White हसरतें न ज्यादा पालो मुझसे
कच्ची दीवार सा हूँ
ढह जाऊँगा,
तमाम उम्र सुनी हैं बातें सबकी
मौका मिलेगा जब भी मुझको
अपना भी तुमसे कुछ
कह जाऊँगा,
घाट और किनारे
बेशक, नसीब हो न हो मुझको
मेरा क्या, मैं तो पानी सा हूँ
बह जाऊँगा,
तुम्हें मुबारक मंजिल अपनी
मुझे रास्तों का शौक है
नदी, पहाड़, और खुला आसमाँ
इनमें भी रहना पड़े,तो
रह जाऊँगा।
©Krishnaa Harish
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