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New केदारनाथ अग्रवाल की कविता Status, Photo, Video

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तृष्णा की चाल । समसरा #Nojoto #कविता #shyari #वीडियो #भक्ति

108 View

 हिंदी साहित्य मंच

©कवि अर्जून सिंह बंजारा

कवि अर्जुन सिंह बंजारा कविता आज की पीढ़ी

135 View

#CheerfulLove  झीलें क्या है......उसकी आंखें

#CheerfulLove अरूण आनंद सर की कविता ....

108 View

 मन कि व्यथा मन ही जाने,
ना तुम जान सको न मैं जानू
क्या मन करवाये क्यू करवाये ये मन
ना तुम जान सको ना हि मैं जानू..
बेधड़क बोलता हूं,बेखौफ बोलता हूं
रिस्तो के बन्धन को कान्टों पर तोलता हूं
जिसके पास जितना पैसा, उसी कि सरकार है
बाकि बेकारो के लिये बेकार परिवार है,..!
बाकि ये सब क्यूं बनाया भगवान ने
ना तुम जान सके ना हि मैं जानू..!
मन की व्यथा..मन हि जाने..!!

©SHI.V.A 369

#मन की व्यथा..!! #कविता मन की

198 View

#यूँ_ही_कुछ_मुस्काकर_तुमने #त्रिलोचन_शास्त्री #कविता  "यूँ ही कुछ मुस्काकर तुमने
परिचय की वो गाँठ लगा दी!

कभी कभी यूँ हो जाता है
गीत कहीं कोई गाता है
गूँज किसी उर में उठती है
तुमने वही धार उमगा दी 

जाने कौन लहर थी उस दिन
तुमने अपनी याद जगा दी"¹

©HintsOfHeart.

#त्रिलोचन_शास्त्री #यूँ_ही_कुछ_मुस्काकर_तुमने 1.वह आधुनिक हिंदी कविता की प्रगतिशील त्रयी के तीन स्तंभों में से एक थे। इस त्रयी के अन्य

99 View

#कविता #LongRoad  घर से दूर घर की याद बहुत आती है। 
सुबह तो भाग दौड़ मे निकल जाती, 
शाम संग यादों का कारवां लाती है, 
घर से दूर घर की याद बहुत आती है। 

सब कुछ है इस शहर मे, 
बस अपनापन नही, कोई अपना नही
करवटें बदलती रातों मे माँ की आँचल..। 
जरा सा तबियत बिगड़ जाने पे, 
पापा का वो हलचल... 
गाँव का वो डॉक्टर... 
जब खाना पकाते वक्त कभी अचानक से
जब अंगुली जल जाती है, 
खाना बन गया है आके खालो ये आवाज 
कान से होकर आँखों तक आ जाती है... 
बस मे धक्के खाते वक्त 
पापा का बाईक से  स्कूल  छोड़नी याद आती है। 
बड़े हो जाने पर बचपन की याद सताती है। 
घर से दूर घर की याद बहुत आती है।।

©r̴i̴t̴i̴k̴a̴ shukla

#LongRoad कविता # घर की याद...

1,710 View

तृष्णा की चाल । समसरा #Nojoto #कविता #shyari #वीडियो #भक्ति

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 हिंदी साहित्य मंच

©कवि अर्जून सिंह बंजारा

कवि अर्जुन सिंह बंजारा कविता आज की पीढ़ी

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#CheerfulLove  झीलें क्या है......उसकी आंखें

#CheerfulLove अरूण आनंद सर की कविता ....

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 मन कि व्यथा मन ही जाने,
ना तुम जान सको न मैं जानू
क्या मन करवाये क्यू करवाये ये मन
ना तुम जान सको ना हि मैं जानू..
बेधड़क बोलता हूं,बेखौफ बोलता हूं
रिस्तो के बन्धन को कान्टों पर तोलता हूं
जिसके पास जितना पैसा, उसी कि सरकार है
बाकि बेकारो के लिये बेकार परिवार है,..!
बाकि ये सब क्यूं बनाया भगवान ने
ना तुम जान सके ना हि मैं जानू..!
मन की व्यथा..मन हि जाने..!!

©SHI.V.A 369

#मन की व्यथा..!! #कविता मन की

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#यूँ_ही_कुछ_मुस्काकर_तुमने #त्रिलोचन_शास्त्री #कविता  "यूँ ही कुछ मुस्काकर तुमने
परिचय की वो गाँठ लगा दी!

कभी कभी यूँ हो जाता है
गीत कहीं कोई गाता है
गूँज किसी उर में उठती है
तुमने वही धार उमगा दी 

जाने कौन लहर थी उस दिन
तुमने अपनी याद जगा दी"¹

©HintsOfHeart.

#त्रिलोचन_शास्त्री #यूँ_ही_कुछ_मुस्काकर_तुमने 1.वह आधुनिक हिंदी कविता की प्रगतिशील त्रयी के तीन स्तंभों में से एक थे। इस त्रयी के अन्य

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#कविता #LongRoad  घर से दूर घर की याद बहुत आती है। 
सुबह तो भाग दौड़ मे निकल जाती, 
शाम संग यादों का कारवां लाती है, 
घर से दूर घर की याद बहुत आती है। 

सब कुछ है इस शहर मे, 
बस अपनापन नही, कोई अपना नही
करवटें बदलती रातों मे माँ की आँचल..। 
जरा सा तबियत बिगड़ जाने पे, 
पापा का वो हलचल... 
गाँव का वो डॉक्टर... 
जब खाना पकाते वक्त कभी अचानक से
जब अंगुली जल जाती है, 
खाना बन गया है आके खालो ये आवाज 
कान से होकर आँखों तक आ जाती है... 
बस मे धक्के खाते वक्त 
पापा का बाईक से  स्कूल  छोड़नी याद आती है। 
बड़े हो जाने पर बचपन की याद सताती है। 
घर से दूर घर की याद बहुत आती है।।

©r̴i̴t̴i̴k̴a̴ shukla

#LongRoad कविता # घर की याद...

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