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#कविता #sadak  सड़कें हैं खामोश रात की कहानियाँ,
जहाँ हर कदम पर बसी हैं अनजानी निशानियाँ।
इनकी धूल में छुपे हैं सपनों के टुकड़े,
जो हर गुजरते मुसाफ़िर से कहें कुछ किस्से।
यहाँ की हवा में बसती है सफर की महक,
हर मोड़ पर झलकता है जीवन का एक नयापन।
टूटे हुए दिलों की गवाह हैं ये सड़कें,
जो हर दिन सजाती हैं अपनी नई तकदीरें।
कभी ये सुनसान होती हैं, कभी चहल-पहल,
हर गुजरता वक़्त इन्हें देता है नया अक्स।
इन सड़कों पर चलते हैं कई अरमान,
जो हर रात ढूंढते हैं अपने मंज़िल के निशान।
यहाँ की चुप्पी में भी है एक गहरी बात,
सड़कें सिखाती हैं हमें हर दिन नया साथ।
इन पर बिछड़े और मिले हैं कई लोग,
सड़कें हैं जीवन का अनमोल संजोग।

©Nirankar Trivedi

#sadak सड़कें हैं खामोश रात की कहानियाँ हिंदी कविता कविता कोश प्रेरणादायी कविता हिंदी हिंदी कविता कविता

108 View

#कविता #cg_forest  White कुत्ते का पिल्ला बैठा नीम की शाम में आज बारिश होगी आपकी भी गांव में

©श्यामजी शयमजी

#cg_forest कविता कविता

90 View

#मराठीशायरी #रानफुले #कविता  #रानफुले वेडी

©Dileep Bhope

White झाडे लावुनी जागवूया आपली माती उष्णतेच्या लाटेचे उभे थैमान माथी वर्षानुवर्ष खितपत पडली आपली माती तुटका पाऊस नि दुष्काळ हाती निवारण यावरी एकच आता झाडे लावूनी जगवूया आपली माती ज्या गावात नि शिवारावर झाडे हिरवी गाव आनंदाने ते सदा बहरे करा निश्चय मनात एकच आता नि उतरू द्या आपल्या कृतीत झाड लावुनी जगवूया आपली माती नाही तो दिवस लांब आता कृत्रिम हवा पाणी येईल बाजारी तव महाग होईल जीवनाची स्पंदने का ? संकट ओढवून घेता आपल्या हाताने झाड लावुनी चला जगवूया माती नको उशीर पुन्हा आता तू तू मै मै का करता ? ठरेल प्राणघाती हे आपणा उठा जन सहकार्याने शाश्वत जीवनासाठी झाड लावुनी चला जगवूया आपली माती ©Jaymala Bharkade

#मराठीकविता #झाडे  White   झाडे लावुनी जागवूया आपली माती

उष्णतेच्या लाटेचे उभे थैमान  माथी
वर्षानुवर्ष खितपत पडली आपली माती
 तुटका पाऊस नि दुष्काळ हाती
  निवारण यावरी एकच आता  
झाडे लावूनी जगवूया आपली माती

 ज्या गावात नि शिवारावर झाडे  हिरवी
 गाव आनंदाने ते सदा बहरे
करा निश्चय मनात एकच आता 
नि उतरू द्या आपल्या कृतीत 
झाड लावुनी जगवूया आपली माती

 नाही तो दिवस लांब आता
 कृत्रिम हवा पाणी येईल बाजारी
तव महाग होईल जीवनाची स्पंदने 
 का ? संकट ओढवून घेता आपल्या हाताने 
झाड लावुनी चला जगवूया माती 

नको उशीर पुन्हा आता 
तू तू मै मै का करता ?
 ठरेल प्राणघाती हे आपणा
उठा जन सहकार्याने शाश्वत जीवनासाठी
 झाड लावुनी चला जगवूया आपली माती

©Jaymala Bharkade

#झाडे लावा झाडे जगवा

19 Love

#मराठीप्रेम #कविता

White शीर्षक- इस ठग को क्या नाम दे --------------------------------------------------------- बड़े नम्बरी होते हैं वो आदमी, जो करते हैं शोषण छोटे आदमी का, और छीन लेते हैं उधारी चुकाने के नाम पर, गरीब आदमी की जमीन और आजादी। लेते हैं काम छोटे आदमी को, कोल्हू के बैल की तरह दिनरात, एक वर्ष की मजदूरी बीस हजार देकर, जबकि होते हैं खर्च पाँच हजार एक माह में। लेता है ब्याज बहुत वो आदमी, छोटे आदमी को देकर उधार रुपये, बड़े ही ठाठ होते हैं इन आदमियों के, जिनके होते हैं मकां महलनुमा। होती है उनकी जिंदगी राजा सी, जिनके एक ही आदेश पर, हो जाते हैं सारे काम, और हाजिर नौकर चाकरी में। कमाता होगा इतने रुपये वह आदमी, मेहनत की कमाई से कभी भी नहीं, बनाता है वह अपनी इतनी सम्पत्ति, भ्रष्टाचार और दो नम्बर की कमाई से। लेकिन एक ऐसा आदमी भी है, जो लेता है बड़े आदमी से भी ज्यादा दाम, करता नहीं रहम वो अपने भाई पर भी, और कोसता है वह बड़े आदमी, इस ठग को क्या नाम दे।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma

 White शीर्षक- इस ठग को क्या नाम दे
---------------------------------------------------------
बड़े नम्बरी होते हैं वो आदमी,
जो करते हैं शोषण छोटे आदमी का,
और छीन लेते हैं उधारी चुकाने के नाम पर,
गरीब आदमी की जमीन और आजादी।

लेते हैं काम छोटे आदमी को,
कोल्हू के बैल की तरह दिनरात,
एक वर्ष की मजदूरी बीस हजार देकर,
जबकि होते हैं खर्च पाँच हजार एक माह में।

लेता है ब्याज बहुत वो आदमी,
छोटे आदमी को देकर उधार रुपये,
बड़े ही ठाठ होते हैं इन आदमियों के,
जिनके होते हैं मकां महलनुमा।

होती है उनकी जिंदगी राजा सी,
जिनके एक ही आदेश पर,
हो जाते हैं सारे काम,
और हाजिर नौकर चाकरी में।

कमाता होगा इतने रुपये वह आदमी,
मेहनत की कमाई से कभी भी नहीं,
बनाता है वह अपनी इतनी सम्पत्ति,
भ्रष्टाचार और दो नम्बर की कमाई से।

लेकिन एक ऐसा आदमी भी है,
जो लेता है बड़े आदमी से भी ज्यादा दाम,
करता नहीं रहम वो अपने भाई पर भी,
और कोसता है वह बड़े आदमी,
इस ठग को क्या नाम दे।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma

#कविता

9 Love

#कविता #sadak  सड़कें हैं खामोश रात की कहानियाँ,
जहाँ हर कदम पर बसी हैं अनजानी निशानियाँ।
इनकी धूल में छुपे हैं सपनों के टुकड़े,
जो हर गुजरते मुसाफ़िर से कहें कुछ किस्से।
यहाँ की हवा में बसती है सफर की महक,
हर मोड़ पर झलकता है जीवन का एक नयापन।
टूटे हुए दिलों की गवाह हैं ये सड़कें,
जो हर दिन सजाती हैं अपनी नई तकदीरें।
कभी ये सुनसान होती हैं, कभी चहल-पहल,
हर गुजरता वक़्त इन्हें देता है नया अक्स।
इन सड़कों पर चलते हैं कई अरमान,
जो हर रात ढूंढते हैं अपने मंज़िल के निशान।
यहाँ की चुप्पी में भी है एक गहरी बात,
सड़कें सिखाती हैं हमें हर दिन नया साथ।
इन पर बिछड़े और मिले हैं कई लोग,
सड़कें हैं जीवन का अनमोल संजोग।

©Nirankar Trivedi

#sadak सड़कें हैं खामोश रात की कहानियाँ हिंदी कविता कविता कोश प्रेरणादायी कविता हिंदी हिंदी कविता कविता

108 View

#कविता #cg_forest  White कुत्ते का पिल्ला बैठा नीम की शाम में आज बारिश होगी आपकी भी गांव में

©श्यामजी शयमजी

#cg_forest कविता कविता

90 View

#मराठीशायरी #रानफुले #कविता  #रानफुले वेडी

©Dileep Bhope

White झाडे लावुनी जागवूया आपली माती उष्णतेच्या लाटेचे उभे थैमान माथी वर्षानुवर्ष खितपत पडली आपली माती तुटका पाऊस नि दुष्काळ हाती निवारण यावरी एकच आता झाडे लावूनी जगवूया आपली माती ज्या गावात नि शिवारावर झाडे हिरवी गाव आनंदाने ते सदा बहरे करा निश्चय मनात एकच आता नि उतरू द्या आपल्या कृतीत झाड लावुनी जगवूया आपली माती नाही तो दिवस लांब आता कृत्रिम हवा पाणी येईल बाजारी तव महाग होईल जीवनाची स्पंदने का ? संकट ओढवून घेता आपल्या हाताने झाड लावुनी चला जगवूया माती नको उशीर पुन्हा आता तू तू मै मै का करता ? ठरेल प्राणघाती हे आपणा उठा जन सहकार्याने शाश्वत जीवनासाठी झाड लावुनी चला जगवूया आपली माती ©Jaymala Bharkade

#मराठीकविता #झाडे  White   झाडे लावुनी जागवूया आपली माती

उष्णतेच्या लाटेचे उभे थैमान  माथी
वर्षानुवर्ष खितपत पडली आपली माती
 तुटका पाऊस नि दुष्काळ हाती
  निवारण यावरी एकच आता  
झाडे लावूनी जगवूया आपली माती

 ज्या गावात नि शिवारावर झाडे  हिरवी
 गाव आनंदाने ते सदा बहरे
करा निश्चय मनात एकच आता 
नि उतरू द्या आपल्या कृतीत 
झाड लावुनी जगवूया आपली माती

 नाही तो दिवस लांब आता
 कृत्रिम हवा पाणी येईल बाजारी
तव महाग होईल जीवनाची स्पंदने 
 का ? संकट ओढवून घेता आपल्या हाताने 
झाड लावुनी चला जगवूया माती 

नको उशीर पुन्हा आता 
तू तू मै मै का करता ?
 ठरेल प्राणघाती हे आपणा
उठा जन सहकार्याने शाश्वत जीवनासाठी
 झाड लावुनी चला जगवूया आपली माती

©Jaymala Bharkade

#झाडे लावा झाडे जगवा

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#मराठीप्रेम #कविता

White शीर्षक- इस ठग को क्या नाम दे --------------------------------------------------------- बड़े नम्बरी होते हैं वो आदमी, जो करते हैं शोषण छोटे आदमी का, और छीन लेते हैं उधारी चुकाने के नाम पर, गरीब आदमी की जमीन और आजादी। लेते हैं काम छोटे आदमी को, कोल्हू के बैल की तरह दिनरात, एक वर्ष की मजदूरी बीस हजार देकर, जबकि होते हैं खर्च पाँच हजार एक माह में। लेता है ब्याज बहुत वो आदमी, छोटे आदमी को देकर उधार रुपये, बड़े ही ठाठ होते हैं इन आदमियों के, जिनके होते हैं मकां महलनुमा। होती है उनकी जिंदगी राजा सी, जिनके एक ही आदेश पर, हो जाते हैं सारे काम, और हाजिर नौकर चाकरी में। कमाता होगा इतने रुपये वह आदमी, मेहनत की कमाई से कभी भी नहीं, बनाता है वह अपनी इतनी सम्पत्ति, भ्रष्टाचार और दो नम्बर की कमाई से। लेकिन एक ऐसा आदमी भी है, जो लेता है बड़े आदमी से भी ज्यादा दाम, करता नहीं रहम वो अपने भाई पर भी, और कोसता है वह बड़े आदमी, इस ठग को क्या नाम दे।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma

 White शीर्षक- इस ठग को क्या नाम दे
---------------------------------------------------------
बड़े नम्बरी होते हैं वो आदमी,
जो करते हैं शोषण छोटे आदमी का,
और छीन लेते हैं उधारी चुकाने के नाम पर,
गरीब आदमी की जमीन और आजादी।

लेते हैं काम छोटे आदमी को,
कोल्हू के बैल की तरह दिनरात,
एक वर्ष की मजदूरी बीस हजार देकर,
जबकि होते हैं खर्च पाँच हजार एक माह में।

लेता है ब्याज बहुत वो आदमी,
छोटे आदमी को देकर उधार रुपये,
बड़े ही ठाठ होते हैं इन आदमियों के,
जिनके होते हैं मकां महलनुमा।

होती है उनकी जिंदगी राजा सी,
जिनके एक ही आदेश पर,
हो जाते हैं सारे काम,
और हाजिर नौकर चाकरी में।

कमाता होगा इतने रुपये वह आदमी,
मेहनत की कमाई से कभी भी नहीं,
बनाता है वह अपनी इतनी सम्पत्ति,
भ्रष्टाचार और दो नम्बर की कमाई से।

लेकिन एक ऐसा आदमी भी है,
जो लेता है बड़े आदमी से भी ज्यादा दाम,
करता नहीं रहम वो अपने भाई पर भी,
और कोसता है वह बड़े आदमी,
इस ठग को क्या नाम दे।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma

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9 Love

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