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New सावन रिमझिम बरसेला Status, Photo, Video

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#शायरी

सुहाना सावन बेरंग

90 View

#कविता #happyteddyday  आमचंही  आहे हे घर..

नका येऊ कोणी माझ्या मदतीला
पण निदान बोला तरी
किती काम करशील...
थोडा आराम पण कर...
तुझी आहे आम्हाला काळजी
आमचंही आहे हे घर.....

जरा हाताला हात नाही
जरा विझत वात नाही
इकडून तिकडून कामासाठी
नुसती रिमझिम सर
तुझी आहे आम्हाला काळजी
आमचंही आहे हे घर.....

सकाळ होते संध्याकाळ होते
रात्र होते ...पहाट होते
तुझ्या एकटीचीच किती ग
किती ती कुतरओढ होते
सोपवून हातात हात
स्वतःला कधीतरी नमस्कार कर
तुझी आहे आम्हाला काळजी
आमचंही आहे हे घर.....

मी माझी.....

©Sangeeta Kalbhor

#happyteddyday आमचंही आहे हे घर.. नका येऊ कोणी माझ्या मदतीला पण निदान बोला तरी किती काम करशील... थोडा आराम पण कर... तुझी आहे आम्हाला काळजी

288 View

#रिमझिम #कोट्स

#रिमझिम बरखा बहार आई

135 View

घटा सावन की जिस रोज़ बरसती थी वो क्षण आज भी अविस्मरणीय है काले बादलों के बीच बारिश की बूंदों के साथ खाली सड़क पर तुम्हारा यूं घूमना और बेवजह अनगिनत बूंदों को हथेलियों पर गिनना और कनखियों से मुझे भी देखना मैं समझ लेती थी तुम्हारी मनोभावना को और मुस्कुरा कर तुम्हारा पागलपन देखती थी सब कुछ याद है मुझे याद है तुम्हारा खिड़की के बाहर हाथ निकाल के अपनी हथेलियों को गीला कर लेना और याद हो तुम,भीगी सड़कों पर चलके मेरे सूखे मन पर अपने पैरों के निशान को छोड़ना और मेरे मन को भिगो देना..... ©Richa Dhar

#शायरी #loyalty  घटा सावन की जिस रोज़ बरसती थी
वो क्षण आज भी अविस्मरणीय है
काले बादलों के बीच बारिश की बूंदों के साथ
खाली सड़क पर तुम्हारा यूं घूमना
और बेवजह अनगिनत बूंदों को हथेलियों पर गिनना
और कनखियों से मुझे भी देखना
मैं समझ लेती थी तुम्हारी मनोभावना को
और मुस्कुरा कर तुम्हारा पागलपन देखती थी
सब कुछ याद है मुझे
याद है तुम्हारा खिड़की के बाहर हाथ निकाल के
अपनी हथेलियों को गीला कर लेना
और याद हो तुम,भीगी सड़कों पर चलके
मेरे सूखे मन पर अपने पैरों के निशान को छोड़ना
और मेरे मन को भिगो देना.....

©Richa Dhar

#loyalty सावन की घटा

16 Love

#Dhund  सावन भादों घिर आते है
जब अपने भी जेठ आसाढ बन जाते हैं।।

©लेखक ओझा

#Dhund सावन भादो

153 View

sunset nature देखो.... बसंत की बहार है अभी ...... और लोग आएंगे तुम्हारे पास .... तुम्हें अहसास दिलाते हुए कि उनकी नज़र में तुम्हारी कितनी अहमियत है .... तुम्हे बताते हुए और समझाते हुए कि.... तुम सही हो .... तुम सब सही कर रहे हो ... तुम्हारे निर्णय ठीक हैं और वो सब हर परिस्थिति में तुम्हारे साथ खड़े हैं ..... लेकिन जैसा कि मैंने कहा ...." बसंत है " कुछ भी स्थाई नहीं है .... सब कुछ बदल जाता है .... तो एक दिन जब पतझड़ आने को होगा .... लोगो किनारा करते जायेंगे .... तुम्हारी असफलताओं का दोष तुम पर मढ़ते जायेंगे .... हां वही लोग जो तुमको ...तुम्हारे निर्णयों को सही कह कर हौसला बढ़ा रहे थे ..... अब वही तुम्हारे प्रथम और कटु आलोचक होंगे .... तुम संदेह करोगे ....क्या ये वही लोग हैं ....जो कल तक (बसंत के दिनो मे) ..... हौसला और शाबासी देते नही थक रहे थे ....! और पतझड़ में जब तुमको लगेगा ... कि अब सब कुछ खत्म होने को है .... तुम्हारे कंधे ....हार की मार से झुके होंगे ... कर्णपटल पर आलोचनाओं के स्वर तीर से चुभ रहे होंगे ... और कपोल अश्रु से भीग रहे होंगे .... तो तुम कहना .....मुझसे ... अधिकार से.... कि अब तुम सम्हाल लो सब कुछ .... क्योंकि बिखर रहा है बहुत कुछ .... सुनो ! .... तुम यकीन मानना ....भरोसा रखना .... मैं तुम्हारे लिए सब कुछ उलट पलट कर दूंगा .... तुम प्रिय हो .... तुमसे कही अधिक प्रिय हैं तुम्हारे सपने ... मैं बनूंगा तुम्हारा सारथी ....पतझड़ में .... और तब तक जब तक वो सब ना हो जाए जो तुम चाहते हो ... लेकिन फिलहाल मैं मौन रहकर मान रख रहा हूं.....तुम्हारे निर्णयों का ....सही और गलत के भेद से परे .... अभी बसंत है .... जाओ ....खुद को .... अपनो को ....सपनो को .... यारों को ....आजमा कर देखो .... बहुत कुछ है जो आने वाला समय समझाएगा..... मैं इंतजार करूंगा तुम्हारे कह देने भर का .... ©Sachin R. Pandey

#विचार #sunsetnature  sunset nature देखो....
बसंत की बहार है अभी ......
और लोग आएंगे तुम्हारे पास ....
तुम्हें अहसास दिलाते हुए कि उनकी नज़र में तुम्हारी कितनी अहमियत है ....
तुम्हे बताते हुए और समझाते हुए कि....
तुम सही हो ....
तुम सब सही कर रहे हो ...
तुम्हारे निर्णय ठीक हैं और वो सब हर परिस्थिति में तुम्हारे साथ खड़े हैं .....
लेकिन जैसा कि मैंने कहा ...." बसंत है " 
कुछ भी स्थाई नहीं है ....
सब कुछ बदल जाता है ....
तो एक दिन जब पतझड़ आने को होगा ....
लोगो किनारा करते जायेंगे ....
तुम्हारी असफलताओं का दोष तुम पर मढ़ते जायेंगे ....
हां वही लोग जो तुमको ...तुम्हारे निर्णयों को सही कह कर हौसला बढ़ा रहे थे .....
अब वही तुम्हारे प्रथम और कटु आलोचक होंगे ....
तुम संदेह करोगे ....क्या ये वही लोग हैं ....जो कल तक (बसंत के दिनो मे) .....
हौसला और शाबासी देते नही थक रहे थे ....!
और पतझड़ में जब तुमको लगेगा ... कि अब सब कुछ खत्म होने को है ....
तुम्हारे कंधे ....हार की मार से झुके होंगे ...
कर्णपटल पर आलोचनाओं के स्वर तीर से चुभ रहे होंगे ...
और कपोल अश्रु से भीग रहे होंगे ....
तो तुम कहना .....मुझसे ...
अधिकार से....
कि अब तुम सम्हाल लो सब कुछ ....
क्योंकि बिखर रहा है बहुत कुछ ....
सुनो ! ....
तुम यकीन मानना ....भरोसा रखना ....
मैं तुम्हारे लिए सब कुछ उलट पलट कर दूंगा ....
तुम प्रिय हो .... तुमसे कही अधिक प्रिय हैं तुम्हारे सपने ...
मैं बनूंगा तुम्हारा सारथी ....पतझड़ में ....
और तब तक जब तक वो सब ना हो जाए जो तुम चाहते हो ...
लेकिन फिलहाल मैं मौन रहकर मान रख रहा हूं.....तुम्हारे निर्णयों का ....सही और गलत के भेद से परे ....

अभी बसंत है ....
जाओ ....खुद को ....
अपनो को ....सपनो को ....
यारों को ....आजमा कर देखो ....
बहुत कुछ है जो आने वाला समय समझाएगा.....
मैं इंतजार करूंगा 
तुम्हारे कह देने भर का ....

©Sachin R. Pandey

#sunsetnature आजमाना अपनी यारी को पतझड़ में सावन में तो हर पत्ता हरा नजर आता है ....

12 Love

#शायरी

सुहाना सावन बेरंग

90 View

#कविता #happyteddyday  आमचंही  आहे हे घर..

नका येऊ कोणी माझ्या मदतीला
पण निदान बोला तरी
किती काम करशील...
थोडा आराम पण कर...
तुझी आहे आम्हाला काळजी
आमचंही आहे हे घर.....

जरा हाताला हात नाही
जरा विझत वात नाही
इकडून तिकडून कामासाठी
नुसती रिमझिम सर
तुझी आहे आम्हाला काळजी
आमचंही आहे हे घर.....

सकाळ होते संध्याकाळ होते
रात्र होते ...पहाट होते
तुझ्या एकटीचीच किती ग
किती ती कुतरओढ होते
सोपवून हातात हात
स्वतःला कधीतरी नमस्कार कर
तुझी आहे आम्हाला काळजी
आमचंही आहे हे घर.....

मी माझी.....

©Sangeeta Kalbhor

#happyteddyday आमचंही आहे हे घर.. नका येऊ कोणी माझ्या मदतीला पण निदान बोला तरी किती काम करशील... थोडा आराम पण कर... तुझी आहे आम्हाला काळजी

288 View

#रिमझिम #कोट्स

#रिमझिम बरखा बहार आई

135 View

घटा सावन की जिस रोज़ बरसती थी वो क्षण आज भी अविस्मरणीय है काले बादलों के बीच बारिश की बूंदों के साथ खाली सड़क पर तुम्हारा यूं घूमना और बेवजह अनगिनत बूंदों को हथेलियों पर गिनना और कनखियों से मुझे भी देखना मैं समझ लेती थी तुम्हारी मनोभावना को और मुस्कुरा कर तुम्हारा पागलपन देखती थी सब कुछ याद है मुझे याद है तुम्हारा खिड़की के बाहर हाथ निकाल के अपनी हथेलियों को गीला कर लेना और याद हो तुम,भीगी सड़कों पर चलके मेरे सूखे मन पर अपने पैरों के निशान को छोड़ना और मेरे मन को भिगो देना..... ©Richa Dhar

#शायरी #loyalty  घटा सावन की जिस रोज़ बरसती थी
वो क्षण आज भी अविस्मरणीय है
काले बादलों के बीच बारिश की बूंदों के साथ
खाली सड़क पर तुम्हारा यूं घूमना
और बेवजह अनगिनत बूंदों को हथेलियों पर गिनना
और कनखियों से मुझे भी देखना
मैं समझ लेती थी तुम्हारी मनोभावना को
और मुस्कुरा कर तुम्हारा पागलपन देखती थी
सब कुछ याद है मुझे
याद है तुम्हारा खिड़की के बाहर हाथ निकाल के
अपनी हथेलियों को गीला कर लेना
और याद हो तुम,भीगी सड़कों पर चलके
मेरे सूखे मन पर अपने पैरों के निशान को छोड़ना
और मेरे मन को भिगो देना.....

©Richa Dhar

#loyalty सावन की घटा

16 Love

#Dhund  सावन भादों घिर आते है
जब अपने भी जेठ आसाढ बन जाते हैं।।

©लेखक ओझा

#Dhund सावन भादो

153 View

sunset nature देखो.... बसंत की बहार है अभी ...... और लोग आएंगे तुम्हारे पास .... तुम्हें अहसास दिलाते हुए कि उनकी नज़र में तुम्हारी कितनी अहमियत है .... तुम्हे बताते हुए और समझाते हुए कि.... तुम सही हो .... तुम सब सही कर रहे हो ... तुम्हारे निर्णय ठीक हैं और वो सब हर परिस्थिति में तुम्हारे साथ खड़े हैं ..... लेकिन जैसा कि मैंने कहा ...." बसंत है " कुछ भी स्थाई नहीं है .... सब कुछ बदल जाता है .... तो एक दिन जब पतझड़ आने को होगा .... लोगो किनारा करते जायेंगे .... तुम्हारी असफलताओं का दोष तुम पर मढ़ते जायेंगे .... हां वही लोग जो तुमको ...तुम्हारे निर्णयों को सही कह कर हौसला बढ़ा रहे थे ..... अब वही तुम्हारे प्रथम और कटु आलोचक होंगे .... तुम संदेह करोगे ....क्या ये वही लोग हैं ....जो कल तक (बसंत के दिनो मे) ..... हौसला और शाबासी देते नही थक रहे थे ....! और पतझड़ में जब तुमको लगेगा ... कि अब सब कुछ खत्म होने को है .... तुम्हारे कंधे ....हार की मार से झुके होंगे ... कर्णपटल पर आलोचनाओं के स्वर तीर से चुभ रहे होंगे ... और कपोल अश्रु से भीग रहे होंगे .... तो तुम कहना .....मुझसे ... अधिकार से.... कि अब तुम सम्हाल लो सब कुछ .... क्योंकि बिखर रहा है बहुत कुछ .... सुनो ! .... तुम यकीन मानना ....भरोसा रखना .... मैं तुम्हारे लिए सब कुछ उलट पलट कर दूंगा .... तुम प्रिय हो .... तुमसे कही अधिक प्रिय हैं तुम्हारे सपने ... मैं बनूंगा तुम्हारा सारथी ....पतझड़ में .... और तब तक जब तक वो सब ना हो जाए जो तुम चाहते हो ... लेकिन फिलहाल मैं मौन रहकर मान रख रहा हूं.....तुम्हारे निर्णयों का ....सही और गलत के भेद से परे .... अभी बसंत है .... जाओ ....खुद को .... अपनो को ....सपनो को .... यारों को ....आजमा कर देखो .... बहुत कुछ है जो आने वाला समय समझाएगा..... मैं इंतजार करूंगा तुम्हारे कह देने भर का .... ©Sachin R. Pandey

#विचार #sunsetnature  sunset nature देखो....
बसंत की बहार है अभी ......
और लोग आएंगे तुम्हारे पास ....
तुम्हें अहसास दिलाते हुए कि उनकी नज़र में तुम्हारी कितनी अहमियत है ....
तुम्हे बताते हुए और समझाते हुए कि....
तुम सही हो ....
तुम सब सही कर रहे हो ...
तुम्हारे निर्णय ठीक हैं और वो सब हर परिस्थिति में तुम्हारे साथ खड़े हैं .....
लेकिन जैसा कि मैंने कहा ...." बसंत है " 
कुछ भी स्थाई नहीं है ....
सब कुछ बदल जाता है ....
तो एक दिन जब पतझड़ आने को होगा ....
लोगो किनारा करते जायेंगे ....
तुम्हारी असफलताओं का दोष तुम पर मढ़ते जायेंगे ....
हां वही लोग जो तुमको ...तुम्हारे निर्णयों को सही कह कर हौसला बढ़ा रहे थे .....
अब वही तुम्हारे प्रथम और कटु आलोचक होंगे ....
तुम संदेह करोगे ....क्या ये वही लोग हैं ....जो कल तक (बसंत के दिनो मे) .....
हौसला और शाबासी देते नही थक रहे थे ....!
और पतझड़ में जब तुमको लगेगा ... कि अब सब कुछ खत्म होने को है ....
तुम्हारे कंधे ....हार की मार से झुके होंगे ...
कर्णपटल पर आलोचनाओं के स्वर तीर से चुभ रहे होंगे ...
और कपोल अश्रु से भीग रहे होंगे ....
तो तुम कहना .....मुझसे ...
अधिकार से....
कि अब तुम सम्हाल लो सब कुछ ....
क्योंकि बिखर रहा है बहुत कुछ ....
सुनो ! ....
तुम यकीन मानना ....भरोसा रखना ....
मैं तुम्हारे लिए सब कुछ उलट पलट कर दूंगा ....
तुम प्रिय हो .... तुमसे कही अधिक प्रिय हैं तुम्हारे सपने ...
मैं बनूंगा तुम्हारा सारथी ....पतझड़ में ....
और तब तक जब तक वो सब ना हो जाए जो तुम चाहते हो ...
लेकिन फिलहाल मैं मौन रहकर मान रख रहा हूं.....तुम्हारे निर्णयों का ....सही और गलत के भेद से परे ....

अभी बसंत है ....
जाओ ....खुद को ....
अपनो को ....सपनो को ....
यारों को ....आजमा कर देखो ....
बहुत कुछ है जो आने वाला समय समझाएगा.....
मैं इंतजार करूंगा 
तुम्हारे कह देने भर का ....

©Sachin R. Pandey

#sunsetnature आजमाना अपनी यारी को पतझड़ में सावन में तो हर पत्ता हरा नजर आता है ....

12 Love

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