heart तेरे मेरे मिलन के, सोलह बरस हुए,
होने लगी प्रीत अभी, अपनी सयानी है।
साथ से तुम्हारे हर, सफ़र सुहाना हुआ,
आने वाले कल की भी, डगर सुहानी है।
रहें एक संग ऐसे, सुमन सुगंध जैसे,
तोड़े नहीं टूटेगा ये, रिश्ता रूहानी है।
अभी और महकेगा, तन-मन रंग देगा,
छूके ज़रा देखो मेरा, प्रेम जाफ़रानी है।।१।।
तुम बिन कोई नहीं, मन में बसा है मेरे,
बस मुझे तुमसे ही, लगन लगानी है।
सात ही जनम नहीं, जनमों जनम तक,
मीत मेरे प्रीत सभी, हमको निभानी है।
सुख की बहार हो या, दुःख बेशुमार मिले
हर हाल तुम संग, ज़िन्दगी बितानी है।
चलना है हर पग, मुझको तेरे ही संग,
हठी मेरे हृदय ने, जिद यही ठानी है।।२।।
रिपुदमन झा 'पिनाकी'
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित एवं मौलिक
©Ripudaman Jha Pinaki
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