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#कविता #SAD  White मीरे वजूद कि पाकीजगी से नावाकिफ है ,आजमाने वाले
शायद आतिफ ए  हस्ती से नावाकिफ हैं ज़माने दिखाने वाले 
अफसाने अपने हीं घरोंदों के रुहानियt कि करते हैं
और फिर चांद पे थूकते हैं बेहिसाब ये ज़माने वाले
अख़बार कि कहानी को सबकी हलक में डालकर
अंजुमन को करते हैं शर्मसार ये ज़माने वाले
हुनर बस इतना के, हर बात में धुएं को रखकर
खुद कि रौशनी को मिटाते हैं हर बार ये जमाने वाले
आकिबत का खौफ भी अब जमीर तलक नहीं हैं
खुदी के चस्म से अहजान ए वफा का नक्श मिटाते ज़माने वाले
यकीन इतना के सांसों पे        भी पहरे बिठा दें
और दावे करते शबाब कि हर रोज ये ज़माने वाले

©samandar Speaks
#कविता #Preying  उसके गुस्से में निरीह सिर झुकाए हम कितने अच्छे लगते थे
उसकी हथेलियों पे गिरते हुए नम आंसू कितने अच्छे लगते थे

उसकी उंगलियों के पोर पर रुखड़े तरकारी काटने के निशान
और हाथो में झाड़ू लिए वो हाथ सच में कितने अच्छे लगते थे

मेले की उमंग ,सुत्ती सारी के पल्लू में बंधे सिक्को कि जिद्द 
उसके हाथ से निकले वो सिक्के कितने अच्छे लगते थे

वो सिक्के ले यारो संग दुनिया खरीदना फिर उससे पिटना
वो दर्द भी अच्छा,उसकी मार से छिपते हुए कितने अच्छे लगते थे

: उसकी मुस्कान की दमक से मेरे हाथ खुलते थे
उसकी आंखो कि साए में गुजरते पल कितने अच्छे लगते थे
राजीव

©samandar Speaks
#शायरी #ArabianNight  ये जो नफ़रत में तकल्लूफ कि दुहाई हुई है
इसमें खुदगर्जी कि मुहब्बत सी दिखाई  दी है
ये जो..........।।।।।
वो जो कहते थे सरे राह फिज़ा- ए -हिना सजाएंगे
उनकी नजरों ने इज्तिराबियत बसाई हुई है 
ये जो..........।।।।।
कल भी लूटी थी,अब भी लुटती,फिज़ा की महक
इब्रतों में इब्तिलाइयत बेखौफ सी दिखाई हुई है
ये जो..........।।।।।
इंतिहा हो गई यारों यहां उकूबतों कि
इन चरागों से हवाओं कि हैवानियत घबराई हुई है
राजीव

इज्तिराब -अशांति
इब्तिला -दुर्भाग्य
उकूबत -अत्याचार

©samandar Speaks
#कविता #sunlight  कभी फिर बाद में समझूंगा तुझको
अभी खुद को जरा पहचान लूं मै 

यहां साया तलक अपना नही है
ये दुनिया मेरी है' कैसे मान लूं मैं

जवाब मुझको मेरे वक्त से चाहिए
फिर तुझसे क्या कोई जवाब लूं मैं

नफरती सियासत में,परेशान मुरव्वत
कैसे पुरशुकून खुद को मान लूं मैं

भीड़ आएगी तो अपने भी आयेंगे
बे हालात किसे पहचान लूं मैं
राजीव

©samandar Speaks
#Friend  वो लड़की कभी मेरी दोस्त हुआ करती थी
उसके साथ मेरी दो-चार बात हुआ करती थी,
रहती थी अन्जान वो मेरे दिल के एहसासो से
दिल ने हि दस्तक दी उसके दिल के दरवाजो पे!

वक्त गुजरता गया,दोस्ती गहरा होता गया 
उसको देख देख के दिल भी खौफज़दा हुआ,
वक्त कुछ ऐसा आया दिल-ही-दिल मे सवाल उठा
उसके बदलते रंगो को देख,मेरा दिल हि बदहाल हुआ!

जो मेरी पसंद का परवाह किया करती थी
आज वो मेरी नापसंद को पसंद बनाये बैठी है,
शायद वो मेरी दोस्ती के शैलाब मे डूबी ही नही
उफ!! ये मेरी दोस्ती एकतरफा ही चलती रही!

©Khushi Tiwari
#कविता #hillroad  दिखता तो सबकुछ है पर किसी को बताते नहीं हैं
तुम्हारी तरह दुनिया को बेवजह आजमाते नहीं हैं
किस्मत कि नदी दोनो तरफ से गुजरती है ये मालूम है
बिला बात आसमान को सर पर उठाते नहीं हैं
फर्क तो बहुत पड़ता हैं जमाने कि अदावतों का
सबको समझा नहीसकते,तो समझाते नहीं हैं
मेरा वजूद नहीं बना जवाब देने कि खातिर
शायद इसलिए हीं वजूद को झुकाते नहीं हैं
कभी चरागो को भी सूरज का मुकाम मिलेगा
ये फरेब है और फरेब को दिल लगाते नही हैं
हर चालाकियों में वफा कत्ल ए दीद होती है हरदम
ऐसे बियाबां में सपने कोई दिखाते नही हैं 
दिखता तो सबकुछ है पर किसी को बताते नहीं हैं
तुम्हारी तरह दुनिया को बेवजह आजमाते नहीं हैं
राजीव

©samandar Speaks
#कविता #SAD  White मीरे वजूद कि पाकीजगी से नावाकिफ है ,आजमाने वाले
शायद आतिफ ए  हस्ती से नावाकिफ हैं ज़माने दिखाने वाले 
अफसाने अपने हीं घरोंदों के रुहानियt कि करते हैं
और फिर चांद पे थूकते हैं बेहिसाब ये ज़माने वाले
अख़बार कि कहानी को सबकी हलक में डालकर
अंजुमन को करते हैं शर्मसार ये ज़माने वाले
हुनर बस इतना के, हर बात में धुएं को रखकर
खुद कि रौशनी को मिटाते हैं हर बार ये जमाने वाले
आकिबत का खौफ भी अब जमीर तलक नहीं हैं
खुदी के चस्म से अहजान ए वफा का नक्श मिटाते ज़माने वाले
यकीन इतना के सांसों पे        भी पहरे बिठा दें
और दावे करते शबाब कि हर रोज ये ज़माने वाले

©samandar Speaks
#कविता #Preying  उसके गुस्से में निरीह सिर झुकाए हम कितने अच्छे लगते थे
उसकी हथेलियों पे गिरते हुए नम आंसू कितने अच्छे लगते थे

उसकी उंगलियों के पोर पर रुखड़े तरकारी काटने के निशान
और हाथो में झाड़ू लिए वो हाथ सच में कितने अच्छे लगते थे

मेले की उमंग ,सुत्ती सारी के पल्लू में बंधे सिक्को कि जिद्द 
उसके हाथ से निकले वो सिक्के कितने अच्छे लगते थे

वो सिक्के ले यारो संग दुनिया खरीदना फिर उससे पिटना
वो दर्द भी अच्छा,उसकी मार से छिपते हुए कितने अच्छे लगते थे

: उसकी मुस्कान की दमक से मेरे हाथ खुलते थे
उसकी आंखो कि साए में गुजरते पल कितने अच्छे लगते थे
राजीव

©samandar Speaks
#शायरी #ArabianNight  ये जो नफ़रत में तकल्लूफ कि दुहाई हुई है
इसमें खुदगर्जी कि मुहब्बत सी दिखाई  दी है
ये जो..........।।।।।
वो जो कहते थे सरे राह फिज़ा- ए -हिना सजाएंगे
उनकी नजरों ने इज्तिराबियत बसाई हुई है 
ये जो..........।।।।।
कल भी लूटी थी,अब भी लुटती,फिज़ा की महक
इब्रतों में इब्तिलाइयत बेखौफ सी दिखाई हुई है
ये जो..........।।।।।
इंतिहा हो गई यारों यहां उकूबतों कि
इन चरागों से हवाओं कि हैवानियत घबराई हुई है
राजीव

इज्तिराब -अशांति
इब्तिला -दुर्भाग्य
उकूबत -अत्याचार

©samandar Speaks
#कविता #sunlight  कभी फिर बाद में समझूंगा तुझको
अभी खुद को जरा पहचान लूं मै 

यहां साया तलक अपना नही है
ये दुनिया मेरी है' कैसे मान लूं मैं

जवाब मुझको मेरे वक्त से चाहिए
फिर तुझसे क्या कोई जवाब लूं मैं

नफरती सियासत में,परेशान मुरव्वत
कैसे पुरशुकून खुद को मान लूं मैं

भीड़ आएगी तो अपने भी आयेंगे
बे हालात किसे पहचान लूं मैं
राजीव

©samandar Speaks
#Friend  वो लड़की कभी मेरी दोस्त हुआ करती थी
उसके साथ मेरी दो-चार बात हुआ करती थी,
रहती थी अन्जान वो मेरे दिल के एहसासो से
दिल ने हि दस्तक दी उसके दिल के दरवाजो पे!

वक्त गुजरता गया,दोस्ती गहरा होता गया 
उसको देख देख के दिल भी खौफज़दा हुआ,
वक्त कुछ ऐसा आया दिल-ही-दिल मे सवाल उठा
उसके बदलते रंगो को देख,मेरा दिल हि बदहाल हुआ!

जो मेरी पसंद का परवाह किया करती थी
आज वो मेरी नापसंद को पसंद बनाये बैठी है,
शायद वो मेरी दोस्ती के शैलाब मे डूबी ही नही
उफ!! ये मेरी दोस्ती एकतरफा ही चलती रही!

©Khushi Tiwari
#कविता #hillroad  दिखता तो सबकुछ है पर किसी को बताते नहीं हैं
तुम्हारी तरह दुनिया को बेवजह आजमाते नहीं हैं
किस्मत कि नदी दोनो तरफ से गुजरती है ये मालूम है
बिला बात आसमान को सर पर उठाते नहीं हैं
फर्क तो बहुत पड़ता हैं जमाने कि अदावतों का
सबको समझा नहीसकते,तो समझाते नहीं हैं
मेरा वजूद नहीं बना जवाब देने कि खातिर
शायद इसलिए हीं वजूद को झुकाते नहीं हैं
कभी चरागो को भी सूरज का मुकाम मिलेगा
ये फरेब है और फरेब को दिल लगाते नही हैं
हर चालाकियों में वफा कत्ल ए दीद होती है हरदम
ऐसे बियाबां में सपने कोई दिखाते नही हैं 
दिखता तो सबकुछ है पर किसी को बताते नहीं हैं
तुम्हारी तरह दुनिया को बेवजह आजमाते नहीं हैं
राजीव

©samandar Speaks
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