kajal sinha

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#कविता #Memories #Feeling #lover #paper

#Love #Poetry #Feeling #pen #paper #lover #Memories #

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जो इश्क़ के रंग सा था,सच्चा और बेदाग सा वो उसका ही एक ढंग सा था रूप सा था, और दिल में दिमाग सा..!! ©kajal sinha

#शायरी #smoke  जो इश्क़ के रंग सा था,सच्चा और बेदाग सा 
वो उसका ही एक ढंग सा था रूप सा था,
और दिल में दिमाग सा..!!

©kajal sinha

#smoke

8 Love

..............kajal............♥️♥️ ©kajal sinha

#शायरी  ..............kajal............♥️♥️

©kajal sinha

..............kajal............♥️♥️ ©kajal sinha

12 Love

Coronaकाल:- वो भी क्या वक़्त था.. कहीं वो परवरिश हार गई, जब एक बेटे को पिता के शव का, बहिष्कार करते देखा, कहीं वो धर्मभेद हार गया, जब एक मुसलमान को, शव का अंतिम संस्कार करते देखा.. कहीं वो परवरिश जीत गई, जब एक बेटी को पिता के लिए, मिलो की दूरी तय करना, स्वीकार करते देखा... ©kajal sinha

#stay_home_stay_safe #कविता  Coronaकाल:-
वो भी क्या वक़्त था..
कहीं वो परवरिश हार गई,
जब एक बेटे को पिता के शव का,
बहिष्कार करते देखा,
कहीं वो धर्मभेद हार गया,
जब एक मुसलमान को,
शव का अंतिम संस्कार करते देखा..
कहीं वो परवरिश जीत गई,
जब एक बेटी को पिता के लिए,
मिलो की दूरी तय करना,
स्वीकार करते देखा...

©kajal sinha

चलो एक किरदार लिखती हूँ, अपनी ज़िन्दगी में फ़िर वही प्यार लिखती हूँ यूं बैठी थी मैं गुमसुम नीले आसमां के तले सोच में पड़ी बेचैन अपने दोनों हाथों को मले रंग बिरंगे बादलों से सवाल करती हुई, अपने अकेलेपन से सहम कर डरती हुई, हवा के झरोकों ने कुछ ज़ुल्फ़ें यूं उड़ाई.. तिरछी नज़रों से दिखी किसी अजनबी की परछाई.. नम आंखों से मैने नज़रें उठाकर देखा, पलकों को धीरे धीरे उठा तो कभी झुककर देखा और अचानक खोती सी चली गई मैं, या जीते जागते सोती सी चली गई मैं... कुछ तो था उसकी आँखों में, जैसे पूछना चाहता हो हाल मेरा.. तेरी ख़ामोश निगाहों में पढ़ने लगी थी सवाल तेरा थम गए थे आंशु कुछ मुस्कुराहट सी आ गई.. जैसे बेचैन सी ज़िंदगी मे सुकून की आहट सी आ गई... निःशब्द थे दोनों और खामोशियाँ बोल उठी, हल्की हवाएं थी और पानी की लहर डोल उठी.. नज़रे उठे उसकी तरफ़ तो कभी नज़रें झूंक जाए, उस के पल में न जाने कितनी बार सांसे ही रुक जाए.. वो लालिमा लिए सूरज अपनी चाल चलने लगा, सुहाना से शाम फ़िर अंधेरे में ढालने लगा... चलो एक किरदार लिखती हूं, अपनी ज़िंदगी मे फ़िर वहीं प्यार लिखती हूँ.. ©kajal sinha

#कविता #lost  चलो एक किरदार लिखती हूँ,
अपनी ज़िन्दगी में फ़िर वही प्यार लिखती हूँ
यूं बैठी थी मैं गुमसुम नीले आसमां के तले
सोच में पड़ी बेचैन अपने दोनों हाथों को मले
रंग बिरंगे बादलों से सवाल करती हुई,
अपने अकेलेपन से सहम कर डरती हुई,
हवा के झरोकों ने कुछ ज़ुल्फ़ें यूं उड़ाई..
तिरछी नज़रों से दिखी किसी अजनबी की परछाई..
नम आंखों से मैने नज़रें उठाकर देखा,
पलकों को धीरे धीरे उठा तो कभी झुककर देखा
और अचानक खोती सी चली गई मैं,
या जीते जागते सोती सी चली गई मैं...
कुछ तो था उसकी आँखों में,
जैसे पूछना चाहता हो हाल मेरा..
तेरी ख़ामोश निगाहों में पढ़ने लगी थी सवाल तेरा
थम गए थे आंशु कुछ मुस्कुराहट सी आ गई..
जैसे बेचैन सी ज़िंदगी मे सुकून की आहट सी आ गई...
निःशब्द थे दोनों और खामोशियाँ बोल उठी,
हल्की हवाएं थी और पानी की लहर डोल उठी..
नज़रे उठे उसकी तरफ़ तो कभी नज़रें झूंक जाए,
उस के पल में न जाने कितनी बार सांसे  ही रुक जाए..
वो लालिमा लिए सूरज अपनी चाल चलने लगा,
सुहाना से शाम फ़िर अंधेरे में ढालने लगा...
चलो एक किरदार लिखती हूं,
अपनी ज़िंदगी मे फ़िर वहीं प्यार लिखती हूँ..

©kajal sinha

ये एक पल था जिसमें कोई कहानी न थी, खामोशियों में भी नशा होता है, जो मैंने जानी न थी.. चल पड़े हमदोनो अपनी अपनी राह में, फ़िर कब मिल पाएंगे एक दूजे की चाह में.. उस शाम का इंतज़ार अब रोज़ हो जाता है, उसकी याद में प्यार अब रोज़ हो जाता है.. चलो एक किरदार लिखती हूँ,

10 Love

तारे आंखों से परदा हटा और मैं साफ़ नज़ारे देख रही हूँ, आसमान से छटी घटा और मैं सितारें देख रही हूँ.. गौर से सुनना ये टिमटिमाकर कुछ कहना चाहती हैं, ©kajal sinha

 तारे  आंखों से परदा हटा और मैं साफ़ नज़ारे देख रही हूँ,
आसमान से छटी घटा और मैं सितारें देख रही हूँ..
गौर से सुनना ये टिमटिमाकर कुछ कहना चाहती हैं,

©kajal sinha

तारे आंखों से परदा हटा और मैं साफ़ नज़ारे देख रही हूँ, आसमान से छटी घटा और मैं सितारें देख रही हूँ.. गौर से सुनना ये टिमटिमाकर कुछ कहना चाहती हैं, ©kajal sinha

8 Love

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