिया उसकी हैं
कम हैं तो, गम हैं
नही हैं तो, कुछ नहीं
ज्यादा हैं तो, कद्र नहीं
दौलत चीज ही ऐसी है।

©Riya Tak

# पैसा बोलता है

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पैसा बोलता है..

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ये है कौन क्यों ऐसे अड़ा है पहाड़े पिघल रही है और ये सोच वो दुख में पड़ा है पर क्यों माना नदियां सूख रही है खेतों की मिट्टी रेत हो रही है जंगल कम हो गए हवाओं में थोड़ा जहर है तो क्या सरकारें हैं न माना अभी चुनाव है जब नही होगा तब वो दुनिया भर घूम कर पर्यावरण की ही तो बात करते है है तो लोकतंत्र जनता ने सरकार बना दी है वो क्यों पीछे पड़ा है वो है कोन क्यों भूखे अड़ा है !! ©मिहिर

#कविता  ये है कौन 
क्यों ऐसे अड़ा है
पहाड़े पिघल रही है
और ये सोच वो दुख में पड़ा है
पर क्यों
माना नदियां सूख रही है
खेतों की मिट्टी रेत हो रही है
जंगल कम हो गए
हवाओं में थोड़ा जहर है 
तो क्या 
सरकारें हैं न 
माना अभी चुनाव है 
जब नही होगा तब वो दुनिया भर घूम कर
पर्यावरण की ही तो बात करते है
है तो लोकतंत्र जनता ने सरकार बना दी है
वो क्यों पीछे पड़ा है
वो है कोन
क्यों भूखे अड़ा है !!

©मिहिर

#वो है कौन !!

14 Love

#समाज

हम बोलेगा तो बोलोगे की बोलता है

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#Bhakti

कौन सा देश कितना खुश... पाकिस्तान से पीछे हुआ भारत

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गलती कर देता हूँ आकर, झुक जाता हर बात भुलाकर, हो जाए जब सजा मुक़र्रर, भूल माफ़ कर दे करुणाकर, अक्ल न आई समय के रहते, क्या होगा पीछे पछताकर, समझ की खिड़की बंद पड़ी है, क्या कर लेंगे स्वयं दिवाकर, शंकाओं के बादल घिरकर, ढक देते हैं पूर्ण सुधाकर, शांति बिना सब वैभव फीका, व्यापक सत्य सदैव चराचर, तारतम्य बिन सफर अधूरा, चलना पड़ता कदम मिलाकर, अंतर्मुख हो जाओ 'गुंजन', अंतर्घट हैं परम विभाकर, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra

#शायरी #क्या  गलती  कर   देता  हूँ  आकर, 
झुक जाता हर बात भुलाकर,

हो  जाए  जब  सजा  मुक़र्रर,
भूल  माफ़  कर दे करुणाकर,

अक्ल न आई समय के रहते, 
क्या  होगा   पीछे  पछताकर,

समझ की खिड़की बंद पड़ी है, 
क्या  कर  लेंगे  स्वयं  दिवाकर,

शंकाओं  के  बादल   घिरकर, 
ढक   देते   हैं   पूर्ण  सुधाकर,

शांति बिना सब वैभव फीका, 
व्यापक  सत्य  सदैव  चराचर,

तारतम्य  बिन  सफर  अधूरा, 
चलना पड़ता कदम मिलाकर,

अंतर्मुख   हो  जाओ  'गुंजन',
अंतर्घट  हैं   परम   विभाकर,
 --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
        चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra

#क्या होगा पीछे पछताकर#

11 Love

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