"White पल पल बदलते हैं रुख हवाओं के, दुनिया का ये दस्तूर है।
कोई खेल समझकर खेल रहा,कोई वक्त के हाथो मजबूर है।
ना जाने कैसी हवा चली, सब अपनी धुन में खोए हैं ।
कोई वक्त के पीछे भाग रहा ,कुछ भूल के सब कुछ सोए हैं।
इंसानी चेहरे बदल रहे ,रुख हवा का कैसे पहचाने ।
पल पल बदले है धर्म यहाँ , कैसे आदर्शो को जाने ।।
©poonam atrey
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