शीर्षक - लोग खुश होते हैं तब
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सुनते हैं जब लोग,
दूसरे की तकलीफें और दर्द,
दूसरों के मुख से,
या फिर किसी को देखते हैं वो,
मजबूरी में हाथ जोड़ते हुए किसी को,
लोग खुश होते हैं तब।।
जब मांगता है उनसे मदद,
उनका कोई परिचित,
या फिर विपदा में फंसा हुआ कोई,
या फिर चाहता है पनाह उनसे,
चंहुओर से असुरक्षित कोई,
लोग खुश होते हैं तब।।
जब उनको होती है खबर,
कि बर्बाद कोई हो रहा है,
या बदनाम कोई हो रहा है,
और जब मिलती है खबर यह,
कि किसी से उनके अपने ही करते हैं,
बहुत ही नफरत और ईर्ष्या,
लोग खुश होते हैं तब।।
ऐसे लोग मानते हैं सभी खुद को,
पवित्र,बेदाग और बहुत ही समझदार,
जबकि वो खुद खड़े हैं कीचड़ में,
लेकिन कौन देखता है कभी भी,
अपनी गिरेबां में और कॉलर को,
और मरना उनको भी है एक दिन,
लेकिन लोग खुश होते हैं तब--------------------।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
©Gurudeen Verma
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