verma sahab

verma sahab

https://instagram.com/verma.sahab.5623?igshid=YmMyMTA2M2Y= व्हाट्सएप 9636233595 Author ऑफ चिड़ावा

  • Latest
  • Popular
  • Repost
  • Video

दूर दराज अपना गांव छोड़कर जयपुर शहर चले आये, हजारों ख्वाब है इस शहर का मेरे दिल मे, चलो यह भर्म भी दिल में पालते हैं। गुलाबी शाम , गुलाबी सुबह, गुलाबी शहर सब तेरे होठो की याद दिलाते हैं। पहाड़ पर किले, हवामहल कि खिड़किया, जलमहल ओर इस शहर की खुशबू मेरी जहन में बस गई है। हम आये थे अपना शहर छोड़कर तेरी याद भुलाने को, गुलाबी शहर छोड़ते हुए हम एक ओर नया गम साथ लेकर जाते हैं। तुझसे बिछड़ते वक्त मेरी आँखें नम ना थी, गुलाबी शहर को छोड़ते वक्त मेरी आँखों में पानी और चेहरा लाल हो रहा है ©verma sahab

 दूर दराज अपना गांव छोड़कर जयपुर शहर चले आये,
हजारों ख्वाब है इस शहर का मेरे दिल मे,
चलो यह भर्म भी दिल में पालते हैं।
गुलाबी शाम , गुलाबी सुबह, गुलाबी शहर सब तेरे होठो की याद दिलाते हैं।
पहाड़ पर किले, हवामहल कि खिड़किया, जलमहल ओर इस शहर की खुशबू मेरी जहन में बस गई है।
हम आये थे अपना शहर छोड़कर तेरी याद भुलाने को,
गुलाबी शहर छोड़ते हुए हम एक ओर नया गम साथ लेकर जाते हैं।
तुझसे बिछड़ते वक्त मेरी आँखें नम ना थी,
गुलाबी शहर को छोड़ते वक्त मेरी आँखों में पानी और चेहरा लाल हो रहा है

©verma sahab

दूर दराज अपना गांव छोड़कर जयपुर शहर चले आये, हजारों ख्वाब है इस शहर का मेरे दिल मे, चलो यह भर्म भी दिल में पालते हैं। गुलाबी शाम , गुलाबी सुबह, गुलाबी शहर सब तेरे होठो की याद दिलाते हैं। पहाड़ पर किले, हवामहल कि खिड़किया, जलमहल ओर इस शहर की खुशबू मेरी जहन में बस गई है। हम आये थे अपना शहर छोड़कर तेरी याद भुलाने को, गुलाबी शहर छोड़ते हुए हम एक ओर नया गम साथ लेकर जाते हैं। तुझसे बिछड़ते वक्त मेरी आँखें नम ना थी, गुलाबी शहर को छोड़ते वक्त मेरी आँखों में पानी और चेहरा लाल हो रहा है ©verma sahab

15 Love

मैं टहल रहा था दोस्तो के साथ और ठंडी हवा चल रही थी, दोस्त रुक गए पेड़ के पास में आगे चलता जा रहा था, बादलो से बूंदा बांदी हो रही थी, मैं भीग रहा था आंखे बरस रही थी, दोस्त भी थे हैरान आखिर रब क्यो मुझपर मेहरबान थे। दोस्त ठंडी हवा में सिगरेट जला कर धुंआ उड़ा रहे थे, दोस्तो ने पूछा साहब तुम भी सिगरेट जला लो, मेने कहा जिनका दिल जल रहा हो वो लोग सिगरेट नही जलाते। दोस्तों ने पूछा वो कौन है, मेने पर्स से उसकी तस्वीर दिखा दी, जब कोई पूछता है उसके बारे में , तो मैं उसका जिक्र नही करता, सीधे उसकि तस्वीर दिखा देता हूं। मेरे दोस्त उसके बारे में सब बताते हैं, उसे कहा मालूम है जिन पंछियो से वो छत पर बाते करती है, वो पंछी भी मेरे है। अब मेरे दोस्त उस रास्ते पर चलने नही देते हैं, मगर कोई पूछता है उसकी राह का पता तो में बता देता हूं, आखिर उनको भी मालूम होना चाहिए , उन राहों पर क्यो नही जाना चाहिए,। मेरे दोस्त बोलते हैं साहब आप कहानी , शायरी , गजले, कविता अधूरी ही क्यो लिखते हो, जितना किरदार है उसका उतना में कहानी में लिख देता हूं, अधूरे लोग अधूरी ही कहानी लिखते हैं, अक्सर लोगो को अधूरी कहानी ही पसन्द आती है, मेरी अधूरी कहानी को लोग पढ़कर अपनी कहानी के साथ पूरा कर देते हैं ©verma sahab

#together  मैं टहल रहा था दोस्तो के साथ और ठंडी हवा चल रही थी,
दोस्त रुक गए पेड़ के पास में आगे चलता जा रहा था,
बादलो से बूंदा बांदी हो रही थी,
मैं भीग रहा था आंखे बरस  रही थी,
दोस्त भी थे हैरान आखिर रब क्यो मुझपर मेहरबान थे।
दोस्त ठंडी हवा में सिगरेट जला कर धुंआ उड़ा रहे थे,
दोस्तो ने पूछा साहब तुम भी सिगरेट जला लो,
मेने कहा जिनका दिल जल रहा हो वो लोग सिगरेट नही जलाते।
दोस्तों ने पूछा वो कौन है,
मेने पर्स से उसकी तस्वीर दिखा दी,
जब कोई पूछता है उसके बारे में ,
तो मैं उसका जिक्र नही करता,
सीधे उसकि तस्वीर दिखा देता हूं।
मेरे दोस्त उसके बारे में सब बताते हैं,
उसे कहा मालूम है जिन पंछियो से वो छत पर बाते करती है,
वो पंछी भी मेरे है।
अब मेरे दोस्त उस रास्ते पर चलने नही देते हैं,
मगर कोई पूछता है उसकी राह का पता तो में बता देता हूं,
आखिर उनको भी मालूम होना चाहिए , उन राहों पर क्यो नही जाना चाहिए,।
मेरे दोस्त बोलते हैं साहब आप कहानी , शायरी , गजले, कविता अधूरी ही क्यो लिखते हो,
जितना किरदार है उसका उतना में कहानी में लिख देता हूं,
अधूरे लोग अधूरी ही कहानी लिखते हैं,
अक्सर लोगो को अधूरी कहानी ही पसन्द आती है,
मेरी अधूरी कहानी को लोग पढ़कर अपनी कहानी के साथ पूरा कर देते हैं

©verma sahab

#together

5 Love

सखी मुझे बता जरा इस आंगन से उड़कर चिड़िया जब जाती है दुसरे आंगन मे तो क्या यह आंग अब मेरा होगा या नही तो कौनसा आंगन होगा सखी मुझे बता जरा शादी के बाद सखी हमारा मिलना हो पाएगा हमारा इन गलियो मे खेलना शरारत करना क्या यह हो पएगा सखी सखी मुझे बता जरा बाबुल से रूठना फिर उनका मनाना मां का प्यार से डाटना हमारी उदासीयो का ख्याल रखकर हमे मुस्कराना सिखना क्या सखी यह हो पाएगा सखी मुझे बता जरा हमारा रस्सी कुद खेलना , सड़को पर पाले बना कर खेलना पत्थरो से खेलना , घरो के दरवाजो और खिडकीयों मे छुपकर खेलना क्या सखी हम खेल पाएंगे या हम खुद एक खेल बन जाएगें सखी मुझे बता जरा हमारे आंगन मे जो पेड़ ह उस पर रस्सी बांधकर झुलना क्या आंगन मे पेड़ होगा क्या हम झुल पाएंगे क्या हम अपने बचपने को साथ लेकर जा पाएंगे या उसको भी बाबुल के आंगन मे छोड़ कर जाना होगा सखी मुझे बता जरा हम जो बाबुल के आंगन मे पँखो से उड़ते ह आसमान मे क्या उस आंगन मे उड़ पाएंगे क्या वहा पर हमारे पंख काट दिए जाएंगे सखी बिना पंख कैसे उड़ पाएंगे वे क्या बिना पँखो के मुझे अपने पंखो के सहारे आसमान मे ले जाकर दुनिया कि सेर करा पाऐगा सखी मुझे जरा बता हमे ले जाने वाला क्या हमको समझ पाएगा मुसीबत मे सखी परेशानी और तकलीफ मे पिता गलती पर मां की तरह प्रेम से डाटना क्या वह यह सब किरदार बन पाएगा या वो सिर्फ पति ही बनकर रह जाएगा सखी मुझे जरा बता सखी मुझे जरा बता ©verma sahab

 सखी मुझे बता जरा
इस आंगन से उड़कर चिड़िया 
जब जाती है दुसरे आंगन मे
तो क्या यह आंग अब मेरा होगा या नही 
तो कौनसा आंगन होगा 
सखी मुझे बता जरा 
शादी के बाद सखी हमारा मिलना हो पाएगा
हमारा इन गलियो मे खेलना शरारत करना क्या यह हो पएगा सखी
सखी मुझे बता जरा 
बाबुल से रूठना फिर उनका मनाना 
मां का प्यार से डाटना 
हमारी उदासीयो का ख्याल रखकर हमे 
मुस्कराना सिखना क्या सखी यह हो पाएगा
सखी मुझे बता जरा
हमारा रस्सी कुद खेलना , सड़को पर पाले बना कर खेलना
पत्थरो से खेलना , घरो के दरवाजो और खिडकीयों मे छुपकर खेलना
क्या सखी हम खेल पाएंगे 
या हम खुद एक खेल बन जाएगें 
सखी मुझे बता जरा
हमारे आंगन मे जो पेड़ ह उस पर रस्सी बांधकर झुलना
क्या आंगन मे पेड़ होगा 
क्या हम झुल पाएंगे
क्या हम अपने बचपने को साथ लेकर जा पाएंगे
या उसको भी बाबुल के आंगन मे छोड़ कर जाना होगा
सखी मुझे बता जरा
हम जो बाबुल के आंगन मे 
पँखो से उड़ते ह आसमान मे
क्या उस आंगन मे उड़ पाएंगे
क्या वहा पर हमारे पंख काट दिए जाएंगे
 सखी बिना पंख कैसे उड़ पाएंगे 
वे क्या बिना पँखो के मुझे  अपने पंखो
के सहारे आसमान मे ले जाकर दुनिया कि सेर करा पाऐगा
सखी मुझे जरा बता
हमे ले जाने वाला क्या हमको समझ पाएगा
मुसीबत मे सखी
परेशानी और तकलीफ मे पिता
गलती पर मां की तरह प्रेम से डाटना 
क्या वह यह सब किरदार बन पाएगा
या वो सिर्फ पति ही बनकर रह जाएगा
सखी मुझे जरा बता
सखी मुझे जरा बता

©verma sahab

सखी मुझे बता जरा इस आंगन से उड़कर चिड़िया जब जाती है दुसरे आंगन मे तो क्या यह आंग अब मेरा होगा या नही तो कौनसा आंगन होगा सखी मुझे बता जरा शादी के बाद सखी हमारा मिलना हो पाएगा हमारा इन गलियो मे खेलना शरारत करना क्या यह हो पएगा सखी सखी मुझे बता जरा बाबुल से रूठना फिर उनका मनाना मां का प्यार से डाटना हमारी उदासीयो का ख्याल रखकर हमे मुस्कराना सिखना क्या सखी यह हो पाएगा सखी मुझे बता जरा हमारा रस्सी कुद खेलना , सड़को पर पाले बना कर खेलना पत्थरो से खेलना , घरो के दरवाजो और खिडकीयों मे छुपकर खेलना क्या सखी हम खेल पाएंगे या हम खुद एक खेल बन जाएगें सखी मुझे बता जरा हमारे आंगन मे जो पेड़ ह उस पर रस्सी बांधकर झुलना क्या आंगन मे पेड़ होगा क्या हम झुल पाएंगे क्या हम अपने बचपने को साथ लेकर जा पाएंगे या उसको भी बाबुल के आंगन मे छोड़ कर जाना होगा सखी मुझे बता जरा हम जो बाबुल के आंगन मे पँखो से उड़ते ह आसमान मे क्या उस आंगन मे उड़ पाएंगे क्या वहा पर हमारे पंख काट दिए जाएंगे सखी बिना पंख कैसे उड़ पाएंगे वे क्या बिना पँखो के मुझे अपने पंखो के सहारे आसमान मे ले जाकर दुनिया कि सेर करा पाऐगा सखी मुझे जरा बता हमे ले जाने वाला क्या हमको समझ पाएगा मुसीबत मे सखी परेशानी और तकलीफ मे पिता गलती पर मां की तरह प्रेम से डाटना क्या वह यह सब किरदार बन पाएगा या वो सिर्फ पति ही बनकर रह जाएगा सखी मुझे जरा बता सखी मुझे जरा बता ©verma sahab

3 Love

सखी मुझे बता जरा इस आंगन से उड़कर चिड़िया जब जाती है दुसरे आंगन मे तो क्या यह आंग अब मेरा होगा या नही तो कौनसा आंगन होगा सखी मुझे बता जरा शादी के बाद सखी हमारा मिलना हो पाएगा हमारा इन गलियो मे खेलना शरारत करना क्या यह हो पएगा सखी सखी मुझे बता जरा बाबुल से रूठना फिर उनका मनाना मां का प्यार से डाटना हमारी उदासीयो का ख्याल रखकर हमे मुस्कराना सिखना क्या सखी यह हो पाएगा सखी मुझे बता जरा हमारा रस्सी कुद खेलना , सड़को पर पाले बना कर खेलना पत्थरो से खेलना , घरो के दरवाजो और खिडकीयों मे छुपकर खेलना क्या सखी हम खेल पाएंगे या हम खुद एक खेल बन जाएगें सखी मुझे बता जरा हमारे आंगन मे जो पेड़ ह उस पर रस्सी बांधकर झुलना क्या आंगन मे पेड़ होगा क्या हम झुल पाएंगे क्या हम अपने बचपने को साथ लेकर जा पाएंगे या उसको भी बाबुल के आंगन मे छोड़ ़कर जाना होगा सखी मुझे बता जरा हम जो बाबुल के आंगन मे पखंो से उड़ते ह आसमान मे क्या उस आंगन मे उड़ पाएंगे क्या वहा पर हमारे पंख काट दिए जाएंगे सखी बिना पंख कैसे उड़ पाएंगे वे क्या बिना पंखांे के मुझे अपने पंखो के सहारे आसमान मे ले जाकर दुनिया कि सेर करा पाऐगा सखी मुझे जरा बता हमे ले जाने वाला क्या हमको समझ पाएगा मुसीबत मे सखी परेशानी और तकलीफ मे पिता गलती पर मां की तरह पे्रम से डाटना क्या वह यह सब किरदार बन पाएगा या वो सिर्फ पति ही बनकर रह जाएगा सखी मुझे जरा बता सखी मुझे जरा बता ©verma sahab

 सखी मुझे बता जरा
इस आंगन से उड़कर चिड़िया 
जब जाती है दुसरे आंगन मे
तो क्या यह आंग अब मेरा होगा या नही 
तो कौनसा आंगन होगा 

सखी मुझे बता जरा 
शादी के बाद सखी हमारा मिलना हो पाएगा
हमारा इन गलियो मे खेलना शरारत करना क्या यह हो पएगा सखी
सखी मुझे बता जरा 
बाबुल से रूठना फिर उनका मनाना 
मां का प्यार से डाटना 
हमारी उदासीयो का ख्याल रखकर हमे 
मुस्कराना सिखना क्या सखी यह हो पाएगा
सखी मुझे बता जरा
हमारा रस्सी कुद खेलना , सड़को पर पाले बना कर खेलना
पत्थरो से खेलना , घरो के दरवाजो और खिडकीयों मे छुपकर खेलना
क्या सखी हम खेल पाएंगे 
या हम खुद एक खेल बन जाएगें 
सखी मुझे बता जरा
हमारे आंगन मे जो पेड़ ह उस पर रस्सी बांधकर झुलना
क्या आंगन मे पेड़ होगा 
क्या हम झुल पाएंगे
क्या हम अपने बचपने को साथ लेकर जा पाएंगे
या उसको भी बाबुल के आंगन मे छोड़ ़कर जाना होगा

सखी मुझे बता जरा
हम जो बाबुल के आंगन मे 
पखंो से उड़ते ह आसमान मे
क्या उस आंगन मे उड़ पाएंगे
क्या वहा पर हमारे पंख काट दिए जाएंगे
 सखी बिना पंख कैसे उड़ पाएंगे 
वे क्या बिना पंखांे के मुझे  अपने पंखो
के सहारे आसमान मे ले जाकर दुनिया कि सेर करा पाऐगा

सखी मुझे जरा बता
हमे ले जाने वाला क्या हमको समझ पाएगा
मुसीबत मे सखी
परेशानी और तकलीफ मे पिता
गलती पर मां की तरह पे्रम से डाटना 
क्या वह यह सब किरदार बन पाएगा
या वो सिर्फ पति ही बनकर रह जाएगा
सखी मुझे जरा बता
सखी मुझे जरा बता

©verma sahab

सखी मुझे बता जरा इस आंगन से उड़कर चिड़िया जब जाती है दुसरे आंगन मे तो क्या यह आंग अब मेरा होगा या नही तो कौनसा आंगन होगा सखी मुझे बता जरा शादी के बाद सखी हमारा मिलना हो पाएगा हमारा इन गलियो मे खेलना शरारत करना क्या यह हो पएगा सखी सखी मुझे बता जरा बाबुल से रूठना फिर उनका मनाना मां का प्यार से डाटना हमारी उदासीयो का ख्याल रखकर हमे मुस्कराना सिखना क्या सखी यह हो पाएगा सखी मुझे बता जरा हमारा रस्सी कुद खेलना , सड़को पर पाले बना कर खेलना पत्थरो से खेलना , घरो के दरवाजो और खिडकीयों मे छुपकर खेलना क्या सखी हम खेल पाएंगे या हम खुद एक खेल बन जाएगें सखी मुझे बता जरा हमारे आंगन मे जो पेड़ ह उस पर रस्सी बांधकर झुलना क्या आंगन मे पेड़ होगा क्या हम झुल पाएंगे क्या हम अपने बचपने को साथ लेकर जा पाएंगे या उसको भी बाबुल के आंगन मे छोड़ ़कर जाना होगा सखी मुझे बता जरा हम जो बाबुल के आंगन मे पखंो से उड़ते ह आसमान मे क्या उस आंगन मे उड़ पाएंगे क्या वहा पर हमारे पंख काट दिए जाएंगे सखी बिना पंख कैसे उड़ पाएंगे वे क्या बिना पंखांे के मुझे अपने पंखो के सहारे आसमान मे ले जाकर दुनिया कि सेर करा पाऐगा सखी मुझे जरा बता हमे ले जाने वाला क्या हमको समझ पाएगा मुसीबत मे सखी परेशानी और तकलीफ मे पिता गलती पर मां की तरह पे्रम से डाटना क्या वह यह सब किरदार बन पाएगा या वो सिर्फ पति ही बनकर रह जाएगा सखी मुझे जरा बता सखी मुझे जरा बता ©verma sahab

5 Love

कौन है ख्वाब में हम साथ साथ है, आँखे खुली तो तू मेरी बाहों में है, तो फिर ख्वाबो में कौन है। तू दिल के अंदर आने को बाहर खड़ी है, तो मेरे दिल मैं कौन है। हम सफर में निकले एक साथ साथ, तू बस से बाहर हाथ हिला रही है, तो मेरी बगल की सीट पर कौन है। मैं कहता हूं तू मेरे दिल मे है, तू भी कहती मैं तेरे दिल मे ही हु, मैं फिर भी तन्हा रहता हूं तो यह बता मुझे तेरे दिल मे कौन है। मेरे दिल के दरवाजे में जो ताला है उसकी चाबी तेरे पास है, तू बाहर है तो फिर ताला खुला है दिल मे कौन है। हम एक साथ रहते हैं एक साथ खाते हैं, तुझे पता है मेरी हर पसन्द , फिर आज तू पूछती है मुझे क्या पसन्द है, अच्छा यह बताओ तुम्हारी तबियत तो ठीक है , आजकल यार तू कीन ख्यालो में रहती है कौन है। आजकल तू घर में कम ही ठहरती है , कम ही दिखाई देती है, ठीक से बाते भी नही करती, नजरे भी नही मिलती, चोरी छिपे घर मे आती है, चोरी छिपे घर से बाहर जाती है, मेरे पूछने पर गुस्सा करके बोलती हो वर्मा साहब... आपके क्या मसला है मैं तो ठीक हु तुम बताओ कौन है। ©verma sahab

#thought  कौन है
ख्वाब में हम साथ साथ है,
आँखे खुली तो तू मेरी बाहों में है, 
तो फिर ख्वाबो में कौन है।
तू दिल के अंदर आने को बाहर खड़ी है,
तो मेरे दिल मैं कौन है।
हम सफर में निकले एक साथ साथ,
तू बस से बाहर हाथ हिला रही है,
तो मेरी बगल की सीट पर कौन है।
मैं कहता हूं तू मेरे दिल मे है,
तू भी कहती मैं तेरे दिल मे ही हु,
मैं फिर भी तन्हा रहता हूं
तो यह बता मुझे तेरे दिल मे कौन है।
मेरे दिल के दरवाजे में जो ताला है
उसकी चाबी तेरे पास है,
तू बाहर है तो फिर ताला खुला है
दिल मे कौन है।
हम एक साथ रहते हैं एक साथ खाते हैं, तुझे पता है मेरी हर पसन्द , फिर आज तू पूछती है मुझे क्या पसन्द है, अच्छा यह बताओ तुम्हारी तबियत तो ठीक है , आजकल यार तू कीन  ख्यालो में रहती है कौन है।
आजकल तू घर में कम ही ठहरती है , कम ही दिखाई देती है, ठीक से बाते भी नही करती,
नजरे भी नही मिलती, 
चोरी छिपे घर मे आती है, 
चोरी छिपे घर से बाहर जाती है,
 मेरे पूछने पर  गुस्सा करके बोलती हो वर्मा साहब...  आपके क्या मसला है
मैं तो ठीक हु तुम बताओ कौन है।

©verma sahab

#thought

3 Love

तुझसे बिछड़कर हम शायर बन गए, चाहते तो पागल भी बन सकते थे। तन्हाई में हम किताब खाने जाते हैं, पास में मयखाने भी है वहा भी जा सकते थे। लोग तो अपने महबूब से बिछड़कर शराब पीते हैं, एक हम है हर रोज तेरा गम पिये जा रहे हैं। हमने हाथों की दो उंगलियों के बीच , आज कलम उठा रहे हैं, शेर सुना रहे हैं, चाहते तो हम सिगरेट उठा कर, धुँआ उड़ा सकते थे। तेरे इश्क़ का कैसा असर हुआ मुझपर, मुझे तो बिगड़ना चाहिए था, ओर हम सुधरते जा रहे हैं ©verma sahab

 तुझसे बिछड़कर हम शायर बन गए,
चाहते तो पागल भी बन सकते थे।
तन्हाई में हम किताब खाने जाते हैं,
पास में मयखाने भी है वहा भी जा सकते थे।
लोग तो अपने महबूब से बिछड़कर शराब पीते हैं,
एक हम है हर रोज तेरा गम पिये जा रहे हैं।
हमने हाथों की दो उंगलियों के बीच ,
आज कलम उठा रहे हैं,
शेर सुना रहे हैं,
चाहते तो हम सिगरेट उठा कर,
 धुँआ उड़ा सकते थे।
तेरे इश्क़ का कैसा असर हुआ मुझपर,
मुझे तो बिगड़ना चाहिए था,
ओर हम सुधरते जा रहे हैं

©verma sahab

तुझसे बिछड़कर हम शायर बन गए, चाहते तो पागल भी बन सकते थे। तन्हाई में हम किताब खाने जाते हैं, पास में मयखाने भी है वहा भी जा सकते थे। लोग तो अपने महबूब से बिछड़कर शराब पीते हैं, एक हम है हर रोज तेरा गम पिये जा रहे हैं। हमने हाथों की दो उंगलियों के बीच , आज कलम उठा रहे हैं, शेर सुना रहे हैं, चाहते तो हम सिगरेट उठा कर, धुँआ उड़ा सकते थे। तेरे इश्क़ का कैसा असर हुआ मुझपर, मुझे तो बिगड़ना चाहिए था, ओर हम सुधरते जा रहे हैं ©verma sahab

3 Love

Trending Topic