सुनो....
तुमसे रिश्ते निभाते निभाते थक चुके हैं
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#SAD  
सुनो....
तुमसे रिश्ते निभाते निभाते थक चुके हैं
ख़ुद को इस रिश्ते से आज़ाद कर चुके हैं
तुम उड़ जाओ अब मेरे बंधन से मुक्त होकर
हम तुममें जीते जीते मर चुके हैं

शरीर का होना ही तो नहीं हैं ना
वक़्त पर अपना कहना सही नहीं हैं ना
जरूरत पे आवाज़ हम भी लगाते हैं
तुम्हारे लिए हमें सुनना ज़रूरी नहीं हैं ना

आज दो बातें क्या कह दिए तुम्हें बुरी लग गयी
 रिश्ते निभाने की तुम्हारी कोशिशें आज पूरी हो गयी
फ़िर हम पर इल्ज़ाम कैसा यारों
जब तुम्हारे लिए तुम्हारी अकड़ जरूरी हो गयी

ये तुम्हारी खुदगर्ज़ी मुझे  समझ नहीं आती
तुम किसके कितने अपने हो अंदाज़ नहीं लगा पाती
फ़िर भी होंगें तुम्हारे हज़ारों चाहने वाले
पर तुम बिन तो मैं भी पुरी न हो पाती

कैसा भ्रम हैं मेरा की अब भी तुमको अपना कहते
न रह सकोगे तुम कभी यूँ करीब की दूरियाँ सहते
कभी मिले वक़्त तो एक नज़र देख लेना मुझे
हम मर रहे हैं यूँ घूँट घूँट के जीते जीते
🖊sonu nagendra

©Sonu Goyal

सुनो.... तुमसे रिश्ते निभाते निभाते थक चुके हैं ख़ुद को इस रिश्ते से आज़ाद कर चुके हैं तुम उड़ जाओ अब मेरे बंधन से मुक्त होकर हम तुममें जीते जीते मर चुके हैं शरीर का होना ही तो नहीं हैं ना वक़्त पर अपना कहना सही नहीं हैं ना जरूरत पे आवाज़ हम भी लगाते हैं तुम्हारे लिए हमें सुनना ज़रूरी नहीं हैं ना आज दो बातें क्या कह दिए तुम्हें बुरी लग गयी रिश्ते निभाने की तुम्हारी कोशिशें आज पूरी हो गयी फ़िर हम पर इल्ज़ाम कैसा यारों जब तुम्हारे लिए तुम्हारी अकड़ जरूरी हो गयी ये तुम्हारी खुदगर्ज़ी मुझे समझ नहीं आती तुम किसके कितने अपने हो अंदाज़ नहीं लगा पाती फ़िर भी होंगें तुम्हारे हज़ारों चाहने वाले पर तुम बिन तो मैं भी पुरी न हो पाती कैसा भ्रम हैं मेरा की अब भी तुमको अपना कहते न रह सकोगे तुम कभी यूँ करीब की दूरियाँ सहते कभी मिले वक़्त तो एक नज़र देख लेना मुझे हम मर रहे हैं यूँ घूँट घूँट के जीते जीते 🖊sonu nagendra ©Sonu Goyal

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