गुजार दिए होंगे तुमने कई दिन महीने साल
जो काट ना सकोगे वो एक रात मै हूं
की होंगी गुफ्तगू तुमने कई दफा कई लोगो से
दिल पर जो लगेगी वो एक बात मै हूं
भीड़ में भी जब तन्हा खुद को तुम पाओगे न
तो अपनेपन का अहसास जो करा दे वो एक साथ मै हूं
बिताए होंगे तुमने कई हसीन पल सबके साथ में
जो भूला नहीं पाओगे वो एक याद मै हूं
बरसों बाद दिखा वो चेहरा , वहीं हंसी वो रंग सुनहरा
वही बचपना वही शरारत वही कहकहे वही वो पहरा
बहुत ख़ुश थी वो जैसे कोई रिश्ता ही न रहा हो मुझसे
ना कोई शिकन न कोई ग़म कुछ कह भी ना सका उससे
ना उसकी आंखो में देखा ना अपनी दासता सुनाई
ना मोहब्बत की बातें ना हुई वजह बेवफ़ाई
वही थी आवाज उसकी वही थी वो लरजिश
मेरे भी कदमों में थी वो ही बंदिश
यार ऐसे तो न थे तुम तेरे दिल में दया थी
प्यार था मै तेरा ये तेरी बया थी
फिर अचानक तू कैसे ऐसे हो गई
मोहब्बत फिर मेरी कहां खो गई
ना जी पाऊंगा तुम बिन तुझसे कहा है
तुझे क्या पता मैंने कितना सहा है
लिखता रहता हूं हरपल तेरी ही यांदे
बिन तेरे आंसू ये मुझको रूला दे
तेरे पावो में जो कुछ भी ज़ख्म गम है
मोहब्बत भरे लब ही उनका मरहम हैं
बरसों बाद दिखा वो चेहरा , वहीं हंसी वो रंग सुनहरा
वही बचपना वही शरारत वही कहकहे वही वो पहरा
बहुत ख़ुश थी वो जैसे कोई रिश्ता ही न रहा हो मुझसे
ना कोई शिकन न कोई ग़म कुछ कह भी ना सका उससे
ना उसकी आंखो में देखा ना अपनी दासता सुनाई
ना मोहब्बत की बातें ना हुई वजह बेवफ़ाई
वही थी आवाज उसकी वही थी वो लरजिश
मेरे भी कदमों में थी वो ही बंदिश
यार ऐसे तो न थे तुम तेरे दिल में दया थी
प्यार था मै तेरा ये तेरी बया थी
फिर अचानक तू कैसे ऐसे हो गई
मोहब्बत फिर मेरी कहां खो गई
ना जी पाऊंगा तुम बिन तुझसे कहा है
तुझे क्या पता मैंने कितना सहा है
लिखता रहता हूं हरपल तेरी ही यांदे
बिन तेरे आंसू ये मुझको रूला दे
तेरे पावो में जो कुछ भी ज़ख्म गम है
मोहब्बत भरे लब ही उनका मरहम हैं
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