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New जयशंकर प्रसाद की कविता आँसू Status, Photo, Video

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#मराठीशायरी #रानफुले #कविता  #रानफुले वेडी

©Dileep Bhope

तृष्णा की चाल । समसरा #Nojoto #कविता #shyari #वीडियो #भक्ति

108 View

 हिंदी साहित्य मंच

©कवि अर्जून सिंह बंजारा

कवि अर्जुन सिंह बंजारा कविता आज की पीढ़ी

135 View

#CheerfulLove  झीलें क्या है......उसकी आंखें

#CheerfulLove अरूण आनंद सर की कविता ....

108 View

#शायरी  ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए,
भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए।

पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई,
लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए।

बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी,
सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए।

उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं,
दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए।

थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने।
चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए।

                                   कवि-शिव गोपाल अवस्थी

©Shiv gopal awasthi

कविता

99 View

 मन कि व्यथा मन ही जाने,
ना तुम जान सको न मैं जानू
क्या मन करवाये क्यू करवाये ये मन
ना तुम जान सको ना हि मैं जानू..
बेधड़क बोलता हूं,बेखौफ बोलता हूं
रिस्तो के बन्धन को कान्टों पर तोलता हूं
जिसके पास जितना पैसा, उसी कि सरकार है
बाकि बेकारो के लिये बेकार परिवार है,..!
बाकि ये सब क्यूं बनाया भगवान ने
ना तुम जान सके ना हि मैं जानू..!
मन की व्यथा..मन हि जाने..!!

©SHI.V.A 369

#मन की व्यथा..!! #कविता मन की

198 View

#मराठीशायरी #रानफुले #कविता  #रानफुले वेडी

©Dileep Bhope

तृष्णा की चाल । समसरा #Nojoto #कविता #shyari #वीडियो #भक्ति

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 हिंदी साहित्य मंच

©कवि अर्जून सिंह बंजारा

कवि अर्जुन सिंह बंजारा कविता आज की पीढ़ी

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#CheerfulLove  झीलें क्या है......उसकी आंखें

#CheerfulLove अरूण आनंद सर की कविता ....

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#शायरी  ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए,
भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए।

पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई,
लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए।

बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी,
सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए।

उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं,
दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए।

थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने।
चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए।

                                   कवि-शिव गोपाल अवस्थी

©Shiv gopal awasthi

कविता

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 मन कि व्यथा मन ही जाने,
ना तुम जान सको न मैं जानू
क्या मन करवाये क्यू करवाये ये मन
ना तुम जान सको ना हि मैं जानू..
बेधड़क बोलता हूं,बेखौफ बोलता हूं
रिस्तो के बन्धन को कान्टों पर तोलता हूं
जिसके पास जितना पैसा, उसी कि सरकार है
बाकि बेकारो के लिये बेकार परिवार है,..!
बाकि ये सब क्यूं बनाया भगवान ने
ना तुम जान सके ना हि मैं जानू..!
मन की व्यथा..मन हि जाने..!!

©SHI.V.A 369

#मन की व्यथा..!! #कविता मन की

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