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New त्या फुलांच्या गंधकोषी गीतकार Status, Photo, Video

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White शीर्षक- जिसको भी चाहा तुमने साथी बनाना ------------------------------------------------------------ जिसको भी चाहा तुमने साथी बनाना, मुकुर गया वो तुमसे। मिलाया नहीं हाथ किसी ने तुमसे।।-----------------(2) जिसको भी चाहा तुमने ----------------------।। एक था वो जिसने जाना नहीं कभी। मेरे बारे में उसने सोचा नहीं कभी।। चाहता नहीं था वो बात करना। उठाया नहीं कभी परदा दिल से।।-----------(2) जिसको भी चाहा तुमने --------------------।। और वो तो खेला जीभरकै दिल से। बनाया दीवाना हमको अपने हुस्न से।। उसको मिल गया कोई हमसे बेहतर। छुड़ा लिया दामन उसने भी हमसे।।-------------(2) जिसको भी चाहा तुमने ---------------------।। अब ऐसी सूरत से पायेंगे क्या हम। होंगे नहीं इससे बर्बाद क्या हम।। मतलब है इसको सिर्फ पैसों से। मतलब नहीं इसको मेरे इस दिल से।।------------(2) जिसको भी चाहा तुमने ----------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma

#गीतकार #कविता  White शीर्षक- जिसको भी चाहा तुमने साथी बनाना
------------------------------------------------------------
जिसको भी चाहा तुमने साथी बनाना, मुकुर गया वो तुमसे।
मिलाया नहीं हाथ किसी ने तुमसे।।-----------------(2)
जिसको भी चाहा तुमने ----------------------।।

एक था वो जिसने जाना नहीं कभी।
मेरे बारे में उसने सोचा नहीं कभी।।
चाहता नहीं था वो बात करना।
उठाया नहीं कभी परदा दिल से।।-----------(2)
जिसको भी चाहा तुमने --------------------।।

और वो तो खेला जीभरकै दिल से।
बनाया दीवाना हमको अपने हुस्न से।।
उसको मिल गया कोई हमसे बेहतर।
छुड़ा लिया दामन उसने भी हमसे।।-------------(2)
जिसको भी चाहा तुमने ---------------------।।

अब ऐसी सूरत से पायेंगे क्या हम।
होंगे नहीं इससे बर्बाद क्या हम।।
मतलब है इसको सिर्फ पैसों से।
मतलब नहीं इसको मेरे इस दिल से।।------------(2)
जिसको भी चाहा तुमने ----------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma

शीर्षक- अब नहीं वो वैसे, कि मिले उनसे हँसकर ---------------------------------------------------------------- अब नहीं वो वैसे, कि मिले उनसे हँसकर। करें बातें दिल की, हम उनसे मिलकर।। अब नहीं वो वैसे -----------------------।। देखते नहीं अब वो, तस्वीर पुरानी अपनी। लगती नहीं है अच्छी, कहानी पुरानी अपनी।। आता है गुस्सा उनको, अब हमें देखकर। अब नहीं वो वैसे -----------------------।। पसंद नहीं उनको, मुफ़लिसों से हाथ मिलाना। अपने बचपन के यारों को, गले अपने लगाना।। होती है उनको नफरत, चिट्ठियां हमारी पढ़कर। अब नहीं वो वैसे -------------------------।। बहुत मुश्किल है तोड़ना, उनके पहरे को। करीब जाकर छूना, अब उनके सेहरे को।। नहीं बिसात अपनी, कहे कुछ उनसे खुलकर। अब नहीं वो वैसे ------------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma

#गीतकार #कविता  शीर्षक- अब नहीं वो वैसे, कि मिले उनसे हँसकर
----------------------------------------------------------------
अब नहीं वो वैसे, कि मिले उनसे हँसकर।
करें बातें दिल की, हम उनसे मिलकर।।
अब नहीं वो वैसे -----------------------।।

देखते नहीं अब वो, तस्वीर पुरानी अपनी।
लगती नहीं है अच्छी, कहानी पुरानी अपनी।।
आता है गुस्सा उनको, अब हमें देखकर।
अब नहीं वो वैसे -----------------------।।

पसंद नहीं उनको, मुफ़लिसों से हाथ मिलाना।
अपने बचपन के यारों को, गले अपने लगाना।।
होती है उनको नफरत, चिट्ठियां हमारी पढ़कर।
अब नहीं वो वैसे -------------------------।।

बहुत मुश्किल है तोड़ना, उनके पहरे को।
करीब जाकर छूना, अब उनके सेहरे को।।
नहीं बिसात अपनी, कहे कुछ उनसे खुलकर।
अब नहीं वो वैसे ------------------------।।





शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma

Black शीर्षक- बाबा भीम आये हैं -------------------------------------------------------------------- (शेर)- नहीं कोई उनसा जमीं पर, जैसे बाबा भीम है। मसीहा मानव जाति के, दुनिया में बाबा भीम है।। करो स्वागत उनका फूलों से, देखो बाबा भीम आये हैं। विश्व रत्न और ज्ञान के प्रतीक, दुनिया में बाबा भीम है।। --------------------------------------------------------------------- बजाओ बाजा स्वागत में, बाबा भीम आये हैं। सजावो फूलों से राह, बाबा भीम आये हैं।। बजाओ बाजा स्वागत में----------------------।। इनके चेहरे का तेज, करें रोशन हम सबको। इनकी अंगुली का इशारा, दिखाये राह हम सबको।। दिखाने हमको सही मंजिल, बाबा भीम आये हैं। जलावो दीप स्वागत में, बाबा भीम आये हैं।। बजाओ बाजा स्वागत में-----------------------।। इनके हाथ का संविधान, देता है सबको न्याय- अधिकार। इनकी शिक्षा और ज्ञान का, लोहा मानता है संसार।। शिक्षा है शेरनी का दूध, बताने भीम आये हैं। बरसाओ फूल तुम उन पर, बाबा भीम आये हैं।। बजाओ बाजा स्वागत में----------------------।। बाबा भीम मसीहा है, सभी धर्मों जाति के। बाबा भीम उद्वारक है, बहुजन- नारी जाति के।। बचाने इंसानियत को, बाबा भीम आये हैं। करो स्वागत तुम चलकर, बाबा भीम हैं।। बजाओ बाजा स्वागत में-----------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma

#गीतकार #कविता  Black शीर्षक- बाबा भीम आये हैं
--------------------------------------------------------------------
(शेर)- नहीं कोई उनसा जमीं पर, जैसे बाबा भीम है।
    मसीहा मानव जाति के, दुनिया में बाबा भीम है।।
करो स्वागत उनका फूलों से, देखो बाबा भीम आये हैं।
विश्व रत्न और ज्ञान के प्रतीक, दुनिया में बाबा भीम है।।
---------------------------------------------------------------------
बजाओ बाजा स्वागत में, बाबा भीम आये हैं।
सजावो फूलों से राह, बाबा भीम आये हैं।।
बजाओ बाजा स्वागत में----------------------।।

इनके चेहरे का तेज, करें रोशन हम सबको।
इनकी अंगुली का इशारा, दिखाये राह हम सबको।।
दिखाने हमको सही मंजिल, बाबा भीम आये हैं।
जलावो दीप स्वागत में, बाबा भीम आये हैं।।
बजाओ बाजा स्वागत में-----------------------।।

इनके हाथ का संविधान, देता है सबको न्याय- अधिकार।
इनकी शिक्षा और ज्ञान का, लोहा मानता है संसार।।
शिक्षा है शेरनी का दूध, बताने भीम आये हैं।
बरसाओ फूल तुम उन पर, बाबा भीम आये हैं।।
बजाओ बाजा स्वागत में----------------------।।

बाबा भीम मसीहा है, सभी धर्मों जाति के।

बाबा भीम उद्वारक है, बहुजन- नारी जाति के।।
बचाने इंसानियत को, बाबा भीम आये हैं।
करो स्वागत तुम चलकर, बाबा भीम हैं।।
बजाओ बाजा स्वागत में-----------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma

शीर्षक - कोशिश मेरी बेकार नहीं जायेगी कभी ----------------------------------------------------------------- कोशिश मेरी बेकार नहीं जायेगी कभी। मोहब्बत यह मेरी खुशी लायेगी कभी।। मजबूर करेगी उसको, मिलने को मुझसे। मुलाकात हमारी मोहब्बत करवायेगी कभी।। कोशिश मेरी बेकार----------------------।। वह भी तो देखती होगी, कोई ख्वाब जीवन का। चाहती होगी कोई साथी, वह भी अपने जीवन का।। वह भी तो तड़पती होगी, रातों में बेचैन होकर। उसकी बेचैनी उसकी चाहत को, जगायेगी कभी।। कोशिश मेरी बेकार----------------------।। मालूम है उसको, मेरी मोहब्बत की कहानी। जिसमें बसी है उसकी, खुशी- ओ- रवानी।। उसने भी तो रंग, इसमें भरें है प्यारे-सुनहरे। जीवन में बहार, यह कहानी लायेगी कभी।। कोशिश मेरी बेकार----------------------।। मेरे बिना वह खुश कभी, रह नहीं सकती। गमो- दर्द में वह कभी, जी नहीं सकती।। बहुत मौज की है उसने, मेरी इन बाँहों में। फिर से मेरी इन बाँहों में, वह आयेगी कभी।। कोशिश मेरी बेकार----------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma

#गीतकार #कविता  शीर्षक - कोशिश मेरी बेकार नहीं जायेगी कभी
-----------------------------------------------------------------
कोशिश मेरी बेकार नहीं जायेगी कभी।
मोहब्बत यह मेरी खुशी लायेगी कभी।।
मजबूर करेगी उसको, मिलने को मुझसे।
मुलाकात हमारी मोहब्बत करवायेगी कभी।।
कोशिश मेरी बेकार----------------------।।

वह भी तो देखती होगी, कोई ख्वाब जीवन का।
चाहती होगी कोई साथी, वह भी अपने जीवन का।।
वह भी तो तड़पती होगी, रातों में बेचैन होकर।
उसकी बेचैनी उसकी चाहत को, जगायेगी कभी।।
कोशिश मेरी बेकार----------------------।।

मालूम है उसको, मेरी मोहब्बत की कहानी।
जिसमें बसी है उसकी, खुशी- ओ- रवानी।।
उसने भी तो रंग, इसमें भरें है प्यारे-सुनहरे।
जीवन में बहार, यह कहानी लायेगी कभी।।
कोशिश मेरी बेकार----------------------।।

मेरे बिना वह खुश कभी, रह नहीं सकती।
गमो- दर्द में वह कभी, जी नहीं सकती।।
बहुत मौज की है उसने, मेरी इन बाँहों में।
फिर से मेरी इन बाँहों में, वह आयेगी कभी।।
कोशिश मेरी बेकार----------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma

शीर्षक- अधखिली यह कली ------------------------------------------------------- अधखिली यह कली , जो खिलती कभी । तोड़ डाला इसे , जालिमों ने अभी ।। यह तो मिटने चली , जो महकती कभी । अधखिली यह कली -------------------------।। यह डोली यहाँ जिसकी , सजने लगी है । यह शहनाई यहाँ जो , बजने लगी है ।। अभी तो है बचपन, उम्र खेलने की । बन गई है दुल्हन ,मेहंदी इसके लगी है ।। दे रहे हैं विदाई , इसको सभी । मिट गए इसके अरमां , आज सभी ।। अधखिली यह कली -------------------------।। यह किसको सुनाये , कहानी अपनी । बैठी रहती है खामोश , गुमशुम बनी ।। इसके सपनों से मतलब , किसी को नहीं । यह तो व्यापार की एक ,वस्तु बनी ।। लगी है नजर इसके , हुस्न पर । कर रहे हैं इसी का , सौदा सभी ।। अधखिली यह कली --------------------------।। नहीं इसका नसीब , हक जताये अपना । आसमां को उड़े , तोड़ पहरा अपना ।। इसके दुश्मन नहीं और , अपने ही है । अब बताये किसे यह , दर्द अपना ।। यह बनकर शमां , करती रोशनी । मगर इसको तो , बुझा दिया अभी ।। अधखिली यह कली ------------------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार- गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma

#गीतकार #शायरी  शीर्षक- अधखिली यह कली
-------------------------------------------------------
अधखिली यह कली , जो खिलती कभी ।
तोड़ डाला इसे , जालिमों ने अभी ।।
यह तो मिटने चली , जो महकती कभी ।
अधखिली यह कली -------------------------।।

यह डोली यहाँ जिसकी , सजने लगी है ।
यह शहनाई यहाँ जो , बजने लगी है ।।
अभी तो है बचपन, उम्र खेलने की ।
बन गई है दुल्हन ,मेहंदी इसके लगी है ।।
दे रहे हैं विदाई , इसको सभी ।
मिट गए इसके अरमां , आज सभी ।।
अधखिली यह कली -------------------------।।

यह किसको सुनाये , कहानी अपनी ।
बैठी रहती है खामोश , गुमशुम बनी ।।
इसके सपनों से मतलब , किसी को नहीं ।
यह तो व्यापार की एक ,वस्तु बनी ।।
लगी है नजर इसके , हुस्न पर ।
कर रहे हैं इसी का , सौदा सभी ।।
अधखिली यह कली --------------------------।।

नहीं इसका नसीब , हक जताये अपना ।
आसमां को उड़े , तोड़ पहरा अपना ।।
इसके दुश्मन नहीं और , अपने ही है ।
अब बताये किसे यह , दर्द अपना ।।
यह बनकर शमां , करती रोशनी ।
मगर इसको तो , बुझा दिया अभी ।।
अधखिली यह कली ------------------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma

शीर्षक- वो ही तो यहाँ बदनाम प्यार को करते हैं ----------------------------------------------------------- वो ही तो यहाँ, बदनाम प्यार को करते हैं। समझकर जिनको सज्जन, हम प्यार करते हैं।। वो ही तो यहाँ ----------------------------।। करते हैं वो जुदा दिलों को, धर्म के नाम पर। करते हैं वो सितम दिलों पर, शर्म के नाम पर।। वो ही तो सरहद, मोहब्बत में खींचा करते हैं। वो ही तो यहाँ ---------------------------।। पसन्द नहीं है उनको, अफ़साना दिल के प्यार का। तोड़कर रस्मो- रिवाज को, बसाना घर प्यार का। प्रेमियों के खूं से वो, उपदेश अपना लिखते हैं। वो ही तो यहाँ ----------------------------।। चाहते नहीं मिटाना वो, दूरियाँ भेदभाव की। जलती हुई बुझाना, अग्नि यहाँ अलगाव की।। वो ही तो फिर प्यार को, भगवान यहाँ कहते हैं। वो ही तो यहाँ --------------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma

#गीतकार #शायरी  शीर्षक- वो ही तो यहाँ बदनाम प्यार को करते हैं
-----------------------------------------------------------
वो ही तो यहाँ, बदनाम प्यार को करते हैं।
समझकर जिनको सज्जन, हम प्यार करते हैं।।
वो ही तो यहाँ ----------------------------।।

करते हैं वो जुदा दिलों को, धर्म के नाम पर।
करते हैं वो सितम दिलों पर, शर्म के नाम पर।।
वो ही तो सरहद, मोहब्बत में खींचा करते हैं।
वो ही तो यहाँ ---------------------------।।

पसन्द नहीं है उनको, अफ़साना दिल के प्यार का।
तोड़कर रस्मो- रिवाज को, बसाना घर प्यार का।
प्रेमियों के खूं से वो, उपदेश अपना लिखते हैं।
वो ही तो यहाँ ----------------------------।।

चाहते नहीं मिटाना वो, दूरियाँ भेदभाव की।
जलती हुई बुझाना, अग्नि यहाँ अलगाव की।।
वो ही तो फिर प्यार को, भगवान यहाँ कहते हैं।
वो ही तो यहाँ --------------------------।।





शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma

White शीर्षक- जिसको भी चाहा तुमने साथी बनाना ------------------------------------------------------------ जिसको भी चाहा तुमने साथी बनाना, मुकुर गया वो तुमसे। मिलाया नहीं हाथ किसी ने तुमसे।।-----------------(2) जिसको भी चाहा तुमने ----------------------।। एक था वो जिसने जाना नहीं कभी। मेरे बारे में उसने सोचा नहीं कभी।। चाहता नहीं था वो बात करना। उठाया नहीं कभी परदा दिल से।।-----------(2) जिसको भी चाहा तुमने --------------------।। और वो तो खेला जीभरकै दिल से। बनाया दीवाना हमको अपने हुस्न से।। उसको मिल गया कोई हमसे बेहतर। छुड़ा लिया दामन उसने भी हमसे।।-------------(2) जिसको भी चाहा तुमने ---------------------।। अब ऐसी सूरत से पायेंगे क्या हम। होंगे नहीं इससे बर्बाद क्या हम।। मतलब है इसको सिर्फ पैसों से। मतलब नहीं इसको मेरे इस दिल से।।------------(2) जिसको भी चाहा तुमने ----------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma

#गीतकार #कविता  White शीर्षक- जिसको भी चाहा तुमने साथी बनाना
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जिसको भी चाहा तुमने साथी बनाना, मुकुर गया वो तुमसे।
मिलाया नहीं हाथ किसी ने तुमसे।।-----------------(2)
जिसको भी चाहा तुमने ----------------------।।

एक था वो जिसने जाना नहीं कभी।
मेरे बारे में उसने सोचा नहीं कभी।।
चाहता नहीं था वो बात करना।
उठाया नहीं कभी परदा दिल से।।-----------(2)
जिसको भी चाहा तुमने --------------------।।

और वो तो खेला जीभरकै दिल से।
बनाया दीवाना हमको अपने हुस्न से।।
उसको मिल गया कोई हमसे बेहतर।
छुड़ा लिया दामन उसने भी हमसे।।-------------(2)
जिसको भी चाहा तुमने ---------------------।।

अब ऐसी सूरत से पायेंगे क्या हम।
होंगे नहीं इससे बर्बाद क्या हम।।
मतलब है इसको सिर्फ पैसों से।
मतलब नहीं इसको मेरे इस दिल से।।------------(2)
जिसको भी चाहा तुमने ----------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma

शीर्षक- अब नहीं वो वैसे, कि मिले उनसे हँसकर ---------------------------------------------------------------- अब नहीं वो वैसे, कि मिले उनसे हँसकर। करें बातें दिल की, हम उनसे मिलकर।। अब नहीं वो वैसे -----------------------।। देखते नहीं अब वो, तस्वीर पुरानी अपनी। लगती नहीं है अच्छी, कहानी पुरानी अपनी।। आता है गुस्सा उनको, अब हमें देखकर। अब नहीं वो वैसे -----------------------।। पसंद नहीं उनको, मुफ़लिसों से हाथ मिलाना। अपने बचपन के यारों को, गले अपने लगाना।। होती है उनको नफरत, चिट्ठियां हमारी पढ़कर। अब नहीं वो वैसे -------------------------।। बहुत मुश्किल है तोड़ना, उनके पहरे को। करीब जाकर छूना, अब उनके सेहरे को।। नहीं बिसात अपनी, कहे कुछ उनसे खुलकर। अब नहीं वो वैसे ------------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma

#गीतकार #कविता  शीर्षक- अब नहीं वो वैसे, कि मिले उनसे हँसकर
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अब नहीं वो वैसे, कि मिले उनसे हँसकर।
करें बातें दिल की, हम उनसे मिलकर।।
अब नहीं वो वैसे -----------------------।।

देखते नहीं अब वो, तस्वीर पुरानी अपनी।
लगती नहीं है अच्छी, कहानी पुरानी अपनी।।
आता है गुस्सा उनको, अब हमें देखकर।
अब नहीं वो वैसे -----------------------।।

पसंद नहीं उनको, मुफ़लिसों से हाथ मिलाना।
अपने बचपन के यारों को, गले अपने लगाना।।
होती है उनको नफरत, चिट्ठियां हमारी पढ़कर।
अब नहीं वो वैसे -------------------------।।

बहुत मुश्किल है तोड़ना, उनके पहरे को।
करीब जाकर छूना, अब उनके सेहरे को।।
नहीं बिसात अपनी, कहे कुछ उनसे खुलकर।
अब नहीं वो वैसे ------------------------।।





शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma

Black शीर्षक- बाबा भीम आये हैं -------------------------------------------------------------------- (शेर)- नहीं कोई उनसा जमीं पर, जैसे बाबा भीम है। मसीहा मानव जाति के, दुनिया में बाबा भीम है।। करो स्वागत उनका फूलों से, देखो बाबा भीम आये हैं। विश्व रत्न और ज्ञान के प्रतीक, दुनिया में बाबा भीम है।। --------------------------------------------------------------------- बजाओ बाजा स्वागत में, बाबा भीम आये हैं। सजावो फूलों से राह, बाबा भीम आये हैं।। बजाओ बाजा स्वागत में----------------------।। इनके चेहरे का तेज, करें रोशन हम सबको। इनकी अंगुली का इशारा, दिखाये राह हम सबको।। दिखाने हमको सही मंजिल, बाबा भीम आये हैं। जलावो दीप स्वागत में, बाबा भीम आये हैं।। बजाओ बाजा स्वागत में-----------------------।। इनके हाथ का संविधान, देता है सबको न्याय- अधिकार। इनकी शिक्षा और ज्ञान का, लोहा मानता है संसार।। शिक्षा है शेरनी का दूध, बताने भीम आये हैं। बरसाओ फूल तुम उन पर, बाबा भीम आये हैं।। बजाओ बाजा स्वागत में----------------------।। बाबा भीम मसीहा है, सभी धर्मों जाति के। बाबा भीम उद्वारक है, बहुजन- नारी जाति के।। बचाने इंसानियत को, बाबा भीम आये हैं। करो स्वागत तुम चलकर, बाबा भीम हैं।। बजाओ बाजा स्वागत में-----------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma

#गीतकार #कविता  Black शीर्षक- बाबा भीम आये हैं
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(शेर)- नहीं कोई उनसा जमीं पर, जैसे बाबा भीम है।
    मसीहा मानव जाति के, दुनिया में बाबा भीम है।।
करो स्वागत उनका फूलों से, देखो बाबा भीम आये हैं।
विश्व रत्न और ज्ञान के प्रतीक, दुनिया में बाबा भीम है।।
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बजाओ बाजा स्वागत में, बाबा भीम आये हैं।
सजावो फूलों से राह, बाबा भीम आये हैं।।
बजाओ बाजा स्वागत में----------------------।।

इनके चेहरे का तेज, करें रोशन हम सबको।
इनकी अंगुली का इशारा, दिखाये राह हम सबको।।
दिखाने हमको सही मंजिल, बाबा भीम आये हैं।
जलावो दीप स्वागत में, बाबा भीम आये हैं।।
बजाओ बाजा स्वागत में-----------------------।।

इनके हाथ का संविधान, देता है सबको न्याय- अधिकार।
इनकी शिक्षा और ज्ञान का, लोहा मानता है संसार।।
शिक्षा है शेरनी का दूध, बताने भीम आये हैं।
बरसाओ फूल तुम उन पर, बाबा भीम आये हैं।।
बजाओ बाजा स्वागत में----------------------।।

बाबा भीम मसीहा है, सभी धर्मों जाति के।

बाबा भीम उद्वारक है, बहुजन- नारी जाति के।।
बचाने इंसानियत को, बाबा भीम आये हैं।
करो स्वागत तुम चलकर, बाबा भीम हैं।।
बजाओ बाजा स्वागत में-----------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma

शीर्षक - कोशिश मेरी बेकार नहीं जायेगी कभी ----------------------------------------------------------------- कोशिश मेरी बेकार नहीं जायेगी कभी। मोहब्बत यह मेरी खुशी लायेगी कभी।। मजबूर करेगी उसको, मिलने को मुझसे। मुलाकात हमारी मोहब्बत करवायेगी कभी।। कोशिश मेरी बेकार----------------------।। वह भी तो देखती होगी, कोई ख्वाब जीवन का। चाहती होगी कोई साथी, वह भी अपने जीवन का।। वह भी तो तड़पती होगी, रातों में बेचैन होकर। उसकी बेचैनी उसकी चाहत को, जगायेगी कभी।। कोशिश मेरी बेकार----------------------।। मालूम है उसको, मेरी मोहब्बत की कहानी। जिसमें बसी है उसकी, खुशी- ओ- रवानी।। उसने भी तो रंग, इसमें भरें है प्यारे-सुनहरे। जीवन में बहार, यह कहानी लायेगी कभी।। कोशिश मेरी बेकार----------------------।। मेरे बिना वह खुश कभी, रह नहीं सकती। गमो- दर्द में वह कभी, जी नहीं सकती।। बहुत मौज की है उसने, मेरी इन बाँहों में। फिर से मेरी इन बाँहों में, वह आयेगी कभी।। कोशिश मेरी बेकार----------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma

#गीतकार #कविता  शीर्षक - कोशिश मेरी बेकार नहीं जायेगी कभी
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कोशिश मेरी बेकार नहीं जायेगी कभी।
मोहब्बत यह मेरी खुशी लायेगी कभी।।
मजबूर करेगी उसको, मिलने को मुझसे।
मुलाकात हमारी मोहब्बत करवायेगी कभी।।
कोशिश मेरी बेकार----------------------।।

वह भी तो देखती होगी, कोई ख्वाब जीवन का।
चाहती होगी कोई साथी, वह भी अपने जीवन का।।
वह भी तो तड़पती होगी, रातों में बेचैन होकर।
उसकी बेचैनी उसकी चाहत को, जगायेगी कभी।।
कोशिश मेरी बेकार----------------------।।

मालूम है उसको, मेरी मोहब्बत की कहानी।
जिसमें बसी है उसकी, खुशी- ओ- रवानी।।
उसने भी तो रंग, इसमें भरें है प्यारे-सुनहरे।
जीवन में बहार, यह कहानी लायेगी कभी।।
कोशिश मेरी बेकार----------------------।।

मेरे बिना वह खुश कभी, रह नहीं सकती।
गमो- दर्द में वह कभी, जी नहीं सकती।।
बहुत मौज की है उसने, मेरी इन बाँहों में।
फिर से मेरी इन बाँहों में, वह आयेगी कभी।।
कोशिश मेरी बेकार----------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma

शीर्षक- अधखिली यह कली ------------------------------------------------------- अधखिली यह कली , जो खिलती कभी । तोड़ डाला इसे , जालिमों ने अभी ।। यह तो मिटने चली , जो महकती कभी । अधखिली यह कली -------------------------।। यह डोली यहाँ जिसकी , सजने लगी है । यह शहनाई यहाँ जो , बजने लगी है ।। अभी तो है बचपन, उम्र खेलने की । बन गई है दुल्हन ,मेहंदी इसके लगी है ।। दे रहे हैं विदाई , इसको सभी । मिट गए इसके अरमां , आज सभी ।। अधखिली यह कली -------------------------।। यह किसको सुनाये , कहानी अपनी । बैठी रहती है खामोश , गुमशुम बनी ।। इसके सपनों से मतलब , किसी को नहीं । यह तो व्यापार की एक ,वस्तु बनी ।। लगी है नजर इसके , हुस्न पर । कर रहे हैं इसी का , सौदा सभी ।। अधखिली यह कली --------------------------।। नहीं इसका नसीब , हक जताये अपना । आसमां को उड़े , तोड़ पहरा अपना ।। इसके दुश्मन नहीं और , अपने ही है । अब बताये किसे यह , दर्द अपना ।। यह बनकर शमां , करती रोशनी । मगर इसको तो , बुझा दिया अभी ।। अधखिली यह कली ------------------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार- गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma

#गीतकार #शायरी  शीर्षक- अधखिली यह कली
-------------------------------------------------------
अधखिली यह कली , जो खिलती कभी ।
तोड़ डाला इसे , जालिमों ने अभी ।।
यह तो मिटने चली , जो महकती कभी ।
अधखिली यह कली -------------------------।।

यह डोली यहाँ जिसकी , सजने लगी है ।
यह शहनाई यहाँ जो , बजने लगी है ।।
अभी तो है बचपन, उम्र खेलने की ।
बन गई है दुल्हन ,मेहंदी इसके लगी है ।।
दे रहे हैं विदाई , इसको सभी ।
मिट गए इसके अरमां , आज सभी ।।
अधखिली यह कली -------------------------।।

यह किसको सुनाये , कहानी अपनी ।
बैठी रहती है खामोश , गुमशुम बनी ।।
इसके सपनों से मतलब , किसी को नहीं ।
यह तो व्यापार की एक ,वस्तु बनी ।।
लगी है नजर इसके , हुस्न पर ।
कर रहे हैं इसी का , सौदा सभी ।।
अधखिली यह कली --------------------------।।

नहीं इसका नसीब , हक जताये अपना ।
आसमां को उड़े , तोड़ पहरा अपना ।।
इसके दुश्मन नहीं और , अपने ही है ।
अब बताये किसे यह , दर्द अपना ।।
यह बनकर शमां , करती रोशनी ।
मगर इसको तो , बुझा दिया अभी ।।
अधखिली यह कली ------------------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma

शीर्षक- वो ही तो यहाँ बदनाम प्यार को करते हैं ----------------------------------------------------------- वो ही तो यहाँ, बदनाम प्यार को करते हैं। समझकर जिनको सज्जन, हम प्यार करते हैं।। वो ही तो यहाँ ----------------------------।। करते हैं वो जुदा दिलों को, धर्म के नाम पर। करते हैं वो सितम दिलों पर, शर्म के नाम पर।। वो ही तो सरहद, मोहब्बत में खींचा करते हैं। वो ही तो यहाँ ---------------------------।। पसन्द नहीं है उनको, अफ़साना दिल के प्यार का। तोड़कर रस्मो- रिवाज को, बसाना घर प्यार का। प्रेमियों के खूं से वो, उपदेश अपना लिखते हैं। वो ही तो यहाँ ----------------------------।। चाहते नहीं मिटाना वो, दूरियाँ भेदभाव की। जलती हुई बुझाना, अग्नि यहाँ अलगाव की।। वो ही तो फिर प्यार को, भगवान यहाँ कहते हैं। वो ही तो यहाँ --------------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma

#गीतकार #शायरी  शीर्षक- वो ही तो यहाँ बदनाम प्यार को करते हैं
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वो ही तो यहाँ, बदनाम प्यार को करते हैं।
समझकर जिनको सज्जन, हम प्यार करते हैं।।
वो ही तो यहाँ ----------------------------।।

करते हैं वो जुदा दिलों को, धर्म के नाम पर।
करते हैं वो सितम दिलों पर, शर्म के नाम पर।।
वो ही तो सरहद, मोहब्बत में खींचा करते हैं।
वो ही तो यहाँ ---------------------------।।

पसन्द नहीं है उनको, अफ़साना दिल के प्यार का।
तोड़कर रस्मो- रिवाज को, बसाना घर प्यार का।
प्रेमियों के खूं से वो, उपदेश अपना लिखते हैं।
वो ही तो यहाँ ----------------------------।।

चाहते नहीं मिटाना वो, दूरियाँ भेदभाव की।
जलती हुई बुझाना, अग्नि यहाँ अलगाव की।।
वो ही तो फिर प्यार को, भगवान यहाँ कहते हैं।
वो ही तो यहाँ --------------------------।।





शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma
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