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#कोट्स

deep meaning

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#Bhakti

White गया क्या तेरा बता यार मुस्कुराने में। जमाना लगता है एक दर्द को भुलाने में। खतों में लिपटे हुए फूल तुम निकालो तो मजा मुझे भी तो आए तुम्हें सताने में । फकीर करके मुझे अपना इश्क़ ले जाओ । बची हुई है ये दौलत मेरे खजाने में यकीन तेरी बफाओं का अब भी करता पर वफा दिखी ही नही पर तेरे बहाने में अभी तो भा गया हमको ये दिल का वीराना बहुत ही देर लगा दी हुजूर आने में हमीं ने तुमको कभी टूट करके चाहा था हमें ही शर्म क्यों निर्भय है ये बताने में ©निर्भय निरपुरिया

#शायरी #Sad_Status  White गया  क्या तेरा बता यार मुस्कुराने में।
जमाना लगता है एक दर्द को भुलाने में।

खतों में लिपटे हुए फूल तुम निकालो तो 
मजा मुझे भी तो आए तुम्हें सताने में ।

फकीर करके मुझे अपना इश्क़ ले जाओ  ।
बची हुई है ये दौलत मेरे  खजाने में 

यकीन तेरी  बफाओं का अब भी करता पर 
वफा दिखी ही नही पर तेरे बहाने में 

अभी तो भा गया  हमको ये दिल का वीराना 
बहुत ही देर  लगा दी हुजूर आने में

हमीं ने तुमको कभी टूट करके चाहा था
हमें ही शर्म क्यों निर्भय है ये बताने में

©निर्भय निरपुरिया
#शायरी  Black देख ली इंसानियत दो दशकों में ही....

ना रहना इस ज़िंदगी में तो कही जाना भी नहीं है! 

जो न चल सके जीवन के अंत तक.... 

बेवजह उन रिश्तों का बोझ उठाना भी नहीं है !

स्पष्ट कह देते है हकीकत को हम क्योंकि.... 

हमको किसी से कुछ छुपाना भी नहीं है !

बयां कर देते हैं अल्फाजों को कागज़ पर....

इसके सिवा हमे कुछ आता भी नहीं है !

©हिमानी तूनवाल "हिम"
#शायरी  मेरे सुख दुःख का जो खुद को,साझेदार कर लेगा 

 बेदाग मेरी खातिर ,जो अपना किरदार कर लेगा 

उसे हमराह बना लू मैं,बिना सोचे बिना समझे 

जो मेरी खामियों के साथ, मुझे स्वीकार कर लेगा

©हिमानी तूनवाल "हिम"

@Sethi Ji @indu singh Ayushi Agrawal नितिन कुमार 'हरित' @Vishalkumar "Vishal"

549 View

#कविता #Emotional  Men walking on dark street वक्त पे हम कभी,यार मिल जाते तो।
वक्त के हाथ में दिल न देते कभी।
वक्त बेवक्त ये प्यार क्यों लाया है।
छोड़ कर जा रहे जब अपने सभी।

क्या कोई फूल है ,अब जो  सूखा नहीं।
क्या कोई आह है जो कि भूखा नहीं।
क्या मुझे आ गई है तिजारत सनम,
इश्क करके छुपाना क्या धोखा नहीं।
हर घड़ी जिंदगी एक व्यापार है,
जिसमे मुझको मुनाफा न होगा कभी।

चल चलें गांव के मंदिरों की तरफ,
वो शिवाला जहां हम मिले थे कभी।
देख कर के नदी के भंवर डर गए।
भावनाओं के पर, पर हिले थे कभी।
अर्चना आरती सारे ही व्यर्थ हैं,
फिर से अब मुकुराना ना होगा कभी।

क्या तुम्हें याद है,अपनी अंतिम घड़ी,
वो मुलाकात जिसमे लगी थी झड़ी।
एक भींगे हुए खत को हाथो में ले,
तुम सिसकती हुई भींगती थी खड़ी।

सूखे उस खत में अब ढूंढता हूं तुम्हे,
कुछ तो बोलोगी कुछ तो कहोगी कभी।।

निर्भय चौहान

©निर्भय चौहान
#कोट्स

deep meaning

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#Bhakti

White गया क्या तेरा बता यार मुस्कुराने में। जमाना लगता है एक दर्द को भुलाने में। खतों में लिपटे हुए फूल तुम निकालो तो मजा मुझे भी तो आए तुम्हें सताने में । फकीर करके मुझे अपना इश्क़ ले जाओ । बची हुई है ये दौलत मेरे खजाने में यकीन तेरी बफाओं का अब भी करता पर वफा दिखी ही नही पर तेरे बहाने में अभी तो भा गया हमको ये दिल का वीराना बहुत ही देर लगा दी हुजूर आने में हमीं ने तुमको कभी टूट करके चाहा था हमें ही शर्म क्यों निर्भय है ये बताने में ©निर्भय निरपुरिया

#शायरी #Sad_Status  White गया  क्या तेरा बता यार मुस्कुराने में।
जमाना लगता है एक दर्द को भुलाने में।

खतों में लिपटे हुए फूल तुम निकालो तो 
मजा मुझे भी तो आए तुम्हें सताने में ।

फकीर करके मुझे अपना इश्क़ ले जाओ  ।
बची हुई है ये दौलत मेरे  खजाने में 

यकीन तेरी  बफाओं का अब भी करता पर 
वफा दिखी ही नही पर तेरे बहाने में 

अभी तो भा गया  हमको ये दिल का वीराना 
बहुत ही देर  लगा दी हुजूर आने में

हमीं ने तुमको कभी टूट करके चाहा था
हमें ही शर्म क्यों निर्भय है ये बताने में

©निर्भय निरपुरिया
#शायरी  Black देख ली इंसानियत दो दशकों में ही....

ना रहना इस ज़िंदगी में तो कही जाना भी नहीं है! 

जो न चल सके जीवन के अंत तक.... 

बेवजह उन रिश्तों का बोझ उठाना भी नहीं है !

स्पष्ट कह देते है हकीकत को हम क्योंकि.... 

हमको किसी से कुछ छुपाना भी नहीं है !

बयां कर देते हैं अल्फाजों को कागज़ पर....

इसके सिवा हमे कुछ आता भी नहीं है !

©हिमानी तूनवाल "हिम"
#शायरी  मेरे सुख दुःख का जो खुद को,साझेदार कर लेगा 

 बेदाग मेरी खातिर ,जो अपना किरदार कर लेगा 

उसे हमराह बना लू मैं,बिना सोचे बिना समझे 

जो मेरी खामियों के साथ, मुझे स्वीकार कर लेगा

©हिमानी तूनवाल "हिम"

@Sethi Ji @indu singh Ayushi Agrawal नितिन कुमार 'हरित' @Vishalkumar "Vishal"

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#कविता #Emotional  Men walking on dark street वक्त पे हम कभी,यार मिल जाते तो।
वक्त के हाथ में दिल न देते कभी।
वक्त बेवक्त ये प्यार क्यों लाया है।
छोड़ कर जा रहे जब अपने सभी।

क्या कोई फूल है ,अब जो  सूखा नहीं।
क्या कोई आह है जो कि भूखा नहीं।
क्या मुझे आ गई है तिजारत सनम,
इश्क करके छुपाना क्या धोखा नहीं।
हर घड़ी जिंदगी एक व्यापार है,
जिसमे मुझको मुनाफा न होगा कभी।

चल चलें गांव के मंदिरों की तरफ,
वो शिवाला जहां हम मिले थे कभी।
देख कर के नदी के भंवर डर गए।
भावनाओं के पर, पर हिले थे कभी।
अर्चना आरती सारे ही व्यर्थ हैं,
फिर से अब मुकुराना ना होगा कभी।

क्या तुम्हें याद है,अपनी अंतिम घड़ी,
वो मुलाकात जिसमे लगी थी झड़ी।
एक भींगे हुए खत को हाथो में ले,
तुम सिसकती हुई भींगती थी खड़ी।

सूखे उस खत में अब ढूंढता हूं तुम्हे,
कुछ तो बोलोगी कुछ तो कहोगी कभी।।

निर्भय चौहान

©निर्भय चौहान
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