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New आयी गिरी नंदिनी Status, Photo, Video

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White कुछ मिला मुझे कुछ छूटा हैं पर प्रेम ये तेरा अनूठा हैं जो नही किया कल्पित मैंने रिश्ता ये बड़ा अनूठा है मन में तुम मेरे बसे हो और मन भी अब तेरे वश में हैं मेरा मुझमें अब बचा ही क्या सब कुछ तेरे ही कश में हैं जो मिले हो तुम मुझको तो यूं हैं लगा सब मैने पा हैं लिया अपनी रग रग में लहू सा तुमको अब मैंने तो हैं बसा लिया जब मिला तू मुझको तो मेरे जीवन में खुशियां ही सारी ही लौट आयी है नमन मेरा उस जननी को जो मेरे लिए तुझे जहां मे ले आयी बनकर के तेरी संगिनी मुझको उनका सत्कार भी करना है तू जितना उनसे करता है मुझे उतना प्यार भी उनसे करना है ©Ankur tiwari

#love_shayari #wishes  White कुछ मिला मुझे कुछ छूटा हैं 
पर प्रेम ये तेरा अनूठा हैं 
जो नही किया कल्पित मैंने 
रिश्ता ये बड़ा अनूठा है 
मन में तुम मेरे बसे हो और 
मन भी अब तेरे वश में हैं 
मेरा मुझमें अब बचा ही क्या 
सब कुछ तेरे ही कश में हैं 
जो मिले हो तुम मुझको तो यूं 
हैं लगा सब मैने पा हैं लिया 
अपनी रग रग में लहू सा तुमको 
अब मैंने तो हैं बसा लिया
जब मिला तू मुझको तो मेरे जीवन में 
खुशियां ही सारी ही लौट आयी
है नमन मेरा उस जननी को जो 
मेरे लिए तुझे जहां मे ले आयी 
बनकर के तेरी संगिनी मुझको 
उनका सत्कार भी करना है 
तू जितना उनसे करता है 
मुझे उतना प्यार भी उनसे करना है

©Ankur tiwari

#love_shayari कुछ मिला मुझे कुछ छूटा हैं पर प्रेम ये तेरा अनूठा हैं जो नही किया कल्पित मैंने रिश्ता ये बड़ा अनूठा है मन में तुम मेरे बस

16 Love

#Quotes  White हर चीज़ उठाई जा सकती हैं,
सिवाए गिरी हुई सोच के.

©Sk

हर चीज़ उठाई जा सकती हैं, सिवाए गिरी हुई सोच के.

108 View

#शायरी #mango_tree  White कितना बेहतरीन था उसका हमसफ़र 
हर मुसीबत में साथ रहा 


फिर आशिक को शर्म आयी आइना देखकर 
चाहे जितना भी पास रहा ,जानबुझकर दूर ही रहा


वो दुख कितना कम था 
उसको खो देने का 


उस खुशी के सामने की इश्क उसका 
किसी सही के साथ रहा ....!

©gaTTubaba

#mango_tree कितना बेहतरीन था उसका हमसफ़र हर मुसीबत में साथ रहा फिर आशिक को शर्म आयी आइना देखकर चाहे जितना भी पास रहा ,जानबुझकर दूर ही र

198 View

White संध्या छन्द :- 221    212    22 इंसान क्या नही खाता । क्या देखता नही दाता ।। है अंत में जरा देरी । आयी न रात अंधेरी ।। पीडा समीप में डोले । तो राम राम वे बोले ।। कान्हा कहें सुनो राधा । वो भक्त ही बना बाधा ।। मीठी लगे हमें बोली । जो प्रेम से भरें झोली ।। जो आप पास में होते तो क्यूँ भला बता रोते ।। मैं तो करूँ सदा सेवा । औ चाहता मिले मेवा ।। जो दान में मिला देखा । ये भाग्य से बनी रेखा ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  White संध्या छन्द :-
221    212    22

इंसान क्या नही खाता ।
क्या देखता नही दाता ।।
है अंत में जरा देरी ।
आयी न रात अंधेरी ।।

पीडा समीप में डोले ।
तो राम राम वे बोले ।।
कान्हा कहें सुनो राधा ।
वो भक्त ही बना बाधा ।।

मीठी लगे हमें बोली ।
जो प्रेम से भरें झोली ।।
जो आप पास में होते
तो क्यूँ भला बता रोते ।।

मैं तो करूँ सदा सेवा ।
औ चाहता मिले मेवा ।।
जो दान में मिला देखा ।
ये भाग्य से बनी रेखा ।।


महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

संध्या छन्द :- 221    212    22 इंसान क्या नही खाता । क्या देखता नही दाता ।। है अंत में जरा देरी । आयी न रात अंधेरी ।।

15 Love

#शायरी  Shayer tera

©Dalip Kumar 'Deep'

✍🏿🥀🥀ठहर गये सब अरमाँ तबयत गिरी गिरी सी रहती है😔🍂🍂 गुड नाईट🙏 सुबह मिलते हैं शायद🌹🌹

198 View

मुक्तक :-  विदाई अजब है खेल कुदरत का बहन की इस जुदाई में । बहुत रोया गले लगकर पिता भी तो विदाई में । पड़ी बेसुध उधर थी माँ विदा कर आज बेटी को - सिसक कर रो रहा दूल्हा  सुनो अपनी सगाई में ।। मुहब्बत कर लिया हमने जताना है जरा मुश्किल । भरी महफ़िल गिरे आँसूं छुपाना है जरा मुश्किल । मिलन की भी घड़ी आयी विदाई की घड़ी लेकर - जिऊँगा मैं भला कैसे बताना है जरा मुश्किल ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  मुक्तक :-  विदाई

अजब है खेल कुदरत का बहन की इस जुदाई में ।
बहुत रोया गले लगकर पिता भी तो विदाई में ।
पड़ी बेसुध उधर थी माँ विदा कर आज बेटी को -
सिसक कर रो रहा दूल्हा  सुनो अपनी सगाई में ।।

मुहब्बत कर लिया हमने जताना है जरा मुश्किल ।
भरी महफ़िल गिरे आँसूं छुपाना है जरा मुश्किल ।
मिलन की भी घड़ी आयी विदाई की घड़ी लेकर -
जिऊँगा मैं भला कैसे बताना है जरा मुश्किल ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मुक्तक :-  विदाई अजब है खेल कुदरत का बहन की इस जुदाई में । बहुत रोया गले लगकर पिता भी तो विदाई में । पड़ी बेसुध उधर थी माँ विदा कर आज बेट

14 Love

White कुछ मिला मुझे कुछ छूटा हैं पर प्रेम ये तेरा अनूठा हैं जो नही किया कल्पित मैंने रिश्ता ये बड़ा अनूठा है मन में तुम मेरे बसे हो और मन भी अब तेरे वश में हैं मेरा मुझमें अब बचा ही क्या सब कुछ तेरे ही कश में हैं जो मिले हो तुम मुझको तो यूं हैं लगा सब मैने पा हैं लिया अपनी रग रग में लहू सा तुमको अब मैंने तो हैं बसा लिया जब मिला तू मुझको तो मेरे जीवन में खुशियां ही सारी ही लौट आयी है नमन मेरा उस जननी को जो मेरे लिए तुझे जहां मे ले आयी बनकर के तेरी संगिनी मुझको उनका सत्कार भी करना है तू जितना उनसे करता है मुझे उतना प्यार भी उनसे करना है ©Ankur tiwari

#love_shayari #wishes  White कुछ मिला मुझे कुछ छूटा हैं 
पर प्रेम ये तेरा अनूठा हैं 
जो नही किया कल्पित मैंने 
रिश्ता ये बड़ा अनूठा है 
मन में तुम मेरे बसे हो और 
मन भी अब तेरे वश में हैं 
मेरा मुझमें अब बचा ही क्या 
सब कुछ तेरे ही कश में हैं 
जो मिले हो तुम मुझको तो यूं 
हैं लगा सब मैने पा हैं लिया 
अपनी रग रग में लहू सा तुमको 
अब मैंने तो हैं बसा लिया
जब मिला तू मुझको तो मेरे जीवन में 
खुशियां ही सारी ही लौट आयी
है नमन मेरा उस जननी को जो 
मेरे लिए तुझे जहां मे ले आयी 
बनकर के तेरी संगिनी मुझको 
उनका सत्कार भी करना है 
तू जितना उनसे करता है 
मुझे उतना प्यार भी उनसे करना है

©Ankur tiwari

#love_shayari कुछ मिला मुझे कुछ छूटा हैं पर प्रेम ये तेरा अनूठा हैं जो नही किया कल्पित मैंने रिश्ता ये बड़ा अनूठा है मन में तुम मेरे बस

16 Love

#Quotes  White हर चीज़ उठाई जा सकती हैं,
सिवाए गिरी हुई सोच के.

©Sk

हर चीज़ उठाई जा सकती हैं, सिवाए गिरी हुई सोच के.

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#शायरी #mango_tree  White कितना बेहतरीन था उसका हमसफ़र 
हर मुसीबत में साथ रहा 


फिर आशिक को शर्म आयी आइना देखकर 
चाहे जितना भी पास रहा ,जानबुझकर दूर ही रहा


वो दुख कितना कम था 
उसको खो देने का 


उस खुशी के सामने की इश्क उसका 
किसी सही के साथ रहा ....!

©gaTTubaba

#mango_tree कितना बेहतरीन था उसका हमसफ़र हर मुसीबत में साथ रहा फिर आशिक को शर्म आयी आइना देखकर चाहे जितना भी पास रहा ,जानबुझकर दूर ही र

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White संध्या छन्द :- 221    212    22 इंसान क्या नही खाता । क्या देखता नही दाता ।। है अंत में जरा देरी । आयी न रात अंधेरी ।। पीडा समीप में डोले । तो राम राम वे बोले ।। कान्हा कहें सुनो राधा । वो भक्त ही बना बाधा ।। मीठी लगे हमें बोली । जो प्रेम से भरें झोली ।। जो आप पास में होते तो क्यूँ भला बता रोते ।। मैं तो करूँ सदा सेवा । औ चाहता मिले मेवा ।। जो दान में मिला देखा । ये भाग्य से बनी रेखा ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  White संध्या छन्द :-
221    212    22

इंसान क्या नही खाता ।
क्या देखता नही दाता ।।
है अंत में जरा देरी ।
आयी न रात अंधेरी ।।

पीडा समीप में डोले ।
तो राम राम वे बोले ।।
कान्हा कहें सुनो राधा ।
वो भक्त ही बना बाधा ।।

मीठी लगे हमें बोली ।
जो प्रेम से भरें झोली ।।
जो आप पास में होते
तो क्यूँ भला बता रोते ।।

मैं तो करूँ सदा सेवा ।
औ चाहता मिले मेवा ।।
जो दान में मिला देखा ।
ये भाग्य से बनी रेखा ।।


महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

संध्या छन्द :- 221    212    22 इंसान क्या नही खाता । क्या देखता नही दाता ।। है अंत में जरा देरी । आयी न रात अंधेरी ।।

15 Love

#शायरी  Shayer tera

©Dalip Kumar 'Deep'

✍🏿🥀🥀ठहर गये सब अरमाँ तबयत गिरी गिरी सी रहती है😔🍂🍂 गुड नाईट🙏 सुबह मिलते हैं शायद🌹🌹

198 View

मुक्तक :-  विदाई अजब है खेल कुदरत का बहन की इस जुदाई में । बहुत रोया गले लगकर पिता भी तो विदाई में । पड़ी बेसुध उधर थी माँ विदा कर आज बेटी को - सिसक कर रो रहा दूल्हा  सुनो अपनी सगाई में ।। मुहब्बत कर लिया हमने जताना है जरा मुश्किल । भरी महफ़िल गिरे आँसूं छुपाना है जरा मुश्किल । मिलन की भी घड़ी आयी विदाई की घड़ी लेकर - जिऊँगा मैं भला कैसे बताना है जरा मुश्किल ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  मुक्तक :-  विदाई

अजब है खेल कुदरत का बहन की इस जुदाई में ।
बहुत रोया गले लगकर पिता भी तो विदाई में ।
पड़ी बेसुध उधर थी माँ विदा कर आज बेटी को -
सिसक कर रो रहा दूल्हा  सुनो अपनी सगाई में ।।

मुहब्बत कर लिया हमने जताना है जरा मुश्किल ।
भरी महफ़िल गिरे आँसूं छुपाना है जरा मुश्किल ।
मिलन की भी घड़ी आयी विदाई की घड़ी लेकर -
जिऊँगा मैं भला कैसे बताना है जरा मुश्किल ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मुक्तक :-  विदाई अजब है खेल कुदरत का बहन की इस जुदाई में । बहुत रोया गले लगकर पिता भी तो विदाई में । पड़ी बेसुध उधर थी माँ विदा कर आज बेट

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