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#कविता  White ख़ामोशी की लय में डूबे"

रात की ख़ामोशी की लय में डूबे,
 जैसे नीरस जीवन के काले अंधियारे ।

बियाबान जंगल में जैसे ,बिन 
इंजन के पड़ी रेल की पटरी के दो धारे।

©Anuj Ray

ख़ामोशी की लय में डूबे"

108 View

#कविता  🙏 मेंरी छंद की अवधारणा 🙏

फूल में जैसे बसी है गंध की अवधारणा..
गीत में वैसे रही लय छंद की अवधारणा..

एक तितली चुम्बनों ही चुम्बनों में ले गयी.
फूल से फल तक मधुर मकरंद की अवधारणा..

जीव ईश्वर का अनाविल नित्य चेतन अंश है.
द्वन्द से होती प्रगट निर्द्वन्द की अवधारणा.. 

एक रचनाकार तो स्थितप्रज्ञ होता है उसे
आँसुओं में भी मिली आनंद की अवधारणा..

प्यार से ही स्पष्ट होती है, अघोषित अनलिखे 
और अनहस्ताक्षरित अनुबंध की अवधारणा..

प्रेम में  सात्विक समर्पण के सहज सुख से पृथक.
अन्य कुछ होती न ब्रम्हानंद की अवधारणा..

मुक्तिका मेरी पढ़ी हो तो निवेदन है लिखें
क्या बनी सामान्य पाठक वृन्द की अवधारणा.........✍️ प्लीज़....... 🙏🙏

©Neelam Modanwal

🙏मेंरी छंद की अवधारणा🙏 फूल में जैसे बसी है गंध की अवधारणा. गीत में वैसे रही लय छंद की अवधारणा.. एक तितली चुम्बनों ही चुम्बनों में ले गयी.

1,152 View

White कभी मन से मन की बात करों कभी खुद से भी मुलाकात करो दुनियां की भीड़ में खोवो मत थोड़ा सा खुद पर ध्यान करों माना कि फुर्सत नही तुम्हें दिनभर की आपाधापी से माना कि कठिन परीक्षा में दौड़ रहे हो तुम आगे बाकी से फिर भी थोड़ा सा धीर धरो खुद के मन को वश में लो कर आगे अभी और कठिनता हैं इतने भी मत बन जाओ निडर हां माना हिम्मत भी है तुझमें पर थोड़ा डरना भी होता हैं जीत की लय में मत पालो गुरुर कभी हार से भी मिलना होता हैं बस वही एक क्षण जीवन का हर मार्ग निर्धारित करता हैं पर्वत सा उठने की खातिर मिट्टी में झुकना पड़ता हैं ©Ankur tiwari

#Free  White कभी मन से मन की बात करों 
कभी खुद से भी मुलाकात करो
दुनियां की भीड़ में खोवो मत 
थोड़ा सा खुद पर ध्यान करों 
माना कि फुर्सत नही तुम्हें 
दिनभर की आपाधापी से
माना कि कठिन परीक्षा में 
दौड़ रहे हो तुम आगे बाकी से
फिर भी थोड़ा सा धीर धरो 
खुद के मन को वश में लो कर
आगे अभी और कठिनता हैं 
इतने भी मत बन जाओ निडर 
हां माना हिम्मत भी है तुझमें 
पर थोड़ा डरना भी होता हैं 
जीत की लय में मत पालो गुरुर 
कभी हार से भी मिलना होता हैं 
बस वही एक क्षण जीवन का
हर मार्ग निर्धारित करता हैं 
पर्वत सा उठने की खातिर 
मिट्टी में झुकना पड़ता हैं

©Ankur tiwari

#Free कभी मन से मन की बात करों कभी खुद से भी मुलाकात करो दुनियां की भीड़ में खोवो मत थोड़ा सा खुद पर ध्यान करों माना कि फुर्सत नही तुम्ह

12 Love

#hanumanjayanti24 #भक्ति  hanuman jayanti 2024 {Bolo Ji Radhey Radhey}
आत्मा प्रकति से पृथक सत्ता है, 
ये सब किसी के भी वस में नही है, 
यह केवल एक उस परमसत्ता 
भगवान श्री कृष्ण के नियंत्रण 
में है, नया, पुरानापन, उतपत्ति-लय,
 होकर भी न होना आदि, जगत का
 कार्य, यह हम सबको आस्तिक 
भाव दर्षाता हैं।।

©N S Yadav GoldMine

#hanumanjayanti24 {Bolo Ji Radhey Radhey} आत्मा प्रकति से पृथक सत्ता है, ये सब किसी के भी वस में नही है, यह केवल एक उस परमसत्ता भगवान श्र

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#कविता  White ख़ामोशी की लय में डूबे"

रात की ख़ामोशी की लय में डूबे,
 जैसे नीरस जीवन के काले अंधियारे ।

बियाबान जंगल में जैसे ,बिन 
इंजन के पड़ी रेल की पटरी के दो धारे।

©Anuj Ray

ख़ामोशी की लय में डूबे"

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#कविता  🙏 मेंरी छंद की अवधारणा 🙏

फूल में जैसे बसी है गंध की अवधारणा..
गीत में वैसे रही लय छंद की अवधारणा..

एक तितली चुम्बनों ही चुम्बनों में ले गयी.
फूल से फल तक मधुर मकरंद की अवधारणा..

जीव ईश्वर का अनाविल नित्य चेतन अंश है.
द्वन्द से होती प्रगट निर्द्वन्द की अवधारणा.. 

एक रचनाकार तो स्थितप्रज्ञ होता है उसे
आँसुओं में भी मिली आनंद की अवधारणा..

प्यार से ही स्पष्ट होती है, अघोषित अनलिखे 
और अनहस्ताक्षरित अनुबंध की अवधारणा..

प्रेम में  सात्विक समर्पण के सहज सुख से पृथक.
अन्य कुछ होती न ब्रम्हानंद की अवधारणा..

मुक्तिका मेरी पढ़ी हो तो निवेदन है लिखें
क्या बनी सामान्य पाठक वृन्द की अवधारणा.........✍️ प्लीज़....... 🙏🙏

©Neelam Modanwal

🙏मेंरी छंद की अवधारणा🙏 फूल में जैसे बसी है गंध की अवधारणा. गीत में वैसे रही लय छंद की अवधारणा.. एक तितली चुम्बनों ही चुम्बनों में ले गयी.

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White कभी मन से मन की बात करों कभी खुद से भी मुलाकात करो दुनियां की भीड़ में खोवो मत थोड़ा सा खुद पर ध्यान करों माना कि फुर्सत नही तुम्हें दिनभर की आपाधापी से माना कि कठिन परीक्षा में दौड़ रहे हो तुम आगे बाकी से फिर भी थोड़ा सा धीर धरो खुद के मन को वश में लो कर आगे अभी और कठिनता हैं इतने भी मत बन जाओ निडर हां माना हिम्मत भी है तुझमें पर थोड़ा डरना भी होता हैं जीत की लय में मत पालो गुरुर कभी हार से भी मिलना होता हैं बस वही एक क्षण जीवन का हर मार्ग निर्धारित करता हैं पर्वत सा उठने की खातिर मिट्टी में झुकना पड़ता हैं ©Ankur tiwari

#Free  White कभी मन से मन की बात करों 
कभी खुद से भी मुलाकात करो
दुनियां की भीड़ में खोवो मत 
थोड़ा सा खुद पर ध्यान करों 
माना कि फुर्सत नही तुम्हें 
दिनभर की आपाधापी से
माना कि कठिन परीक्षा में 
दौड़ रहे हो तुम आगे बाकी से
फिर भी थोड़ा सा धीर धरो 
खुद के मन को वश में लो कर
आगे अभी और कठिनता हैं 
इतने भी मत बन जाओ निडर 
हां माना हिम्मत भी है तुझमें 
पर थोड़ा डरना भी होता हैं 
जीत की लय में मत पालो गुरुर 
कभी हार से भी मिलना होता हैं 
बस वही एक क्षण जीवन का
हर मार्ग निर्धारित करता हैं 
पर्वत सा उठने की खातिर 
मिट्टी में झुकना पड़ता हैं

©Ankur tiwari

#Free कभी मन से मन की बात करों कभी खुद से भी मुलाकात करो दुनियां की भीड़ में खोवो मत थोड़ा सा खुद पर ध्यान करों माना कि फुर्सत नही तुम्ह

12 Love

#hanumanjayanti24 #भक्ति  hanuman jayanti 2024 {Bolo Ji Radhey Radhey}
आत्मा प्रकति से पृथक सत्ता है, 
ये सब किसी के भी वस में नही है, 
यह केवल एक उस परमसत्ता 
भगवान श्री कृष्ण के नियंत्रण 
में है, नया, पुरानापन, उतपत्ति-लय,
 होकर भी न होना आदि, जगत का
 कार्य, यह हम सबको आस्तिक 
भाव दर्षाता हैं।।

©N S Yadav GoldMine

#hanumanjayanti24 {Bolo Ji Radhey Radhey} आत्मा प्रकति से पृथक सत्ता है, ये सब किसी के भी वस में नही है, यह केवल एक उस परमसत्ता भगवान श्र

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