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#कविता #sadak  सड़कें हैं खामोश रात की कहानियाँ,
जहाँ हर कदम पर बसी हैं अनजानी निशानियाँ।
इनकी धूल में छुपे हैं सपनों के टुकड़े,
जो हर गुजरते मुसाफ़िर से कहें कुछ किस्से।
यहाँ की हवा में बसती है सफर की महक,
हर मोड़ पर झलकता है जीवन का एक नयापन।
टूटे हुए दिलों की गवाह हैं ये सड़कें,
जो हर दिन सजाती हैं अपनी नई तकदीरें।
कभी ये सुनसान होती हैं, कभी चहल-पहल,
हर गुजरता वक़्त इन्हें देता है नया अक्स।
इन सड़कों पर चलते हैं कई अरमान,
जो हर रात ढूंढते हैं अपने मंज़िल के निशान।
यहाँ की चुप्पी में भी है एक गहरी बात,
सड़कें सिखाती हैं हमें हर दिन नया साथ।
इन पर बिछड़े और मिले हैं कई लोग,
सड़कें हैं जीवन का अनमोल संजोग।

©Nirankar Trivedi

#sadak सड़कें हैं खामोश रात की कहानियाँ हिंदी कविता कविता कोश प्रेरणादायी कविता हिंदी हिंदी कविता कविता

99 View

#मराठीकविता  मुलगा म्हणुन आम्ही 
काय केला गुन्हा..
साहेब -एक तरी योजना 
एकदा आमच्यासाठी पुन्हा..

शिकून सवरूनी सगळं 
तुम्ही लावलाय चुना..
कंत्राटी धोरण काढून 
आधीच आणा पुन्हा..

लग्न होईना म्हणून
गाठला मुंबई पुणा..
१२ घंटे काम करून 
खिशात दमडी उरेना..

मुलगा म्हणून आम्ही 
खरंच काय केला गुन्हा..
भाऊ माझा लाडका
साहेब आमच्यासाठी आणा..

भाऊ माझा लाडका 
साहेब आमच्यासाठी आणा..

©गोरक्ष अशोक उंबरकर

भाऊ माझा लाडका

90 View

#कविता #cg_forest  White कुत्ते का पिल्ला बैठा नीम की शाम में आज बारिश होगी आपकी भी गांव में

©श्यामजी शयमजी

#cg_forest कविता कविता

90 View

#मराठीकविता  पाई पाई कमावलेली राशी
आता जपून खर्चत आहे..
मन मारून साठवलेली
आज सारी बरकत आहे..

जबाबदारीचा हाथ पकडुन..
त्यानं कायमचं मन मारलं.
 संस्काराशी नाळ जोडून 
परिस्थितीला त्यानं जाणलं ..

जाणीव त्याला की 
शिकायला पुढे छोटा आहे..
पेलून घेतो एकटाच अन्
म्हणतो घरचा मी मोठा आहे..

म्हणतो घरचा मी मोठा आहे

©गोरक्ष अशोक उंबरकर

मोठा भाऊ

171 View

#मराठीशायरी #रानफुले #कविता  #रानफुले वेडी

©Dileep Bhope

White शीर्षक- इस ठग को क्या नाम दे --------------------------------------------------------- बड़े नम्बरी होते हैं वो आदमी, जो करते हैं शोषण छोटे आदमी का, और छीन लेते हैं उधारी चुकाने के नाम पर, गरीब आदमी की जमीन और आजादी। लेते हैं काम छोटे आदमी को, कोल्हू के बैल की तरह दिनरात, एक वर्ष की मजदूरी बीस हजार देकर, जबकि होते हैं खर्च पाँच हजार एक माह में। लेता है ब्याज बहुत वो आदमी, छोटे आदमी को देकर उधार रुपये, बड़े ही ठाठ होते हैं इन आदमियों के, जिनके होते हैं मकां महलनुमा। होती है उनकी जिंदगी राजा सी, जिनके एक ही आदेश पर, हो जाते हैं सारे काम, और हाजिर नौकर चाकरी में। कमाता होगा इतने रुपये वह आदमी, मेहनत की कमाई से कभी भी नहीं, बनाता है वह अपनी इतनी सम्पत्ति, भ्रष्टाचार और दो नम्बर की कमाई से। लेकिन एक ऐसा आदमी भी है, जो लेता है बड़े आदमी से भी ज्यादा दाम, करता नहीं रहम वो अपने भाई पर भी, और कोसता है वह बड़े आदमी, इस ठग को क्या नाम दे।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma

 White शीर्षक- इस ठग को क्या नाम दे
---------------------------------------------------------
बड़े नम्बरी होते हैं वो आदमी,
जो करते हैं शोषण छोटे आदमी का,
और छीन लेते हैं उधारी चुकाने के नाम पर,
गरीब आदमी की जमीन और आजादी।

लेते हैं काम छोटे आदमी को,
कोल्हू के बैल की तरह दिनरात,
एक वर्ष की मजदूरी बीस हजार देकर,
जबकि होते हैं खर्च पाँच हजार एक माह में।

लेता है ब्याज बहुत वो आदमी,
छोटे आदमी को देकर उधार रुपये,
बड़े ही ठाठ होते हैं इन आदमियों के,
जिनके होते हैं मकां महलनुमा।

होती है उनकी जिंदगी राजा सी,
जिनके एक ही आदेश पर,
हो जाते हैं सारे काम,
और हाजिर नौकर चाकरी में।

कमाता होगा इतने रुपये वह आदमी,
मेहनत की कमाई से कभी भी नहीं,
बनाता है वह अपनी इतनी सम्पत्ति,
भ्रष्टाचार और दो नम्बर की कमाई से।

लेकिन एक ऐसा आदमी भी है,
जो लेता है बड़े आदमी से भी ज्यादा दाम,
करता नहीं रहम वो अपने भाई पर भी,
और कोसता है वह बड़े आदमी,
इस ठग को क्या नाम दे।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma

#कविता

9 Love

#कविता #sadak  सड़कें हैं खामोश रात की कहानियाँ,
जहाँ हर कदम पर बसी हैं अनजानी निशानियाँ।
इनकी धूल में छुपे हैं सपनों के टुकड़े,
जो हर गुजरते मुसाफ़िर से कहें कुछ किस्से।
यहाँ की हवा में बसती है सफर की महक,
हर मोड़ पर झलकता है जीवन का एक नयापन।
टूटे हुए दिलों की गवाह हैं ये सड़कें,
जो हर दिन सजाती हैं अपनी नई तकदीरें।
कभी ये सुनसान होती हैं, कभी चहल-पहल,
हर गुजरता वक़्त इन्हें देता है नया अक्स।
इन सड़कों पर चलते हैं कई अरमान,
जो हर रात ढूंढते हैं अपने मंज़िल के निशान।
यहाँ की चुप्पी में भी है एक गहरी बात,
सड़कें सिखाती हैं हमें हर दिन नया साथ।
इन पर बिछड़े और मिले हैं कई लोग,
सड़कें हैं जीवन का अनमोल संजोग।

©Nirankar Trivedi

#sadak सड़कें हैं खामोश रात की कहानियाँ हिंदी कविता कविता कोश प्रेरणादायी कविता हिंदी हिंदी कविता कविता

99 View

#मराठीकविता  मुलगा म्हणुन आम्ही 
काय केला गुन्हा..
साहेब -एक तरी योजना 
एकदा आमच्यासाठी पुन्हा..

शिकून सवरूनी सगळं 
तुम्ही लावलाय चुना..
कंत्राटी धोरण काढून 
आधीच आणा पुन्हा..

लग्न होईना म्हणून
गाठला मुंबई पुणा..
१२ घंटे काम करून 
खिशात दमडी उरेना..

मुलगा म्हणून आम्ही 
खरंच काय केला गुन्हा..
भाऊ माझा लाडका
साहेब आमच्यासाठी आणा..

भाऊ माझा लाडका 
साहेब आमच्यासाठी आणा..

©गोरक्ष अशोक उंबरकर

भाऊ माझा लाडका

90 View

#कविता #cg_forest  White कुत्ते का पिल्ला बैठा नीम की शाम में आज बारिश होगी आपकी भी गांव में

©श्यामजी शयमजी

#cg_forest कविता कविता

90 View

#मराठीकविता  पाई पाई कमावलेली राशी
आता जपून खर्चत आहे..
मन मारून साठवलेली
आज सारी बरकत आहे..

जबाबदारीचा हाथ पकडुन..
त्यानं कायमचं मन मारलं.
 संस्काराशी नाळ जोडून 
परिस्थितीला त्यानं जाणलं ..

जाणीव त्याला की 
शिकायला पुढे छोटा आहे..
पेलून घेतो एकटाच अन्
म्हणतो घरचा मी मोठा आहे..

म्हणतो घरचा मी मोठा आहे

©गोरक्ष अशोक उंबरकर

मोठा भाऊ

171 View

#मराठीशायरी #रानफुले #कविता  #रानफुले वेडी

©Dileep Bhope

White शीर्षक- इस ठग को क्या नाम दे --------------------------------------------------------- बड़े नम्बरी होते हैं वो आदमी, जो करते हैं शोषण छोटे आदमी का, और छीन लेते हैं उधारी चुकाने के नाम पर, गरीब आदमी की जमीन और आजादी। लेते हैं काम छोटे आदमी को, कोल्हू के बैल की तरह दिनरात, एक वर्ष की मजदूरी बीस हजार देकर, जबकि होते हैं खर्च पाँच हजार एक माह में। लेता है ब्याज बहुत वो आदमी, छोटे आदमी को देकर उधार रुपये, बड़े ही ठाठ होते हैं इन आदमियों के, जिनके होते हैं मकां महलनुमा। होती है उनकी जिंदगी राजा सी, जिनके एक ही आदेश पर, हो जाते हैं सारे काम, और हाजिर नौकर चाकरी में। कमाता होगा इतने रुपये वह आदमी, मेहनत की कमाई से कभी भी नहीं, बनाता है वह अपनी इतनी सम्पत्ति, भ्रष्टाचार और दो नम्बर की कमाई से। लेकिन एक ऐसा आदमी भी है, जो लेता है बड़े आदमी से भी ज्यादा दाम, करता नहीं रहम वो अपने भाई पर भी, और कोसता है वह बड़े आदमी, इस ठग को क्या नाम दे।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma

 White शीर्षक- इस ठग को क्या नाम दे
---------------------------------------------------------
बड़े नम्बरी होते हैं वो आदमी,
जो करते हैं शोषण छोटे आदमी का,
और छीन लेते हैं उधारी चुकाने के नाम पर,
गरीब आदमी की जमीन और आजादी।

लेते हैं काम छोटे आदमी को,
कोल्हू के बैल की तरह दिनरात,
एक वर्ष की मजदूरी बीस हजार देकर,
जबकि होते हैं खर्च पाँच हजार एक माह में।

लेता है ब्याज बहुत वो आदमी,
छोटे आदमी को देकर उधार रुपये,
बड़े ही ठाठ होते हैं इन आदमियों के,
जिनके होते हैं मकां महलनुमा।

होती है उनकी जिंदगी राजा सी,
जिनके एक ही आदेश पर,
हो जाते हैं सारे काम,
और हाजिर नौकर चाकरी में।

कमाता होगा इतने रुपये वह आदमी,
मेहनत की कमाई से कभी भी नहीं,
बनाता है वह अपनी इतनी सम्पत्ति,
भ्रष्टाचार और दो नम्बर की कमाई से।

लेकिन एक ऐसा आदमी भी है,
जो लेता है बड़े आदमी से भी ज्यादा दाम,
करता नहीं रहम वो अपने भाई पर भी,
और कोसता है वह बड़े आदमी,
इस ठग को क्या नाम दे।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma

#कविता

9 Love

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