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New नौकरी पर शायरी Status, Photo, Video

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जिसके भय से मृत्यु भी रण छोड़े ऐसा वो शूरवीर हुआ, मां जयवंता की गोद में एकलिंग का लिखा तकदीर हुआ, घास की रोटी और तानसेन के स्वर जिसके स्वाभिमान के गवाही हो, मुगलों के दौर में आजादी का ख्वाब लिए मेवाड़ी एक रणवीर हुआ। ©Shivam Singh Rajput

#कविता #शायरी #maharanapratap #shayri #Shayar  जिसके भय से मृत्यु भी रण छोड़े ऐसा वो शूरवीर हुआ,

मां जयवंता की गोद में एकलिंग का लिखा तकदीर हुआ,

घास की रोटी और तानसेन के स्वर जिसके स्वाभिमान के गवाही हो,

मुगलों के दौर में आजादी का ख्वाब लिए मेवाड़ी एक रणवीर हुआ।

©Shivam Singh Rajput

#maharanapratap #shayri #Shayar #शायरी महाराणा प्रताप की जयंती पर खास पेशकश।

13 Love

अजी नौकरी का भी अपना मज़ा है। जहां अपनी चलती नही कुछ रज़ा है। हुकम हाकिमों का बजाते रहो बस- यहांँ ज़िन्दगी हर घड़ी इक क़ज़ा है। दवाबों तनावों की बोझिल फ़ज़ा है। बिना पाप के भोगता नित सज़ा है। सवालों जवाबों से परहेज़ कर चल- यहाँ कोई सुनता नहीं इल्तिज़ा है। रहो जब तलक भी किसी नौकरी में। न कुछ और सोचो कभी ज़िन्दगी में। भुला दो सभी रिश्ते नाते जरूरत- लगा दो अरे आग अपनी ख़ुशी में। नियम हाकिमों के नए रोज बनते। कि साहब यहां ख़ुद ही उलझन में रहते। करें गलतियांँ हम तो सुनते हैं बातें - मगर इनकी ग़लती मुनासिब ही रहते। करो हर घड़ी सबकी तीमारदारी। जताए बिना अपनी कोई लचारी। न छुट्टी, न अर्जी, न आराम कुछ दिन- लगाए रखो नौकरी की बिमारी। ज़हन में ख़याल इसका ही जा-ब-ज़ा हो। अमल हुक़म हो चाहे बेजा बजा हो। चलेगी नहीं हुक्म उदूली एक भी - कि इसमें तुम्हारी न बेशक रज़ा हो। पड़ो चाहे बीमार या मर ही जाओ। मगर नौकरी अपनी पहले बचाओ। न जो कर सको तो अभी बात सुन लो- उठाओ ये झोला तुरत घर को जाओ। कभी कुछ न सोचो सिवा नौकरी के। नहीं तुम हो कुछ भी बिना नौकरी के। चलाता है घर बार यह नौकरी ही - करो रात - दिन हक़ अदा नौकरी के। रिपुदमन झा 'पिनाकी' धनबाद (झारखण्ड) स्वरचित एवं मौलिक ©Ripudaman Jha Pinaki

#नौकरी #विचार  अजी नौकरी का भी  अपना मज़ा है।
जहां अपनी चलती नही कुछ रज़ा है।
हुकम  हाकिमों  का  बजाते रहो बस-
यहांँ  ज़िन्दगी  हर घड़ी  इक क़ज़ा है।

दवाबों तनावों  की बोझिल फ़ज़ा है।
बिना  पाप  के  भोगता  नित सज़ा है।
सवालों जवाबों से परहेज़ कर चल-
यहाँ  कोई  सुनता  नहीं  इल्तिज़ा  है।

रहो जब तलक भी किसी नौकरी में।
न कुछ और सोचो कभी ज़िन्दगी में।
भुला  दो  सभी  रिश्ते नाते  जरूरत-
लगा  दो  अरे  आग अपनी ख़ुशी में।

नियम  हाकिमों  के  नए  रोज  बनते।
कि साहब यहां ख़ुद ही उलझन में रहते।
करें गलतियांँ  हम  तो  सुनते  हैं  बातें -
मगर इनकी ग़लती मुनासिब ही रहते।

करो  हर  घड़ी  सबकी  तीमारदारी।
जताए  बिना  अपनी  कोई  लचारी।
न छुट्टी, न अर्जी, न आराम कुछ दिन-
लगाए  रखो  नौकरी  की   बिमारी।

ज़हन में ख़याल इसका ही जा-ब-ज़ा हो।
अमल  हुक़म  हो  चाहे  बेजा  बजा  हो।
चलेगी  नहीं  हुक्म  उदूली  एक  भी -
कि  इसमें  तुम्हारी  न  बेशक  रज़ा  हो।

पड़ो चाहे बीमार या मर ही जाओ।
मगर नौकरी अपनी पहले बचाओ।
न जो कर सको तो अभी बात सुन लो-
उठाओ ये झोला तुरत घर को जाओ।

कभी  कुछ न सोचो सिवा नौकरी के।
नहीं तुम हो कुछ भी बिना नौकरी के।
चलाता  है  घर  बार  यह  नौकरी  ही -
करो रात - दिन हक़ अदा नौकरी के।

रिपुदमन झा 'पिनाकी'
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित एवं मौलिक

©Ripudaman Jha Pinaki
#astrology

जानिए नौकरी कब लगेगी ?

441 View

 ताऊ hospital गए इलाज करवाने
नर्स: लम्बी साँस लो
ताऊ ने लम्बी सांस ली
नर्स: कैसा महसूस हो रहा है
ताऊ : कौण सा perfume लगा कर आई है मज़ा आ गया।🤣🤣🤣😃😃

©Salim Saha

माय कंटेंट #शायरी शायरी #शायरी

180 View

#शायरी  अर्ज किया है... वो तुम्हें Dp दिखाकर गुमराह करेगी, मगर तुम आधार कार्ड पर अड़े रहना।

©Salim Saha

आधार कार्ड के ऊपर शायरी#आधार कार्ड पर ही रहना

108 View

#कॉमेडी #Funny

#Funny मेरी नौकरी के द्वार कब खुल जाएंगे।

90 View

जिसके भय से मृत्यु भी रण छोड़े ऐसा वो शूरवीर हुआ, मां जयवंता की गोद में एकलिंग का लिखा तकदीर हुआ, घास की रोटी और तानसेन के स्वर जिसके स्वाभिमान के गवाही हो, मुगलों के दौर में आजादी का ख्वाब लिए मेवाड़ी एक रणवीर हुआ। ©Shivam Singh Rajput

#कविता #शायरी #maharanapratap #shayri #Shayar  जिसके भय से मृत्यु भी रण छोड़े ऐसा वो शूरवीर हुआ,

मां जयवंता की गोद में एकलिंग का लिखा तकदीर हुआ,

घास की रोटी और तानसेन के स्वर जिसके स्वाभिमान के गवाही हो,

मुगलों के दौर में आजादी का ख्वाब लिए मेवाड़ी एक रणवीर हुआ।

©Shivam Singh Rajput

#maharanapratap #shayri #Shayar #शायरी महाराणा प्रताप की जयंती पर खास पेशकश।

13 Love

अजी नौकरी का भी अपना मज़ा है। जहां अपनी चलती नही कुछ रज़ा है। हुकम हाकिमों का बजाते रहो बस- यहांँ ज़िन्दगी हर घड़ी इक क़ज़ा है। दवाबों तनावों की बोझिल फ़ज़ा है। बिना पाप के भोगता नित सज़ा है। सवालों जवाबों से परहेज़ कर चल- यहाँ कोई सुनता नहीं इल्तिज़ा है। रहो जब तलक भी किसी नौकरी में। न कुछ और सोचो कभी ज़िन्दगी में। भुला दो सभी रिश्ते नाते जरूरत- लगा दो अरे आग अपनी ख़ुशी में। नियम हाकिमों के नए रोज बनते। कि साहब यहां ख़ुद ही उलझन में रहते। करें गलतियांँ हम तो सुनते हैं बातें - मगर इनकी ग़लती मुनासिब ही रहते। करो हर घड़ी सबकी तीमारदारी। जताए बिना अपनी कोई लचारी। न छुट्टी, न अर्जी, न आराम कुछ दिन- लगाए रखो नौकरी की बिमारी। ज़हन में ख़याल इसका ही जा-ब-ज़ा हो। अमल हुक़म हो चाहे बेजा बजा हो। चलेगी नहीं हुक्म उदूली एक भी - कि इसमें तुम्हारी न बेशक रज़ा हो। पड़ो चाहे बीमार या मर ही जाओ। मगर नौकरी अपनी पहले बचाओ। न जो कर सको तो अभी बात सुन लो- उठाओ ये झोला तुरत घर को जाओ। कभी कुछ न सोचो सिवा नौकरी के। नहीं तुम हो कुछ भी बिना नौकरी के। चलाता है घर बार यह नौकरी ही - करो रात - दिन हक़ अदा नौकरी के। रिपुदमन झा 'पिनाकी' धनबाद (झारखण्ड) स्वरचित एवं मौलिक ©Ripudaman Jha Pinaki

#नौकरी #विचार  अजी नौकरी का भी  अपना मज़ा है।
जहां अपनी चलती नही कुछ रज़ा है।
हुकम  हाकिमों  का  बजाते रहो बस-
यहांँ  ज़िन्दगी  हर घड़ी  इक क़ज़ा है।

दवाबों तनावों  की बोझिल फ़ज़ा है।
बिना  पाप  के  भोगता  नित सज़ा है।
सवालों जवाबों से परहेज़ कर चल-
यहाँ  कोई  सुनता  नहीं  इल्तिज़ा  है।

रहो जब तलक भी किसी नौकरी में।
न कुछ और सोचो कभी ज़िन्दगी में।
भुला  दो  सभी  रिश्ते नाते  जरूरत-
लगा  दो  अरे  आग अपनी ख़ुशी में।

नियम  हाकिमों  के  नए  रोज  बनते।
कि साहब यहां ख़ुद ही उलझन में रहते।
करें गलतियांँ  हम  तो  सुनते  हैं  बातें -
मगर इनकी ग़लती मुनासिब ही रहते।

करो  हर  घड़ी  सबकी  तीमारदारी।
जताए  बिना  अपनी  कोई  लचारी।
न छुट्टी, न अर्जी, न आराम कुछ दिन-
लगाए  रखो  नौकरी  की   बिमारी।

ज़हन में ख़याल इसका ही जा-ब-ज़ा हो।
अमल  हुक़म  हो  चाहे  बेजा  बजा  हो।
चलेगी  नहीं  हुक्म  उदूली  एक  भी -
कि  इसमें  तुम्हारी  न  बेशक  रज़ा  हो।

पड़ो चाहे बीमार या मर ही जाओ।
मगर नौकरी अपनी पहले बचाओ।
न जो कर सको तो अभी बात सुन लो-
उठाओ ये झोला तुरत घर को जाओ।

कभी  कुछ न सोचो सिवा नौकरी के।
नहीं तुम हो कुछ भी बिना नौकरी के।
चलाता  है  घर  बार  यह  नौकरी  ही -
करो रात - दिन हक़ अदा नौकरी के।

रिपुदमन झा 'पिनाकी'
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित एवं मौलिक

©Ripudaman Jha Pinaki
#astrology

जानिए नौकरी कब लगेगी ?

441 View

 ताऊ hospital गए इलाज करवाने
नर्स: लम्बी साँस लो
ताऊ ने लम्बी सांस ली
नर्स: कैसा महसूस हो रहा है
ताऊ : कौण सा perfume लगा कर आई है मज़ा आ गया।🤣🤣🤣😃😃

©Salim Saha

माय कंटेंट #शायरी शायरी #शायरी

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#शायरी  अर्ज किया है... वो तुम्हें Dp दिखाकर गुमराह करेगी, मगर तुम आधार कार्ड पर अड़े रहना।

©Salim Saha

आधार कार्ड के ऊपर शायरी#आधार कार्ड पर ही रहना

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#कॉमेडी #Funny

#Funny मेरी नौकरी के द्वार कब खुल जाएंगे।

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