White ज़िन्दगी_में_कई_बार_ज़रूरी_होता_है_चुप_रहना
★ कब चुप रहना है औऱ कब बोलना है,
यह जानना सबसे बड़ा ज्ञान है ।
★ अगर हम गुस्से में हैं,
चिल्लाये बिना कुछ नहीं कह सकते तो चुप रहें ।
★ पूरी बात का पता न होने पर चुप रहें ।
★ अगर हमारे शब्द किसी को अपमानित या
कमज़ोर कर सकते हैं तो चुप रहें ।
★ किसी को अपनी बात सुनाने के लिए
पहले उनकी बात सुनें ।
★ जिन शब्दों से रिश्तों में दरार पैदा हो,
तो चुप रहें।
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ख़ूबसूरती” और “सादगी” में बस इतना फर्क है,
कि ख़ूबसूरती सबको दिखाई देती है,
और सादगी किसी किसी को नजर आती है।
©Saurav Kumar
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