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White गणेश चतुर्थी जय गणपति हे गजानन , गजकेसरी तुमको है मेरा वंदन , हे अभिनंदन । हे विघ्न विनाशक ,तुम शुभ करता तुमको है मेरा सब अर्पण । जय गणेश , गणपति देवा दे दो तुम हमको मेवा । हाथ जोड़ कर खड़े हैं हम द्वार तेरे एकदंत , गजकर्ण , भालचंद्र , गौरी सुत । बुद्धिनाथ , लंबोदर , महाबला दो हमको तुम ज्ञान वो संदेशा गजवक्र , गणाध्यक्ष , हो तुम प्रथम देव इस जगत के तुमको पूजे बिन सफल नहीं हो कोई काज जय श्री गणेश ©बेजुबान शायर shivkumar

#बेजुबानशायर143 #हिन्दीकविता #गणेशचतुर्थी #बेजुबानशायर #लंबोदर #Ganesh_chaturthi  White गणेश चतुर्थी 

जय गणपति हे गजानन , गजकेसरी 
तुमको है मेरा वंदन , हे अभिनंदन ।
हे विघ्न विनाशक ,तुम शुभ करता 
तुमको है मेरा सब अर्पण ।

जय गणेश , गणपति देवा
 दे दो तुम हमको मेवा ।
हाथ जोड़ कर खड़े हैं हम द्वार तेरे 
एकदंत , गजकर्ण , भालचंद्र , गौरी सुत ।

बुद्धिनाथ , लंबोदर , महाबला 
दो हमको तुम ज्ञान वो संदेशा 
गजवक्र , गणाध्यक्ष , हो तुम प्रथम देव इस जगत के
तुमको पूजे बिन सफल नहीं हो कोई काज 

जय श्री गणेश

©बेजुबान शायर shivkumar

सुनो दोस्तो Bf बनाऊंगी तो किसी मासूम को ही बनाऊंगी क्योंकि शैतान तो मैं खुद ही बहोत हूं.... #हां #नी #तो #Veer_Ki_Shayari ©VEER NIRVEL

#Veer_ki_Shayari #हां #नी #तो  सुनो दोस्तो 
Bf बनाऊंगी तो किसी मासूम को ही बनाऊंगी 
क्योंकि शैतान तो मैं खुद ही बहोत हूं....
#हां #नी #तो
#Veer_Ki_Shayari

©VEER NIRVEL

सुनो दोस्तो Bf बनाऊंगी तो किसी मासूम को ही बनाऊंगी क्योंकि शैतान तो मैं खुद ही बहोत हूं.... #हां #नी #तो #Veer_ki_Shayari

11 Love

मरहटा छन्द :- ओ रघुकुल नंदन , माथे चंदन , महिमा बड़ी अपार । सब तेरी लीला , अम्बर नीला , शीतल पवन बयार ।। सब सुनकर आये , ढ़ोल बजाये , करते सब मनुहार। अब अँखियाँ दे दो , दर्शन दे दो , जीवन सफल हमार ।। अब जपते-जपते , रटते-रटते , राधा-राधा नाम । हैं पहुँचे द्वारे , आज तुम्हारे , देखो राधेश्याम ।। अब बाहर आओ , दरस दिखाओ, दे दो कुछ परिणाम । कहती सब सखियां , प्यासी अँखियाँ , दर्शन दो अभिराम ।। हैं पर सुनेहरे  , कहीं न ठहरें , तितली रानी राज । फूलों की बगिया , चूमें कलियाँ , दिन भर का है काज ।। अपनी ही काया , लगती माया , करती हर पल नाज । सबको वह मोहित , करके रोहित , इठलाती है आज ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  मरहटा छन्द :-
ओ रघुकुल नंदन , माथे चंदन , महिमा बड़ी अपार ।
सब तेरी लीला , अम्बर नीला , शीतल पवन बयार ।।
सब सुनकर आये , ढ़ोल बजाये , करते सब मनुहार।
अब अँखियाँ दे दो , दर्शन दे दो , जीवन सफल हमार ।।

अब जपते-जपते , रटते-रटते , राधा-राधा नाम ।
हैं पहुँचे द्वारे , आज तुम्हारे , देखो राधेश्याम ।।
अब बाहर आओ , दरस दिखाओ, दे दो कुछ परिणाम ।
कहती सब सखियां , प्यासी अँखियाँ , दर्शन दो अभिराम ।।

हैं पर सुनेहरे  , कहीं न ठहरें , तितली रानी राज ।
फूलों की बगिया , चूमें कलियाँ , दिन भर का है काज ।।
अपनी ही काया , लगती माया , करती हर पल नाज ।
सबको वह मोहित , करके रोहित , इठलाती है आज ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मरहटा छन्द :- ओ रघुकुल नंदन , माथे चंदन , महिमा बड़ी अपार । सब तेरी लीला , अम्बर नीला , शीतल पवन बयार ।। सब सुनकर आये , ढ़ोल बजाये , करते सब म

11 Love

#कविता #garhwali #kavita #Nozoto #viral

अपड़ा मायादार से दूर, दूर परदेशों मा अपड़ा मायादार की खुद भौत सतोंदी। द्वी झणों मा दिरगम्ब हूणा का बाद बी मिलन की छटपटाहट रांद, योक-दूसरा से

270 View

दोहा :- भाई मेरा बन भरत , रहता हरपल साथ । देख चरण वह पादुका , लिए खड़ा है हाथ ।। नहीं लखन की बात को , पूछो हमसे आज । मेरी सेवा के सिवा , और न जाने काज ।। मुझको अतिशय प्रिय लगे , महावीर हनुमान । मैं उनके ही नाम का  , करता नित गुणगान ।। घर-घर में रहते लखन , पहचानें अब आप । रहकर हरपल संग में , हर लेता संताप ।। प्राणों से प्यारी सखी , जनक दुलारी आज । मेरे सारे दुख हरें , करें हृदय पर राज ।। देखा परमेश्वर यहीं , मातु-पिता के रूप । नतमस्तक निशिदिन रहूँ , मान उन्हें अब भूप ।। बात मान गुरुदेव की , चलूँ सही मैं राह । पूर्ण तभी होंगी सभी , मन में उपजी चाह ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  दोहा :-
भाई मेरा बन भरत , रहता हरपल साथ ।
देख चरण वह पादुका , लिए खड़ा है हाथ ।।

नहीं लखन की बात को , पूछो हमसे आज ।
मेरी सेवा के सिवा , और न जाने काज ।।

मुझको अतिशय प्रिय लगे , महावीर हनुमान ।
मैं उनके ही नाम का  , करता नित गुणगान ।।

घर-घर में रहते लखन , पहचानें अब आप ।
रहकर हरपल संग में , हर लेता संताप ।।

प्राणों से प्यारी सखी , जनक दुलारी आज ।
मेरे सारे दुख हरें , करें हृदय पर राज ।।

देखा परमेश्वर यहीं , मातु-पिता के रूप ।
नतमस्तक निशिदिन रहूँ , मान उन्हें अब भूप ।।

बात मान गुरुदेव की , चलूँ सही मैं राह ।
पूर्ण तभी होंगी सभी , मन में उपजी चाह ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- भाई मेरा बन भरत , रहता हरपल साथ । देख चरण वह पादुका , लिए खड़ा है हाथ ।। नहीं लखन की बात को , पूछो हमसे आज । मेरी सेवा के सिवा , और

10 Love

White त्रिपदा छन्द वट पीपल की छाँव । मिलती अपने गाँव । एक वही है ठाँव ।। शीतल चले बयार । रिमझिम पड़े फुहार । चलें गाँव इस बार ।। वह चाय की दुकान । उनका पास मकान । और हम मेहमान ।। सुनो सफल तब काज । मानो मेरी बात । जब दर्शन हो आज ।। धानी है परिधान । मुख पे है मुस्कान । यही एक पहचान ।। बड़ा मधुर परिवेश । कुछ पुल के अवशेष । जोगन वाला भेष ।। काले लम्बें केश । नाम सुनों विमलेश । चाहत उसमें शेष ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  White त्रिपदा छन्द

वट पीपल की छाँव ।
मिलती अपने गाँव ।
एक वही है ठाँव ।।

शीतल चले बयार ।
रिमझिम पड़े फुहार ।
चलें गाँव इस बार ।।

वह चाय की दुकान ।
उनका पास मकान ।
और हम मेहमान ।।

सुनो सफल तब काज ।
मानो मेरी बात ।
जब दर्शन हो आज ।।

धानी है परिधान ।
मुख पे है मुस्कान ।
यही एक पहचान ।।


बड़ा मधुर परिवेश ।
कुछ पुल के अवशेष ।
जोगन वाला भेष ।।

काले लम्बें केश ।
नाम सुनों विमलेश ।
चाहत उसमें शेष ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

त्रिपदा छन्द वट पीपल की छाँव । मिलती अपने गाँव । एक वही है ठाँव ।।

10 Love

White गणेश चतुर्थी जय गणपति हे गजानन , गजकेसरी तुमको है मेरा वंदन , हे अभिनंदन । हे विघ्न विनाशक ,तुम शुभ करता तुमको है मेरा सब अर्पण । जय गणेश , गणपति देवा दे दो तुम हमको मेवा । हाथ जोड़ कर खड़े हैं हम द्वार तेरे एकदंत , गजकर्ण , भालचंद्र , गौरी सुत । बुद्धिनाथ , लंबोदर , महाबला दो हमको तुम ज्ञान वो संदेशा गजवक्र , गणाध्यक्ष , हो तुम प्रथम देव इस जगत के तुमको पूजे बिन सफल नहीं हो कोई काज जय श्री गणेश ©बेजुबान शायर shivkumar

#बेजुबानशायर143 #हिन्दीकविता #गणेशचतुर्थी #बेजुबानशायर #लंबोदर #Ganesh_chaturthi  White गणेश चतुर्थी 

जय गणपति हे गजानन , गजकेसरी 
तुमको है मेरा वंदन , हे अभिनंदन ।
हे विघ्न विनाशक ,तुम शुभ करता 
तुमको है मेरा सब अर्पण ।

जय गणेश , गणपति देवा
 दे दो तुम हमको मेवा ।
हाथ जोड़ कर खड़े हैं हम द्वार तेरे 
एकदंत , गजकर्ण , भालचंद्र , गौरी सुत ।

बुद्धिनाथ , लंबोदर , महाबला 
दो हमको तुम ज्ञान वो संदेशा 
गजवक्र , गणाध्यक्ष , हो तुम प्रथम देव इस जगत के
तुमको पूजे बिन सफल नहीं हो कोई काज 

जय श्री गणेश

©बेजुबान शायर shivkumar

सुनो दोस्तो Bf बनाऊंगी तो किसी मासूम को ही बनाऊंगी क्योंकि शैतान तो मैं खुद ही बहोत हूं.... #हां #नी #तो #Veer_Ki_Shayari ©VEER NIRVEL

#Veer_ki_Shayari #हां #नी #तो  सुनो दोस्तो 
Bf बनाऊंगी तो किसी मासूम को ही बनाऊंगी 
क्योंकि शैतान तो मैं खुद ही बहोत हूं....
#हां #नी #तो
#Veer_Ki_Shayari

©VEER NIRVEL

सुनो दोस्तो Bf बनाऊंगी तो किसी मासूम को ही बनाऊंगी क्योंकि शैतान तो मैं खुद ही बहोत हूं.... #हां #नी #तो #Veer_ki_Shayari

11 Love

मरहटा छन्द :- ओ रघुकुल नंदन , माथे चंदन , महिमा बड़ी अपार । सब तेरी लीला , अम्बर नीला , शीतल पवन बयार ।। सब सुनकर आये , ढ़ोल बजाये , करते सब मनुहार। अब अँखियाँ दे दो , दर्शन दे दो , जीवन सफल हमार ।। अब जपते-जपते , रटते-रटते , राधा-राधा नाम । हैं पहुँचे द्वारे , आज तुम्हारे , देखो राधेश्याम ।। अब बाहर आओ , दरस दिखाओ, दे दो कुछ परिणाम । कहती सब सखियां , प्यासी अँखियाँ , दर्शन दो अभिराम ।। हैं पर सुनेहरे  , कहीं न ठहरें , तितली रानी राज । फूलों की बगिया , चूमें कलियाँ , दिन भर का है काज ।। अपनी ही काया , लगती माया , करती हर पल नाज । सबको वह मोहित , करके रोहित , इठलाती है आज ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  मरहटा छन्द :-
ओ रघुकुल नंदन , माथे चंदन , महिमा बड़ी अपार ।
सब तेरी लीला , अम्बर नीला , शीतल पवन बयार ।।
सब सुनकर आये , ढ़ोल बजाये , करते सब मनुहार।
अब अँखियाँ दे दो , दर्शन दे दो , जीवन सफल हमार ।।

अब जपते-जपते , रटते-रटते , राधा-राधा नाम ।
हैं पहुँचे द्वारे , आज तुम्हारे , देखो राधेश्याम ।।
अब बाहर आओ , दरस दिखाओ, दे दो कुछ परिणाम ।
कहती सब सखियां , प्यासी अँखियाँ , दर्शन दो अभिराम ।।

हैं पर सुनेहरे  , कहीं न ठहरें , तितली रानी राज ।
फूलों की बगिया , चूमें कलियाँ , दिन भर का है काज ।।
अपनी ही काया , लगती माया , करती हर पल नाज ।
सबको वह मोहित , करके रोहित , इठलाती है आज ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मरहटा छन्द :- ओ रघुकुल नंदन , माथे चंदन , महिमा बड़ी अपार । सब तेरी लीला , अम्बर नीला , शीतल पवन बयार ।। सब सुनकर आये , ढ़ोल बजाये , करते सब म

11 Love

#कविता #garhwali #kavita #Nozoto #viral

अपड़ा मायादार से दूर, दूर परदेशों मा अपड़ा मायादार की खुद भौत सतोंदी। द्वी झणों मा दिरगम्ब हूणा का बाद बी मिलन की छटपटाहट रांद, योक-दूसरा से

270 View

दोहा :- भाई मेरा बन भरत , रहता हरपल साथ । देख चरण वह पादुका , लिए खड़ा है हाथ ।। नहीं लखन की बात को , पूछो हमसे आज । मेरी सेवा के सिवा , और न जाने काज ।। मुझको अतिशय प्रिय लगे , महावीर हनुमान । मैं उनके ही नाम का  , करता नित गुणगान ।। घर-घर में रहते लखन , पहचानें अब आप । रहकर हरपल संग में , हर लेता संताप ।। प्राणों से प्यारी सखी , जनक दुलारी आज । मेरे सारे दुख हरें , करें हृदय पर राज ।। देखा परमेश्वर यहीं , मातु-पिता के रूप । नतमस्तक निशिदिन रहूँ , मान उन्हें अब भूप ।। बात मान गुरुदेव की , चलूँ सही मैं राह । पूर्ण तभी होंगी सभी , मन में उपजी चाह ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  दोहा :-
भाई मेरा बन भरत , रहता हरपल साथ ।
देख चरण वह पादुका , लिए खड़ा है हाथ ।।

नहीं लखन की बात को , पूछो हमसे आज ।
मेरी सेवा के सिवा , और न जाने काज ।।

मुझको अतिशय प्रिय लगे , महावीर हनुमान ।
मैं उनके ही नाम का  , करता नित गुणगान ।।

घर-घर में रहते लखन , पहचानें अब आप ।
रहकर हरपल संग में , हर लेता संताप ।।

प्राणों से प्यारी सखी , जनक दुलारी आज ।
मेरे सारे दुख हरें , करें हृदय पर राज ।।

देखा परमेश्वर यहीं , मातु-पिता के रूप ।
नतमस्तक निशिदिन रहूँ , मान उन्हें अब भूप ।।

बात मान गुरुदेव की , चलूँ सही मैं राह ।
पूर्ण तभी होंगी सभी , मन में उपजी चाह ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- भाई मेरा बन भरत , रहता हरपल साथ । देख चरण वह पादुका , लिए खड़ा है हाथ ।। नहीं लखन की बात को , पूछो हमसे आज । मेरी सेवा के सिवा , और

10 Love

White त्रिपदा छन्द वट पीपल की छाँव । मिलती अपने गाँव । एक वही है ठाँव ।। शीतल चले बयार । रिमझिम पड़े फुहार । चलें गाँव इस बार ।। वह चाय की दुकान । उनका पास मकान । और हम मेहमान ।। सुनो सफल तब काज । मानो मेरी बात । जब दर्शन हो आज ।। धानी है परिधान । मुख पे है मुस्कान । यही एक पहचान ।। बड़ा मधुर परिवेश । कुछ पुल के अवशेष । जोगन वाला भेष ।। काले लम्बें केश । नाम सुनों विमलेश । चाहत उसमें शेष ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  White त्रिपदा छन्द

वट पीपल की छाँव ।
मिलती अपने गाँव ।
एक वही है ठाँव ।।

शीतल चले बयार ।
रिमझिम पड़े फुहार ।
चलें गाँव इस बार ।।

वह चाय की दुकान ।
उनका पास मकान ।
और हम मेहमान ।।

सुनो सफल तब काज ।
मानो मेरी बात ।
जब दर्शन हो आज ।।

धानी है परिधान ।
मुख पे है मुस्कान ।
यही एक पहचान ।।


बड़ा मधुर परिवेश ।
कुछ पुल के अवशेष ।
जोगन वाला भेष ।।

काले लम्बें केश ।
नाम सुनों विमलेश ।
चाहत उसमें शेष ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

त्रिपदा छन्द वट पीपल की छाँव । मिलती अपने गाँव । एक वही है ठाँव ।।

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