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New चंचल वृत्तीचा Status, Photo, Video

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#hindisahityasagar #hindi_shayari #hindi_poetry #yqhindi #yqdidi #Hindi    सोंच तो वो भी पल-पल रहे होंगे,
शायद यह उनके ही कर्मफल रहे होंगे।

सो न पाए मेरे संग ज़मी पर,
शायद बिस्तर उनके मखमल रहे होंगे।

वो चल सके न मेरे संग दो पल,
शायद मन उनके बहुत चंचल रहे होंगे।
                ✍️शैलेन्द्र राजपूत

©HINDI SAHITYA SAGAR

सोंच तो वो भी पल-पल रहे होंगे, शायद यह उनके ही कर्मफल रहे होंगे। सो न पाए मेरे संग ज़मी पर, शायद बिस्तर उनके मखमल रहे होंगे। वो चल सके न मे

252 View

#शायरी #ashraffani #Butterfly  बादल बिजली तितली सा 
मन चंचल  रहता है
सबसे अलग ज़माने में हूँ 
ये सब कहता है

©Ashraf Fani【असर】

बादल बिजली तितली सा मन चंचल रहता है सबसे अलग ज़माने में हूँ ये सब कहता है #ashraffani #Butterfly

144 View

मुक्तक  :- मेरे मन को भाती है उसके मन की चंचलता । फूलो से भी नाजुक है उसके तन की कोमलता । शब्दों में कैसे बयाँ करूँ वो कितनी सुंदर है - यूँ मानों अब देख उसे मुझको मिलती शीतलता ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  मुक्तक  :- 

मेरे मन को भाती है उसके मन की चंचलता ।
फूलो से भी नाजुक है उसके तन की कोमलता ।
शब्दों में कैसे बयाँ करूँ वो कितनी सुंदर है -
यूँ मानों अब देख उसे मुझको मिलती शीतलता ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मुक्तक  :- चंचल मन मेरे मन को भाती है उसके मन की चंचलता । फूलो से भी नाजुक है उसके तन की कोमलता । शब्दों में कैसे बयाँ करूँ वो कितनी सुं

8 Love

#शायरी #कोई #darkness  


#कोई चेहरे पर फिल्टर लगा के 
खूबसूरत बन जाती हैं 
नई नई विडियो बनाके 
वो फिर सबको रिझाती है
हो जाते है सब फिदा उसकी 
चंचल शोख अदाओं पर 
फिर थोड़ा इमोजी में मुस्कुराकर
लाइक और कमेंट के बटन दबवाती है!


कुलदीप सिंह रुहेला 
गुमनाम शायर 
सहरानपुर उत्तर प्रदेश

©Poet Kuldeep Singh Ruhela

#darkness #कोई चेहरे पर फिल्टर लगा के खूबसूरत बन जाती हैं नई नई विडियो बनाके वो फिर सबको रिझाती है

108 View

ये चंचल मन ले चल तू आज मुझे उस बस्ती में जहाँ जगदम्बे माँ का डेरा है आज दिल बेताब मेरा मिलने को तड़पता है बस ले चल तू ये चंचल मन जहाँ मेरी माँ का डेरा वैसे तो रोज भटकाता है आज मेरा भी ज़ी करता तुझे भटकाने को बस अब ले चल सपनों में सही बस तू ले चल अब उस बस्ती में जहाँ माँ का डेरा है ©Mahadev Son

#Bhakti  ये चंचल मन ले चल तू आज मुझे
उस बस्ती में जहाँ जगदम्बे माँ का डेरा है

आज दिल बेताब मेरा मिलने को तड़पता है
बस ले चल तू ये चंचल मन जहाँ मेरी माँ का

डेरा वैसे तो रोज भटकाता है आज मेरा भी
ज़ी करता तुझे भटकाने को बस अब ले चल

सपनों में सही बस तू ले चल अब 
उस बस्ती में जहाँ माँ का डेरा है

©Mahadev Son

ये चंचल मन ले चल तू आज मुझे उस बस्ती में जहाँ जगदम्बे माँ का डेरा है आज दिल बेताब मेरा मिलने को तड़पता है बस ले चल तू ये चंचल मन जहाँ मेरी म

11 Love

आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी जन्म "मन" का, मरण " तन" का हुआ सृजन हुआ जिसका नष्ट होना तय उसका सफर यही तक का यही तेरी ही भूल थी त्याग देगा भर जायेगा "मन", इस तन से "मन" चंचल पर अज़र बस निर्भर कर्मों पर कर्म होंगें जैसे "मन" जन्म का "तन" पायेगा वैसे जैसे जेब में पैसे होते वैसे वस्त्र खरीदता तू हिसाब किताब सब यहाँ होता पैसों से वैसे मन का होता वहाँ सब कर्मों से पायेगा क्या भोगेगा क्या फिर से चंचल "मन" को भी न मालूम वर्ना छोड़ता न कभी इस "तन" को ...! ©Mahadev Son

 आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी
जन्म "मन" का, मरण " तन" का हुआ

सृजन हुआ जिसका नष्ट होना तय उसका 
सफर यही तक का यही तेरी ही भूल थी

त्याग देगा भर जायेगा "मन", इस तन से 
"मन" चंचल पर अज़र बस निर्भर कर्मों पर 

कर्म होंगें जैसे "मन" जन्म का "तन" पायेगा वैसे 
जैसे जेब में पैसे होते वैसे वस्त्र खरीदता तू 

हिसाब किताब सब यहाँ होता पैसों से 
वैसे मन का होता वहाँ सब कर्मों से 

पायेगा क्या भोगेगा क्या फिर से चंचल
"मन" को भी न मालूम वर्ना छोड़ता न

कभी इस "तन" को ...!

©Mahadev Son

आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी जन्म मन का, मरण तन का हुआ सृजन हुआ जिसका नष्ट होना तय उसका सफर यही तक का यही तेरी ही भूल थी त्याग देगा भर जायेग

15 Love

#hindisahityasagar #hindi_shayari #hindi_poetry #yqhindi #yqdidi #Hindi    सोंच तो वो भी पल-पल रहे होंगे,
शायद यह उनके ही कर्मफल रहे होंगे।

सो न पाए मेरे संग ज़मी पर,
शायद बिस्तर उनके मखमल रहे होंगे।

वो चल सके न मेरे संग दो पल,
शायद मन उनके बहुत चंचल रहे होंगे।
                ✍️शैलेन्द्र राजपूत

©HINDI SAHITYA SAGAR

सोंच तो वो भी पल-पल रहे होंगे, शायद यह उनके ही कर्मफल रहे होंगे। सो न पाए मेरे संग ज़मी पर, शायद बिस्तर उनके मखमल रहे होंगे। वो चल सके न मे

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#शायरी #ashraffani #Butterfly  बादल बिजली तितली सा 
मन चंचल  रहता है
सबसे अलग ज़माने में हूँ 
ये सब कहता है

©Ashraf Fani【असर】

बादल बिजली तितली सा मन चंचल रहता है सबसे अलग ज़माने में हूँ ये सब कहता है #ashraffani #Butterfly

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मुक्तक  :- मेरे मन को भाती है उसके मन की चंचलता । फूलो से भी नाजुक है उसके तन की कोमलता । शब्दों में कैसे बयाँ करूँ वो कितनी सुंदर है - यूँ मानों अब देख उसे मुझको मिलती शीतलता ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  मुक्तक  :- 

मेरे मन को भाती है उसके मन की चंचलता ।
फूलो से भी नाजुक है उसके तन की कोमलता ।
शब्दों में कैसे बयाँ करूँ वो कितनी सुंदर है -
यूँ मानों अब देख उसे मुझको मिलती शीतलता ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मुक्तक  :- चंचल मन मेरे मन को भाती है उसके मन की चंचलता । फूलो से भी नाजुक है उसके तन की कोमलता । शब्दों में कैसे बयाँ करूँ वो कितनी सुं

8 Love

#शायरी #कोई #darkness  


#कोई चेहरे पर फिल्टर लगा के 
खूबसूरत बन जाती हैं 
नई नई विडियो बनाके 
वो फिर सबको रिझाती है
हो जाते है सब फिदा उसकी 
चंचल शोख अदाओं पर 
फिर थोड़ा इमोजी में मुस्कुराकर
लाइक और कमेंट के बटन दबवाती है!


कुलदीप सिंह रुहेला 
गुमनाम शायर 
सहरानपुर उत्तर प्रदेश

©Poet Kuldeep Singh Ruhela

#darkness #कोई चेहरे पर फिल्टर लगा के खूबसूरत बन जाती हैं नई नई विडियो बनाके वो फिर सबको रिझाती है

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ये चंचल मन ले चल तू आज मुझे उस बस्ती में जहाँ जगदम्बे माँ का डेरा है आज दिल बेताब मेरा मिलने को तड़पता है बस ले चल तू ये चंचल मन जहाँ मेरी माँ का डेरा वैसे तो रोज भटकाता है आज मेरा भी ज़ी करता तुझे भटकाने को बस अब ले चल सपनों में सही बस तू ले चल अब उस बस्ती में जहाँ माँ का डेरा है ©Mahadev Son

#Bhakti  ये चंचल मन ले चल तू आज मुझे
उस बस्ती में जहाँ जगदम्बे माँ का डेरा है

आज दिल बेताब मेरा मिलने को तड़पता है
बस ले चल तू ये चंचल मन जहाँ मेरी माँ का

डेरा वैसे तो रोज भटकाता है आज मेरा भी
ज़ी करता तुझे भटकाने को बस अब ले चल

सपनों में सही बस तू ले चल अब 
उस बस्ती में जहाँ माँ का डेरा है

©Mahadev Son

ये चंचल मन ले चल तू आज मुझे उस बस्ती में जहाँ जगदम्बे माँ का डेरा है आज दिल बेताब मेरा मिलने को तड़पता है बस ले चल तू ये चंचल मन जहाँ मेरी म

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आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी जन्म "मन" का, मरण " तन" का हुआ सृजन हुआ जिसका नष्ट होना तय उसका सफर यही तक का यही तेरी ही भूल थी त्याग देगा भर जायेगा "मन", इस तन से "मन" चंचल पर अज़र बस निर्भर कर्मों पर कर्म होंगें जैसे "मन" जन्म का "तन" पायेगा वैसे जैसे जेब में पैसे होते वैसे वस्त्र खरीदता तू हिसाब किताब सब यहाँ होता पैसों से वैसे मन का होता वहाँ सब कर्मों से पायेगा क्या भोगेगा क्या फिर से चंचल "मन" को भी न मालूम वर्ना छोड़ता न कभी इस "तन" को ...! ©Mahadev Son

 आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी
जन्म "मन" का, मरण " तन" का हुआ

सृजन हुआ जिसका नष्ट होना तय उसका 
सफर यही तक का यही तेरी ही भूल थी

त्याग देगा भर जायेगा "मन", इस तन से 
"मन" चंचल पर अज़र बस निर्भर कर्मों पर 

कर्म होंगें जैसे "मन" जन्म का "तन" पायेगा वैसे 
जैसे जेब में पैसे होते वैसे वस्त्र खरीदता तू 

हिसाब किताब सब यहाँ होता पैसों से 
वैसे मन का होता वहाँ सब कर्मों से 

पायेगा क्या भोगेगा क्या फिर से चंचल
"मन" को भी न मालूम वर्ना छोड़ता न

कभी इस "तन" को ...!

©Mahadev Son

आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी जन्म मन का, मरण तन का हुआ सृजन हुआ जिसका नष्ट होना तय उसका सफर यही तक का यही तेरी ही भूल थी त्याग देगा भर जायेग

15 Love

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