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New बेटियाँ पर कविता Status, Photo, Video

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#बेटियाँ #nojotohindipoetry #दोहे #sandiprohila #nojotohindi  बेटियाँ (दोहे)

लाड लड़ाती बेटियाँ, लाती हैं मुस्कान।
तुतला कर जब बोलतीं, लगती तब नादान।।

बात बड़ों सी वो करें, रखतीं सबका ध्यान।
होती हैं ये बेटियाँ, दो कुल की जो शान।।

कुदरत की ये है कला, दी जिसने पहचान।
अद्भुत होती बेटियाँ, सिखलाते भगवान।।

मरवाते जो कोख में, बन जाते हैवान।
प्यारी होती बेटियाँ, कब समझे इंसान।।

आसमान को छू रहीं, ऐसी भरें उड़ान।
अनुपम है ये बेटियाँ, इनको दें सम्मान।।

सहकर भी वह दुख सभी, करती कर्म महान।
होती ऐसी बेटियाँ, क्यों बनता अनजान।।

मिलती हैं सौभाग्य से, कहते सभी सुजान।
जिस घर में हों बेटियाँ, वह है स्वर्ग समान।।
...........................................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#बेटियाँ #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry बेटियाँ (दोहे) लाड लड़ाती बेटियाँ, लाती हैं मुस्कान। तुतला कर जब बोलतीं, लगती तब नादान।। ब

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बेटियाँ नहीं... हसीं परियाँ हैं... बाप के जीवन की... खूबसूरत घड़ियाँ हैं... ©कवि मनोज कुमार मंजू

 बेटियाँ नहीं...
हसीं परियाँ हैं...
बाप के जीवन की...
खूबसूरत घड़ियाँ हैं...

©कवि मनोज कुमार मंजू

#बेटियाँ #पापा_की_परी #परियाँ #कोट्स #मनोज_कुमार_मंजू #मँजू #विचार

16 Love

#शायरी  ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए,
भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए।

पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई,
लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए।

बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी,
सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए।

उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं,
दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए।

थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने।
चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए।

                                   कवि-शिव गोपाल अवस्थी

©Shiv gopal awasthi

कविता

99 View

#RKPrasbi #wishes

विश्व कविता दिवस पर आप सभी को समर्पित #RKPrasbi

117 View

#बेटियाँ #समाज  बेटियाँ बाप की आँखों में छुपे ख़्वाब को पहचानती हैं
और कोई दूसरा इस ख़्वाब को पढ़ ले तो बुरा मानती हैं

©Andy Mann
#विचार  फूल देई का त्यौहार था,
मैं फिर भी बैठा अकेला था ।
चारों तरफ़ हर्षोल्लास था,
मैं अकेला बैठा निराश था ।
जब मैने चारों तरफ देखा ,
तब पता चला कि
मैं गांव से दूर किसी शहर के भिड़ में
बैठा अकेला उदाश था ।।
✍️ Jagdish Pant

आज फूलदेई के पर्व पर एक कविता मेने लिखि ।

8,145 View

#बेटियाँ #nojotohindipoetry #दोहे #sandiprohila #nojotohindi  बेटियाँ (दोहे)

लाड लड़ाती बेटियाँ, लाती हैं मुस्कान।
तुतला कर जब बोलतीं, लगती तब नादान।।

बात बड़ों सी वो करें, रखतीं सबका ध्यान।
होती हैं ये बेटियाँ, दो कुल की जो शान।।

कुदरत की ये है कला, दी जिसने पहचान।
अद्भुत होती बेटियाँ, सिखलाते भगवान।।

मरवाते जो कोख में, बन जाते हैवान।
प्यारी होती बेटियाँ, कब समझे इंसान।।

आसमान को छू रहीं, ऐसी भरें उड़ान।
अनुपम है ये बेटियाँ, इनको दें सम्मान।।

सहकर भी वह दुख सभी, करती कर्म महान।
होती ऐसी बेटियाँ, क्यों बनता अनजान।।

मिलती हैं सौभाग्य से, कहते सभी सुजान।
जिस घर में हों बेटियाँ, वह है स्वर्ग समान।।
...........................................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#बेटियाँ #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry बेटियाँ (दोहे) लाड लड़ाती बेटियाँ, लाती हैं मुस्कान। तुतला कर जब बोलतीं, लगती तब नादान।। ब

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बेटियाँ नहीं... हसीं परियाँ हैं... बाप के जीवन की... खूबसूरत घड़ियाँ हैं... ©कवि मनोज कुमार मंजू

 बेटियाँ नहीं...
हसीं परियाँ हैं...
बाप के जीवन की...
खूबसूरत घड़ियाँ हैं...

©कवि मनोज कुमार मंजू

#बेटियाँ #पापा_की_परी #परियाँ #कोट्स #मनोज_कुमार_मंजू #मँजू #विचार

16 Love

#शायरी  ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए,
भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए।

पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई,
लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए।

बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी,
सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए।

उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं,
दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए।

थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने।
चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए।

                                   कवि-शिव गोपाल अवस्थी

©Shiv gopal awasthi

कविता

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#RKPrasbi #wishes

विश्व कविता दिवस पर आप सभी को समर्पित #RKPrasbi

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#बेटियाँ #समाज  बेटियाँ बाप की आँखों में छुपे ख़्वाब को पहचानती हैं
और कोई दूसरा इस ख़्वाब को पढ़ ले तो बुरा मानती हैं

©Andy Mann
#विचार  फूल देई का त्यौहार था,
मैं फिर भी बैठा अकेला था ।
चारों तरफ़ हर्षोल्लास था,
मैं अकेला बैठा निराश था ।
जब मैने चारों तरफ देखा ,
तब पता चला कि
मैं गांव से दूर किसी शहर के भिड़ में
बैठा अकेला उदाश था ।।
✍️ Jagdish Pant

आज फूलदेई के पर्व पर एक कविता मेने लिखि ।

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