AK Ajay Kanojiya

AK Ajay Kanojiya Lives in Dehradun, Uttarakhand, India

""पँख नहीं फिर भी परवाज़ भरता हूँ, जुवां से नहीं कलम से आवाज़ करता हूँ।""

https://www.instagram.com/advocate_kalam

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कुछ परिवारों में चिराग नहीं होते, वहाँ रोशनी घर जगमगाती है, जहाँ बेटे नहीं होते साहब, वहाँ बेटियाँ फर्ज निभाती है, समाज के ताने सहकर भी, परिवार की शान बढ़ाती है, यह यूँही नहीं पापा की माया, और माँ की छाया कहलाती है। माँ-बाबा से प्यार अधिक उसे, भाई से भी लाड़ लड़ाती है, छोटी बहना के मन भाव को, बिना पूछे वो पढ़ जाती है, दादा-दादी के जीवन में, यह अनोखा किरदार निभाती है, उनके बुढ़ापे के लम्हों में, रंग नए यूँ बेहिसाब भर जाती है। न जाने क्यों ये दुनिया बेटी को, पराया धन बतलाती है, यह बेटी ही तो है जनाब जो, हर जख्म पर मरहम लगाती है, जिस घर में रखती है पाँव, लक्ष्मी सा वरदान बन जाती है, दुःख की घड़ियों में भी ये, खुशियों की ज्योत जगाती है। इच्छा रखती बड़ी नहीं बहुत, ये तो बस सम्मान चाहती है, लड़का लड़की से बेहतर, यह फर्क समझ नहीं पाती है, तुम इनको समझो थोड़ा सा, यह तुम्हें तुमसे ज्यादा समझ जाती है, एक खुशी जो दो इनको तुम, ये तुम पर जिस्मों जान लुटाती है। ©AK Ajay Kanojiya

#Grandparents #ParentsLove #familygoals #daughter  कुछ परिवारों में चिराग नहीं होते, वहाँ रोशनी घर जगमगाती है,
जहाँ बेटे नहीं होते साहब, वहाँ बेटियाँ फर्ज निभाती है,
समाज के ताने सहकर भी, परिवार की शान बढ़ाती है,
यह यूँही नहीं पापा की माया, और माँ की छाया कहलाती है।

माँ-बाबा से प्यार अधिक उसे, भाई से भी लाड़ लड़ाती है,
छोटी बहना के मन भाव को, बिना पूछे वो पढ़ जाती है,
दादा-दादी के जीवन में, यह अनोखा किरदार निभाती है,
उनके बुढ़ापे के लम्हों में, रंग नए यूँ बेहिसाब भर जाती है।

न जाने क्यों ये दुनिया बेटी को, पराया धन बतलाती है,
यह बेटी ही तो है जनाब जो, हर जख्म पर मरहम लगाती है,
जिस घर में रखती है पाँव, लक्ष्मी सा वरदान बन जाती है,
दुःख की घड़ियों में भी ये, खुशियों की ज्योत जगाती है।

इच्छा रखती बड़ी नहीं बहुत, ये तो बस सम्मान चाहती है,
लड़का लड़की से बेहतर, यह फर्क समझ नहीं पाती है,
तुम इनको समझो थोड़ा सा, यह तुम्हें तुमसे ज्यादा समझ जाती है,
एक खुशी जो दो इनको तुम, ये तुम पर जिस्मों जान लुटाती है।

©AK Ajay Kanojiya

" कुछ परिवारों में चिराग नहीं होते, वहाँ रोशनी घर जगमगाती है, जहाँ बेटे नहीं होते साहब, वहाँ बेटियाँ फर्ज निभाती है, समाज के ताने सहकर भी, परिवार की शान बढ़ाती है, यह यूँही नहीं पापा की माया, और माँ की छाया कहलाती है।" #daughter #familygoals #ParentsLove #Grandparents

11 Love

न जीने की अब मुझे तमन्ना, न मरने का अब मुझे डर है, आज के जमाने में मेरे दोस्त, नेकी बस एक भरम है, न गैरों से कोई शिकवा, न अपनों से बिछड़ने का गम है, इस मुखोंटो के शहर में, असली चेहरों का तुझे भरम है। लोग डूबते नहीं है दरिया में, क्योंकि पानी वहाँ कम है, ये तो गिराने वालों का हुनर है, जो तलाब में समुन्दर का भरम है, छीन लेते है तुमसे तुम्हारा सबकुछ, यही तो जमाने का धरम है, जो दिखते है तुझे फ़रिश्ते, वो तो बस तेरे नजरिए का भरम है। तू खुश है मैं खुश नहीं, ये बात भी लोगों के लिए क्या कफन से कम है, तेरे सुख में सुखी, दुख में दुखी दिखने वाले, तेरे दिमाग का भरम है, तू जीत जाए जग से, ये बात तेरे अपनो को भी कहाँ हजम है, ये तेरी इंसानियत है तुझे सब अच्छे दिखे, वरना ये तेरे मन का भरम है। तू निराश न हो जश्न मना, क्योंकि तुझ जैसे है खुदा का करम है, अच्छाई का दामन न छोर, क्योंकि बुराई से तरक़्क़ी बस भरम है, तू बढ़ता चल मंज़िल की ओर, संघर्षों से ही जीवन सफल है, तेरी तरक़्क़ी को रोक सकता है जमाना, मान न मान ये तेरा भरम है। ©AK Ajay Kanojiya

#blindtrust  न जीने की अब मुझे तमन्ना, न मरने का अब मुझे डर है,
आज के जमाने में मेरे दोस्त, नेकी बस एक भरम है,
न गैरों से कोई शिकवा, न अपनों से बिछड़ने का गम है,
इस मुखोंटो के शहर में, असली चेहरों का तुझे भरम है।

लोग डूबते नहीं है दरिया में, क्योंकि पानी वहाँ कम है,
ये तो गिराने वालों का हुनर है, जो तलाब में समुन्दर का भरम है,
छीन लेते है तुमसे तुम्हारा सबकुछ, यही तो जमाने का धरम है,
जो दिखते है तुझे फ़रिश्ते, वो तो बस तेरे नजरिए का भरम है।

तू खुश है मैं खुश नहीं, ये बात भी लोगों के लिए क्या कफन से कम है,
तेरे सुख में सुखी, दुख में दुखी दिखने वाले, तेरे दिमाग का भरम है,
तू जीत जाए जग से, ये बात तेरे अपनो को भी कहाँ हजम है,
ये तेरी इंसानियत है तुझे सब अच्छे दिखे, वरना ये तेरे मन का भरम है।

तू निराश न हो जश्न मना, क्योंकि तुझ जैसे है खुदा का करम है,
अच्छाई का दामन न छोर, क्योंकि बुराई से तरक़्क़ी बस भरम है,
तू बढ़ता चल मंज़िल की ओर, संघर्षों से ही जीवन सफल है,
तेरी तरक़्क़ी को रोक सकता है जमाना, मान न मान ये तेरा भरम है।

©AK Ajay Kanojiya

"न जीने की अब मुझे तमन्ना, न मरने का अब मुझे डर है, आज के जमाने में मेरे दोस्त, नेकी बस एक भरम है, न गैरों से कोई शिकवा, न अपनों से बिछड़ने का गम है, इस मुखोंटो के शहर में, असली चेहरों का तुझे भरम है।" #blindtrust Instagram @advocate_kalam

6 Love

  ये मैं नहीं हूँ, ये मुझ पर तेरे प्यार का नशा है,
जो रूह - जिस्म, और मेरी हर सांस में बसा है,
अब तुझ बिन जीना, मानो जैसे मेरे लिए सजा है,
सुनेहरी सुबहों में भी, तुझबिन अब कहाँ वो मजा है।

तू दूर है मुझसे, इस बात से तू मेरी जान क्यूँ ख़फ़ा है,
मेरे बारे में भी सोच, ये मेरे लिए भी तो एक बद्दुआ है,
ये दूरी है तो शायद, हमें कद्र करने का बखूबी पता है,
नज़दीकियों में कहाँ आजकल, रिश्तों में अब वफ़ा है।

माना की हर सुबह में, न तेरा दामन मुझे मिला है,
तुझको भी मेरे कांधे पर, सिर न रख पाने का गिला है,
इस एहसास के साथ जीने की, बेशक कोई वजह है,
शायद ख़ुदा ने हमारे लिए, कोई बेहतर खेल रचा है।

वक़्त वो दूर नहीं जब, मिलने की आने वाली बेला है,
हम दोनों के सब्र का फल, बस कुछ दिनों दूर खड़ा है,
मैं मिलकर तुझे चुम लूं, बाहों में भरने की तमन्ना है,
मेरे प्यार, मेरे इश्क़, तेरे होने से मेरा अस्त्तिव जुड़ा है।

©AK Ajay Kanojiya

"ये मैं नहीं हूँ, ये मुझ पर तेरे प्यार का नशा है, जो रूह - जिस्म, और मेरी हर सांस में बसा है, अब तुझ बिन जीना, मानो जैसे मेरे लिए सजा है, सुनेहरी सुबहों में भी, तुझबिन अब कहाँ वो मजा है।" Instagram@advocate_kalam

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   वो मिला और मुस्कुरा दिया, हमें भी उसने हँसा दिया,
उस शाम के एहसास में, उसको इश्क है उसने बता दिया,
वो न बोलकर भी बोलता रहा, उसने जज़्बातों से हमें जता दिया,
उस दिन उसने जो किया, सच में चाँद ज़मी पर ला दिया।

जब साथ में बैठा रहा उसके, उसने मेरे कानों में कुछ गुनगुना दिया,
जैसे किसी फ़रिश्ते ने, हरे जख्म पर मरहम सा लगा दिया,
वो वक्त जो यूँ बीतता रहा, उसने उसे वही पर ठहरा दिया,
यक़ीन जानिए उस शख़्स ने, मुझ रोते हुए को हँसा दिया।

फिर साथ में बैठे हुए, जब उसने अपने दिल का पता दिया,
एक छोटी सी मुस्कान संग वो, शर्माया और फिर कदम बढ़ा दिया,
हाँथो में उसने हाथ को ले, होंठों पर होंठों से जाम छलका दिया,
मैं डूबा रहा उसके नशे में रात भर, उसने कुछ ऐसा जाम चखा दिया।

वो दूर होकर भी पास है, उसके भेजे हुए पत्र ने बता दिया,
वो सुबह सा रंगीन और शाम सा हसीन, ये उसकी बातों ने दिखा दिया,
हर रोज जिसकी चाह हो, उसने खुद को उस काबिल बना दिया,
जिसने जिस्मों के इस दौर में, रूह से मोहब्बत का मतलब समझा दिया।

©AK Ajay Kanojiya

"वो मिला और मुस्कुरा दिया, हमें भी उसने हँसा दिया, उस शाम के एहसास में, उसको इश्क है उसने बता दिया, वो न बोलकर भी बोलता रहा, उसने जज़्बातों से हमें जता दिया, उस दिन उसने जो किया, सच में चाँद ज़मी पर ला दिया।" Instagram @advocate_kalam

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ज़िन्दगी के हर मोड़ पर यारों, बेहिसाब इम्तिहान मिलते है, अपने ही तो नहीं मिलते, लेकिन दुश्मन तमाम मिलते है, मंज़िलों की राहों पर राहगीर, कांटे भरे सरेआम मिलते है, सफलता यूँही नहीं मिलती, पहले हार के अंजाम मिलते है। होंसलें बुलंद हो इरादे नेक, तभी मेहनत के परिणाम मिलते है, आत्मविश्वास की डोर हो पक्की, ऊँचाइयों पर तभी नाम मिलते है, नकारात्मकता का साथ छोड़कर ही, अंधेरों में रोशनी के चिराग मिलते है, गिर कर उठना और उठ कर गिरना, इसी से तजुर्बे तमाम मिलते है। ज़िन्दगी में कर दिखाने वाले कुछ अलग, हमेशा ही बदनाम मिलते है, पाते है जो सफलता, वही तो इतिहास के पन्नो पर बेशुमार मिलते है, पहले ठोकर मिलती है सबकों, बाद में जीत के पुरुस्कार मिलते है, कुशलता, योग्यता और साहस से ही, सफल जीवन के उपहार मिलते है। हर दर्द पर बने जो मरहम, ऐसे दोस्त नहीं कभी आम मिलते है, बुरे वक्त में खड़े हो जो साथ तेरे, ऐसे अपने भी कहाँ बिन स्वार्थ मिलते है, तू लहरा परचम अपनी सफलता का, दुनिया में गिराने वाले हर शाम मिलते है, दिखा दे जलवा अपनी काबिलियत का, ऐसे मौके कहाँ हर बार मिलते है। ©AK Ajay Kanojiya

#motivationalpoetry #motivationforlife #motivateyourself #Motivation  ज़िन्दगी के हर मोड़ पर यारों, बेहिसाब इम्तिहान मिलते है,
अपने ही तो नहीं मिलते, लेकिन दुश्मन तमाम मिलते है,
मंज़िलों की राहों पर राहगीर, कांटे भरे सरेआम मिलते है,
सफलता यूँही नहीं मिलती, पहले हार के अंजाम मिलते है।

होंसलें बुलंद हो इरादे नेक, तभी मेहनत के परिणाम मिलते है,
आत्मविश्वास की डोर हो पक्की, ऊँचाइयों पर तभी नाम मिलते है,
नकारात्मकता का साथ छोड़कर ही, अंधेरों में रोशनी के चिराग मिलते है,
गिर कर उठना और उठ कर गिरना, इसी से तजुर्बे तमाम मिलते है।

ज़िन्दगी में कर दिखाने वाले कुछ अलग, हमेशा ही बदनाम मिलते है,
पाते है जो सफलता, वही तो इतिहास के पन्नो पर बेशुमार मिलते है,
पहले ठोकर मिलती है सबकों, बाद में जीत के पुरुस्कार मिलते है,
कुशलता, योग्यता और साहस से ही, सफल जीवन के उपहार मिलते है।

हर दर्द पर बने जो मरहम, ऐसे दोस्त नहीं कभी आम मिलते है,
बुरे वक्त में खड़े हो जो साथ तेरे, ऐसे अपने भी कहाँ बिन स्वार्थ मिलते है,
तू लहरा परचम अपनी सफलता का, दुनिया में गिराने वाले हर शाम मिलते है,
दिखा दे जलवा अपनी काबिलियत का, ऐसे मौके कहाँ हर बार मिलते है।

©AK Ajay Kanojiya

"ज़िन्दगी के हर मोड़ पर यारों, बेहिसाब इम्तिहान मिलते है, अपने ही तो नहीं मिलते, लेकिन दुश्मन तमाम मिलते है, मंज़िलों की राहों पर राहगीर, कांटे भरे सरेआम मिलते है, सफलता यूँही नहीं मिलती, पहले हार के अंजाम मिलते है।" #Motivation #motivationalpoetry #motivateyourself #motivationforlife @AK Ajay Kanojiya Shivom Tiwari YOGESH PANCHOLI sAtYaM Taaj Kavi Ashok samrat

6 Love

नारी का सम्मान याद रहा, वही समाज पुरुष को मान दिला न सका, देते रहते थे जो समानता की दुहाई, उनमें से भी कोई अब समझा न सका, वो पुरूष पीटता रहा चैराहे पर, उसकी मदद को कोई आगे पाँव बढ़ा न सका, किस ख़ता की उसने सजा है पाई, ये बात उसे कोई बतला न सका। वो ग़रीब था शायद इसीलिए, किसी बड़े अधिकारी से गुहार लगा न सका, मेहनत की करके खाने वाला, दलाली की हरकतें करके दिखा न सका, मात-पिता के संस्कारों से ऊपर उठकर, वो अभिमान जता न सका, महिलाओं के प्रति सम्मान की भावना, तभी वो हाथ चला न सका। उसमें इंसानियत अभी बाकी थी, इसीलिए हैवानियत का भूत उसपे आ न सका, देख उस दृश्य को कोई भी, रणभूमि और सड़कों में फर्क बता न सका, पत्रकारों के सम्मुख डटा रहा, फ़िर भी सच का गुणगान गा न सका, इंसाफ की गुहार लगाए बैठा है, पर अभी तक न्याय वो पा न सका। आशा और उम्मीद है बाक़ी उसमें, झूठ कभी सच झूठला न सका, मिलेगा उसको सब्र का फल मीठा, कहावत का मान कभी कोई घटा न सका, न्यायालय से भी है कोई ऊपर, यह अहसास उसके मन भीतर कोई ला न सका, फ़ैसला सच के संग होना है, क्योंकि सच को झूठ कभी हरा न सका। ©AK Ajay Kanojiya

#JusticeforHumanity #ZeroDiscrimination #humanitydied #cabdriver  नारी का सम्मान याद रहा, वही समाज पुरुष को मान दिला न सका,
देते रहते थे जो समानता की दुहाई, उनमें से भी कोई अब समझा न सका,
वो पुरूष पीटता रहा चैराहे पर, उसकी मदद को कोई आगे पाँव बढ़ा न सका,
किस ख़ता की उसने सजा है पाई, ये बात उसे कोई बतला न सका।

वो ग़रीब था शायद इसीलिए, किसी बड़े अधिकारी से गुहार लगा न सका,
मेहनत की करके खाने वाला, दलाली की हरकतें करके दिखा न सका,
मात-पिता के संस्कारों से ऊपर उठकर, वो अभिमान जता न सका,
महिलाओं के प्रति सम्मान की भावना, तभी वो हाथ चला न सका।

उसमें इंसानियत अभी बाकी थी, इसीलिए हैवानियत का भूत उसपे आ न सका,
देख उस दृश्य को कोई भी, रणभूमि और सड़कों में फर्क बता न सका,
पत्रकारों के सम्मुख डटा रहा, फ़िर भी सच का गुणगान गा न सका,
इंसाफ की गुहार लगाए बैठा है, पर अभी तक न्याय वो पा न सका।

आशा और उम्मीद है बाक़ी उसमें, झूठ कभी सच झूठला न सका,
मिलेगा उसको सब्र का फल मीठा, कहावत का मान कभी कोई घटा न सका,
न्यायालय से भी है कोई ऊपर, यह अहसास उसके मन भीतर कोई ला न सका,
फ़ैसला सच के संग होना है, क्योंकि सच को झूठ कभी हरा न सका।

©AK Ajay Kanojiya

"नारी का सम्मान याद रहा, वही समाज पुरुष को मान दिला न सका, देते रहते थे जो समानता की दुहाई, उनमें से भी कोई अब समझा न सका, वो पुरूष पीटता रहा चैराहे पर, उसकी मदद को कोई आगे पाँव बढ़ा न सका, किस ख़ता की उसने सजा है पाई, ये बात उसे कोई बतला न सका।" #ZeroDiscrimination #cabdriver #humanitydied #JusticeforHumanity @AK Ajay Kanojiya Divyansh Attri its_me_pankaj_jha LRK SAINI G0V!ND DHAkAD follow your heart# megha sen

11 Love

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