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New मोर संग चलो रे Status, Photo, Video

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#जगतखिवैया #कविता  न कोई सद्गुन है, न कोई साधना 
करूँ भला कैसे, तेरी उपासना..!
न वास्ता तप से,न वास्ता जप से 
संभाल लेना हो, यही है प्रार्थना..!
न ज्ञान है मुझमें, न ध्यान है मुझमें 
कृपा की मूरत हो,कृपा की भावना..!
न हो भजन तेरा, न मन मगन तेरा 
न भाव भक्ति हो,न वर की कामना..!
जहान तेरा है, विधान तेरा है 
भगत के पाले में, तुझे पुकारना..!
अधम भी तारे हो, सदा सहारे हो 
दया की दृष्टि से, मुझे निहारना..!
नयन की भाषा है, तुम्हीं से आशा है 
मेरे खिवैया रे,मुझे उबारना..!

©अज्ञात
#Holi  शीर्षक:- "आओ सखी ,खेले फ़ाग "
              ................................

मार-मार पिचकारी रगों की फुहार से
उड़ा के अबीर के रंग, भीगें हर अंग रे..
आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे..
करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे...!

थोड़ा सा ग़ुलाल मैं लगाऊं, थोड़ा तुम लगाना..
लपक-झपक ग़ुलाल के रंगों से, रंगे दोनों संग रे..
आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे..
करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे..!

ना जाने कहाँ होंगे अगले बरस,
एक दूसरे को देखने को नजरें जाएगी तरस..
आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे..
करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे..!

आगे की चिंता की शिकन ना आने दे हमारे दरमियान,
तू और इस रंग-बिरंगे रंगों संग जिंदगी में भरे हर रंग रे..
आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे..
करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे..!

बरस-बरस भीगेंगे आँचल, भिगोए जलते तन-मन रे..
आओ सखी, बुझा दे प्रेम से हर पीड़ा की चुभन रे..
आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे..
करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे..!!

©Rishika Srivastava "Rishnit"

शीर्षक:- "आओ सखी ,खेले फ़ाग " ................................ मार-मार पिचकारी रगों की फुहार से उड़ा के अबीर के रंग, भीगें हर अ

279 View

#मोर #Forest #Shayar #Videos #Nuture
#प्रेरक  दाई के मोर अचरा के छईंहा,दद के मया अपार ।
इंखरे सेवा कर ले रे संगी,हो जाही तोर बेड़ा पार।।

©Ravishankar Nishad

छत्तीसगढ़ भाषा मैं दाई के मोर अचरा के छईंहा,दद के मया अपार । इंखरे सेवा कर ले रे संगी,हो जाही तोर बेड़ा पार।।

126 View

#शायरी #बरसो #मेघा #रे  सूख रही यह धरती, बरसो रे मेघा बहुत ज़ोर से,
ऐसे कि माटी की सुगंध आ जाए हर ओर से।
मेघा तुम अपने भीतर जल भरकर कहाँ जाओगे,
सूखी धरती पर बरसो, लाखों दुआएं पाओगे।

©Amit Singhal "Aseemit"
 कोरे कागज़ पर 
आओ 
दिल के जज़्बात लिखते हैं
चलो एक 
और बार ख़त लिखते हैं
भूल गए थे जिन राहों को 
बन कर हमसफर 
आओ उन पर 
इक बार फ़िर चलते हैं
बेसब्री से ख़तों का फिर 
इंतजार करते हैं
भूल चले थे जिन्हें 
उन लम्हों को, सुनो 
फिर याद करते हैं
रिस रहे हैं 
तेरी जुदाई के ज़ख़्म 
उन पर सुकून भरे 
लफ्जों के फाहे रखते हैं

©हिमांशु Kulshreshtha

चलो...

171 View

#जगतखिवैया #कविता  न कोई सद्गुन है, न कोई साधना 
करूँ भला कैसे, तेरी उपासना..!
न वास्ता तप से,न वास्ता जप से 
संभाल लेना हो, यही है प्रार्थना..!
न ज्ञान है मुझमें, न ध्यान है मुझमें 
कृपा की मूरत हो,कृपा की भावना..!
न हो भजन तेरा, न मन मगन तेरा 
न भाव भक्ति हो,न वर की कामना..!
जहान तेरा है, विधान तेरा है 
भगत के पाले में, तुझे पुकारना..!
अधम भी तारे हो, सदा सहारे हो 
दया की दृष्टि से, मुझे निहारना..!
नयन की भाषा है, तुम्हीं से आशा है 
मेरे खिवैया रे,मुझे उबारना..!

©अज्ञात
#Holi  शीर्षक:- "आओ सखी ,खेले फ़ाग "
              ................................

मार-मार पिचकारी रगों की फुहार से
उड़ा के अबीर के रंग, भीगें हर अंग रे..
आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे..
करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे...!

थोड़ा सा ग़ुलाल मैं लगाऊं, थोड़ा तुम लगाना..
लपक-झपक ग़ुलाल के रंगों से, रंगे दोनों संग रे..
आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे..
करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे..!

ना जाने कहाँ होंगे अगले बरस,
एक दूसरे को देखने को नजरें जाएगी तरस..
आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे..
करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे..!

आगे की चिंता की शिकन ना आने दे हमारे दरमियान,
तू और इस रंग-बिरंगे रंगों संग जिंदगी में भरे हर रंग रे..
आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे..
करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे..!

बरस-बरस भीगेंगे आँचल, भिगोए जलते तन-मन रे..
आओ सखी, बुझा दे प्रेम से हर पीड़ा की चुभन रे..
आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे..
करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे..!!

©Rishika Srivastava "Rishnit"

शीर्षक:- "आओ सखी ,खेले फ़ाग " ................................ मार-मार पिचकारी रगों की फुहार से उड़ा के अबीर के रंग, भीगें हर अ

279 View

#मोर #Forest #Shayar #Videos #Nuture
#प्रेरक  दाई के मोर अचरा के छईंहा,दद के मया अपार ।
इंखरे सेवा कर ले रे संगी,हो जाही तोर बेड़ा पार।।

©Ravishankar Nishad

छत्तीसगढ़ भाषा मैं दाई के मोर अचरा के छईंहा,दद के मया अपार । इंखरे सेवा कर ले रे संगी,हो जाही तोर बेड़ा पार।।

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#शायरी #बरसो #मेघा #रे  सूख रही यह धरती, बरसो रे मेघा बहुत ज़ोर से,
ऐसे कि माटी की सुगंध आ जाए हर ओर से।
मेघा तुम अपने भीतर जल भरकर कहाँ जाओगे,
सूखी धरती पर बरसो, लाखों दुआएं पाओगे।

©Amit Singhal "Aseemit"
 कोरे कागज़ पर 
आओ 
दिल के जज़्बात लिखते हैं
चलो एक 
और बार ख़त लिखते हैं
भूल गए थे जिन राहों को 
बन कर हमसफर 
आओ उन पर 
इक बार फ़िर चलते हैं
बेसब्री से ख़तों का फिर 
इंतजार करते हैं
भूल चले थे जिन्हें 
उन लम्हों को, सुनो 
फिर याद करते हैं
रिस रहे हैं 
तेरी जुदाई के ज़ख़्म 
उन पर सुकून भरे 
लफ्जों के फाहे रखते हैं

©हिमांशु Kulshreshtha

चलो...

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