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New स्वच्छ भारत पर कविता Status, Photo, Video

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#कविता #भारत  खंड खंड मैं
फिर भी अखंड मैं

जन जन में मै
फिर भी एक मैं

हिन्दू मुसलमान मैं
सिख ईसाई मैं
फिर भी धर्म निरपेक्ष मैं

विकसित देशों के साथ कदम मिलाकर चलती मैं
स्वयं के साथ दूसरों का भरन-पोषण करती मैं
फिर भी विकासशील मैं

विश्व में लोकप्रिय मैं
विश्वास में लोकप्रिय मैं
हाँ भारत मैं

नदियों पर्वतों में
रेगिस्तान बर्फ में
पुकारी जाती मैं
हाँ, भारत मैं

©कलम की दुनिया

#भारत

126 View

 बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर जी जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन

©skpooniasir

भारत रत्न बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर जी जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन

135 View

हां! आज शिक्षा मार्ग भी संकीर्ण होकर क्लिष्ट है, कुलपति सहित उन गुरुकुलो का ध्यान ही अवशिष्ट है। बिकने लगी विद्या यहां अब , शक्ति हो तो क्रय करो , यदि शुल्क आदि न दे सको तो मूर्ख रहकर ही मरो । । ©Arpit Mishra

 हां! आज शिक्षा मार्ग भी संकीर्ण होकर क्लिष्ट है,
कुलपति सहित उन गुरुकुलो का ध्यान ही अवशिष्ट है।
बिकने लगी विद्या यहां अब , शक्ति हो तो क्रय करो ,
यदि शुल्क आदि न दे सको तो मूर्ख रहकर ही मरो ।










।

©Arpit Mishra

भारत भारती

8 Love

#RKPrasbi #wishes

विश्व कविता दिवस पर आप सभी को समर्पित #RKPrasbi

117 View

Nature Quotes विज्ञापनों की अजीब दुनियां है कभी नमक से दांत मांजना जाहिलपन था अब उसका भी विज्ञापन आने लगा कभी गोबर की खाद बुरी थी अब ऑर्गेनिक भोजन महंगा हो गया कभी नीम का धुआं जहरीला था अब ऑल आउट की महक सूंघ रहे हैं हां कुछ ही दिनों में डेंगू से मरते लोगों के लिए मछलियों की बिक्री होगी वैसे बहुत मूर्ख थे वो लोग जिन्होंने पत्थरों, पेड़ों, नदियों, पहाड़ों, मिट्टी, हवा को भगवान बना दिया वो सोंचते थे इंसान भगवान के नाम पर तो डरेगा... पर, दूसरी तरफ नया विज्ञान नास्तिक बना रहा था😒 हरि ॐ १४.०३.२०२४ ©Ram Yadav

#अध्यात्म #विचार #भारत #NatureQuotes  Nature Quotes विज्ञापनों की अजीब दुनियां है

कभी नमक से दांत मांजना जाहिलपन था
अब उसका भी विज्ञापन आने लगा

कभी गोबर की खाद बुरी थी
अब ऑर्गेनिक भोजन महंगा हो गया

कभी नीम का धुआं जहरीला था
अब ऑल आउट की महक सूंघ रहे हैं

हां कुछ ही दिनों में डेंगू से 
मरते लोगों के लिए मछलियों की बिक्री होगी

वैसे बहुत मूर्ख थे वो लोग
जिन्होंने पत्थरों, पेड़ों, नदियों, पहाड़ों, मिट्टी, हवा को भगवान बना दिया

वो सोंचते थे
इंसान भगवान के नाम पर तो डरेगा...

पर, दूसरी तरफ नया विज्ञान नास्तिक बना रहा था😒

हरि ॐ
१४.०३.२०२४

©Ram Yadav
#विचार  फूल देई का त्यौहार था,
मैं फिर भी बैठा अकेला था ।
चारों तरफ़ हर्षोल्लास था,
मैं अकेला बैठा निराश था ।
जब मैने चारों तरफ देखा ,
तब पता चला कि
मैं गांव से दूर किसी शहर के भिड़ में
बैठा अकेला उदाश था ।।
✍️ Jagdish Pant

आज फूलदेई के पर्व पर एक कविता मेने लिखि ।

8,145 View

#कविता #भारत  खंड खंड मैं
फिर भी अखंड मैं

जन जन में मै
फिर भी एक मैं

हिन्दू मुसलमान मैं
सिख ईसाई मैं
फिर भी धर्म निरपेक्ष मैं

विकसित देशों के साथ कदम मिलाकर चलती मैं
स्वयं के साथ दूसरों का भरन-पोषण करती मैं
फिर भी विकासशील मैं

विश्व में लोकप्रिय मैं
विश्वास में लोकप्रिय मैं
हाँ भारत मैं

नदियों पर्वतों में
रेगिस्तान बर्फ में
पुकारी जाती मैं
हाँ, भारत मैं

©कलम की दुनिया

#भारत

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 बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर जी जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन

©skpooniasir

भारत रत्न बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर जी जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन

135 View

हां! आज शिक्षा मार्ग भी संकीर्ण होकर क्लिष्ट है, कुलपति सहित उन गुरुकुलो का ध्यान ही अवशिष्ट है। बिकने लगी विद्या यहां अब , शक्ति हो तो क्रय करो , यदि शुल्क आदि न दे सको तो मूर्ख रहकर ही मरो । । ©Arpit Mishra

 हां! आज शिक्षा मार्ग भी संकीर्ण होकर क्लिष्ट है,
कुलपति सहित उन गुरुकुलो का ध्यान ही अवशिष्ट है।
बिकने लगी विद्या यहां अब , शक्ति हो तो क्रय करो ,
यदि शुल्क आदि न दे सको तो मूर्ख रहकर ही मरो ।










।

©Arpit Mishra

भारत भारती

8 Love

#RKPrasbi #wishes

विश्व कविता दिवस पर आप सभी को समर्पित #RKPrasbi

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Nature Quotes विज्ञापनों की अजीब दुनियां है कभी नमक से दांत मांजना जाहिलपन था अब उसका भी विज्ञापन आने लगा कभी गोबर की खाद बुरी थी अब ऑर्गेनिक भोजन महंगा हो गया कभी नीम का धुआं जहरीला था अब ऑल आउट की महक सूंघ रहे हैं हां कुछ ही दिनों में डेंगू से मरते लोगों के लिए मछलियों की बिक्री होगी वैसे बहुत मूर्ख थे वो लोग जिन्होंने पत्थरों, पेड़ों, नदियों, पहाड़ों, मिट्टी, हवा को भगवान बना दिया वो सोंचते थे इंसान भगवान के नाम पर तो डरेगा... पर, दूसरी तरफ नया विज्ञान नास्तिक बना रहा था😒 हरि ॐ १४.०३.२०२४ ©Ram Yadav

#अध्यात्म #विचार #भारत #NatureQuotes  Nature Quotes विज्ञापनों की अजीब दुनियां है

कभी नमक से दांत मांजना जाहिलपन था
अब उसका भी विज्ञापन आने लगा

कभी गोबर की खाद बुरी थी
अब ऑर्गेनिक भोजन महंगा हो गया

कभी नीम का धुआं जहरीला था
अब ऑल आउट की महक सूंघ रहे हैं

हां कुछ ही दिनों में डेंगू से 
मरते लोगों के लिए मछलियों की बिक्री होगी

वैसे बहुत मूर्ख थे वो लोग
जिन्होंने पत्थरों, पेड़ों, नदियों, पहाड़ों, मिट्टी, हवा को भगवान बना दिया

वो सोंचते थे
इंसान भगवान के नाम पर तो डरेगा...

पर, दूसरी तरफ नया विज्ञान नास्तिक बना रहा था😒

हरि ॐ
१४.०३.२०२४

©Ram Yadav
#विचार  फूल देई का त्यौहार था,
मैं फिर भी बैठा अकेला था ।
चारों तरफ़ हर्षोल्लास था,
मैं अकेला बैठा निराश था ।
जब मैने चारों तरफ देखा ,
तब पता चला कि
मैं गांव से दूर किसी शहर के भिड़ में
बैठा अकेला उदाश था ।।
✍️ Jagdish Pant

आज फूलदेई के पर्व पर एक कविता मेने लिखि ।

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