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एक बार प्रिये तुम भी! दरखत होकर देखो न। तुम भी समझोगे हाल मेरा धोखा खाकर देखो न। तुम क्या पाओगे क्या खोओगे? खुद का समर्पण करके देखो न। इक बार प्रिये तुम भी! दरखत होकर देखो न। •आशीष द्विवेदी ©Bazirao Ashish

 एक बार प्रिये तुम भी!
दरखत होकर देखो न।
तुम भी समझोगे हाल मेरा
धोखा खाकर देखो न।
तुम क्या पाओगे क्या खोओगे?
खुद का समर्पण करके देखो न।
इक बार प्रिये तुम भी!
दरखत होकर देखो न।

•आशीष द्विवेदी

©Bazirao Ashish

एक बार प्रिये तुम भी! दरखत होकर देखो न। तुम भी समझोगे हाल मेरा धोखा खाकर देखो न। तुम क्या पाओगे क्या खोओगे? खुद का समर्पण करके देखो न। इक बा

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एक बार प्रिये तुम भी; दरखत होकर देखो न। तुम भी समझोगे हाल मेरा; धोखा खाकर देखो न। तुम क्या पाओगे क्या खोओगे? खुद का समर्पण करके देखो न। इक बार प्रिये तुम भी; दरखत होकर देखो न। •आशीष द्विवेदी ©Bazirao Ashish

#एक  एक बार प्रिये तुम भी;
दरखत होकर देखो न।
तुम भी समझोगे हाल मेरा;
धोखा खाकर देखो न।
तुम क्या पाओगे क्या खोओगे?
खुद का समर्पण करके देखो न।
इक बार  प्रिये तुम भी;
दरखत होकर देखो न।

•आशीष द्विवेदी

©Bazirao Ashish

#एक बार प्रिये तुम भी; दरखत होकर देखो न। तुम भी समझोगे हाल मेरा; धोखा खाकर देखो न। तुम क्या पाओगे क्या खोओगे? खुद का समर्पण करके देखो न। इक

13 Love

आसान नहीं है दरखत होना परिंदे छोड़ जाते हैं घोंसले अपने उड़ा ले जाते हैं बच्चों को अपने साथ रह जाता है दरखत अकेला आसान नहीं है दरखत होना। -आशीष द्विवेदी ©Bazirao Ashish

#Sad_Status  आसान नहीं है दरखत होना
परिंदे छोड़ जाते हैं घोंसले अपने
उड़ा ले जाते हैं बच्चों को अपने साथ
रह जाता है दरखत अकेला
आसान नहीं है दरखत होना।

-आशीष द्विवेदी

©Bazirao Ashish

#Sad_Status आसान नहीं है दरखत होना परिंदे छोड़ जाते हैं घोंसले अपने उड़ा ले जाते हैं बच्चों को अपने रह जाता है दरखत अकेला आसान नहीं है दरखत

16 Love

#raksha_bandhan_2024  White रक्षा बंधन का ये त्यौहार,
अब फिर से है आ गया।
राखी लेकर बहना बैठी,
भाई भी उसका आ गया।

खुशी के मारे झूम उठी वो,
कि भैया उसका आ गया।
करके तिलक बांध के राखी,
भेंट भी भैया से पा लिया।

वचनों से बंधा ये बंधन प्यारा,
रिश्तों को मजबूत बनाता है।
भाई बहन का रिश्ता ये प्यारा,
रिश्तों को अनमोल बनाता है।

हमने भी ये पर्व मनाना है,
बहना से राखी बंधवाना है।
खुशी के पल को जताना है,
तिलक भी फिर करवाना है।

देकर वचन उसकी सुरक्षा का,
अपना फर्ज भी तो निभाना है।
छूकर चरण प्यारी बहना का,
प्यारा सा आशीष फिर पाना है।
..............................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#raksha_bandhan_2024 रक्षा बंधन का ये त्यौहार, अब फिर से है आ गया। राखी लेकर बहना बैठी, भाई भी उसका आ गया। खुशी के मारे झूम उठी वो,

189 View

White मनहरण घनाक्षरी :- खूब गीत गाओ सब , ढोल भी बजाओ सब गुडिय़ा रानी घर आयी , लड्डू बटवाइये । देख मग्न भाई सभी , दादी-दादा ताई सभी , मम्मी पापा आप बने , खुशियाँ मनाइये । नेक चार बुआ फूफा , पाये हैं खूब तोहफ़ा , खुशी-खुशी बिटिया पे, प्यार तो लुटाइये । मंगल ही मंगल हो , न अब अमंगल हो , बिटिया को ऐसा सब , आशीष दे जाइये ।।१ नहीं मोल भाव कर , व्यर्थ न सवाल कर , आँख मूँद रिश्तें यहाँ, चलिये निभाइये । कौन गोरा कौन काला , कौन धनी कौन ग्वाला यह तो संसार प्यारे ,  हमें न बताइये । स्वार्थ से तू परा नहीं , किसमें ये भरा नहीं, राम जी की नैय्या यह , खेव के दिखाइये । आप हम और नहीं ,  निश्चित ही ठौर नहीं, चलते रहिये फिर , नही भरमाइये ।।२ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  White मनहरण घनाक्षरी :-

खूब गीत गाओ सब , ढोल भी बजाओ सब
गुडिय़ा रानी घर आयी , लड्डू बटवाइये ।
देख मग्न भाई सभी , दादी-दादा ताई सभी ,
मम्मी पापा आप बने , खुशियाँ मनाइये ।
नेक चार बुआ फूफा , पाये हैं खूब तोहफ़ा ,
खुशी-खुशी बिटिया पे, प्यार तो लुटाइये ।
मंगल ही मंगल हो , न अब अमंगल हो ,
बिटिया को ऐसा सब , आशीष दे जाइये ।।१

नहीं मोल भाव कर , व्यर्थ न सवाल कर ,
आँख मूँद रिश्तें यहाँ, चलिये निभाइये ।
कौन गोरा कौन काला , कौन धनी कौन ग्वाला
यह तो संसार प्यारे ,  हमें न बताइये ।
स्वार्थ से तू परा नहीं , किसमें ये भरा नहीं,
राम जी की नैय्या यह , खेव के दिखाइये ।
आप हम और नहीं ,  निश्चित ही ठौर नहीं,
चलते रहिये फिर , नही भरमाइये ।।२

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मनहरण घनाक्षरी :- खूब गीत गाओ सब , ढोल भी बजाओ सब गुडिय़ा रानी घर आयी , लड्डू बटवाइये । देख मग्न भाई सभी , दादी-दादा ताई सभी , मम्मी पापा आप

9 Love

एक बार प्रिये तुम भी! दरखत होकर देखो न। तुम भी समझोगे हाल मेरा धोखा खाकर देखो न। तुम क्या पाओगे क्या खोओगे? खुद का समर्पण करके देखो न। इक बार प्रिये तुम भी! दरखत होकर देखो न। •आशीष द्विवेदी ©Bazirao Ashish

 एक बार प्रिये तुम भी!
दरखत होकर देखो न।
तुम भी समझोगे हाल मेरा
धोखा खाकर देखो न।
तुम क्या पाओगे क्या खोओगे?
खुद का समर्पण करके देखो न।
इक बार प्रिये तुम भी!
दरखत होकर देखो न।

•आशीष द्विवेदी

©Bazirao Ashish

एक बार प्रिये तुम भी! दरखत होकर देखो न। तुम भी समझोगे हाल मेरा धोखा खाकर देखो न। तुम क्या पाओगे क्या खोओगे? खुद का समर्पण करके देखो न। इक बा

15 Love

एक बार प्रिये तुम भी; दरखत होकर देखो न। तुम भी समझोगे हाल मेरा; धोखा खाकर देखो न। तुम क्या पाओगे क्या खोओगे? खुद का समर्पण करके देखो न। इक बार प्रिये तुम भी; दरखत होकर देखो न। •आशीष द्विवेदी ©Bazirao Ashish

#एक  एक बार प्रिये तुम भी;
दरखत होकर देखो न।
तुम भी समझोगे हाल मेरा;
धोखा खाकर देखो न।
तुम क्या पाओगे क्या खोओगे?
खुद का समर्पण करके देखो न।
इक बार  प्रिये तुम भी;
दरखत होकर देखो न।

•आशीष द्विवेदी

©Bazirao Ashish

#एक बार प्रिये तुम भी; दरखत होकर देखो न। तुम भी समझोगे हाल मेरा; धोखा खाकर देखो न। तुम क्या पाओगे क्या खोओगे? खुद का समर्पण करके देखो न। इक

13 Love

आसान नहीं है दरखत होना परिंदे छोड़ जाते हैं घोंसले अपने उड़ा ले जाते हैं बच्चों को अपने साथ रह जाता है दरखत अकेला आसान नहीं है दरखत होना। -आशीष द्विवेदी ©Bazirao Ashish

#Sad_Status  आसान नहीं है दरखत होना
परिंदे छोड़ जाते हैं घोंसले अपने
उड़ा ले जाते हैं बच्चों को अपने साथ
रह जाता है दरखत अकेला
आसान नहीं है दरखत होना।

-आशीष द्विवेदी

©Bazirao Ashish

#Sad_Status आसान नहीं है दरखत होना परिंदे छोड़ जाते हैं घोंसले अपने उड़ा ले जाते हैं बच्चों को अपने रह जाता है दरखत अकेला आसान नहीं है दरखत

16 Love

#raksha_bandhan_2024  White रक्षा बंधन का ये त्यौहार,
अब फिर से है आ गया।
राखी लेकर बहना बैठी,
भाई भी उसका आ गया।

खुशी के मारे झूम उठी वो,
कि भैया उसका आ गया।
करके तिलक बांध के राखी,
भेंट भी भैया से पा लिया।

वचनों से बंधा ये बंधन प्यारा,
रिश्तों को मजबूत बनाता है।
भाई बहन का रिश्ता ये प्यारा,
रिश्तों को अनमोल बनाता है।

हमने भी ये पर्व मनाना है,
बहना से राखी बंधवाना है।
खुशी के पल को जताना है,
तिलक भी फिर करवाना है।

देकर वचन उसकी सुरक्षा का,
अपना फर्ज भी तो निभाना है।
छूकर चरण प्यारी बहना का,
प्यारा सा आशीष फिर पाना है।
..............................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#raksha_bandhan_2024 रक्षा बंधन का ये त्यौहार, अब फिर से है आ गया। राखी लेकर बहना बैठी, भाई भी उसका आ गया। खुशी के मारे झूम उठी वो,

189 View

White मनहरण घनाक्षरी :- खूब गीत गाओ सब , ढोल भी बजाओ सब गुडिय़ा रानी घर आयी , लड्डू बटवाइये । देख मग्न भाई सभी , दादी-दादा ताई सभी , मम्मी पापा आप बने , खुशियाँ मनाइये । नेक चार बुआ फूफा , पाये हैं खूब तोहफ़ा , खुशी-खुशी बिटिया पे, प्यार तो लुटाइये । मंगल ही मंगल हो , न अब अमंगल हो , बिटिया को ऐसा सब , आशीष दे जाइये ।।१ नहीं मोल भाव कर , व्यर्थ न सवाल कर , आँख मूँद रिश्तें यहाँ, चलिये निभाइये । कौन गोरा कौन काला , कौन धनी कौन ग्वाला यह तो संसार प्यारे ,  हमें न बताइये । स्वार्थ से तू परा नहीं , किसमें ये भरा नहीं, राम जी की नैय्या यह , खेव के दिखाइये । आप हम और नहीं ,  निश्चित ही ठौर नहीं, चलते रहिये फिर , नही भरमाइये ।।२ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  White मनहरण घनाक्षरी :-

खूब गीत गाओ सब , ढोल भी बजाओ सब
गुडिय़ा रानी घर आयी , लड्डू बटवाइये ।
देख मग्न भाई सभी , दादी-दादा ताई सभी ,
मम्मी पापा आप बने , खुशियाँ मनाइये ।
नेक चार बुआ फूफा , पाये हैं खूब तोहफ़ा ,
खुशी-खुशी बिटिया पे, प्यार तो लुटाइये ।
मंगल ही मंगल हो , न अब अमंगल हो ,
बिटिया को ऐसा सब , आशीष दे जाइये ।।१

नहीं मोल भाव कर , व्यर्थ न सवाल कर ,
आँख मूँद रिश्तें यहाँ, चलिये निभाइये ।
कौन गोरा कौन काला , कौन धनी कौन ग्वाला
यह तो संसार प्यारे ,  हमें न बताइये ।
स्वार्थ से तू परा नहीं , किसमें ये भरा नहीं,
राम जी की नैय्या यह , खेव के दिखाइये ।
आप हम और नहीं ,  निश्चित ही ठौर नहीं,
चलते रहिये फिर , नही भरमाइये ।।२

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मनहरण घनाक्षरी :- खूब गीत गाओ सब , ढोल भी बजाओ सब गुडिय़ा रानी घर आयी , लड्डू बटवाइये । देख मग्न भाई सभी , दादी-दादा ताई सभी , मम्मी पापा आप

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