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New सरोज स्मृति कविता Status, Photo, Video

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#मराठीशायरी #रानफुले #कविता  #रानफुले वेडी

©Dileep Bhope

White व्यक्ति चला जाता है पर स्मृतियां रह जाती हैं शेष, स्मृतियां हो जाती ओझल, पर रह जाते कुछ अवशेष।। ©Khushi Kandu

#स्मृति #विचार #अवशेष #SAD  White व्यक्ति चला जाता है पर स्मृतियां रह जाती हैं शेष,
स्मृतियां हो जाती ओझल, पर रह जाते कुछ अवशेष।।

©Khushi Kandu
#शायरी  ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए,
भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए।

पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई,
लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए।

बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी,
सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए।

उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं,
दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए।

थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने।
चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए।

                                   कवि-शिव गोपाल अवस्थी

©Shiv gopal awasthi

कविता

99 View

#स्मृति #होती #Radhegovind #Bhakti  मैं निरी काठ थी,तेरे हाथों में आके बन गई बांसुरी,
मैं टूटा साज थी, तेरे उर से निकल बन गई माधुरी,
मैं तो निराश थी, तेरी भक्ति ने जीवन को देदी धुरी,
गिरने से पहले मेरे मोहन! हाथ थाम लेना मेरा यूँ ही,
 तुम बिन अधूरी थी मैं, स्मृति तुमसे ही होती पूरी,
बेरंग सी थी मैं , तेरे प्रेम में रंग,बन गई सिंदूरी,
मैं निरी काठ थी, तेरे हाथों में आके बन गई बांसुरी ||

©स्मृति.... Monika

#Radhegovind#स्मृति तुमसे ही #होती पूरी

117 View

,,,,,,,,,,,,,,,,,,, ©Harsh Sharma

 ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

©Harsh Sharma

#कविता

16 Love

#कविता

कविता

441 View

#मराठीशायरी #रानफुले #कविता  #रानफुले वेडी

©Dileep Bhope

White व्यक्ति चला जाता है पर स्मृतियां रह जाती हैं शेष, स्मृतियां हो जाती ओझल, पर रह जाते कुछ अवशेष।। ©Khushi Kandu

#स्मृति #विचार #अवशेष #SAD  White व्यक्ति चला जाता है पर स्मृतियां रह जाती हैं शेष,
स्मृतियां हो जाती ओझल, पर रह जाते कुछ अवशेष।।

©Khushi Kandu
#शायरी  ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए,
भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए।

पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई,
लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए।

बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी,
सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए।

उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं,
दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए।

थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने।
चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए।

                                   कवि-शिव गोपाल अवस्थी

©Shiv gopal awasthi

कविता

99 View

#स्मृति #होती #Radhegovind #Bhakti  मैं निरी काठ थी,तेरे हाथों में आके बन गई बांसुरी,
मैं टूटा साज थी, तेरे उर से निकल बन गई माधुरी,
मैं तो निराश थी, तेरी भक्ति ने जीवन को देदी धुरी,
गिरने से पहले मेरे मोहन! हाथ थाम लेना मेरा यूँ ही,
 तुम बिन अधूरी थी मैं, स्मृति तुमसे ही होती पूरी,
बेरंग सी थी मैं , तेरे प्रेम में रंग,बन गई सिंदूरी,
मैं निरी काठ थी, तेरे हाथों में आके बन गई बांसुरी ||

©स्मृति.... Monika

#Radhegovind#स्मृति तुमसे ही #होती पूरी

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,,,,,,,,,,,,,,,,,,, ©Harsh Sharma

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©Harsh Sharma

#कविता

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#कविता

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