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New आत्मविश्वासी कैसे बने Status, Photo, Video

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#मोटिवेशनल #boatclub #WoRasta  इंसान इस दुनिया में टूट जाता है... 
तब थक कर ऊपरवाले के सामने बैठ जाता है। 
काफी देर रोता है... 
मेरा कोई इंसान अपना नहीं इस दुनिया में... 
जो कि वो पहली बार वो....
अपने आप से ऊपरवाले के सामने...
सच कह रहा होता... 
और वो पहली बार...
जब सिर्फ वो ऊपरवाले को...
अपना बोल रहा होता है। 
जो कि सच होता है। 
और फिर उस पहले सच के साथ उस इंसान का रिश्ता ऊपरवाले के साथ इतना अटूट हो जाता है।
कि उस टूटे हुए इंसान को फिर कोई इंसान की बोल या तोल तोड़ नहीं पाता है।
क्योंकि एकांत इंसान को आत्मविश्वासी और आत्मनिर्भर बना देता है।

©Di Pi Ka

#boatclub इंसान को एकांत इंसान को आत्मविश्वासी और आत्मनिर्भर बना देता है। #WoRasta

225 View

#शायरी #कैसे  लगाते रंग  चेहरे पर  मगर दिल में  ख़लिश रहता
नहीं कुछ भी असर होता  किसी के सर्द पीरों का !

न  जाने  लोग  कैसे  जी  रहे हैं  रूह  दफ़ना कर
फ़क़त कुछ ऐश की ख़ातिर करे सौदा ज़मीरों का !

©malay_28

#कैसे कैसे लोग

162 View

#ज़िन्दगी

कमजोर न बने

153 View

गर्जनाएँ हो रही आकाश में, सृजन का आवेग है मधुमास में, फूल कलियों में रवानी आ चुकी, ख़ुशी की अनुगूंज है उल्लास में, पंक से निकले खिले पंकज बने, प्रेरणा का श्रोत है उपहास में, दानवीरों की कहानी है अमर, नाम उनका दर्ज है इतिहास में, समय का उपयोग कर संदल हुए, बेवज़ह उलझे नहीं बकवास में, नियति निर्धारित करे जब लक्ष्य को, स्वयं बढ़ चलते हैं पग उजास में, तार दिल से जुड़े हों जब प्रेम का, चाहता रखना हृदय फिर पास में, दीप घट में जले 'गुंजन' ज्ञान का, प्राप्त होती है ख़ुशी हर श्वास में, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra

#शायरी #खिले  गर्जनाएँ  हो  रही  आकाश   में, 
सृजन का आवेग है मधुमास में, 

फूल कलियों में रवानी आ चुकी,
ख़ुशी की अनुगूंज है उल्लास में, 
 
पंक से निकले खिले पंकज बने, 
प्रेरणा  का  श्रोत  है  उपहास में, 

दानवीरों   की  कहानी  है  अमर, 
नाम  उनका  दर्ज है  इतिहास में,

समय का उपयोग कर संदल हुए, 
बेवज़ह  उलझे  नहीं  बकवास में,

नियति निर्धारित करे जब लक्ष्य को, 
स्वयं  बढ़  चलते हैं  पग  उजास में,

तार  दिल से  जुड़े हों  जब  प्रेम का,
चाहता  रखना  हृदय  फिर  पास में, 

दीप  घट में  जले  'गुंजन'  ज्ञान  का, 
प्राप्त  होती  है  ख़ुशी   हर  श्वास में,
     ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
              चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra

#खिले पंकज बने#

12 Love

#प्रेरक

आजादी कैसे मिली ये पढ़ने से ज्यादा जरूरी ये पढ़ना है कि हम गुलाम कैसे बने

144 View

#प्रेरक

आत्मिक बने

6,336 View

#मोटिवेशनल #boatclub #WoRasta  इंसान इस दुनिया में टूट जाता है... 
तब थक कर ऊपरवाले के सामने बैठ जाता है। 
काफी देर रोता है... 
मेरा कोई इंसान अपना नहीं इस दुनिया में... 
जो कि वो पहली बार वो....
अपने आप से ऊपरवाले के सामने...
सच कह रहा होता... 
और वो पहली बार...
जब सिर्फ वो ऊपरवाले को...
अपना बोल रहा होता है। 
जो कि सच होता है। 
और फिर उस पहले सच के साथ उस इंसान का रिश्ता ऊपरवाले के साथ इतना अटूट हो जाता है।
कि उस टूटे हुए इंसान को फिर कोई इंसान की बोल या तोल तोड़ नहीं पाता है।
क्योंकि एकांत इंसान को आत्मविश्वासी और आत्मनिर्भर बना देता है।

©Di Pi Ka

#boatclub इंसान को एकांत इंसान को आत्मविश्वासी और आत्मनिर्भर बना देता है। #WoRasta

225 View

#शायरी #कैसे  लगाते रंग  चेहरे पर  मगर दिल में  ख़लिश रहता
नहीं कुछ भी असर होता  किसी के सर्द पीरों का !

न  जाने  लोग  कैसे  जी  रहे हैं  रूह  दफ़ना कर
फ़क़त कुछ ऐश की ख़ातिर करे सौदा ज़मीरों का !

©malay_28

#कैसे कैसे लोग

162 View

#ज़िन्दगी

कमजोर न बने

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गर्जनाएँ हो रही आकाश में, सृजन का आवेग है मधुमास में, फूल कलियों में रवानी आ चुकी, ख़ुशी की अनुगूंज है उल्लास में, पंक से निकले खिले पंकज बने, प्रेरणा का श्रोत है उपहास में, दानवीरों की कहानी है अमर, नाम उनका दर्ज है इतिहास में, समय का उपयोग कर संदल हुए, बेवज़ह उलझे नहीं बकवास में, नियति निर्धारित करे जब लक्ष्य को, स्वयं बढ़ चलते हैं पग उजास में, तार दिल से जुड़े हों जब प्रेम का, चाहता रखना हृदय फिर पास में, दीप घट में जले 'गुंजन' ज्ञान का, प्राप्त होती है ख़ुशी हर श्वास में, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra

#शायरी #खिले  गर्जनाएँ  हो  रही  आकाश   में, 
सृजन का आवेग है मधुमास में, 

फूल कलियों में रवानी आ चुकी,
ख़ुशी की अनुगूंज है उल्लास में, 
 
पंक से निकले खिले पंकज बने, 
प्रेरणा  का  श्रोत  है  उपहास में, 

दानवीरों   की  कहानी  है  अमर, 
नाम  उनका  दर्ज है  इतिहास में,

समय का उपयोग कर संदल हुए, 
बेवज़ह  उलझे  नहीं  बकवास में,

नियति निर्धारित करे जब लक्ष्य को, 
स्वयं  बढ़  चलते हैं  पग  उजास में,

तार  दिल से  जुड़े हों  जब  प्रेम का,
चाहता  रखना  हृदय  फिर  पास में, 

दीप  घट में  जले  'गुंजन'  ज्ञान  का, 
प्राप्त  होती  है  ख़ुशी   हर  श्वास में,
     ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
              चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra

#खिले पंकज बने#

12 Love

#प्रेरक

आजादी कैसे मिली ये पढ़ने से ज्यादा जरूरी ये पढ़ना है कि हम गुलाम कैसे बने

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#प्रेरक

आत्मिक बने

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