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#शायरी #love_shayari  White पहले मुझ पर भौकता है बहुत की मैं अजनबी हु कोई

अगर घर से जाने का बोलूं कभी तो वो कुर्ता नही छोड़ता

©Shivraj Solanki

कुर्ता नही छोड़ता #love_shayari

90 View

#iwrit_ewhatyouthink #goodnightimages  White सफेद रंग ईमानदारी के

(शीर्षक में पढ़े)

©Shalvi Singh

#goodnightimages *सफेद रंग ईमानदारी के* 🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼 कुछ सफेद रंग ईमानदारी के, जो 90 के दशक की तरह,

162 View

#मंत्री_जी #nojotohindipoetry #sandiprohila #nojotohindi  मंत्री जी
मंत्री जी ओ मंत्री जी
मुंह उठा कर कहां चले
धोती कुर्ता पहन के टोपी
धूल उड़ा कर कहां चले
अत्याचारों से लिपटी धरती
सब तुम्हारी करनी है
आतंकवाद की बढ़ती दरिंदगी
सब तुम्हारी निशानी है
पाप कर्म और मक्कारी का
दिया जलाया तुमने है
खून बहा के निर्दोषों का
धन कमाया तुमने है
मुद्दा बनाके जाति - पांति का
आपस में लड़वाया तुमने है
उसी से भड़कती है हिंसा
उसी से रोटी सेंकी है
और कौन से कुकर्म हैं बाकी
जो तुमने आगे करने हैं
धरती माता पर और लहू की
बारिश करनी तुमने है
मंत्री जी ओ मंत्री जी
मुंह उठा कर कहां चले
धोती कुर्ता पहन के टोपी
धूल झोंक कर कहां चले
…………………………….
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#मंत्री_जी #nojotohindi #nojotohindipoetry मंत्री जी मंत्री जी ओ मंत्री जी मुंह उठा कर कहां चले धोती कुर्ता पहन के टोपी धूल उड़ा कर कहां

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#मंत्री_जी #nojotohindipoetry #sandiprohila #nojotohindi  मंत्री जी
मंत्री जी ओ मंत्री जी
मुंह उठा कर कहां चले
धोती कुर्ता पहन के टोपी
धूल उड़ा कर कहां चले
अत्याचारों से लिपटी धरती
सब तुम्हारी करनी है
आतंकवाद की बढ़ती दरिंदगी
सब तुम्हारी निशानी है
पाप कर्म और मक्कारी का
दिया जलाया तुमने है
खून बहा के निर्दोषों का
धन कमाया तुमने है
मुद्दा बनाके जाति - पांति का
आपस में लड़वाया तुमने है
उसी से भड़कती है हिंसा
उसी से रोटी सेंकी है
और कौन से कुकर्म हैं बाकी
जो तुमने आगे करने हैं
धरती माता पर और लहू की
बारिश करनी तुमने है
मंत्री जी ओ मंत्री जी
मुंह उठा कर कहां चले
धोती कुर्ता पहन के टोपी
धूल झोंक कर कहां चले
…………………………….
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#मंत्री_जी #nojotohindi #nojotohindipoetry मंत्री जी मंत्री जी ओ मंत्री जी मुंह उठा कर कहां चले धोती कुर्ता पहन के टोपी धूल उड़ा कर कहां

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#मंत्री_जी #nojotohindipoetry #sandiprohila #nojotohindi  मंत्री जी

मंत्री जी ओ मंत्री जी
मुंह उठा कर कहां चले
धोती कुर्ता पहन के टोपी
धूल उड़ा कर कहां चले
अत्याचारों से लिपटी धरती
सब तुम्हारी करनी है
आतंकवाद की बढ़ती दरिंदगी
सब तुम्हारी निशानी है
पाप कर्म और मक्कारी का
दिया जलाया तुमने है
खून बहा के निर्दोषों का
धन कमाया तुमने है
मुद्दा बनाके जाति - पांति का
आपस में लड़वाया तुमने है
उसी से भड़कती है हिंसा
उसी से रोटी सेंकी है
और कौन से कुकर्म हैं बाकी
जो तुमने आगे करने हैं
धरती माता पर और लहू की
बारिश करनी तुमने है
मंत्री जी ओ मंत्री जी
मुंह उठा कर कहां चले
धोती कुर्ता पहन के टोपी
धूल झोंक कर कहां चले
…………………………….
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#मंत्री_जी #nojotohindi #nojotohindipoetry मंत्री जी मंत्री जी ओ मंत्री जी मुंह उठा कर कहां चले धोती कुर्ता पहन के टोपी धूल उड़ा कर कहां

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चौपाई छन्द :- पीर पराई बनी बिवाई ।  हमको आज कहाँ ले आयी ।। मन के अपनी बात छुपाऊँ  । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।। चंचल नैनो की थी माया । जो कंचन तन हमको भाया ।। नागिन बन रजनी है डसती । सखी सहेली हँसती तकती ।। कौन जगत में है अब अपना । यह जग तो है झूठा सपना ।। आस दिखाए राह न पाये । सच को बोल बहुत पछताये ।। यह जग है झूठों की नगरी । बहु तय चमके खाली गगरी ।। देख-देख हमहूँ ललचाये । भागे पीछे हाथ न आये ।। खाया वह मार उसूलो से । औ जग के बड़े रसूलों से ।। पाठ पढ़ाया उतना बोलो । पहले तोलो फिर मुँह खोलो ।। आज न कोई उनसे पूछे । जिनकी लम्बी काली मूछे । स्वेत रंग का पहने कुर्ता । बना रहे पब्लिक का भुर्ता ।। बन नीरज रवि रहा अकाशा । देता जग को नित्य दिलाशा । दो रोटी की मन को आशा । जीवन की इतनी परिभाषा ।। लोभ मोह सुख साधन ढूढ़े । खोजे पथ फिर टेढे़ मेंढ़े । बहुत तीव्र है मन की इच्छा । भरे नहीं यह पाकर भिच्छा ।। राधे-राधे रटते-रटते । कट जायेंगे ये भी रस्ते । अपनी करता राधे रानी । जिनकी है हर बात बखानी । प्रेम अटल है तेरा मेरा । क्या लेना अग्नी का फेरा । जब चाहूँ मैं कर लूँ दर्शन । कहता हर पल यह मेरा मन ।। २४/०४/२०२४     -    महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  चौपाई छन्द :-

पीर पराई बनी बिवाई ।  हमको आज कहाँ ले आयी ।।
मन के अपनी बात छुपाऊँ  । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।।

चंचल नैनो की थी माया । जो कंचन तन हमको भाया ।।
नागिन बन रजनी है डसती । सखी सहेली हँसती तकती ।।

कौन जगत में है अब अपना । यह जग तो है झूठा सपना ।।
आस दिखाए राह न पाये । सच को बोल बहुत पछताये ।।

यह जग है झूठों की नगरी । बहु तय चमके खाली गगरी ।।
देख-देख हमहूँ ललचाये । भागे पीछे हाथ न आये ।।

खाया वह मार उसूलो से । औ जग के बड़े रसूलों से ।।
पाठ पढ़ाया उतना बोलो । पहले तोलो फिर मुँह खोलो ।।

आज न कोई उनसे पूछे । जिनकी लम्बी काली मूछे ।
स्वेत रंग का पहने कुर्ता । बना रहे पब्लिक का भुर्ता ।।

बन नीरज रवि रहा अकाशा । देता जग को नित्य दिलाशा ।
दो रोटी की मन को आशा । जीवन की इतनी परिभाषा ।।

लोभ मोह सुख साधन ढूढ़े । खोजे पथ फिर टेढे़ मेंढ़े ।
बहुत तीव्र है मन की इच्छा । भरे नहीं यह पाकर भिच्छा ।।

राधे-राधे रटते-रटते । कट जायेंगे ये भी रस्ते ।
अपनी करता राधे रानी । जिनकी है हर बात बखानी ।

प्रेम अटल है तेरा मेरा । क्या लेना अग्नी का फेरा ।
जब चाहूँ मैं कर लूँ दर्शन । कहता हर पल यह मेरा मन ।।

२४/०४/२०२४     -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

चौपाई छन्द :- पीर पराई बनी बिवाई ।  हमको आज कहाँ ले आयी ।। मन के अपनी बात छुपाऊँ  । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।। चंचल नैनो की थी माया । जो कंच

16 Love

#शायरी #love_shayari  White पहले मुझ पर भौकता है बहुत की मैं अजनबी हु कोई

अगर घर से जाने का बोलूं कभी तो वो कुर्ता नही छोड़ता

©Shivraj Solanki

कुर्ता नही छोड़ता #love_shayari

90 View

#iwrit_ewhatyouthink #goodnightimages  White सफेद रंग ईमानदारी के

(शीर्षक में पढ़े)

©Shalvi Singh

#goodnightimages *सफेद रंग ईमानदारी के* 🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼 कुछ सफेद रंग ईमानदारी के, जो 90 के दशक की तरह,

162 View

#मंत्री_जी #nojotohindipoetry #sandiprohila #nojotohindi  मंत्री जी
मंत्री जी ओ मंत्री जी
मुंह उठा कर कहां चले
धोती कुर्ता पहन के टोपी
धूल उड़ा कर कहां चले
अत्याचारों से लिपटी धरती
सब तुम्हारी करनी है
आतंकवाद की बढ़ती दरिंदगी
सब तुम्हारी निशानी है
पाप कर्म और मक्कारी का
दिया जलाया तुमने है
खून बहा के निर्दोषों का
धन कमाया तुमने है
मुद्दा बनाके जाति - पांति का
आपस में लड़वाया तुमने है
उसी से भड़कती है हिंसा
उसी से रोटी सेंकी है
और कौन से कुकर्म हैं बाकी
जो तुमने आगे करने हैं
धरती माता पर और लहू की
बारिश करनी तुमने है
मंत्री जी ओ मंत्री जी
मुंह उठा कर कहां चले
धोती कुर्ता पहन के टोपी
धूल झोंक कर कहां चले
…………………………….
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#मंत्री_जी #nojotohindi #nojotohindipoetry मंत्री जी मंत्री जी ओ मंत्री जी मुंह उठा कर कहां चले धोती कुर्ता पहन के टोपी धूल उड़ा कर कहां

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#मंत्री_जी #nojotohindipoetry #sandiprohila #nojotohindi  मंत्री जी
मंत्री जी ओ मंत्री जी
मुंह उठा कर कहां चले
धोती कुर्ता पहन के टोपी
धूल उड़ा कर कहां चले
अत्याचारों से लिपटी धरती
सब तुम्हारी करनी है
आतंकवाद की बढ़ती दरिंदगी
सब तुम्हारी निशानी है
पाप कर्म और मक्कारी का
दिया जलाया तुमने है
खून बहा के निर्दोषों का
धन कमाया तुमने है
मुद्दा बनाके जाति - पांति का
आपस में लड़वाया तुमने है
उसी से भड़कती है हिंसा
उसी से रोटी सेंकी है
और कौन से कुकर्म हैं बाकी
जो तुमने आगे करने हैं
धरती माता पर और लहू की
बारिश करनी तुमने है
मंत्री जी ओ मंत्री जी
मुंह उठा कर कहां चले
धोती कुर्ता पहन के टोपी
धूल झोंक कर कहां चले
…………………………….
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#मंत्री_जी #nojotohindi #nojotohindipoetry मंत्री जी मंत्री जी ओ मंत्री जी मुंह उठा कर कहां चले धोती कुर्ता पहन के टोपी धूल उड़ा कर कहां

207 View

#मंत्री_जी #nojotohindipoetry #sandiprohila #nojotohindi  मंत्री जी

मंत्री जी ओ मंत्री जी
मुंह उठा कर कहां चले
धोती कुर्ता पहन के टोपी
धूल उड़ा कर कहां चले
अत्याचारों से लिपटी धरती
सब तुम्हारी करनी है
आतंकवाद की बढ़ती दरिंदगी
सब तुम्हारी निशानी है
पाप कर्म और मक्कारी का
दिया जलाया तुमने है
खून बहा के निर्दोषों का
धन कमाया तुमने है
मुद्दा बनाके जाति - पांति का
आपस में लड़वाया तुमने है
उसी से भड़कती है हिंसा
उसी से रोटी सेंकी है
और कौन से कुकर्म हैं बाकी
जो तुमने आगे करने हैं
धरती माता पर और लहू की
बारिश करनी तुमने है
मंत्री जी ओ मंत्री जी
मुंह उठा कर कहां चले
धोती कुर्ता पहन के टोपी
धूल झोंक कर कहां चले
…………………………….
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#मंत्री_जी #nojotohindi #nojotohindipoetry मंत्री जी मंत्री जी ओ मंत्री जी मुंह उठा कर कहां चले धोती कुर्ता पहन के टोपी धूल उड़ा कर कहां

360 View

चौपाई छन्द :- पीर पराई बनी बिवाई ।  हमको आज कहाँ ले आयी ।। मन के अपनी बात छुपाऊँ  । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।। चंचल नैनो की थी माया । जो कंचन तन हमको भाया ।। नागिन बन रजनी है डसती । सखी सहेली हँसती तकती ।। कौन जगत में है अब अपना । यह जग तो है झूठा सपना ।। आस दिखाए राह न पाये । सच को बोल बहुत पछताये ।। यह जग है झूठों की नगरी । बहु तय चमके खाली गगरी ।। देख-देख हमहूँ ललचाये । भागे पीछे हाथ न आये ।। खाया वह मार उसूलो से । औ जग के बड़े रसूलों से ।। पाठ पढ़ाया उतना बोलो । पहले तोलो फिर मुँह खोलो ।। आज न कोई उनसे पूछे । जिनकी लम्बी काली मूछे । स्वेत रंग का पहने कुर्ता । बना रहे पब्लिक का भुर्ता ।। बन नीरज रवि रहा अकाशा । देता जग को नित्य दिलाशा । दो रोटी की मन को आशा । जीवन की इतनी परिभाषा ।। लोभ मोह सुख साधन ढूढ़े । खोजे पथ फिर टेढे़ मेंढ़े । बहुत तीव्र है मन की इच्छा । भरे नहीं यह पाकर भिच्छा ।। राधे-राधे रटते-रटते । कट जायेंगे ये भी रस्ते । अपनी करता राधे रानी । जिनकी है हर बात बखानी । प्रेम अटल है तेरा मेरा । क्या लेना अग्नी का फेरा । जब चाहूँ मैं कर लूँ दर्शन । कहता हर पल यह मेरा मन ।। २४/०४/२०२४     -    महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  चौपाई छन्द :-

पीर पराई बनी बिवाई ।  हमको आज कहाँ ले आयी ।।
मन के अपनी बात छुपाऊँ  । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।।

चंचल नैनो की थी माया । जो कंचन तन हमको भाया ।।
नागिन बन रजनी है डसती । सखी सहेली हँसती तकती ।।

कौन जगत में है अब अपना । यह जग तो है झूठा सपना ।।
आस दिखाए राह न पाये । सच को बोल बहुत पछताये ।।

यह जग है झूठों की नगरी । बहु तय चमके खाली गगरी ।।
देख-देख हमहूँ ललचाये । भागे पीछे हाथ न आये ।।

खाया वह मार उसूलो से । औ जग के बड़े रसूलों से ।।
पाठ पढ़ाया उतना बोलो । पहले तोलो फिर मुँह खोलो ।।

आज न कोई उनसे पूछे । जिनकी लम्बी काली मूछे ।
स्वेत रंग का पहने कुर्ता । बना रहे पब्लिक का भुर्ता ।।

बन नीरज रवि रहा अकाशा । देता जग को नित्य दिलाशा ।
दो रोटी की मन को आशा । जीवन की इतनी परिभाषा ।।

लोभ मोह सुख साधन ढूढ़े । खोजे पथ फिर टेढे़ मेंढ़े ।
बहुत तीव्र है मन की इच्छा । भरे नहीं यह पाकर भिच्छा ।।

राधे-राधे रटते-रटते । कट जायेंगे ये भी रस्ते ।
अपनी करता राधे रानी । जिनकी है हर बात बखानी ।

प्रेम अटल है तेरा मेरा । क्या लेना अग्नी का फेरा ।
जब चाहूँ मैं कर लूँ दर्शन । कहता हर पल यह मेरा मन ।।

२४/०४/२०२४     -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

चौपाई छन्द :- पीर पराई बनी बिवाई ।  हमको आज कहाँ ले आयी ।। मन के अपनी बात छुपाऊँ  । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।। चंचल नैनो की थी माया । जो कंच

16 Love

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