tags

New तीव्र पाणी टंचाई Status, Photo, Video

Find the latest Status about तीव्र पाणी टंचाई from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about तीव्र पाणी टंचाई.

  • Latest
  • Popular
  • Video
#शायरी  


अश्रू भिजल्या पावसाचे पुन्हा 
नेहमीसारखे दिसेनासे होतील 
पाणी वाहून जाणार खरे 
पण दुःख कसे जाणारं ? 
राहिलेले मनात साचून 


प्रेमापोटी हवेच्या, देणाऱ्या झाडांना 
स्पर्श करून
वाळलेल्या प्रत्येक पानांमध्ये 
येईल श्वास भरून ....


न लिहिलेली कहाणी कोण जाईल वाचून
अर्धी तिच्या सवे अर्धी तिच्या वाचून ....!

©gaTTubaba

जेव्हा मिळाली पावसाला वादळी हवा त्याच्यासाठी जीवघेणा नजरेचा खेळ नाही नवा क्षणार्धाची साथ जेव्हा जाईल ती सोडून

135 View

#मराठीसस्पेन्स

मेले आता पाणी सोडतात...

108 View

#भविष्य #अधिकार #चुनाव #election_2024 #समाज #electiontime  White // आपका वोट आपका अधिकार //

लोकतंत्र का पर्व मनाने
हो जाये सब जन तैयार
तय करेगा पीढ़ियों का भविष्य
आपका वोट आपका अधिकार

स्वच्छ देश व स्वस्थ समाज
नहीं हो मानसिकता बीमार
विकास को तीव्र गति देगा
आपका वोट आपका अधिकार

नए अवसरों के द्वार खोलेगा
करेगा भ्रष्टाचार पर वार
आजादी का देगा सच्चा एहसास 
आपका वोट आपका अधिकार

केवल बातों से तय नहीं होता
सुनहरे भविष्य का आकार
राष्ट्र निर्माण की नींव रखेगा
आपका वोट आपका अधिकार

©Shivkumar

#election_2024 #election #electiontime #election2025 #election2026 #Nojoto // आपका वोट आपका अधिकार // लोकतंत्र का पर्व मनाने हो जाये सब

189 View

#Videos

शरीराची वाढलेली चरबी पाणी होऊन लघवीतून बाहेर पोट सपाट वजन कमी ! vajan Kami karne gharguti upay

153 View

चौपाई छन्द :- पीर पराई बनी बिवाई ।  हमको आज कहाँ ले आयी ।। मन के अपनी बात छुपाऊँ  । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।। चंचल नैनो की थी माया । जो कंचन तन हमको भाया ।। नागिन बन रजनी है डसती । सखी सहेली हँसती तकती ।। कौन जगत में है अब अपना । यह जग तो है झूठा सपना ।। आस दिखाए राह न पाये । सच को बोल बहुत पछताये ।। यह जग है झूठों की नगरी । बहु तय चमके खाली गगरी ।। देख-देख हमहूँ ललचाये । भागे पीछे हाथ न आये ।। खाया वह मार उसूलो से । औ जग के बड़े रसूलों से ।। पाठ पढ़ाया उतना बोलो । पहले तोलो फिर मुँह खोलो ।। आज न कोई उनसे पूछे । जिनकी लम्बी काली मूछे । स्वेत रंग का पहने कुर्ता । बना रहे पब्लिक का भुर्ता ।। बन नीरज रवि रहा अकाशा । देता जग को नित्य दिलाशा । दो रोटी की मन को आशा । जीवन की इतनी परिभाषा ।। लोभ मोह सुख साधन ढूढ़े । खोजे पथ फिर टेढे़ मेंढ़े । बहुत तीव्र है मन की इच्छा । भरे नहीं यह पाकर भिच्छा ।। राधे-राधे रटते-रटते । कट जायेंगे ये भी रस्ते । अपनी करता राधे रानी । जिनकी है हर बात बखानी । प्रेम अटल है तेरा मेरा । क्या लेना अग्नी का फेरा । जब चाहूँ मैं कर लूँ दर्शन । कहता हर पल यह मेरा मन ।। २४/०४/२०२४     -    महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  चौपाई छन्द :-

पीर पराई बनी बिवाई ।  हमको आज कहाँ ले आयी ।।
मन के अपनी बात छुपाऊँ  । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।।

चंचल नैनो की थी माया । जो कंचन तन हमको भाया ।।
नागिन बन रजनी है डसती । सखी सहेली हँसती तकती ।।

कौन जगत में है अब अपना । यह जग तो है झूठा सपना ।।
आस दिखाए राह न पाये । सच को बोल बहुत पछताये ।।

यह जग है झूठों की नगरी । बहु तय चमके खाली गगरी ।।
देख-देख हमहूँ ललचाये । भागे पीछे हाथ न आये ।।

खाया वह मार उसूलो से । औ जग के बड़े रसूलों से ।।
पाठ पढ़ाया उतना बोलो । पहले तोलो फिर मुँह खोलो ।।

आज न कोई उनसे पूछे । जिनकी लम्बी काली मूछे ।
स्वेत रंग का पहने कुर्ता । बना रहे पब्लिक का भुर्ता ।।

बन नीरज रवि रहा अकाशा । देता जग को नित्य दिलाशा ।
दो रोटी की मन को आशा । जीवन की इतनी परिभाषा ।।

लोभ मोह सुख साधन ढूढ़े । खोजे पथ फिर टेढे़ मेंढ़े ।
बहुत तीव्र है मन की इच्छा । भरे नहीं यह पाकर भिच्छा ।।

राधे-राधे रटते-रटते । कट जायेंगे ये भी रस्ते ।
अपनी करता राधे रानी । जिनकी है हर बात बखानी ।

प्रेम अटल है तेरा मेरा । क्या लेना अग्नी का फेरा ।
जब चाहूँ मैं कर लूँ दर्शन । कहता हर पल यह मेरा मन ।।

२४/०४/२०२४     -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

चौपाई छन्द :- पीर पराई बनी बिवाई ।  हमको आज कहाँ ले आयी ।। मन के अपनी बात छुपाऊँ  । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।। चंचल नैनो की थी माया । जो कंच

16 Love

#शायरी  


अश्रू भिजल्या पावसाचे पुन्हा 
नेहमीसारखे दिसेनासे होतील 
पाणी वाहून जाणार खरे 
पण दुःख कसे जाणारं ? 
राहिलेले मनात साचून 


प्रेमापोटी हवेच्या, देणाऱ्या झाडांना 
स्पर्श करून
वाळलेल्या प्रत्येक पानांमध्ये 
येईल श्वास भरून ....


न लिहिलेली कहाणी कोण जाईल वाचून
अर्धी तिच्या सवे अर्धी तिच्या वाचून ....!

©gaTTubaba

जेव्हा मिळाली पावसाला वादळी हवा त्याच्यासाठी जीवघेणा नजरेचा खेळ नाही नवा क्षणार्धाची साथ जेव्हा जाईल ती सोडून

135 View

#मराठीसस्पेन्स

मेले आता पाणी सोडतात...

108 View

#भविष्य #अधिकार #चुनाव #election_2024 #समाज #electiontime  White // आपका वोट आपका अधिकार //

लोकतंत्र का पर्व मनाने
हो जाये सब जन तैयार
तय करेगा पीढ़ियों का भविष्य
आपका वोट आपका अधिकार

स्वच्छ देश व स्वस्थ समाज
नहीं हो मानसिकता बीमार
विकास को तीव्र गति देगा
आपका वोट आपका अधिकार

नए अवसरों के द्वार खोलेगा
करेगा भ्रष्टाचार पर वार
आजादी का देगा सच्चा एहसास 
आपका वोट आपका अधिकार

केवल बातों से तय नहीं होता
सुनहरे भविष्य का आकार
राष्ट्र निर्माण की नींव रखेगा
आपका वोट आपका अधिकार

©Shivkumar

#election_2024 #election #electiontime #election2025 #election2026 #Nojoto // आपका वोट आपका अधिकार // लोकतंत्र का पर्व मनाने हो जाये सब

189 View

#Videos

शरीराची वाढलेली चरबी पाणी होऊन लघवीतून बाहेर पोट सपाट वजन कमी ! vajan Kami karne gharguti upay

153 View

चौपाई छन्द :- पीर पराई बनी बिवाई ।  हमको आज कहाँ ले आयी ।। मन के अपनी बात छुपाऊँ  । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।। चंचल नैनो की थी माया । जो कंचन तन हमको भाया ।। नागिन बन रजनी है डसती । सखी सहेली हँसती तकती ।। कौन जगत में है अब अपना । यह जग तो है झूठा सपना ।। आस दिखाए राह न पाये । सच को बोल बहुत पछताये ।। यह जग है झूठों की नगरी । बहु तय चमके खाली गगरी ।। देख-देख हमहूँ ललचाये । भागे पीछे हाथ न आये ।। खाया वह मार उसूलो से । औ जग के बड़े रसूलों से ।। पाठ पढ़ाया उतना बोलो । पहले तोलो फिर मुँह खोलो ।। आज न कोई उनसे पूछे । जिनकी लम्बी काली मूछे । स्वेत रंग का पहने कुर्ता । बना रहे पब्लिक का भुर्ता ।। बन नीरज रवि रहा अकाशा । देता जग को नित्य दिलाशा । दो रोटी की मन को आशा । जीवन की इतनी परिभाषा ।। लोभ मोह सुख साधन ढूढ़े । खोजे पथ फिर टेढे़ मेंढ़े । बहुत तीव्र है मन की इच्छा । भरे नहीं यह पाकर भिच्छा ।। राधे-राधे रटते-रटते । कट जायेंगे ये भी रस्ते । अपनी करता राधे रानी । जिनकी है हर बात बखानी । प्रेम अटल है तेरा मेरा । क्या लेना अग्नी का फेरा । जब चाहूँ मैं कर लूँ दर्शन । कहता हर पल यह मेरा मन ।। २४/०४/२०२४     -    महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  चौपाई छन्द :-

पीर पराई बनी बिवाई ।  हमको आज कहाँ ले आयी ।।
मन के अपनी बात छुपाऊँ  । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।।

चंचल नैनो की थी माया । जो कंचन तन हमको भाया ।।
नागिन बन रजनी है डसती । सखी सहेली हँसती तकती ।।

कौन जगत में है अब अपना । यह जग तो है झूठा सपना ।।
आस दिखाए राह न पाये । सच को बोल बहुत पछताये ।।

यह जग है झूठों की नगरी । बहु तय चमके खाली गगरी ।।
देख-देख हमहूँ ललचाये । भागे पीछे हाथ न आये ।।

खाया वह मार उसूलो से । औ जग के बड़े रसूलों से ।।
पाठ पढ़ाया उतना बोलो । पहले तोलो फिर मुँह खोलो ।।

आज न कोई उनसे पूछे । जिनकी लम्बी काली मूछे ।
स्वेत रंग का पहने कुर्ता । बना रहे पब्लिक का भुर्ता ।।

बन नीरज रवि रहा अकाशा । देता जग को नित्य दिलाशा ।
दो रोटी की मन को आशा । जीवन की इतनी परिभाषा ।।

लोभ मोह सुख साधन ढूढ़े । खोजे पथ फिर टेढे़ मेंढ़े ।
बहुत तीव्र है मन की इच्छा । भरे नहीं यह पाकर भिच्छा ।।

राधे-राधे रटते-रटते । कट जायेंगे ये भी रस्ते ।
अपनी करता राधे रानी । जिनकी है हर बात बखानी ।

प्रेम अटल है तेरा मेरा । क्या लेना अग्नी का फेरा ।
जब चाहूँ मैं कर लूँ दर्शन । कहता हर पल यह मेरा मन ।।

२४/०४/२०२४     -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

चौपाई छन्द :- पीर पराई बनी बिवाई ।  हमको आज कहाँ ले आयी ।। मन के अपनी बात छुपाऊँ  । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।। चंचल नैनो की थी माया । जो कंच

16 Love

Trending Topic