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#कविता  White क्या हम दीये की लौ को दिए का स्थाई 
गुलाम  कह  सकते है? 

क्योंकि  उस लौ का अस्तित्व उस दिए 
की परिधि मे  सिमटा हुआ है 
और ज़ब दिया बुझता है तो  दिए की उस लौ की  जीवंतता भी 
समाप्त हो जाती है

©Arora PR

गुलामी

126 View

White कुछ लोग अपनी औक़ात दिखा रहे हैं आस्तीन में साँप पाल लिए थे जो डस रहे हैं हंसना है तो बेशक़ हंस लें वो अपनी मामूली सी जीत पर खामोशी से हम भी उनकी धूर्तता देख रहे हैं अपने स्वार्थ के चक्कर मे सब बर्बाद करने पर तुले हैं हम भी चुप्पी साधे उनकी मूर्खता देख रहे हैं इतना मत उछलो तुम अपनी जीत पर हम तुम्हारी पुश्तों को गुलामी की जंजीरों में जकड़े देख रहे हैं ©Richa Dhar

#शायरी #sad_quotes  White कुछ लोग अपनी औक़ात दिखा रहे हैं
आस्तीन में साँप पाल लिए थे जो डस रहे हैं

हंसना है तो बेशक़ हंस लें वो अपनी मामूली सी जीत पर
खामोशी से हम भी उनकी धूर्तता देख रहे हैं

अपने स्वार्थ के चक्कर मे सब बर्बाद करने पर तुले हैं
हम भी चुप्पी साधे उनकी मूर्खता देख रहे हैं

इतना मत उछलो तुम अपनी जीत पर
हम तुम्हारी पुश्तों को गुलामी की जंजीरों में जकड़े देख रहे हैं

©Richa Dhar

#sad_quotes गुलामी

13 Love

#डर  आज हमनें डर से मुलाकात कर ली।
उसके दर पे या आंखो में आंखो डाल बात कर ली।
यूंही बैठे थे सहमे से, 
आज दरिया से ही खुद के लिए गुजारिश करली।
बात तो कोई बड़ी नही थी,
कुछ इतने भी डरावने हालात ना थे,
ना जाने क्यों बेवजह अनमोल घडिया बर्बाद कर ली।

©Ramnik

#डर से आजादी#

81 View

#कविता  White तुम वतन की  आबरू क़ो  
नेस्त नाबूत करने पर तुले हो 

और मै वतन क़ो    कब्र से बाहर 
निकालने की  कोशिश करता रहा हूँ 


तुम जश्ने आज़ादी  बेशक मनाओ हक़ हैं तुम्हारा..
लेकिन मै उन गुलामी के बचे खुचे
दाग़ मिटाने की कोशिश में लगा हूँ

©Arora PR

गुलामी के दाग़

126 View

#कविता  White क्यों किसी के पैरो में गिरकर 
गिड़गिड़ाते हुऐ वफ़ा की भीख मांग रहे हो 

क्यों अपनी तकदीर क़ो किसी  बेवफा के 
हाथो बंधक बना कर उसकी गुलामी स्वीकार कर रहे हो

©Arora PR

गुलामी

135 View

#पौराणिककथा #shaheeddiwas  माँ भारती  पर आतंकवाद रिश्वतखोरी गद्दारी  के दाग  लगाने वालों , वतन  की  आबरू लूटने वालों, मत शर्मिंदा करो वतन के लिए हंसते-हंसते फांसी के फंदे को चूमने  वालों को , आजादी की चिंगारी  जलाने वालों को,   आजादी  के  लिए मर मिटने वालों को  , वो भी किसी मां के लाल, किसी की राखी , किसी का इश्क ए तमन्ना थे , पर वे स्वार्थी नहीं थे , जुनून था वतन के लिए  मर  मिटने  का .आप उनके जैसी कुर्बानी नहीं दे सकते तो कम से कम उनकी कुर्बानियों की लाज  रखने का  सलीका सीखिए ,  शहीदों की रूहों को मिले सुकून ऐसे तरीक़े सीखिए   अपनी ही बनाई  जंजीरों की गुलामी,  गुमनामी , नशे  से खुद को आजाद कीजिए और वतन को आबाद कीजिए,  जय हिंद

©Rajni Vijay singla

#shaheeddiwas आजादी का सलीका

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#कविता  White क्या हम दीये की लौ को दिए का स्थाई 
गुलाम  कह  सकते है? 

क्योंकि  उस लौ का अस्तित्व उस दिए 
की परिधि मे  सिमटा हुआ है 
और ज़ब दिया बुझता है तो  दिए की उस लौ की  जीवंतता भी 
समाप्त हो जाती है

©Arora PR

गुलामी

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White कुछ लोग अपनी औक़ात दिखा रहे हैं आस्तीन में साँप पाल लिए थे जो डस रहे हैं हंसना है तो बेशक़ हंस लें वो अपनी मामूली सी जीत पर खामोशी से हम भी उनकी धूर्तता देख रहे हैं अपने स्वार्थ के चक्कर मे सब बर्बाद करने पर तुले हैं हम भी चुप्पी साधे उनकी मूर्खता देख रहे हैं इतना मत उछलो तुम अपनी जीत पर हम तुम्हारी पुश्तों को गुलामी की जंजीरों में जकड़े देख रहे हैं ©Richa Dhar

#शायरी #sad_quotes  White कुछ लोग अपनी औक़ात दिखा रहे हैं
आस्तीन में साँप पाल लिए थे जो डस रहे हैं

हंसना है तो बेशक़ हंस लें वो अपनी मामूली सी जीत पर
खामोशी से हम भी उनकी धूर्तता देख रहे हैं

अपने स्वार्थ के चक्कर मे सब बर्बाद करने पर तुले हैं
हम भी चुप्पी साधे उनकी मूर्खता देख रहे हैं

इतना मत उछलो तुम अपनी जीत पर
हम तुम्हारी पुश्तों को गुलामी की जंजीरों में जकड़े देख रहे हैं

©Richa Dhar

#sad_quotes गुलामी

13 Love

#डर  आज हमनें डर से मुलाकात कर ली।
उसके दर पे या आंखो में आंखो डाल बात कर ली।
यूंही बैठे थे सहमे से, 
आज दरिया से ही खुद के लिए गुजारिश करली।
बात तो कोई बड़ी नही थी,
कुछ इतने भी डरावने हालात ना थे,
ना जाने क्यों बेवजह अनमोल घडिया बर्बाद कर ली।

©Ramnik

#डर से आजादी#

81 View

#कविता  White तुम वतन की  आबरू क़ो  
नेस्त नाबूत करने पर तुले हो 

और मै वतन क़ो    कब्र से बाहर 
निकालने की  कोशिश करता रहा हूँ 


तुम जश्ने आज़ादी  बेशक मनाओ हक़ हैं तुम्हारा..
लेकिन मै उन गुलामी के बचे खुचे
दाग़ मिटाने की कोशिश में लगा हूँ

©Arora PR

गुलामी के दाग़

126 View

#कविता  White क्यों किसी के पैरो में गिरकर 
गिड़गिड़ाते हुऐ वफ़ा की भीख मांग रहे हो 

क्यों अपनी तकदीर क़ो किसी  बेवफा के 
हाथो बंधक बना कर उसकी गुलामी स्वीकार कर रहे हो

©Arora PR

गुलामी

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#पौराणिककथा #shaheeddiwas  माँ भारती  पर आतंकवाद रिश्वतखोरी गद्दारी  के दाग  लगाने वालों , वतन  की  आबरू लूटने वालों, मत शर्मिंदा करो वतन के लिए हंसते-हंसते फांसी के फंदे को चूमने  वालों को , आजादी की चिंगारी  जलाने वालों को,   आजादी  के  लिए मर मिटने वालों को  , वो भी किसी मां के लाल, किसी की राखी , किसी का इश्क ए तमन्ना थे , पर वे स्वार्थी नहीं थे , जुनून था वतन के लिए  मर  मिटने  का .आप उनके जैसी कुर्बानी नहीं दे सकते तो कम से कम उनकी कुर्बानियों की लाज  रखने का  सलीका सीखिए ,  शहीदों की रूहों को मिले सुकून ऐसे तरीक़े सीखिए   अपनी ही बनाई  जंजीरों की गुलामी,  गुमनामी , नशे  से खुद को आजाद कीजिए और वतन को आबाद कीजिए,  जय हिंद

©Rajni Vijay singla

#shaheeddiwas आजादी का सलीका

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