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New शरीके हयात मीनिंग Status, Photo, Video

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#nojoto बूस्ट के बिना भी वायरल करिए मेरी मेहनतों को तेरा*विसाल है मुझको *मसर्रतो की तरह,बिछड़के मर ही न जाऊँ,मैं*जांसितां की तरह//१ *मिलन*हर

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#shamawritesBebaak  तेरा*विसाल है मुझको *मसर्रतो की तरह,बिछड़के मर ही न जाऊँ,मैं*जांसिता की तरह//१*मिलन*हर्ष
*जानलेवा

मिटा न डाले कहीं *जुल्मत्तों के सन्नाटे,
मेरी हयात में आजा  महरबा की तरह/२
*घोर अन्धकार *शाश्वत

मेरे फ़सानो के किस्से बहुत रसीले है,के लोग पूछते रहते है,लापता की तरह//३

ये*वहश्तो के तकाजे यहीं पे रहने दो,क्यूं पूछते हो मिरा हाल राजदां की तरह//४

कई दफा तेरे*हुजरे से होके गुजरें है,तेरे दीदार में
*खांबिदा की तरह//५
*इबादतगाह *निद्रालु दशा

तुम्हारे साथ तो सेहरा में भी मेरे हमदम,ये खिंजा भी मुझे लगती है
*गुलसिता की तरह/६
*पुष्पाच्छादित चमन

तेरी मसर्रते*आराइयां कहाँ"अख्तर"हो*मयस्सरे विसाल*नौख़ेज़ दास्ता की तरह//७
*संवारने वाला
*मिलन*उपलब्ध
*नया उत्पन्न/नया नया
#shamawritesBebaak

©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

#Nojoto तेरा*विसाल है मुझको *मसर्रतो की तरह,बिछड़के मर ही न जाऊँ,मैं*जांसिता की तरह//१ *मिलन*हर्ष*जानलेवा मिटा न डाले कहीं *जुल्मत्तों के स

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*** ग़ज़ल *** *** नुमाइश *** " क्यों ना तेरा तलबगार हो जाऊं कहीं मैं , मैं मुख्तलिफ मुहब्बत हूं इस दस्तूर से , क्यों ना तेरा बार बार मुसलसल हो जाऊं मैं , खुद को तेरी आदतों में कितना मशग़ूल किया जाये , तुझमें में मसरुफ़ कहीं जाऊं मैं , बात जो भी फिर कहा तक जार बेजार , तेरे ज़िक्र की नुमाइश की पेशकश की जाये , लो ज़रा सी इबादत कर लूं भी मैं , इश्क़ की बात हैं मुहब्बत कर लूं मैं , तेरे ख्यालों की नुमाइश क्या ना करता मैं , ज़र्फ़ तेरी जुस्तजू तेरी आरज़ू तेरी , फिर इस हिज़्र में फिर किस की ख़्वाहिश करता मैं , उल्फते-ए-हयात एहसासों को अब जिना आ रहा मुझे , जो तेरे ख्यालों के तसव्वुर से रफ़ाक़त जो कर रहा हूं मै . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram

#ख्यालों #तसव्वुर #रफ़ाक़त #नुमाइश #हिज़्र #तलबगार  *** ग़ज़ल *** 
*** नुमाइश *** 

" क्यों ना तेरा तलबगार हो जाऊं कहीं मैं ,
मैं मुख्तलिफ मुहब्बत हूं इस दस्तूर से ,
 क्यों ना  तेरा बार बार मुसलसल हो जाऊं मैं ,
खुद को तेरी आदतों में कितना मशग़ूल किया जाये ,
तुझमें में मसरुफ़ कहीं जाऊं मैं ,
बात जो भी फिर कहा तक जार बेजार , 
तेरे ज़िक्र की नुमाइश की पेशकश की जाये ,
लो ज़रा सी इबादत कर लूं भी मैं ,
इश्क़ की बात हैं मुहब्बत कर लूं मैं ,
तेरे ख्यालों की नुमाइश क्या ना करता मैं ,
ज़र्फ़ तेरी जुस्तजू तेरी आरज़ू तेरी ,
फिर इस हिज़्र में फिर किस की ख़्वाहिश करता मैं ,
उल्फते-ए-हयात  एहसासों को अब जिना आ रहा मुझे ,
जो तेरे ख्यालों के तसव्वुर से रफ़ाक़त जो कर रहा हूं मै . "

                           --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram

*** ग़ज़ल *** *** नुमाइश *** " क्यों ना तेरा तलबगार हो जाऊं कहीं मैं , मैं मुख्तलिफ मुहब्बत हूं इस दस्तूर से , क्यों ना तेरा बार बार मु

11 Love

#कविता #retro  ज़िंदगी
हसरतों  को  वक्त  की  आँधी  निगल  गई ।
इक खुशी की आश में; जिन्दगी निकल गई।

लाखों  जुगत    किए   उम्र-ए-दराज  की ।
दम साध के रक्खा और सांसें निकल गई ।

सौंपे थे जिसको हमने जिन्दगी के फैसले ।
उसके ही हाथ कत्ल जिन्दगी निकल गई ।

आब-ए-हयात पी के भी न बच सका यहाँ ।
माटी का बना था  सो  माटी  में मिल  गई ।

नाज है किस बात का किसका गुरूर है ।
अच्छे-अच्छों  की यहाँ हवा  निकल गई ।

थामे थे जिसको भींच के दिल के करीब से ।
हाथों  से  वो  प्यार  की  डोरी  फिसल  गई ।

"बादल" गलत उठे थे कदम  राह-ए-शौक में,
फिर सँभालते-संभालते जिन्दगी निकल गई।।

©Yashpal singh gusain badal'

#retro ज़िंदगी हसरतों  को  वक्त  की  आँधी  निगल  गई । इक खुशी की आश में; जिन्दगी निकल गई। लाखों  जुगत    किए   उम्र-ए-दराज  की । दम साध के र

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#विचार  जिंदगी  इक ज़रा सी दरकार है,

जितनी आसान है उतनी दुस्वार है!!
🥺🥺

©Deep Thapliyal

दिखा तो देती है बेहतर हयात के सपने ख़राब हो के भी ये ज़िंदगी ख़राब नहीं...!!

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#hibiscussabdariffa #शायरी  
ज़िंदगी  ने  अब  मुस्कुराना  छोड़  दिया  है
 हंसी  के  मुखौटो  को  ग़म  ने  तोड़  दिया  है
फुर्सत  से  बैठी  है  उदासी  ज़िंदगी  में
ग़म-ए-हयात ने भी अब  रिश्ता जोड़ दिया है

©Bhupendra Rawat

#hibiscussabdariffa ज़िंदगी ने अब मुस्कुराना छोड़ दिया है हंसी के मुखौटो को ग़म ने तोड़ दिया है फुर्सत से बैठी है उदासी

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#nojoto बूस्ट के बिना भी वायरल करिए मेरी मेहनतों को तेरा*विसाल है मुझको *मसर्रतो की तरह,बिछड़के मर ही न जाऊँ,मैं*जांसितां की तरह//१ *मिलन*हर

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#shamawritesBebaak  तेरा*विसाल है मुझको *मसर्रतो की तरह,बिछड़के मर ही न जाऊँ,मैं*जांसिता की तरह//१*मिलन*हर्ष
*जानलेवा

मिटा न डाले कहीं *जुल्मत्तों के सन्नाटे,
मेरी हयात में आजा  महरबा की तरह/२
*घोर अन्धकार *शाश्वत

मेरे फ़सानो के किस्से बहुत रसीले है,के लोग पूछते रहते है,लापता की तरह//३

ये*वहश्तो के तकाजे यहीं पे रहने दो,क्यूं पूछते हो मिरा हाल राजदां की तरह//४

कई दफा तेरे*हुजरे से होके गुजरें है,तेरे दीदार में
*खांबिदा की तरह//५
*इबादतगाह *निद्रालु दशा

तुम्हारे साथ तो सेहरा में भी मेरे हमदम,ये खिंजा भी मुझे लगती है
*गुलसिता की तरह/६
*पुष्पाच्छादित चमन

तेरी मसर्रते*आराइयां कहाँ"अख्तर"हो*मयस्सरे विसाल*नौख़ेज़ दास्ता की तरह//७
*संवारने वाला
*मिलन*उपलब्ध
*नया उत्पन्न/नया नया
#shamawritesBebaak

©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

#Nojoto तेरा*विसाल है मुझको *मसर्रतो की तरह,बिछड़के मर ही न जाऊँ,मैं*जांसिता की तरह//१ *मिलन*हर्ष*जानलेवा मिटा न डाले कहीं *जुल्मत्तों के स

360 View

*** ग़ज़ल *** *** नुमाइश *** " क्यों ना तेरा तलबगार हो जाऊं कहीं मैं , मैं मुख्तलिफ मुहब्बत हूं इस दस्तूर से , क्यों ना तेरा बार बार मुसलसल हो जाऊं मैं , खुद को तेरी आदतों में कितना मशग़ूल किया जाये , तुझमें में मसरुफ़ कहीं जाऊं मैं , बात जो भी फिर कहा तक जार बेजार , तेरे ज़िक्र की नुमाइश की पेशकश की जाये , लो ज़रा सी इबादत कर लूं भी मैं , इश्क़ की बात हैं मुहब्बत कर लूं मैं , तेरे ख्यालों की नुमाइश क्या ना करता मैं , ज़र्फ़ तेरी जुस्तजू तेरी आरज़ू तेरी , फिर इस हिज़्र में फिर किस की ख़्वाहिश करता मैं , उल्फते-ए-हयात एहसासों को अब जिना आ रहा मुझे , जो तेरे ख्यालों के तसव्वुर से रफ़ाक़त जो कर रहा हूं मै . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram

#ख्यालों #तसव्वुर #रफ़ाक़त #नुमाइश #हिज़्र #तलबगार  *** ग़ज़ल *** 
*** नुमाइश *** 

" क्यों ना तेरा तलबगार हो जाऊं कहीं मैं ,
मैं मुख्तलिफ मुहब्बत हूं इस दस्तूर से ,
 क्यों ना  तेरा बार बार मुसलसल हो जाऊं मैं ,
खुद को तेरी आदतों में कितना मशग़ूल किया जाये ,
तुझमें में मसरुफ़ कहीं जाऊं मैं ,
बात जो भी फिर कहा तक जार बेजार , 
तेरे ज़िक्र की नुमाइश की पेशकश की जाये ,
लो ज़रा सी इबादत कर लूं भी मैं ,
इश्क़ की बात हैं मुहब्बत कर लूं मैं ,
तेरे ख्यालों की नुमाइश क्या ना करता मैं ,
ज़र्फ़ तेरी जुस्तजू तेरी आरज़ू तेरी ,
फिर इस हिज़्र में फिर किस की ख़्वाहिश करता मैं ,
उल्फते-ए-हयात  एहसासों को अब जिना आ रहा मुझे ,
जो तेरे ख्यालों के तसव्वुर से रफ़ाक़त जो कर रहा हूं मै . "

                           --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram

*** ग़ज़ल *** *** नुमाइश *** " क्यों ना तेरा तलबगार हो जाऊं कहीं मैं , मैं मुख्तलिफ मुहब्बत हूं इस दस्तूर से , क्यों ना तेरा बार बार मु

11 Love

#कविता #retro  ज़िंदगी
हसरतों  को  वक्त  की  आँधी  निगल  गई ।
इक खुशी की आश में; जिन्दगी निकल गई।

लाखों  जुगत    किए   उम्र-ए-दराज  की ।
दम साध के रक्खा और सांसें निकल गई ।

सौंपे थे जिसको हमने जिन्दगी के फैसले ।
उसके ही हाथ कत्ल जिन्दगी निकल गई ।

आब-ए-हयात पी के भी न बच सका यहाँ ।
माटी का बना था  सो  माटी  में मिल  गई ।

नाज है किस बात का किसका गुरूर है ।
अच्छे-अच्छों  की यहाँ हवा  निकल गई ।

थामे थे जिसको भींच के दिल के करीब से ।
हाथों  से  वो  प्यार  की  डोरी  फिसल  गई ।

"बादल" गलत उठे थे कदम  राह-ए-शौक में,
फिर सँभालते-संभालते जिन्दगी निकल गई।।

©Yashpal singh gusain badal'

#retro ज़िंदगी हसरतों  को  वक्त  की  आँधी  निगल  गई । इक खुशी की आश में; जिन्दगी निकल गई। लाखों  जुगत    किए   उम्र-ए-दराज  की । दम साध के र

162 View

#विचार  जिंदगी  इक ज़रा सी दरकार है,

जितनी आसान है उतनी दुस्वार है!!
🥺🥺

©Deep Thapliyal

दिखा तो देती है बेहतर हयात के सपने ख़राब हो के भी ये ज़िंदगी ख़राब नहीं...!!

1,584 View

#hibiscussabdariffa #शायरी  
ज़िंदगी  ने  अब  मुस्कुराना  छोड़  दिया  है
 हंसी  के  मुखौटो  को  ग़म  ने  तोड़  दिया  है
फुर्सत  से  बैठी  है  उदासी  ज़िंदगी  में
ग़म-ए-हयात ने भी अब  रिश्ता जोड़ दिया है

©Bhupendra Rawat

#hibiscussabdariffa ज़िंदगी ने अब मुस्कुराना छोड़ दिया है हंसी के मुखौटो को ग़म ने तोड़ दिया है फुर्सत से बैठी है उदासी

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