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New humour du jour Status, Photo, Video

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#karishmagujjarmotivationcoaching #मोटिवेशनल #karishmagujjarquote #विचार #Motivational #nojohindi  जरुरी नहीं है हर काम
 हमारी मर्जी से चलें।
क्योंकि दुनिया में 
और लोग भी हैं जो
 आपकी तरह ही खड़े
 हैं सफ़लता की क़तार में

©karishma Gujjar motivation quote
#कॉमेडी

Running band kr du 😁

99 View

#Videos

baat likh du

135 View

#कविता #Kya  अगर मैं तुमको लिखना चाहूँ तो क्या लिखू ,
इश्क लिखूं या वफा लिखूँ!
झरना लिख दु ,
 या बहता पानी लिख दु!
या समंदर में बहते लहरों की कहानी लिख दु ,
जवानी लिख दूँ
 या रवानी लिख दु ,
कि मैं तेरी पूरी कहानी लिख दूँ!
जज़्बात लिख दु या शरारत लिख दु,
की तेरी लम्बी सपनों की इमारत लिख दु!
ग़ुस्सा लिख दूँ या प्यार लिख दु,
तेरे चेहरे का मोल लगा कमाल लिख दु!
रौशनी लिख दूँ या मैं रौशनी में तुझको लिख दु,
तू जो भी है,जैसी भी है
मैं खुबसूरत या तुमको कमाल लिख दु!

©shivraj singh7

#Kya likh du

144 View

सगाई नहीं हुई.. एक व्यंग्य कविता खबरों में था, नज़रों में था, नक्षत्रों में था, लग्नों में था, अपनों में था, फिर भी; सगाई नहीं हुई ! रंगीन था, हसीन था, प्रवीण था,बेहतरीन था, ताज़ातरीन था, फिर भी; सगाई नहीं हुई ! उस भ्रमित परी को, परिवार नहीं, होशियार नहीं, जानदार नहीं, शानदार नहीं, प्यार नही, दुलार नहीं, एक ग़ुलामाना.., कुमार चाहिए जो; माँ बाप से दूर हो, घरेलू मजदूर हो, ख़र्चे में मशहूर हो, शहरी नूर हो, मासूम खजूर हो, कुंवारा सा मजबूर हो, बेसबब चकनाचूर हो ! मांगों में, खामियों में, अपर्याप्त अंतर था, भयप्रद तृष्णा से बच गया; सगाई नहीं हुई ! *(ग़ुलामाना - ग़ुलाम जैसा) डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि' ©Anand Dadhich

#कॉमेडी #kaviananddadhich #poetananddadhich #poetsofindia #achievement  सगाई नहीं हुई.. एक व्यंग्य कविता

खबरों में था, नज़रों में था,
नक्षत्रों में था, लग्नों में था,
अपनों में था, फिर भी;
सगाई नहीं हुई !
रंगीन था, हसीन था,
प्रवीण था,बेहतरीन था,
ताज़ातरीन था, फिर भी;
सगाई नहीं हुई !

उस भ्रमित परी को,
परिवार नहीं, होशियार नहीं,
जानदार नहीं, शानदार नहीं,
प्यार नही, दुलार नहीं,
एक ग़ुलामाना..,
कुमार चाहिए जो;
माँ बाप से दूर हो,
घरेलू मजदूर हो,
ख़र्चे में मशहूर हो,
शहरी नूर हो,
मासूम खजूर हो,
कुंवारा सा मजबूर हो,
बेसबब चकनाचूर हो !

मांगों में, खामियों में,
अपर्याप्त अंतर था,
भयप्रद तृष्णा से बच गया;
सगाई नहीं हुई !
                           *(ग़ुलामाना - ग़ुलाम जैसा)

डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि'

©Anand Dadhich

Dil Pe Tere Pyar Ka Paigam Likh Dun Aaja Jindagi Mein Tere Naam likhe du

16,011 View

#karishmagujjarmotivationcoaching #मोटिवेशनल #karishmagujjarquote #विचार #Motivational #nojohindi  जरुरी नहीं है हर काम
 हमारी मर्जी से चलें।
क्योंकि दुनिया में 
और लोग भी हैं जो
 आपकी तरह ही खड़े
 हैं सफ़लता की क़तार में

©karishma Gujjar motivation quote
#कॉमेडी

Running band kr du 😁

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baat likh du

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#कविता #Kya  अगर मैं तुमको लिखना चाहूँ तो क्या लिखू ,
इश्क लिखूं या वफा लिखूँ!
झरना लिख दु ,
 या बहता पानी लिख दु!
या समंदर में बहते लहरों की कहानी लिख दु ,
जवानी लिख दूँ
 या रवानी लिख दु ,
कि मैं तेरी पूरी कहानी लिख दूँ!
जज़्बात लिख दु या शरारत लिख दु,
की तेरी लम्बी सपनों की इमारत लिख दु!
ग़ुस्सा लिख दूँ या प्यार लिख दु,
तेरे चेहरे का मोल लगा कमाल लिख दु!
रौशनी लिख दूँ या मैं रौशनी में तुझको लिख दु,
तू जो भी है,जैसी भी है
मैं खुबसूरत या तुमको कमाल लिख दु!

©shivraj singh7

#Kya likh du

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सगाई नहीं हुई.. एक व्यंग्य कविता खबरों में था, नज़रों में था, नक्षत्रों में था, लग्नों में था, अपनों में था, फिर भी; सगाई नहीं हुई ! रंगीन था, हसीन था, प्रवीण था,बेहतरीन था, ताज़ातरीन था, फिर भी; सगाई नहीं हुई ! उस भ्रमित परी को, परिवार नहीं, होशियार नहीं, जानदार नहीं, शानदार नहीं, प्यार नही, दुलार नहीं, एक ग़ुलामाना.., कुमार चाहिए जो; माँ बाप से दूर हो, घरेलू मजदूर हो, ख़र्चे में मशहूर हो, शहरी नूर हो, मासूम खजूर हो, कुंवारा सा मजबूर हो, बेसबब चकनाचूर हो ! मांगों में, खामियों में, अपर्याप्त अंतर था, भयप्रद तृष्णा से बच गया; सगाई नहीं हुई ! *(ग़ुलामाना - ग़ुलाम जैसा) डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि' ©Anand Dadhich

#कॉमेडी #kaviananddadhich #poetananddadhich #poetsofindia #achievement  सगाई नहीं हुई.. एक व्यंग्य कविता

खबरों में था, नज़रों में था,
नक्षत्रों में था, लग्नों में था,
अपनों में था, फिर भी;
सगाई नहीं हुई !
रंगीन था, हसीन था,
प्रवीण था,बेहतरीन था,
ताज़ातरीन था, फिर भी;
सगाई नहीं हुई !

उस भ्रमित परी को,
परिवार नहीं, होशियार नहीं,
जानदार नहीं, शानदार नहीं,
प्यार नही, दुलार नहीं,
एक ग़ुलामाना..,
कुमार चाहिए जो;
माँ बाप से दूर हो,
घरेलू मजदूर हो,
ख़र्चे में मशहूर हो,
शहरी नूर हो,
मासूम खजूर हो,
कुंवारा सा मजबूर हो,
बेसबब चकनाचूर हो !

मांगों में, खामियों में,
अपर्याप्त अंतर था,
भयप्रद तृष्णा से बच गया;
सगाई नहीं हुई !
                           *(ग़ुलामाना - ग़ुलाम जैसा)

डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि'

©Anand Dadhich

Dil Pe Tere Pyar Ka Paigam Likh Dun Aaja Jindagi Mein Tere Naam likhe du

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