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New कविता आजादी पर Status, Photo, Video

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#डर  आज हमनें डर से मुलाकात कर ली।
उसके दर पे या आंखो में आंखो डाल बात कर ली।
यूंही बैठे थे सहमे से, 
आज दरिया से ही खुद के लिए गुजारिश करली।
बात तो कोई बड़ी नही थी,
कुछ इतने भी डरावने हालात ना थे,
ना जाने क्यों बेवजह अनमोल घडिया बर्बाद कर ली।

©Ramnik

#डर से आजादी#

81 View

#शायरी  ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए,
भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए।

पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई,
लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए।

बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी,
सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए।

उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं,
दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए।

थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने।
चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए।

                                   कवि-शिव गोपाल अवस्थी

©Shiv gopal awasthi

कविता

99 View

#पौराणिककथा #shaheeddiwas  माँ भारती  पर आतंकवाद रिश्वतखोरी गद्दारी  के दाग  लगाने वालों , वतन  की  आबरू लूटने वालों, मत शर्मिंदा करो वतन के लिए हंसते-हंसते फांसी के फंदे को चूमने  वालों को , आजादी की चिंगारी  जलाने वालों को,   आजादी  के  लिए मर मिटने वालों को  , वो भी किसी मां के लाल, किसी की राखी , किसी का इश्क ए तमन्ना थे , पर वे स्वार्थी नहीं थे , जुनून था वतन के लिए  मर  मिटने  का .आप उनके जैसी कुर्बानी नहीं दे सकते तो कम से कम उनकी कुर्बानियों की लाज  रखने का  सलीका सीखिए ,  शहीदों की रूहों को मिले सुकून ऐसे तरीक़े सीखिए   अपनी ही बनाई  जंजीरों की गुलामी,  गुमनामी , नशे  से खुद को आजाद कीजिए और वतन को आबाद कीजिए,  जय हिंद

©Rajni Vijay singla

#shaheeddiwas आजादी का सलीका

126 View

#आजादीमेरीनज़रमें #स्वतंत्रता #मनोभाव #आजादी #freedommeans #Freedom  केवल आजादी नाम नहीं ,है आत्मा यह हर जन की।
विकास को हो भोजन चाह ,इस भांति आहार तन की।।
मन को जो देती शीतलता,समीर वह ठंडी आजादी।
अभिमान हो जिस पर सदा ही,वही सम्मान आजादी।।

©Bharat Bhushan pathak
#RKPrasbi #wishes

विश्व कविता दिवस पर आप सभी को समर्पित #RKPrasbi

117 View

#विचार  फूल देई का त्यौहार था,
मैं फिर भी बैठा अकेला था ।
चारों तरफ़ हर्षोल्लास था,
मैं अकेला बैठा निराश था ।
जब मैने चारों तरफ देखा ,
तब पता चला कि
मैं गांव से दूर किसी शहर के भिड़ में
बैठा अकेला उदाश था ।।
✍️ Jagdish Pant

आज फूलदेई के पर्व पर एक कविता मेने लिखि ।

8,145 View

#डर  आज हमनें डर से मुलाकात कर ली।
उसके दर पे या आंखो में आंखो डाल बात कर ली।
यूंही बैठे थे सहमे से, 
आज दरिया से ही खुद के लिए गुजारिश करली।
बात तो कोई बड़ी नही थी,
कुछ इतने भी डरावने हालात ना थे,
ना जाने क्यों बेवजह अनमोल घडिया बर्बाद कर ली।

©Ramnik

#डर से आजादी#

81 View

#शायरी  ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए,
भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए।

पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई,
लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए।

बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी,
सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए।

उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं,
दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए।

थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने।
चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए।

                                   कवि-शिव गोपाल अवस्थी

©Shiv gopal awasthi

कविता

99 View

#पौराणिककथा #shaheeddiwas  माँ भारती  पर आतंकवाद रिश्वतखोरी गद्दारी  के दाग  लगाने वालों , वतन  की  आबरू लूटने वालों, मत शर्मिंदा करो वतन के लिए हंसते-हंसते फांसी के फंदे को चूमने  वालों को , आजादी की चिंगारी  जलाने वालों को,   आजादी  के  लिए मर मिटने वालों को  , वो भी किसी मां के लाल, किसी की राखी , किसी का इश्क ए तमन्ना थे , पर वे स्वार्थी नहीं थे , जुनून था वतन के लिए  मर  मिटने  का .आप उनके जैसी कुर्बानी नहीं दे सकते तो कम से कम उनकी कुर्बानियों की लाज  रखने का  सलीका सीखिए ,  शहीदों की रूहों को मिले सुकून ऐसे तरीक़े सीखिए   अपनी ही बनाई  जंजीरों की गुलामी,  गुमनामी , नशे  से खुद को आजाद कीजिए और वतन को आबाद कीजिए,  जय हिंद

©Rajni Vijay singla

#shaheeddiwas आजादी का सलीका

126 View

#आजादीमेरीनज़रमें #स्वतंत्रता #मनोभाव #आजादी #freedommeans #Freedom  केवल आजादी नाम नहीं ,है आत्मा यह हर जन की।
विकास को हो भोजन चाह ,इस भांति आहार तन की।।
मन को जो देती शीतलता,समीर वह ठंडी आजादी।
अभिमान हो जिस पर सदा ही,वही सम्मान आजादी।।

©Bharat Bhushan pathak
#RKPrasbi #wishes

विश्व कविता दिवस पर आप सभी को समर्पित #RKPrasbi

117 View

#विचार  फूल देई का त्यौहार था,
मैं फिर भी बैठा अकेला था ।
चारों तरफ़ हर्षोल्लास था,
मैं अकेला बैठा निराश था ।
जब मैने चारों तरफ देखा ,
तब पता चला कि
मैं गांव से दूर किसी शहर के भिड़ में
बैठा अकेला उदाश था ।।
✍️ Jagdish Pant

आज फूलदेई के पर्व पर एक कविता मेने लिखि ।

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