Rudra Sanjay Sharma

Rudra Sanjay Sharma Lives in Timarni, Madhya Pradesh, India

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पाप का ताप बड़ा जग में जब, असत्य ने अति कर डाली। असत्य द्वारा अति हो गयी, बर्बरता की सभी सीमा लांघी।। महा काल भी रुष्ट हो गये, कोई विकल्प नहीं रहा बाकी। अनंत में त्राहि-त्राहि मच गयी, महाकाल की काली जागि।। हर उर भयग्रस्त हो गया, प्रचंड वायु सी आली। असत्य के खेमे से जब आयी, चंडी की भयंकर किलकारी।। तन काला तिमिर सा, उर में भरी चण्डाली। आंखों में अंगार भरे, हर श्वास से निकले चिंगारी।। अधरों पर लाली, महाकाल की महाकाली। मुंड माल और खप्पर धारी, लंबी जीभा निकली।। माता जिस स्थान से निकली, विध्वंस की आंधी आली। शव की सवारी माता की, शमशान में रहने वाली।। असत्य सत्य से भिज्ञ हो गया, माँ की बर्बरता पड़ी भारी। काली की किलकारी के आगे, असत्य की क्रूरता हारी।। ©Rudra Sanjay Sharma

#rudrasanjaysharma #kalimaa  पाप का ताप बड़ा जग में जब, असत्य ने अति कर डाली।
असत्य द्वारा अति हो गयी, बर्बरता की सभी सीमा लांघी।।
महा काल भी रुष्ट हो गये, कोई विकल्प नहीं रहा बाकी।
अनंत में त्राहि-त्राहि मच गयी, महाकाल की काली जागि।।
हर उर भयग्रस्त हो गया, प्रचंड वायु सी आली।
असत्य के खेमे से जब आयी, चंडी की भयंकर किलकारी।।
तन काला तिमिर सा, उर में भरी चण्डाली।
आंखों में अंगार भरे, हर श्वास से निकले चिंगारी।।
अधरों पर लाली, महाकाल की महाकाली।
मुंड माल और खप्पर धारी, लंबी जीभा निकली।।
माता जिस स्थान से निकली, विध्वंस की आंधी आली।
शव की सवारी माता की, शमशान में रहने वाली।।
असत्य सत्य से भिज्ञ हो गया, माँ की बर्बरता पड़ी भारी।
काली की किलकारी के आगे, असत्य की क्रूरता हारी।।

©Rudra Sanjay Sharma

सत्य मेरी विशेषता है। असत्य मेरी विवशता। सत्य हूँ मैं। असत्य भी मैं। सत्य-असत्य से परे हूँ मैं। निर्वाण मेरी वास्तविकता। -रुद्र संजय शर्मा

#rudrasanjaysharma  सत्य मेरी विशेषता है।
असत्य मेरी विवशता।
सत्य हूँ मैं।
असत्य भी मैं।
सत्य-असत्य से परे हूँ मैं।
निर्वाण मेरी वास्तविकता।
-रुद्र संजय शर्मा

हमारे मस्तिष्क में अनंत ज्ञान होता है। हम एक समय मे केवल उसके एक भाग की उपस्थिति का ही अनुभव कर सकते है। यह अनुभव हमें चिंतन या किसी अन्य ज्ञात करने का साधन जैसे कि पुस्तक आदि हो सकता है। जो ज्ञान का भाग हमे चिंतन या किसी अन्य साधन से प्राप्त होता है वही हमारा दृष्टिकोण निर्मित करता है। हम एक समय मे हमारे मस्तिष्क में उपस्थित अनंत ज्ञान का अनुभव कदापि नहीं कर सकते है परंतु ज्ञान रूपी हर एक कण-कण जो कि अनंत होता है उसकी अनंतता का अनुभव उसे अनंतता अथार्त परमार्थ की कसौटी पर कस कर अवश्य कर सकते हैं अतः हमें ज्ञान रूपी कण-कण की अनंतता का अनुभव करना चाहिए क्योंकि ज्ञान जो हम किसी भी साधन से प्राप्त कर रहे है वह उचित है या अनुचित इसका यह करते से हमें ज्ञात हो सकता है। केवल अनुचित तर्कों से ही यह सिद्ध नहीं होता कि ज्ञान अनुचित है इसके अतिरिक्त तर्कों की अपूर्णता वाला ज्ञान भी अनुचित होता है।

#rudrasanjaysharma #विचार  हमारे मस्तिष्क में अनंत ज्ञान होता है। हम एक समय मे केवल उसके एक भाग की उपस्थिति का ही अनुभव कर सकते है। यह अनुभव हमें चिंतन या किसी अन्य ज्ञात करने का साधन जैसे कि पुस्तक आदि हो सकता है। जो ज्ञान का भाग हमे चिंतन या किसी अन्य साधन से प्राप्त होता है वही हमारा दृष्टिकोण निर्मित करता है।
हम एक समय मे हमारे मस्तिष्क में उपस्थित अनंत ज्ञान का अनुभव कदापि नहीं कर सकते है परंतु ज्ञान रूपी हर एक कण-कण जो कि अनंत होता है उसकी अनंतता का अनुभव उसे अनंतता अथार्त परमार्थ की कसौटी पर कस कर अवश्य कर सकते हैं अतः हमें ज्ञान रूपी कण-कण की अनंतता का अनुभव करना चाहिए क्योंकि ज्ञान जो हम किसी भी साधन से प्राप्त कर रहे है वह उचित है या अनुचित इसका यह करते से हमें ज्ञात हो सकता है। केवल अनुचित तर्कों से ही यह सिद्ध नहीं होता कि ज्ञान अनुचित है इसके अतिरिक्त तर्कों की अपूर्णता वाला ज्ञान भी अनुचित होता है।

बहुत हुआ कोरोना से भागना अब आवश्यक है इसे पूर्णतः नष्ट भी करना। कोविड-१९ विषाणु का विषहर औषध जो उसका समाधान है और मेरे अनुसार इससे संबंधित जानकारी भारत के जन सामान्य से भी प्राप्त हो सकती है क्योंकि कोविड-१९ के समाधान एक विचार है और विचार स्वतंत्र होते है वह किसी भी व्यक्ति के मस्तिष्क में आ सकते है।यदि व्यक्ति रचनात्मक एवं तार्किक है तो वह इसका समाधान देने में सक्षम है अतः मेरी माननीय प्रधानमंत्री जी से प्रार्थना एवं सुझाव है कि यदि कोई जन सामान्य भी कोविड-१९ के विषहर औषध से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण जानकारी देना चाहे तो उसे गंभीरता से लिया जाए एवं उस पर भी विचार किया जाए।जन सामान्य इसके विषहर औषध के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी बिना कोई समस्या के आपतक पहुंचा सके इसके लिए अलग से वेबसाइट या ऍप्लिकेशन्स सॉफ्टवेयर को निर्मित किया जाए या फिर आपकी वेबसाइट या ऍप्लिकेशन्स में अलग से इसका विकल्प दिया जाए। मेरा सुझाव कोविड-१९ विषाणु के विषहर औषध के लिए यह है कि सेनिटाइजर (प्रक्षालक)इस विषाणु को नष्ट करने में सक्षम है परंतु उसमे कुछ ऐसी भी सामग्री है जो यदि हम ग्रहण करे तो हानिकारक है यदि हम उन हानिकारक सामग्री की जगह कुछ ऐसी सामग्री को मिलाए जो हम यदि ग्रहण करे तो हानिकारक भी न हो एवं प्रक्षालक में उपलब्ध हानिकारक सामग्री की पूर्ति भी कर दे तो कोविड-१९ विषाणु का विषहर औषध निर्मित कर सकते है। -✍️ रुद्र संजय शर्मा

#rudrasanjaysharma #विचार #coronavirus  बहुत हुआ कोरोना से भागना अब आवश्यक है इसे पूर्णतः नष्ट भी करना। कोविड-१९ विषाणु का विषहर औषध जो उसका समाधान है और मेरे अनुसार इससे संबंधित जानकारी भारत के जन सामान्य से भी प्राप्त हो सकती है क्योंकि कोविड-१९ के समाधान एक विचार है और विचार स्वतंत्र होते है वह किसी भी व्यक्ति के मस्तिष्क में आ सकते है।यदि व्यक्ति रचनात्मक एवं तार्किक है तो वह इसका समाधान देने में सक्षम है अतः मेरी माननीय प्रधानमंत्री जी से प्रार्थना एवं सुझाव है कि यदि कोई जन सामान्य भी कोविड-१९ के विषहर औषध से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण जानकारी देना चाहे तो उसे गंभीरता से लिया जाए एवं उस पर भी विचार किया जाए।जन सामान्य इसके विषहर औषध के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी बिना कोई समस्या के आपतक पहुंचा सके इसके लिए अलग से वेबसाइट या ऍप्लिकेशन्स सॉफ्टवेयर को निर्मित किया जाए या फिर आपकी वेबसाइट या ऍप्लिकेशन्स में अलग से इसका विकल्प दिया जाए।
मेरा सुझाव कोविड-१९ विषाणु के विषहर औषध के लिए यह है कि सेनिटाइजर (प्रक्षालक)इस विषाणु को नष्ट करने में सक्षम है परंतु उसमे कुछ ऐसी भी सामग्री है जो यदि हम  ग्रहण करे तो हानिकारक है यदि हम उन हानिकारक सामग्री की जगह कुछ ऐसी सामग्री को मिलाए जो हम यदि ग्रहण करे तो हानिकारक भी न हो एवं प्रक्षालक में उपलब्ध हानिकारक सामग्री की पूर्ति भी कर दे तो कोविड-१९ विषाणु का विषहर औषध निर्मित कर सकते है। -✍️ रुद्र संजय शर्मा

परिवर्तन अब आरम्भ हो। निर्मल तन,चित्त,मन हो।। असत्य का पूर्णतः अंत हो। सबके जीवन मे हर्ष हो।। स्पष्ट धर्मो का मर्म हो। कदापि नहीं अब अधर्म हो।। परमार्थ नामक पवित्र कर्म हो। स्वार्थ अब पूर्णतः नष्ट हो। स्पष्ट नियति के कर्मो का मर्म हो। खत्म धरती का कष्ट हो।। नियति का तांडव अब खत्म हो।। महामारी का अब अंत हो। आप सभी को हिन्दू नूतन वर्ष की कोटि-कोटि शुभकामनाएँ।

#rudrasanjaysharma  परिवर्तन अब आरम्भ हो।
निर्मल तन,चित्त,मन हो।।
असत्य का पूर्णतः अंत हो।
सबके जीवन मे हर्ष हो।।

स्पष्ट धर्मो का मर्म हो।
कदापि नहीं अब अधर्म हो।।
परमार्थ नामक पवित्र कर्म हो।
स्वार्थ अब पूर्णतः नष्ट हो।

स्पष्ट नियति के कर्मो का मर्म हो।
खत्म धरती का कष्ट हो।।
नियति का तांडव अब खत्म हो।।
महामारी का अब अंत हो।

आप सभी को हिन्दू नूतन वर्ष की कोटि-कोटि शुभकामनाएँ।

आप अगर स्मार्टफोन एडिक्ट है तो अपने इस अवगुण का लाभ उठा सकते है इसके भीतर समाहित गुण की सहायता से।अपनी इस लत की सहायता से कुछ एडवांस सीख करके।जो आपको दूसरों से अलग बनाने में सक्षम हैं।टाइम पास के लिए इसका उपयोग करना व्यर्थ है। - Rudra Sanjay Sharma

#SMARTPHONEAddiction #rudrasanjaysharma #विचार  आप अगर स्मार्टफोन एडिक्ट है तो अपने इस अवगुण का  लाभ उठा सकते है इसके भीतर समाहित गुण की सहायता से।अपनी इस लत की सहायता से कुछ एडवांस सीख करके।जो आपको दूसरों से अलग बनाने में सक्षम हैं।टाइम पास के लिए इसका उपयोग करना व्यर्थ है।


- Rudra Sanjay Sharma
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