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#विचार #mothers_day  White गीता १३: २४) कितने ही आदमी ध्यान के द्वारा उस परमात्मा को अपनी आत्मा के अंदर बुद्धि से देखते है, अनुभव करते है। महर्षि पतंजलि कहते हैं- ध्यानहेयास्तद् वृत्तयः॥
 (पातञ्जलयोगदर्शन २: ११) 
{Bolo Ji Radhey Radhey}
तो सूक्ष्ममय जो वृत्तियाँ हैं पहले सेती वो ध्यान करके हैं, ध्यान करके त्याग, माने ध्यान के प्रभाव से सूक्ष्म वृत्तियां भी खत्म हो जाती हैं एक प्रकार से, तो ध्यान की सभी कोई महिमा गाते हैं। सभी शास्त्र अर गीता का तो विशेष लक्ष्य है, गीता का जोर तो भगवान् के नाम के जप के ऊपर इतना नहीं है, कि जितना भगवान् के स्वरूप के चिंतन के ऊपर है, स्मरणके ऊपर है, स्मरण की जो आगे की अवस्था हैं वो ही चिंतन है और चिंतन की और अवस्था जब बढ़ जाती है, तो चिंतन ही ध्यान बन जाता है। भगवान् के स्वरूप की जो यादगिरी है उसका नाम स्मरण है, अर उसका जो एक प्रकारसे मनसेती स्वरूप पकड़े रहता है, उसकी आकृति भूलते नहीं हैं, वह होता है चिंतन, अर वह ऐसा हो जाता है कि अपने आपका बाहरका उसका ज्ञान ही नहीं रवे एकतानता ध्यानं, एक तार समझो कि उस तरह का ध्यान निरंतर बण्या रवे, वह है सो ध्यान का स्वरूप है, तो परमात्मा का जो ध्यान है वह तो बहुत ही उत्तम है। तो परमात्माकी प्राप्ति तो ध्यानसे शास्त्रों में बतलायी है। किंतु अपने को परमात्मा का ध्यान इसलिये करना है, कि ध्यान से बढ़कर और कुछ भी नहीं है। जितने जो साधन हैं वह साधन के लिये हैं, और ध्यान है जो परमात्मा के लिये है किंतु हम एक प्रकार से ध्यान तो करें, और परमात्मा को नहीं बुलावें तो परमात्मा समझो कि अपने आप ही वहाँ आते हैं। सुतीक्ष्ण जो है भगवान् से मिलने के लिये जा रहा है, तो उसका ध्यान अपने आप ही हो गया, ऐसा ध्यान लग गया कि फिर भगवान् आकर उसका ध्यान तोड़ना चावे तो भी नहीं टूटता है तो भगवान् कितने खुश हो गये उसके ध्यान को देखकर, उसके ध्यान को देख करके भगवान् है सो मुग्ध हो गये। बोल्या यदि ध्यान न हो तो, ध्यान न हो तो भगवान् के केवल नाम का जप ही करना चाहिये, भगवान् के नामके जप से, भगवान् के भजन सेती ही समझो कि परमात्मा की प्राप्ति हो जाती है। क्योंकि भगवान् के नाम का जप करने से भगवान् में प्रेम होता है, अर भगवान् के मायँ प्रेम होने से समझो कि भगवान् की प्राप्ति हो जाती है। इसलिये नाम के जप से भी परमात्मा की प्राप्ति हो जाती है, नाम के जप से सारे पापों का नाश हो जाता है, नाम के जप से परमात्माके स्वरूप का ज्ञान हो जाता है, नाम के जपसे भगवान् उसके वश में हो जाते हैं, नाम के जपसे उसकी आत्मा का उद्धार हो जाता है। तो सारी बात नाम के जप से हो जाती है, तो इसलिये समझो कि यदि ध्यान न लगे, तो भगवान् के नाम का निरंतर जप ही करना चाहिये।
  सुमिरिअ नाम रूप बिनु देखे। सुमरिअ नाम रूप बिनु देखे। होत हृदयँ सनेह विसेषें। होत हृदयँ सनेह विसेषें । भगवान् के नाम का सुमरन करना चाहिये, ध्यान के बिना भी तो भगवान् के वहां विशेष प्रेम हो जाता है, प्रेम होने से भगवान् मिल जाते हैं। हरि ब्यापक सर्वत्र समाना। हरि ब्यापक सर्वत्र समाना। प्रेमते प्रगट होहिं मैं जाना॥ प्रेमते प्रगट होहिं मैं जाना॥ हरि सब जगहमें सम भावसे विराजमान हैं और वे प्रेम से प्रकट होते हैं, शिवजी कहते हैं इस बात को मैं जानता हूँ।

©N S Yadav GoldMine

#mothers_day गीता १३: २४) कितने ही आदमी ध्यान के द्वारा उस परमात्मा को अपनी आत्मा के अंदर बुद्धि से देखते है, अनुभव करते है। महर्षि पतंजलि क

90 View

ग़ज़ल :- सत्य सनातन जगा दिया है मोदी ने । झण्डा ऊँचा उठा दिया है मोदी ने ।।१ कहता-फिरता विपक्ष दुनिया में सबसे । हाथ कटोरा थमा दिया है मोदी ने ।।२ भाई बहनों के प्यारे उद्धबोधन से । सबको कायल बना दिया है मोदी ने ।।३ गिरगिट जैसा रूप बदलते हैं नेता । आकर वो भी दिखा दिया है मोदी ने ।।४ किस-किस का मैं नाम यहाँ पे लूँ बोलो । झूठों को अब दबा दिया है मोदी ने ।।५ दिल में रखतें हैं मोदी जिस भारत को । उसको दुल्हन बना दिया है मोदी ने ।।६ हम तो जन है आम यहाँ थी क्या गिनती । हम भी कुछ हैं बता दिया है मोदी ने ।।७ उठो बढ़ो जाकर अब सब मतदान करो । राह अँधेरा हटा दिया है मोदी ने ।।८ बटे हुए थे भाई हिन्दू मुस्लिम में । सबको फिर से मिला दिया है मोदी ने ।।९ जूझ रही थी बहनें सभी रिवाजों में । मुक्त उन्हें भी करा दिया है मोदी ने ।।१० भूल न जाओ भाई बहनों योगी को । कल का सूरज दिखा दिया है मोदी ने ।।११ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#शायरी  ग़ज़ल :-
सत्य सनातन जगा दिया है मोदी ने ।
झण्डा ऊँचा उठा दिया है मोदी ने ।।१
कहता-फिरता विपक्ष दुनिया में सबसे ।
हाथ कटोरा थमा दिया है मोदी ने ।।२
भाई बहनों के प्यारे उद्धबोधन से ।
सबको कायल बना दिया है मोदी ने ।।३
गिरगिट जैसा रूप बदलते हैं नेता ।
आकर वो भी दिखा दिया है मोदी ने ।।४
किस-किस का मैं नाम यहाँ पे लूँ बोलो ।
झूठों को अब दबा दिया है मोदी ने ।।५
दिल में रखतें हैं मोदी जिस भारत को ।
उसको दुल्हन बना दिया है मोदी ने ।।६
हम तो जन है आम यहाँ थी क्या गिनती ।
हम भी कुछ हैं बता दिया है मोदी ने ।।७
उठो बढ़ो जाकर अब सब मतदान करो ।
राह अँधेरा हटा दिया है मोदी ने ।।८
बटे हुए थे भाई हिन्दू मुस्लिम में ।
सबको फिर से मिला दिया है मोदी ने ।।९
जूझ रही थी बहनें सभी रिवाजों में ।
मुक्त उन्हें भी करा दिया है मोदी ने ।।१०
भूल न जाओ भाई बहनों योगी को ।
कल का सूरज दिखा दिया है मोदी ने ।।११

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

सत्य सनातन जगा दिया है मोदी ने । झण्डा ऊँचा उठा दिया है मोदी ने ।।१ कहता-फिरता विपक्ष दुनिया में सबसे । हाथ कटोरा थमा दिया है मोदी ने ।।

14 Love

दोहा :- अनपढ़ ही वे ठीक थे , पढ़े लिखे बेकार । पड़कर माया जाल में , भूल गये व्यवहार  ।।१ मातु-पिता में भय यही , हुआ आज उत्पन्न । खाना सुत का अन्न तो , होना बिल्कुल सन्न ।।२ वृद्ध देख माँ बाप को , कर लो बचपन याद । ऐसे ही कल तुम चले , ऐसे होगे बाद ।।३ तीखे-तीखे बैन से , करो नहीं संवाद । छोड़े होते हाथ तो , होते तुम बरबाद ।।४ बच्चों पर अहसान क्या, आज किए माँ बाप । अपने-अपने कर्म का , करते पश्चाताप ।।५ मातु-पिता के मान में , कैसे ये संवाद । हुई कहीं तो चूक है , जो ऐसी औलाद ।।६ मातु-पिता के प्रेम का , न करना दुरुपयोग । उनके आज प्रताप से , सफल तुम्हारे जोग ।।७ हृदयघात कैसे हुआ , पूछे जाकर कौन । सुत के तीखे बैन से, मातु-पिता है मौन ।।८ खाना सुत का अन्न है , रहना होगा मौन । सब माया से हैं बँधें , पूछे हमको कौन ।।९ टोका-टाकी कम करो , आओ अब तुम होश । वृद्ध और लाचार हम , अधर रखो खामोश ।।१० अधर तुम्हारे देखकर , कब से थे हम मौन । भय से कुछ बोले नही , पूछ न लो तुम कौन ।।११ थर-थर थर-थर काँपते , अधर हमारे आज । कहना चाहूँ आपसे , दिल का अपने राज ।।१२ मातु-पिता के मान का , रखना सदा ख्याल । तुम ही उनकी आस हो , तुम ही उनके लाल ।।१३ २५/०४/२०२४     -   महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  दोहा :-
अनपढ़ ही वे ठीक थे , पढ़े लिखे बेकार ।
पड़कर माया जाल में , भूल गये व्यवहार  ।।१
मातु-पिता में भय यही , हुआ आज उत्पन्न ।
खाना सुत का अन्न तो , होना बिल्कुल सन्न ।।२
वृद्ध देख माँ बाप को , कर लो बचपन याद ।
ऐसे ही कल तुम चले , ऐसे होगे बाद ।।३
तीखे-तीखे बैन से , करो नहीं संवाद ।
छोड़े होते हाथ तो , होते तुम बरबाद ।।४
बच्चों पर अहसान क्या, आज किए माँ बाप ।
अपने-अपने कर्म का , करते पश्चाताप ।।५
मातु-पिता के मान में , कैसे ये संवाद ।
हुई कहीं तो चूक है , जो ऐसी औलाद ।।६
मातु-पिता के प्रेम का , न करना दुरुपयोग ।
उनके आज प्रताप से , सफल तुम्हारे जोग ।।७
हृदयघात कैसे हुआ , पूछे जाकर कौन ।
सुत के तीखे बैन से, मातु-पिता है मौन ।।८
खाना सुत का अन्न है , रहना होगा मौन ।
सब माया से हैं बँधें , पूछे हमको कौन ।।९
टोका-टाकी कम करो , आओ अब तुम होश ।
वृद्ध और लाचार हम , अधर रखो खामोश ।।१०
अधर तुम्हारे देखकर , कब से थे हम मौन ।
भय से कुछ बोले नही , पूछ न लो तुम कौन ।।११
थर-थर थर-थर काँपते , अधर हमारे आज ।
कहना चाहूँ आपसे , दिल का अपने राज ।।१२
मातु-पिता के मान का , रखना सदा ख्याल ।
तुम ही उनकी आस हो , तुम ही उनके लाल ।।१३
२५/०४/२०२४     -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- अनपढ़ ही वे ठीक थे , पढ़े लिखे बेकार । पड़कर माया जाल में , भूल गये व्यवहार  ।।१ मातु-पिता में भय यही , हुआ आज उत्पन्न ।

13 Love

Beautiful Moon Night दोहा :- माता तेरे नाम का , रखता हूँ उपवास । सुत मेरा भी हो सही , बस इतनी है आस ।।१ बदलो मेरे भाग्य की , माता जी अब रेख । हँसते हैं सब लोग अब , कष्ट हमारे देख ।।२ जीवन से मैं हार कर , होता नही निराश । करता रहता कर्म हूँ , होगा क्यों न प्रकाश ।।३ इस दुनिया में मातु पर , रखना नित विश्वास । वे ही अपने लाल के , रहती हैं निज पास ।।४ कहकर उसको क्यों बुरा , बुरे बने हम आज । ये तो विधि का लेख है , करता वह जो काज ।।५ कभी किसी के कष्ट को , देख हँसे मत आप । वह भी माँ का लाल है , हँसकर मत लो श्राप ।।६ मदद नही जब कर सको , रहना उनसे दूर । कल उनके जैसे कहीं , आप न हों मजबूर ।।७ करने उसकी ही मदद , भेजे हैं रघुवीर । ज्यादा मत कुछ कर सको ,बँधा उसे फिर धीर ।।८ जग में सबकी मातु है, जीव-जन्तु इंसान । कर ले उनकी वंदना , मिल जाये भगवान ।।९ माँ की सेवा से कभी , मुख मत लेना मोड़ । उनकी सेवा से जुड़े , हैं जीवन के जोड़ ।।१० ११/०४/२०२४       -    महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#शायरी  Beautiful Moon Night दोहा :-

माता तेरे नाम का , रखता हूँ उपवास ।
सुत मेरा भी हो सही , बस इतनी है आस ।।१
बदलो मेरे भाग्य की , माता जी अब रेख ।
हँसते हैं सब लोग अब , कष्ट हमारे देख ।।२
जीवन से मैं हार कर , होता नही निराश ।
करता रहता कर्म हूँ , होगा क्यों न प्रकाश ।।३
इस दुनिया में मातु पर , रखना नित विश्वास ।
वे ही अपने लाल के , रहती हैं निज पास ।।४
कहकर उसको क्यों बुरा , बुरे बने हम आज ।
ये तो विधि का लेख है , करता वह जो काज ।।५
कभी किसी के कष्ट को , देख हँसे मत आप ।
वह भी माँ का लाल है , हँसकर मत लो श्राप ।।६
मदद नही जब कर सको , रहना उनसे दूर ।
कल उनके जैसे कहीं , आप न हों मजबूर ।।७
करने उसकी ही मदद , भेजे हैं रघुवीर ।
ज्यादा मत कुछ कर सको ,बँधा उसे फिर धीर ।।८
जग में सबकी मातु है, जीव-जन्तु इंसान ।
कर ले उनकी वंदना , मिल जाये भगवान ।।९
माँ की सेवा से कभी , मुख मत लेना मोड़ ।
उनकी सेवा से जुड़े , हैं जीवन के जोड़ ।।१०

११/०४/२०२४       -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- माता तेरे नाम का , रखता हूँ उपवास । सुत मेरा भी हो सही , बस इतनी है आस ।।१ बदलो मेरे भाग्य की , माता जी अब रेख । हँसते हैं सब लोग अ

9 Love

Black Gazal:- माँगता हूँ मैं दुआएँ ईद में । दूर हो जाएँ बलाएँ ईद में ।। प्यार के जिसको तरसता मैं रहा । क्या हमें वो हैं बुलाएँ ईद में ।। रात दिन अब देखता हूँ रास्ता । प्यार भी अपना जताएँ ईद में ।। मिल गया दिल को सकूँ मेरे यहाँ । देख जब वो मुस्कराएँ ईद में ।। सिर झुकाकर देख लूँ इस बार मैं । माफ़ शायद हों खताएँ ईद में ।। अब नही लब पर गिला मेरे सुनो । लौट आई हैं फ़िजाएँ ईद में ।। एक उनके दीद की खातिर प्रखर । मैं खड़ा हूँ सिर झुकाएँ ईद में ।। ११/०४/२०२४     -   महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#शायरी #eidmubarak  Black Gazal:-
माँगता हूँ मैं दुआएँ ईद में ।
दूर हो जाएँ बलाएँ ईद में ।।
प्यार के जिसको तरसता मैं रहा ।
क्या हमें वो हैं बुलाएँ ईद में ।।
रात दिन अब देखता हूँ रास्ता ।
प्यार भी अपना जताएँ ईद में ।।
मिल गया दिल को सकूँ मेरे यहाँ ।
देख जब वो मुस्कराएँ ईद में ।।
सिर झुकाकर देख लूँ इस बार मैं ।
माफ़ शायद हों खताएँ ईद में ।।
अब नही लब पर गिला मेरे सुनो ।
लौट आई हैं फ़िजाएँ ईद में ।।
एक उनके दीद की खातिर प्रखर ।
मैं खड़ा हूँ सिर झुकाएँ ईद में ।।
११/०४/२०२४     -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#eidmubarak Gazal:- माँगता हूँ मैं दुआएँ ईद में । दूर हो जाएँ बलाएँ ईद में ।। प्यार के जिसको तरसता मैं रहा । क्या हमें वो हैं बुलाएँ ईद मे

16 Love

#हनुमान_चालीसा #हनुमान #भक्ति #hanumanjayanti #hanumanchalisa #hanumantemple

Shri Hanuman Chalisa (श्री हनुमान चालीसा) chaupai (11 & 12) explained with Hindi meaning (हिंदी अनुवाद/ अर्थ) ॥ Let's Learn with The Mystic

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#विचार #mothers_day  White गीता १३: २४) कितने ही आदमी ध्यान के द्वारा उस परमात्मा को अपनी आत्मा के अंदर बुद्धि से देखते है, अनुभव करते है। महर्षि पतंजलि कहते हैं- ध्यानहेयास्तद् वृत्तयः॥
 (पातञ्जलयोगदर्शन २: ११) 
{Bolo Ji Radhey Radhey}
तो सूक्ष्ममय जो वृत्तियाँ हैं पहले सेती वो ध्यान करके हैं, ध्यान करके त्याग, माने ध्यान के प्रभाव से सूक्ष्म वृत्तियां भी खत्म हो जाती हैं एक प्रकार से, तो ध्यान की सभी कोई महिमा गाते हैं। सभी शास्त्र अर गीता का तो विशेष लक्ष्य है, गीता का जोर तो भगवान् के नाम के जप के ऊपर इतना नहीं है, कि जितना भगवान् के स्वरूप के चिंतन के ऊपर है, स्मरणके ऊपर है, स्मरण की जो आगे की अवस्था हैं वो ही चिंतन है और चिंतन की और अवस्था जब बढ़ जाती है, तो चिंतन ही ध्यान बन जाता है। भगवान् के स्वरूप की जो यादगिरी है उसका नाम स्मरण है, अर उसका जो एक प्रकारसे मनसेती स्वरूप पकड़े रहता है, उसकी आकृति भूलते नहीं हैं, वह होता है चिंतन, अर वह ऐसा हो जाता है कि अपने आपका बाहरका उसका ज्ञान ही नहीं रवे एकतानता ध्यानं, एक तार समझो कि उस तरह का ध्यान निरंतर बण्या रवे, वह है सो ध्यान का स्वरूप है, तो परमात्मा का जो ध्यान है वह तो बहुत ही उत्तम है। तो परमात्माकी प्राप्ति तो ध्यानसे शास्त्रों में बतलायी है। किंतु अपने को परमात्मा का ध्यान इसलिये करना है, कि ध्यान से बढ़कर और कुछ भी नहीं है। जितने जो साधन हैं वह साधन के लिये हैं, और ध्यान है जो परमात्मा के लिये है किंतु हम एक प्रकार से ध्यान तो करें, और परमात्मा को नहीं बुलावें तो परमात्मा समझो कि अपने आप ही वहाँ आते हैं। सुतीक्ष्ण जो है भगवान् से मिलने के लिये जा रहा है, तो उसका ध्यान अपने आप ही हो गया, ऐसा ध्यान लग गया कि फिर भगवान् आकर उसका ध्यान तोड़ना चावे तो भी नहीं टूटता है तो भगवान् कितने खुश हो गये उसके ध्यान को देखकर, उसके ध्यान को देख करके भगवान् है सो मुग्ध हो गये। बोल्या यदि ध्यान न हो तो, ध्यान न हो तो भगवान् के केवल नाम का जप ही करना चाहिये, भगवान् के नामके जप से, भगवान् के भजन सेती ही समझो कि परमात्मा की प्राप्ति हो जाती है। क्योंकि भगवान् के नाम का जप करने से भगवान् में प्रेम होता है, अर भगवान् के मायँ प्रेम होने से समझो कि भगवान् की प्राप्ति हो जाती है। इसलिये नाम के जप से भी परमात्मा की प्राप्ति हो जाती है, नाम के जप से सारे पापों का नाश हो जाता है, नाम के जप से परमात्माके स्वरूप का ज्ञान हो जाता है, नाम के जपसे भगवान् उसके वश में हो जाते हैं, नाम के जपसे उसकी आत्मा का उद्धार हो जाता है। तो सारी बात नाम के जप से हो जाती है, तो इसलिये समझो कि यदि ध्यान न लगे, तो भगवान् के नाम का निरंतर जप ही करना चाहिये।
  सुमिरिअ नाम रूप बिनु देखे। सुमरिअ नाम रूप बिनु देखे। होत हृदयँ सनेह विसेषें। होत हृदयँ सनेह विसेषें । भगवान् के नाम का सुमरन करना चाहिये, ध्यान के बिना भी तो भगवान् के वहां विशेष प्रेम हो जाता है, प्रेम होने से भगवान् मिल जाते हैं। हरि ब्यापक सर्वत्र समाना। हरि ब्यापक सर्वत्र समाना। प्रेमते प्रगट होहिं मैं जाना॥ प्रेमते प्रगट होहिं मैं जाना॥ हरि सब जगहमें सम भावसे विराजमान हैं और वे प्रेम से प्रकट होते हैं, शिवजी कहते हैं इस बात को मैं जानता हूँ।

©N S Yadav GoldMine

#mothers_day गीता १३: २४) कितने ही आदमी ध्यान के द्वारा उस परमात्मा को अपनी आत्मा के अंदर बुद्धि से देखते है, अनुभव करते है। महर्षि पतंजलि क

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ग़ज़ल :- सत्य सनातन जगा दिया है मोदी ने । झण्डा ऊँचा उठा दिया है मोदी ने ।।१ कहता-फिरता विपक्ष दुनिया में सबसे । हाथ कटोरा थमा दिया है मोदी ने ।।२ भाई बहनों के प्यारे उद्धबोधन से । सबको कायल बना दिया है मोदी ने ।।३ गिरगिट जैसा रूप बदलते हैं नेता । आकर वो भी दिखा दिया है मोदी ने ।।४ किस-किस का मैं नाम यहाँ पे लूँ बोलो । झूठों को अब दबा दिया है मोदी ने ।।५ दिल में रखतें हैं मोदी जिस भारत को । उसको दुल्हन बना दिया है मोदी ने ।।६ हम तो जन है आम यहाँ थी क्या गिनती । हम भी कुछ हैं बता दिया है मोदी ने ।।७ उठो बढ़ो जाकर अब सब मतदान करो । राह अँधेरा हटा दिया है मोदी ने ।।८ बटे हुए थे भाई हिन्दू मुस्लिम में । सबको फिर से मिला दिया है मोदी ने ।।९ जूझ रही थी बहनें सभी रिवाजों में । मुक्त उन्हें भी करा दिया है मोदी ने ।।१० भूल न जाओ भाई बहनों योगी को । कल का सूरज दिखा दिया है मोदी ने ।।११ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#शायरी  ग़ज़ल :-
सत्य सनातन जगा दिया है मोदी ने ।
झण्डा ऊँचा उठा दिया है मोदी ने ।।१
कहता-फिरता विपक्ष दुनिया में सबसे ।
हाथ कटोरा थमा दिया है मोदी ने ।।२
भाई बहनों के प्यारे उद्धबोधन से ।
सबको कायल बना दिया है मोदी ने ।।३
गिरगिट जैसा रूप बदलते हैं नेता ।
आकर वो भी दिखा दिया है मोदी ने ।।४
किस-किस का मैं नाम यहाँ पे लूँ बोलो ।
झूठों को अब दबा दिया है मोदी ने ।।५
दिल में रखतें हैं मोदी जिस भारत को ।
उसको दुल्हन बना दिया है मोदी ने ।।६
हम तो जन है आम यहाँ थी क्या गिनती ।
हम भी कुछ हैं बता दिया है मोदी ने ।।७
उठो बढ़ो जाकर अब सब मतदान करो ।
राह अँधेरा हटा दिया है मोदी ने ।।८
बटे हुए थे भाई हिन्दू मुस्लिम में ।
सबको फिर से मिला दिया है मोदी ने ।।९
जूझ रही थी बहनें सभी रिवाजों में ।
मुक्त उन्हें भी करा दिया है मोदी ने ।।१०
भूल न जाओ भाई बहनों योगी को ।
कल का सूरज दिखा दिया है मोदी ने ।।११

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

सत्य सनातन जगा दिया है मोदी ने । झण्डा ऊँचा उठा दिया है मोदी ने ।।१ कहता-फिरता विपक्ष दुनिया में सबसे । हाथ कटोरा थमा दिया है मोदी ने ।।

14 Love

दोहा :- अनपढ़ ही वे ठीक थे , पढ़े लिखे बेकार । पड़कर माया जाल में , भूल गये व्यवहार  ।।१ मातु-पिता में भय यही , हुआ आज उत्पन्न । खाना सुत का अन्न तो , होना बिल्कुल सन्न ।।२ वृद्ध देख माँ बाप को , कर लो बचपन याद । ऐसे ही कल तुम चले , ऐसे होगे बाद ।।३ तीखे-तीखे बैन से , करो नहीं संवाद । छोड़े होते हाथ तो , होते तुम बरबाद ।।४ बच्चों पर अहसान क्या, आज किए माँ बाप । अपने-अपने कर्म का , करते पश्चाताप ।।५ मातु-पिता के मान में , कैसे ये संवाद । हुई कहीं तो चूक है , जो ऐसी औलाद ।।६ मातु-पिता के प्रेम का , न करना दुरुपयोग । उनके आज प्रताप से , सफल तुम्हारे जोग ।।७ हृदयघात कैसे हुआ , पूछे जाकर कौन । सुत के तीखे बैन से, मातु-पिता है मौन ।।८ खाना सुत का अन्न है , रहना होगा मौन । सब माया से हैं बँधें , पूछे हमको कौन ।।९ टोका-टाकी कम करो , आओ अब तुम होश । वृद्ध और लाचार हम , अधर रखो खामोश ।।१० अधर तुम्हारे देखकर , कब से थे हम मौन । भय से कुछ बोले नही , पूछ न लो तुम कौन ।।११ थर-थर थर-थर काँपते , अधर हमारे आज । कहना चाहूँ आपसे , दिल का अपने राज ।।१२ मातु-पिता के मान का , रखना सदा ख्याल । तुम ही उनकी आस हो , तुम ही उनके लाल ।।१३ २५/०४/२०२४     -   महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  दोहा :-
अनपढ़ ही वे ठीक थे , पढ़े लिखे बेकार ।
पड़कर माया जाल में , भूल गये व्यवहार  ।।१
मातु-पिता में भय यही , हुआ आज उत्पन्न ।
खाना सुत का अन्न तो , होना बिल्कुल सन्न ।।२
वृद्ध देख माँ बाप को , कर लो बचपन याद ।
ऐसे ही कल तुम चले , ऐसे होगे बाद ।।३
तीखे-तीखे बैन से , करो नहीं संवाद ।
छोड़े होते हाथ तो , होते तुम बरबाद ।।४
बच्चों पर अहसान क्या, आज किए माँ बाप ।
अपने-अपने कर्म का , करते पश्चाताप ।।५
मातु-पिता के मान में , कैसे ये संवाद ।
हुई कहीं तो चूक है , जो ऐसी औलाद ।।६
मातु-पिता के प्रेम का , न करना दुरुपयोग ।
उनके आज प्रताप से , सफल तुम्हारे जोग ।।७
हृदयघात कैसे हुआ , पूछे जाकर कौन ।
सुत के तीखे बैन से, मातु-पिता है मौन ।।८
खाना सुत का अन्न है , रहना होगा मौन ।
सब माया से हैं बँधें , पूछे हमको कौन ।।९
टोका-टाकी कम करो , आओ अब तुम होश ।
वृद्ध और लाचार हम , अधर रखो खामोश ।।१०
अधर तुम्हारे देखकर , कब से थे हम मौन ।
भय से कुछ बोले नही , पूछ न लो तुम कौन ।।११
थर-थर थर-थर काँपते , अधर हमारे आज ।
कहना चाहूँ आपसे , दिल का अपने राज ।।१२
मातु-पिता के मान का , रखना सदा ख्याल ।
तुम ही उनकी आस हो , तुम ही उनके लाल ।।१३
२५/०४/२०२४     -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- अनपढ़ ही वे ठीक थे , पढ़े लिखे बेकार । पड़कर माया जाल में , भूल गये व्यवहार  ।।१ मातु-पिता में भय यही , हुआ आज उत्पन्न ।

13 Love

Beautiful Moon Night दोहा :- माता तेरे नाम का , रखता हूँ उपवास । सुत मेरा भी हो सही , बस इतनी है आस ।।१ बदलो मेरे भाग्य की , माता जी अब रेख । हँसते हैं सब लोग अब , कष्ट हमारे देख ।।२ जीवन से मैं हार कर , होता नही निराश । करता रहता कर्म हूँ , होगा क्यों न प्रकाश ।।३ इस दुनिया में मातु पर , रखना नित विश्वास । वे ही अपने लाल के , रहती हैं निज पास ।।४ कहकर उसको क्यों बुरा , बुरे बने हम आज । ये तो विधि का लेख है , करता वह जो काज ।।५ कभी किसी के कष्ट को , देख हँसे मत आप । वह भी माँ का लाल है , हँसकर मत लो श्राप ।।६ मदद नही जब कर सको , रहना उनसे दूर । कल उनके जैसे कहीं , आप न हों मजबूर ।।७ करने उसकी ही मदद , भेजे हैं रघुवीर । ज्यादा मत कुछ कर सको ,बँधा उसे फिर धीर ।।८ जग में सबकी मातु है, जीव-जन्तु इंसान । कर ले उनकी वंदना , मिल जाये भगवान ।।९ माँ की सेवा से कभी , मुख मत लेना मोड़ । उनकी सेवा से जुड़े , हैं जीवन के जोड़ ।।१० ११/०४/२०२४       -    महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#शायरी  Beautiful Moon Night दोहा :-

माता तेरे नाम का , रखता हूँ उपवास ।
सुत मेरा भी हो सही , बस इतनी है आस ।।१
बदलो मेरे भाग्य की , माता जी अब रेख ।
हँसते हैं सब लोग अब , कष्ट हमारे देख ।।२
जीवन से मैं हार कर , होता नही निराश ।
करता रहता कर्म हूँ , होगा क्यों न प्रकाश ।।३
इस दुनिया में मातु पर , रखना नित विश्वास ।
वे ही अपने लाल के , रहती हैं निज पास ।।४
कहकर उसको क्यों बुरा , बुरे बने हम आज ।
ये तो विधि का लेख है , करता वह जो काज ।।५
कभी किसी के कष्ट को , देख हँसे मत आप ।
वह भी माँ का लाल है , हँसकर मत लो श्राप ।।६
मदद नही जब कर सको , रहना उनसे दूर ।
कल उनके जैसे कहीं , आप न हों मजबूर ।।७
करने उसकी ही मदद , भेजे हैं रघुवीर ।
ज्यादा मत कुछ कर सको ,बँधा उसे फिर धीर ।।८
जग में सबकी मातु है, जीव-जन्तु इंसान ।
कर ले उनकी वंदना , मिल जाये भगवान ।।९
माँ की सेवा से कभी , मुख मत लेना मोड़ ।
उनकी सेवा से जुड़े , हैं जीवन के जोड़ ।।१०

११/०४/२०२४       -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- माता तेरे नाम का , रखता हूँ उपवास । सुत मेरा भी हो सही , बस इतनी है आस ।।१ बदलो मेरे भाग्य की , माता जी अब रेख । हँसते हैं सब लोग अ

9 Love

Black Gazal:- माँगता हूँ मैं दुआएँ ईद में । दूर हो जाएँ बलाएँ ईद में ।। प्यार के जिसको तरसता मैं रहा । क्या हमें वो हैं बुलाएँ ईद में ।। रात दिन अब देखता हूँ रास्ता । प्यार भी अपना जताएँ ईद में ।। मिल गया दिल को सकूँ मेरे यहाँ । देख जब वो मुस्कराएँ ईद में ।। सिर झुकाकर देख लूँ इस बार मैं । माफ़ शायद हों खताएँ ईद में ।। अब नही लब पर गिला मेरे सुनो । लौट आई हैं फ़िजाएँ ईद में ।। एक उनके दीद की खातिर प्रखर । मैं खड़ा हूँ सिर झुकाएँ ईद में ।। ११/०४/२०२४     -   महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#शायरी #eidmubarak  Black Gazal:-
माँगता हूँ मैं दुआएँ ईद में ।
दूर हो जाएँ बलाएँ ईद में ।।
प्यार के जिसको तरसता मैं रहा ।
क्या हमें वो हैं बुलाएँ ईद में ।।
रात दिन अब देखता हूँ रास्ता ।
प्यार भी अपना जताएँ ईद में ।।
मिल गया दिल को सकूँ मेरे यहाँ ।
देख जब वो मुस्कराएँ ईद में ।।
सिर झुकाकर देख लूँ इस बार मैं ।
माफ़ शायद हों खताएँ ईद में ।।
अब नही लब पर गिला मेरे सुनो ।
लौट आई हैं फ़िजाएँ ईद में ।।
एक उनके दीद की खातिर प्रखर ।
मैं खड़ा हूँ सिर झुकाएँ ईद में ।।
११/०४/२०२४     -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#eidmubarak Gazal:- माँगता हूँ मैं दुआएँ ईद में । दूर हो जाएँ बलाएँ ईद में ।। प्यार के जिसको तरसता मैं रहा । क्या हमें वो हैं बुलाएँ ईद मे

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#हनुमान_चालीसा #हनुमान #भक्ति #hanumanjayanti #hanumanchalisa #hanumantemple

Shri Hanuman Chalisa (श्री हनुमान चालीसा) chaupai (11 & 12) explained with Hindi meaning (हिंदी अनुवाद/ अर्थ) ॥ Let's Learn with The Mystic

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