Raavan Mitr

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#वासना स्त्री तेरे शरीर में छुपा राज़ क्या है, क्या ढूंढने हवस तुझ तक जाती है, कौन सम्मोहन विवेक छीनता है, कौन सी महक दानव बुलाती है, किस मानुष के मन बलात्कार पनप रहा है, क्यों शरीफों के दर नहीं जाती है, वासना पर नियंत्रण जिस का धर्म है, उस फ़रिश्ते संग क्यों घर न बसाती है, क्यों रंग, रूप तेरे सौंदर्य का हिस्सा है, क्यों नहीं नियम सटीक नया बनाती है, लड़का तेरी कोख का किसी कोख पर चढ़ गया, कमी परवरिश उसे इस हद गिराती है.? अच्छा तू इंसाफ इस हद कर दे, पैदा हो लड़का उसे नःपुंसक कर दे, न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी, न कहेगी निर्भया किसी ने न सुनी...✍🏻

#वासना #me  #वासना
स्त्री तेरे शरीर में छुपा राज़ क्या है,
क्या ढूंढने हवस तुझ तक जाती है,
कौन सम्मोहन विवेक छीनता है,
कौन सी महक दानव बुलाती है,
किस मानुष के मन बलात्कार पनप रहा है,
क्यों शरीफों के दर नहीं जाती है,
वासना पर नियंत्रण जिस का धर्म है,
उस फ़रिश्ते संग क्यों घर न बसाती है,
क्यों रंग, रूप तेरे सौंदर्य का हिस्सा है,
क्यों नहीं नियम सटीक नया बनाती है,
लड़का तेरी कोख का किसी कोख पर चढ़ गया,
कमी परवरिश उसे इस हद गिराती है.?
अच्छा तू इंसाफ इस हद कर दे,
पैदा हो लड़का उसे नःपुंसक कर दे,
न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी,
न कहेगी निर्भया किसी ने न सुनी...✍🏻

#me

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#वासना स्त्री तेरे शरीर में छुपा राज़ क्या है, क्या ढूंढने हवस तुझ तक जाती है, कौन सम्मोहन विवेक छीनता है, कौन सी महक दानव बुलाती है, किस मानुष के मन बलात्कार पनप रहा है, क्यों शरीफों के दर नहीं जाती है, वासना पर नियंत्रण जिस का धर्म का है, उस फ़रिश्ते संग क्यों घर न बसाती है, क्यों रंग, रूप तेरे सौंदर्य का हिस्सा है, क्यों नहीं नियम सटीक नया बनाती है, लड़का तेरी कोख का किसी कोख पर चढ़ गया, कमी परवरिश उसे इस हद गिरती है, अच्छा तू इंसाफ इस हद कर दे, पैदा हो लड़का उसे नःपुंसक कर दे, न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी, न कहेगी निर्भया किसी ने न सुनी...✍🏻

#बलात्कार #राघवरूपम #rape_in_the_city #कविता #वासना  #वासना
स्त्री तेरे शरीर में छुपा राज़ क्या है,
क्या ढूंढने हवस तुझ तक जाती है,
कौन सम्मोहन विवेक छीनता है,
कौन सी महक दानव बुलाती है,
किस मानुष के मन बलात्कार पनप रहा है,
क्यों शरीफों के दर नहीं जाती है,
वासना पर नियंत्रण जिस का धर्म का है,
उस फ़रिश्ते संग क्यों घर न बसाती है,
क्यों रंग, रूप तेरे सौंदर्य का हिस्सा है,
क्यों नहीं नियम सटीक नया बनाती है,
लड़का तेरी कोख का किसी कोख पर चढ़ गया,
कमी परवरिश उसे इस हद गिरती है,
अच्छा तू इंसाफ इस हद कर दे,
पैदा हो लड़का उसे नःपुंसक कर दे,
न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी,
न कहेगी निर्भया किसी ने न सुनी...✍🏻

#rape_in_the_city #वासना #बलात्कार #Rape #me #राघवरूपम सुुमन कवयित्री @writer Sunita singh सार (एक एहसास) Me Fan BHAGAT SINGH Da 🇮🇳 @ATROCITY (Indefatigable)

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आज सड़क ने एक और राहगीर खो दिया, ज़िन्दगी ने सिसक कर दम तोड़ दिया, कई चेहरों की मुस्कुराहट उनपर ग़म छोड़ गया, कदमों ने दो सड़क पर अब चलना छोड़ दिया, यूं ही काली नहीं सड़क यूं हर रोज़ जल रही है, यूं दिनबदिन जनाज़ों पर अपनों के हाँथ मल रही है, किलकारियां मुस्कुराहटें वो पहला दांत- वो पहला माँ सारी यादें सड़क के ज़हन में चल रही हैं, अभी कल ही की तो बात है, वो आया था अब नीचे भीड़ चल रही है, कहानी एक लिख कर सड़क पर राहगीर निकल गया, बेवफ़ा हो अपनों से एक पग आगे चल दिया...✍️

#मृत्युशैया #जीवनपथ #कविता #अपने #राही #पथिक  आज सड़क ने एक और राहगीर खो दिया,
ज़िन्दगी ने सिसक कर दम तोड़ दिया,
कई चेहरों की मुस्कुराहट उनपर ग़म छोड़ गया,
कदमों ने दो सड़क पर अब चलना छोड़ दिया,
यूं ही काली नहीं सड़क यूं हर रोज़ जल रही है,
यूं दिनबदिन जनाज़ों पर अपनों के हाँथ मल रही है,
किलकारियां मुस्कुराहटें वो पहला दांत-
वो पहला माँ सारी यादें सड़क के ज़हन में चल रही हैं,
अभी कल ही की तो बात है,
वो आया था अब नीचे भीड़ चल रही है,
कहानी एक लिख कर सड़क पर राहगीर निकल गया,
बेवफ़ा हो अपनों से एक पग आगे चल दिया...✍️

बदनसीबों का कोई luck नहीं होता, गरीबों को प्यार का कोई हक़ नहीं होता, हर आदमी नसीहतें हज़ार देता है, तकलीफ़ में हसने पर किसी को शक़ नहीं होता... तराजू के दो पलड़े एक पर हम, दूजे पर औक़ात का वजन होता है, हम इंसान हैं अक्सर भूल जाया करते हैं, दुःख नहीं होते तो कोई नहीं रोता...✍️

#मुस्कुराना #Jo_beet_gayi_so_baat_gayi #दिखावा #छुपाना #अनुभव #दर्द  बदनसीबों का कोई luck नहीं होता,
गरीबों को प्यार का कोई हक़ नहीं होता,
हर आदमी नसीहतें हज़ार देता है,
तकलीफ़ में हसने पर किसी को शक़ नहीं होता...

तराजू के दो पलड़े एक पर हम,
दूजे पर औक़ात का वजन होता है,
हम इंसान हैं अक्सर भूल जाया करते हैं,
दुःख नहीं होते तो कोई नहीं रोता...✍️

प्रतिवर्ष ये मास हर बार मुझे चोटिल करता है, कल भूल गया था मई है ये, मेरे कोपवास के ३१ दिन हैं, क्यों निकला कल घर से मैं, कैसे भी हो कुछ भी हो, कड़वी यादें ही जुड़ती हैं, फेहरिस्त बड़ी ही लंबी है, जन्म से रोता प्रतिवर्ष हूँ मैं...✍️

#प्रतिवर्ष #जन्मदिन #क्षुब्ध #अक्षम्य #कविता #अपराध  प्रतिवर्ष

ये मास हर बार मुझे चोटिल करता है,
कल भूल गया था मई है ये,
मेरे कोपवास के ३१ दिन हैं,
क्यों निकला कल घर से मैं,
कैसे भी हो कुछ भी हो,
कड़वी यादें ही जुड़ती हैं,
फेहरिस्त बड़ी ही लंबी है,
जन्म से रोता प्रतिवर्ष हूँ मैं...✍️

अंत पर विजय अनंत शब्द ढूंढते रहे, फिर दिवस यूं पिछला व्यतीत हो गया, बढ़ने का नाम ज़िन्दगी और रुक गए हम, और मृत्यु को तुमने धारण कर लिया, शवों के रेले लगे हैं जब हर गली कूंचे से, नाम कर यूं हुए गुमनाम खुद को आम कर लिया...✍🏼 RIP

#कविता #Rishi_Kapoor #irfan_khan #RIP  अंत पर विजय अनंत शब्द ढूंढते रहे,
फिर दिवस यूं पिछला व्यतीत हो गया,
बढ़ने का नाम ज़िन्दगी और रुक गए हम,
और मृत्यु को तुमने धारण कर लिया,
शवों के रेले लगे हैं जब हर गली कूंचे से,
नाम कर यूं हुए गुमनाम खुद को आम कर लिया...✍🏼
RIP
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