Hitesh Ahuja

Hitesh Ahuja

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#कविता #manlife #poem  सुबह वह देर तक सोए नहीं।
ऑफिस जाने के लिए कुछ कहे नहीं।
मर्द क्यों रोंए नहीं।

बॉस से कुछ कहे नहीं।
फिजूल खर्ची वह करे नहीं।
मर्द क्यों रोंए नहीं।

महिला के ग़लत व्यवहार पर कुछ कहे नहीं।
कोर्ट में कोई उसका पक्ष सुने नहीं।
मर्द क्यों रोंए नहीं।

थक हार के बस में लेडीज़ से कुछ बोले नहीं।
घर आकर दिन का परिश्रम अपने मन से खोले नहीं।
मर्द क्यों रोंए नहीं।

घर की परेशानियाँ देख वह डगर मगर होए नहीं।
कुछ भी हो, मुख पर अश्व दिखे नहीं।
मर्द क्यों रोंए नहीं।

©Hitesh Ahuja

#Life #manlife #poem

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#कविता #collegelife #CityWinter #PadhaiKro #poem  कॉलेज की प्रथम सीट

पहली पंक्ति में हूं, 
फिर भी खाली रहती हूं 
अध्यापक के समक्ष 
फिर भी सुनसान रहती हूं

शांति से भागने का मन करता है, 
पीछे चल रही चहल पहल से मन मचलता है 
पहली होकर भी 
इतना अकेलापन खटकता है

पीछे देखती हूं,तो मायूस हो जाती हूं 
नदी किनारे सन्नाटा 
रेगिस्तान  में खुशहाली देखकर 
मदहोश हो जाती हूं

स्वप्न में, गरिमामयी समय याद आता है
वर्तमान में भूतकाल का बोध कराता है
भविष्य का अनिश्चित होना 
दिमाग में तनाव डाल जाता है

हर समय ऐसा एहसास,
मेरे मन को खा जाता है 
क्या करूं , बस विलाप याद आता है
 खुद को हारा हुआ महसूस कराता है

इस अंधकार में भी, सूरज की किरणों सा प्रकाश
समय समय पर मेरा डूबा आत्मविश्वास जगा ही जाता है 
जब अच्छा अध्यापक आता है, तब मेरे गलियारे में भी रौनक लाता है 
यह मुझे, हमेशा अच्छे सोच के साथ जीने की सीख दे जाता है

©Hitesh Ahuja

ज़रा संभल के चलना बहुत वादे किए जाएंगे आपके घर वीआईपी मेहमान आयेंगे जरा संभल के देखना सफाई वाले सारी सड़कें साफ कर जाएंगे कूड़े के नामोनिशान तक दिख नहीं पाएंगे जरा संभल के पढ़ना अखबार पत्र पर कुछ चहरे रोजाना जगह बनाएंगे जरा संभल के सुनना तुम्हारे मन को यहां सब लुभाएंगे जरा संभल कर गौर करना चुनाव आने के कारण सबकुछ तुम्हें , ठीक दिखाएंगे जरा संभल के चुनना अगले पांच साल तक आपके उम्मीदवार ही आपके हक के काम कराएंगे ©Hitesh Ahuja

#कविता #lonely  ज़रा संभल के चलना
बहुत वादे किए जाएंगे
आपके घर वीआईपी मेहमान आयेंगे

जरा संभल के देखना
सफाई वाले सारी सड़कें साफ कर जाएंगे
कूड़े के नामोनिशान तक दिख नहीं पाएंगे

जरा संभल के पढ़ना
अखबार पत्र पर कुछ चहरे
रोजाना जगह बनाएंगे

जरा संभल के सुनना
तुम्हारे मन को यहां
सब लुभाएंगे

जरा संभल कर गौर करना
चुनाव आने के कारण
सबकुछ तुम्हें , ठीक दिखाएंगे

जरा संभल के चुनना
अगले पांच साल तक आपके उम्मीदवार ही
आपके हक के काम कराएंगे

©Hitesh Ahuja

#lonely

10 Love

चांद एक दोस्त की तरह आता है रात में, सबके सोने के बाद आता है अंधेरे में भी रोशन रहने की सीख दे जाता है ©Hitesh Ahuja

#कविता #City  चांद एक दोस्त की तरह आता है
रात में, सबके सोने के बाद आता है
अंधेरे में भी रोशन रहने की सीख दे जाता है

©Hitesh Ahuja

#City

9 Love

बच्चे को पैदा करना सही है बच्ची को पैदा करना ग़लत । बच्चे का स्कूल जाना सही है बच्ची का स्कूल जाना गलत । बच्चे का जन्मदिन बनाना सही है बच्ची का जन्मदिन बनाना गलत । बेटों का दोस्तों के जन्मदिन में जाना सही है बेटियों को बाहर जाना ही गलत । बेटों को अपना करियर चुनना सही है बेटियों को करियर का सोचना गलत । बेटों को घूमना सही है बेटियों को बाहर जाना गलत । बेटों का काम करना सही है बेटियों का काम करना गलत । बेटियों को बेटा कहना सही है बेटों को बेटियां कहना गलत । इस संसार में बेटों और बेटियों में भेदभाव करना सही है और इंसान बनना गलत ।। ©Hitesh Ahuja

#विचार #womanhood #betrayal #womaniya  बच्चे को पैदा करना सही है
        बच्ची को पैदा करना ग़लत ।
बच्चे का स्कूल जाना सही है
         बच्ची का स्कूल जाना गलत ।
बच्चे का जन्मदिन बनाना सही है 
        बच्ची का जन्मदिन बनाना गलत ।
बेटों का दोस्तों के जन्मदिन में जाना सही है
        बेटियों को बाहर जाना ही गलत ।
बेटों को अपना करियर चुनना सही है
        बेटियों को करियर का सोचना गलत ।
बेटों को घूमना सही है
        बेटियों को बाहर जाना गलत ।
बेटों का काम करना सही है
        बेटियों का काम करना गलत ।
बेटियों को बेटा कहना सही है
         बेटों को बेटियां कहना गलत  ।
इस संसार में बेटों और बेटियों में भेदभाव करना सही है
                        और इंसान बनना गलत ।।

©Hitesh Ahuja

जिंदगी मैं सपने क्यों पिरो लेते है ये छोटे छोटे आज कल के बच्चे क्यों अपने दिमाग को झगझोर देते है इतनी सी उम्र में भी लक्ष्य ठान लेते है बनते बनते कुछ खास अपनी सारी उमर गवा देते है क्यों ये प्रेम हासिल करने का कुछ जिंदगी ले जाता है क्यों आज का बच्चा बच्चा घरवालों से कम , फोन पर ऑनलाइन ज्यादा नज़र आता है क्यों जिंदगी इतनी तेज़ हो चली समय और दौलत के जंग मैं क्यों बच्चों की जिंदगी भी चली गई . . . ©Hitesh Ahuja

#कविता #बचपन #Cdildhood  जिंदगी मैं सपने क्यों पिरो लेते है
ये छोटे छोटे आज कल के बच्चे
क्यों अपने दिमाग को झगझोर देते है

इतनी सी उम्र में भी 
लक्ष्य ठान लेते है
बनते बनते कुछ खास
अपनी सारी उमर गवा देते है

क्यों ये प्रेम हासिल करने का कुछ
जिंदगी ले जाता है
क्यों आज का बच्चा बच्चा
घरवालों से कम , फोन पर 
ऑनलाइन ज्यादा नज़र आता है

क्यों जिंदगी इतनी तेज़ हो चली
समय और दौलत के जंग मैं
क्यों बच्चों की जिंदगी भी
चली गई
.
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©Hitesh Ahuja
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