Narayan Datt Tiwari

Narayan Datt Tiwari Lives in Allahabad, Uttar Pradesh, India

मिट्टी का तन, मस्ती का मन। क्षण भर जीवन, मेरा परिचय।।

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जो दिल में है उसे छिपाना कैसा यहां रहना थोड़े है तो यह जाना कैसा वे रेत पर लिख मिटा देता है नाम उसका अजी हुजूर इन लहरों से यह शर्माना कैसा ©Narayan Datt Tiwari

#शायरी #seashore  जो दिल में है उसे छिपाना कैसा 
यहां रहना थोड़े है तो यह जाना कैसा 
वे रेत पर लिख मिटा देता है नाम उसका 
अजी हुजूर इन लहरों से यह शर्माना कैसा

©Narayan Datt Tiwari

#seashore

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#शायरी #narayan  मुहब्बत में हमेशा सहना नहीं होता
चाहो यकिनन साथ रहना मगर रहना नहीं होता
सपनों को पूरा करने के वास्ते ना जाने किस शहर को आ बसे
चाहता हूं तो जीना पर तुम बिन जीना नहीं होता

©Narayan Datt Tiwari

##narayan

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उसे देख रहा, एक नीर गिरा होठों पर पर बरबस आ ही गया एक राज दबा, वह चला गया फिर सुना-सुना आंगन तन-मन दिन धुधला और रात तमस की फिर डगर चले, पग दहर उसी जहाँ देखे नयन उसे और वहीं इक नीर गिरा... फिर बैठे सोचूँ राज वही मिलने की थी कल बात कहीं कुछ बेचैनी दिल भारी था रातों पर भी पहरेदारी था वह धीरे-धीरे बढ़ रहा था जैसे दिन के गले से निकल रहा था फिर दिन ने उसे निगल ही लिया और एक नीर गिरा... फिर छोड़ सभी सब भाग रहें कुछ कुम्हलायें पुष्प भी जाग रहे मन की जिज्ञासा बढ़ती गई वह राज छिपा कर कहाँ गई मैं ढूंढा मुझको मिल ही गया कागज का टुकड़ा जिस पर राज लिखा लेकिन फिर एक नीर गिरा.. ©Narayan Datt Tiwari

#शायरी  उसे देख रहा, एक नीर गिरा
होठों पर पर बरबस आ ही गया
एक राज दबा, वह चला गया
फिर सुना-सुना आंगन तन-मन
दिन धुधला और रात तमस की 
फिर डगर चले, पग दहर उसी 
जहाँ देखे नयन उसे और वहीं 
इक नीर गिरा... 
फिर बैठे सोचूँ राज वही 
मिलने की थी कल बात कहीं 
कुछ बेचैनी दिल भारी था 
रातों पर भी पहरेदारी था 
वह धीरे-धीरे बढ़ रहा था 
जैसे दिन के गले से निकल रहा था 
फिर दिन ने उसे निगल ही लिया और 
एक नीर गिरा...
फिर छोड़ सभी सब भाग रहें 
कुछ कुम्हलायें पुष्प भी जाग रहे 
मन की जिज्ञासा बढ़ती गई
वह राज छिपा कर कहाँ गई
मैं ढूंढा मुझको मिल ही गया
कागज का टुकड़ा 
जिस पर राज लिखा लेकिन
 फिर एक नीर गिरा..

©Narayan Datt Tiwari

एक राज

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उसे देख रहा, एक नीर गिरा होठों पर पर बरबस आ ही गया एक राज दबा, वह चला गया फिर सुना-सुना आगन तन-मन दिन धुधला और रात तमस की फिर डगर चले, पग दहर उसी जहाँ देखे नयन उसे और वहीं इक नीर गिरा... ©Narayan Datt Tiwari

 उसे देख रहा, एक नीर गिरा
होठों पर पर बरबस आ ही गया
एक राज दबा, वह चला गया
फिर सुना-सुना आगन तन-मन
दिन धुधला और रात तमस की
फिर डगर चले, पग दहर उसी
जहाँ देखे नयन उसे और वहीं
इक नीर गिरा...

©Narayan Datt Tiwari

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हो रहे हैं रूबरू कई किस्से, जिन्हें हमनें कहीं पीछे छोड़े थे आज वह बगल में आकर खड़ी है, जिसे पकड़ कभी इस कद़़र रोए थे ©Narayan Datt Tiwari

#शायरी #DarkWinters  हो रहे हैं रूबरू कई किस्से, 
जिन्हें हमनें कहीं पीछे छोड़े थे
 आज वह बगल में आकर खड़ी है, 
जिसे पकड़ कभी इस कद़़र रोए थे

©Narayan Datt Tiwari

#DarkWinters

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रातें खत्म ही ना होती, धुंध अपने शबाब पर है हदें दिख ना रही हैं शरहदों की, जाने कौन किस जमात में है ©Narayan Datt Tiwari

#शायरी  रातें खत्म ही ना होती, 
धुंध अपने शबाब पर है
 हदें दिख ना रही हैं शरहदों  की,
 जाने कौन किस जमात में है

©Narayan Datt Tiwari

रातें खत्म ही ना होती, धुंध अपने शबाब पर है हदें दिख ना रही हैं शरहदों की, जाने कौन किस जमात में है ©Narayan Datt Tiwari

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