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#कोट्स

आपके विचार को देश दुनिया तक पहुंचाने का इस वर्ष का अंतिम मौका। आखिरी दिन, संतुलन की शुरुआत का हिस्सा बनने के लिए, अपने अंतर्मन के भाव को द

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#poetrycommunity #मराठी #tarukikalam25 #indianwriter #Trending

शीर्षक तुटलेली आशा पुनर्संचयित करण्यासाठी प्रयत्न हिन्दी अनुवाद टूटी उम्मीद को पुनः स्थापित करने का कोशिश विधा वास्तविक भाव हिन्दी अनु

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चौपाई छन्द :- जीवन की सच्चाई देखी । जब करके अच्छाई देखी ।। राम कहाँ हम बन पायेंगे । साथ न तेरे चल पायेंगे ।। भरा पेट क्या भरत राज में । रहते हम भी उस समाज में ।। हजम नहीं वह घी कर पाते । छीन निवाले जो है खाते ।। मंदिर-मंदिर करके रोये । पाये तो सीढ़ी पे सोये ।। चुनकर उनको तुम रखवाला । कर बैठे अपना मुँह काला । मार ठहाका जो हैं हँसते । काटें में मछली हैं फँसते ।। देख खुशी ऐसे हर्षाने , स्वयं न छवि अपनी पहचाने ।। अच्छी सीख अवध ने दी है । भूलूं न मैं भीख में दी है ।। शीश नवाता अवध भूमि को ।  करना चाहूँ नमन भूमि को ।। पुनः लौट जो अवसर आये । तट सरयू दर्शन हम पाये ।। हनुमत खड़े रहे बन प्रहरी । हर इच्छा जो हरि की ठहरी ।। मैं मानूँ सब हरि की माया । हर काया में उनकी छाया ।। मिला प्रसाद हमें प्रभु दर से । पुनः शुरूआत उसी घर से ।। भूल क्षमा हो रघुवर मेरे । दूर करो ये आज अँधेरे ।। तुम ही हो इस जग के स्वामी । माने तुमको अन्तरयामी ।। राम कहाँ कुछ उनके लगते । जो मन चाहे बकते रहते ।। हमने रघुवर को सब माना । महल बने था दिल में ठाना ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  चौपाई छन्द :-
जीवन की सच्चाई देखी । जब करके अच्छाई देखी ।।
राम कहाँ हम बन पायेंगे । साथ न तेरे चल पायेंगे ।।
भरा पेट क्या भरत राज में । रहते हम भी उस समाज में ।।
हजम नहीं वह घी कर पाते । छीन निवाले जो है खाते ।।
मंदिर-मंदिर करके रोये । पाये तो सीढ़ी पे सोये ।।
चुनकर उनको तुम रखवाला । कर बैठे अपना मुँह काला ।
मार ठहाका जो हैं हँसते । काटें में मछली हैं फँसते ।।
देख खुशी ऐसे हर्षाने , स्वयं न छवि अपनी पहचाने ।।
अच्छी सीख अवध ने दी है । भूलूं न मैं भीख में दी है ।।
शीश नवाता अवध भूमि को ।  करना चाहूँ नमन भूमि को ।।
पुनः लौट जो अवसर आये । तट सरयू दर्शन हम पाये ।।
हनुमत खड़े रहे बन प्रहरी । हर इच्छा जो हरि की ठहरी ।।
मैं मानूँ सब हरि की माया । हर काया में उनकी छाया ।।
मिला प्रसाद हमें प्रभु दर से । पुनः शुरूआत उसी घर से ।।
भूल क्षमा हो रघुवर मेरे । दूर करो ये आज अँधेरे ।।
तुम ही हो इस जग के स्वामी । माने तुमको अन्तरयामी ।।
राम कहाँ कुछ उनके लगते । जो मन चाहे बकते रहते ।।
हमने रघुवर को सब माना । महल बने था दिल में ठाना ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

चौपाई छन्द :- जीवन की सच्चाई देखी । जब करके अच्छाई देखी ।। राम कहाँ हम बन पायेंगे । साथ न तेरे चल पायेंगे ।। भरा पेट क्या भरत राज में । रहते

13 Love

Anyway ! Life Is Here , How Long Will It Last. Its Power Is Only Till Its Death. Oneday Everything Will Be Destroyed. Everything Will Be Become New. All The Tangled Threads Will Burn And Everything Will Become Better Again. ख़ैर! जीवन है, कब तक ही रहेगा। इसकी औकात इसकी मृत्यु तक ही है। एक दिन सब कुछ भस्म हो जाएगा। सब कुछ नया हो जायेगा। सभी उलझे धागे जल जायेगे और सब कुछ पुनः बेहतर हो जाएगा। ©Sai Angel Shaayari

#lonely_quotes  Anyway ! Life Is Here , How Long Will It Last. Its Power Is Only Till Its Death. Oneday Everything Will Be Destroyed. Everything Will Be Become New. All The Tangled Threads Will Burn And Everything Will Become Better Again.

ख़ैर! जीवन है, कब तक ही रहेगा। इसकी औकात इसकी मृत्यु तक ही है। एक दिन सब कुछ भस्म हो जाएगा। सब कुछ नया हो जायेगा। सभी उलझे धागे जल जायेगे और सब कुछ पुनः बेहतर हो जाएगा।

©Sai Angel Shaayari

#lonely_quotes Anyway ! Life Is Here , How Long Will It Last. Its Power Is Only Till Its Death. Oneday Everything Will Be Destroyed. Every

11 Love

 Black गहरी निशा
खटखट किबाड़
बदली मेरी दिशा
वो पल बनाएं
छल को निश्चल बताएं
उल्टे पन्नों को सुलटाएं
मिटे अक्षरों को लिख जाएं
कल्पनाओं से भी अदभुत
कहानी वो रच जाएं
चिमनी से निकलकर
पल को साथ लेकर 
उस धुएं में मिलकर
जो राख बन जाएं
ऐसा स्वपन पुनः लौटकर न आएं ।

©Bhanu Priya

गहरी निशा खटखट किबाड़ बदली मेरी दिशा वो पल बनाएं छल को निश्चल बताएं उल्टे पन्नों को सुलटाएं मिटे अक्षरों को लिख जाएं कल्पनाओं से भी अदभुत

450 View

#निसंदेह #घुलमिल #अदनासा #भगवान #हिंदी #कोट्स  कण-कण से मेरी उत्पत्ति हुई मैं केवल कण हूं ,
पुनः कण-कण में ही यह देह घुल-मिल जाएगा ।
बावला है वह मनुष्य जो कहे भगवान कहाँ है ?
क्या कण में मानव में निस्संदेह भगवान देखेगा ?

©अदनासा-
#कोट्स

आपके विचार को देश दुनिया तक पहुंचाने का इस वर्ष का अंतिम मौका। आखिरी दिन, संतुलन की शुरुआत का हिस्सा बनने के लिए, अपने अंतर्मन के भाव को द

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#poetrycommunity #मराठी #tarukikalam25 #indianwriter #Trending

शीर्षक तुटलेली आशा पुनर्संचयित करण्यासाठी प्रयत्न हिन्दी अनुवाद टूटी उम्मीद को पुनः स्थापित करने का कोशिश विधा वास्तविक भाव हिन्दी अनु

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चौपाई छन्द :- जीवन की सच्चाई देखी । जब करके अच्छाई देखी ।। राम कहाँ हम बन पायेंगे । साथ न तेरे चल पायेंगे ।। भरा पेट क्या भरत राज में । रहते हम भी उस समाज में ।। हजम नहीं वह घी कर पाते । छीन निवाले जो है खाते ।। मंदिर-मंदिर करके रोये । पाये तो सीढ़ी पे सोये ।। चुनकर उनको तुम रखवाला । कर बैठे अपना मुँह काला । मार ठहाका जो हैं हँसते । काटें में मछली हैं फँसते ।। देख खुशी ऐसे हर्षाने , स्वयं न छवि अपनी पहचाने ।। अच्छी सीख अवध ने दी है । भूलूं न मैं भीख में दी है ।। शीश नवाता अवध भूमि को ।  करना चाहूँ नमन भूमि को ।। पुनः लौट जो अवसर आये । तट सरयू दर्शन हम पाये ।। हनुमत खड़े रहे बन प्रहरी । हर इच्छा जो हरि की ठहरी ।। मैं मानूँ सब हरि की माया । हर काया में उनकी छाया ।। मिला प्रसाद हमें प्रभु दर से । पुनः शुरूआत उसी घर से ।। भूल क्षमा हो रघुवर मेरे । दूर करो ये आज अँधेरे ।। तुम ही हो इस जग के स्वामी । माने तुमको अन्तरयामी ।। राम कहाँ कुछ उनके लगते । जो मन चाहे बकते रहते ।। हमने रघुवर को सब माना । महल बने था दिल में ठाना ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  चौपाई छन्द :-
जीवन की सच्चाई देखी । जब करके अच्छाई देखी ।।
राम कहाँ हम बन पायेंगे । साथ न तेरे चल पायेंगे ।।
भरा पेट क्या भरत राज में । रहते हम भी उस समाज में ।।
हजम नहीं वह घी कर पाते । छीन निवाले जो है खाते ।।
मंदिर-मंदिर करके रोये । पाये तो सीढ़ी पे सोये ।।
चुनकर उनको तुम रखवाला । कर बैठे अपना मुँह काला ।
मार ठहाका जो हैं हँसते । काटें में मछली हैं फँसते ।।
देख खुशी ऐसे हर्षाने , स्वयं न छवि अपनी पहचाने ।।
अच्छी सीख अवध ने दी है । भूलूं न मैं भीख में दी है ।।
शीश नवाता अवध भूमि को ।  करना चाहूँ नमन भूमि को ।।
पुनः लौट जो अवसर आये । तट सरयू दर्शन हम पाये ।।
हनुमत खड़े रहे बन प्रहरी । हर इच्छा जो हरि की ठहरी ।।
मैं मानूँ सब हरि की माया । हर काया में उनकी छाया ।।
मिला प्रसाद हमें प्रभु दर से । पुनः शुरूआत उसी घर से ।।
भूल क्षमा हो रघुवर मेरे । दूर करो ये आज अँधेरे ।।
तुम ही हो इस जग के स्वामी । माने तुमको अन्तरयामी ।।
राम कहाँ कुछ उनके लगते । जो मन चाहे बकते रहते ।।
हमने रघुवर को सब माना । महल बने था दिल में ठाना ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

चौपाई छन्द :- जीवन की सच्चाई देखी । जब करके अच्छाई देखी ।। राम कहाँ हम बन पायेंगे । साथ न तेरे चल पायेंगे ।। भरा पेट क्या भरत राज में । रहते

13 Love

Anyway ! Life Is Here , How Long Will It Last. Its Power Is Only Till Its Death. Oneday Everything Will Be Destroyed. Everything Will Be Become New. All The Tangled Threads Will Burn And Everything Will Become Better Again. ख़ैर! जीवन है, कब तक ही रहेगा। इसकी औकात इसकी मृत्यु तक ही है। एक दिन सब कुछ भस्म हो जाएगा। सब कुछ नया हो जायेगा। सभी उलझे धागे जल जायेगे और सब कुछ पुनः बेहतर हो जाएगा। ©Sai Angel Shaayari

#lonely_quotes  Anyway ! Life Is Here , How Long Will It Last. Its Power Is Only Till Its Death. Oneday Everything Will Be Destroyed. Everything Will Be Become New. All The Tangled Threads Will Burn And Everything Will Become Better Again.

ख़ैर! जीवन है, कब तक ही रहेगा। इसकी औकात इसकी मृत्यु तक ही है। एक दिन सब कुछ भस्म हो जाएगा। सब कुछ नया हो जायेगा। सभी उलझे धागे जल जायेगे और सब कुछ पुनः बेहतर हो जाएगा।

©Sai Angel Shaayari

#lonely_quotes Anyway ! Life Is Here , How Long Will It Last. Its Power Is Only Till Its Death. Oneday Everything Will Be Destroyed. Every

11 Love

 Black गहरी निशा
खटखट किबाड़
बदली मेरी दिशा
वो पल बनाएं
छल को निश्चल बताएं
उल्टे पन्नों को सुलटाएं
मिटे अक्षरों को लिख जाएं
कल्पनाओं से भी अदभुत
कहानी वो रच जाएं
चिमनी से निकलकर
पल को साथ लेकर 
उस धुएं में मिलकर
जो राख बन जाएं
ऐसा स्वपन पुनः लौटकर न आएं ।

©Bhanu Priya

गहरी निशा खटखट किबाड़ बदली मेरी दिशा वो पल बनाएं छल को निश्चल बताएं उल्टे पन्नों को सुलटाएं मिटे अक्षरों को लिख जाएं कल्पनाओं से भी अदभुत

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#निसंदेह #घुलमिल #अदनासा #भगवान #हिंदी #कोट्स  कण-कण से मेरी उत्पत्ति हुई मैं केवल कण हूं ,
पुनः कण-कण में ही यह देह घुल-मिल जाएगा ।
बावला है वह मनुष्य जो कहे भगवान कहाँ है ?
क्या कण में मानव में निस्संदेह भगवान देखेगा ?

©अदनासा-
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