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#शायरी

सुंदर नगरी सुंदर धाम

117 View

#तस्वीर  जब जब तुमसे मिलने की उम्मीद नजर आई,
तब तब मेरे पैरों में ज़ंजीर नजर आई,
निकल पड़े इन आँखों से हजारों आँसू,
हर आँसू में आपकी तस्वीर नजर आई।

©Vic@tory

#तस्वीर नजर आई।

99 View

#mothers_day #आई #Aai  White एका  चुकीसाठी  का रे  तू  रागावतोस  आईला,
किती  चूका  तुझ्या  तिने  पाहून  नहीं  पहिल्या,
तुला  खळ खळून  हसवायसाठी   किती  वेळा  ती  रडली  असेल,
तिच्या  हाताला  गेले  सोलावे   तेव्हा  तुझी  काया  घडली  असेल,
आज  तिच्या  प्रश्नांचा  तुला  कंटाळा  येत  असेल, 
तुझ्या  हजार  प्रश्नांची  उत्तर  देताना  ती  कधी  थकली  नसेल?,
आज  तिच्या  बरोबर  चालताना  तुला  लाज  वाटत  असेल, 
पण  तुला  चालायला   शिकवताना  तिची  कंबर  मोडली  नसेल?,
माझी  काळजी  करू  नकोस  अस  तू  सारखा  बोलतोस  तिला,
नऊ  महीने  तिच्या  पोटाताताले  तू विसरलास  का  सोनुल्या..

©Jayesh Sawant
 White हर इम्तेहान में रहे वो अव्वल
जिंदगी का रुख देख टूटा मनोबल
किताबी बातें काम न आईं 
फलसफा नहीं है ये जिंदगी असल
यहां ईमानदारी की नही कीमत कोई
सच्चाई एक अकेले कोने में रोई 
यहां किताबों का न होता अमल
यहां कर्मों का उल्टा मिलता फल ।।

©NC

#Sad_shayri #कविता हिंदी कविता कविता हिंदी कविता

171 View

 छत असावे आई बाबांच्या आशीर्वादाचे 
नेहमीच डोक्यावर  !
तेव्हा कोणताही संकट पेलवेल अगदी हातावर...!
आई बाबांच्या आशीर्वादाचे छत असावे डोक्यावर .!
हात त्यांचा हातात जीव असतो निवांत
देवाने ही विश्वाचे अस्तित्व मानले आई बाबांच्या चरणात.!

©प्रा.शिवाजी ना.वाघमारे

आई बाबा

306 View

White किसी से दो पल का आत्मीय संवाद, हृदय के बोझ को कितना कम कर देता है।" मैं सोचता हूँ, नदियाँ समंदर की ओर क्यों भागती है, हवाएँ क्यों बेचैन और गतिमान है, ये धरती, ग्रह, नक्षत्र, सबके-सब घूमते क्यों हैं? चंद्रमा अनंत काल से यात्रा पर क्यों है, और ये समंदर उद्वेलित और दग्ध क्यों रहता है? क्या ये भी हमारी तरह आत्मीय संवाद के लिए किसी की तलाश में है? ©Vikram Kumar Anujaya

#कविता #moon_day  White किसी से दो पल का आत्मीय संवाद,
हृदय के बोझ को कितना कम कर देता है।"
मैं सोचता हूँ, 
नदियाँ समंदर की ओर क्यों भागती है,
हवाएँ क्यों बेचैन और गतिमान है,
ये धरती, ग्रह, नक्षत्र,
सबके-सब घूमते क्यों हैं?
चंद्रमा अनंत काल से यात्रा पर क्यों है,
और ये समंदर उद्वेलित और दग्ध क्यों रहता है?
क्या ये भी हमारी तरह आत्मीय संवाद
के लिए किसी की तलाश में है?

©Vikram Kumar Anujaya

#moon_day कविता कोश हिंदी कविता कविता प्रेम कविता हिंदी कविता

16 Love

#शायरी

सुंदर नगरी सुंदर धाम

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#तस्वीर  जब जब तुमसे मिलने की उम्मीद नजर आई,
तब तब मेरे पैरों में ज़ंजीर नजर आई,
निकल पड़े इन आँखों से हजारों आँसू,
हर आँसू में आपकी तस्वीर नजर आई।

©Vic@tory

#तस्वीर नजर आई।

99 View

#mothers_day #आई #Aai  White एका  चुकीसाठी  का रे  तू  रागावतोस  आईला,
किती  चूका  तुझ्या  तिने  पाहून  नहीं  पहिल्या,
तुला  खळ खळून  हसवायसाठी   किती  वेळा  ती  रडली  असेल,
तिच्या  हाताला  गेले  सोलावे   तेव्हा  तुझी  काया  घडली  असेल,
आज  तिच्या  प्रश्नांचा  तुला  कंटाळा  येत  असेल, 
तुझ्या  हजार  प्रश्नांची  उत्तर  देताना  ती  कधी  थकली  नसेल?,
आज  तिच्या  बरोबर  चालताना  तुला  लाज  वाटत  असेल, 
पण  तुला  चालायला   शिकवताना  तिची  कंबर  मोडली  नसेल?,
माझी  काळजी  करू  नकोस  अस  तू  सारखा  बोलतोस  तिला,
नऊ  महीने  तिच्या  पोटाताताले  तू विसरलास  का  सोनुल्या..

©Jayesh Sawant
 White हर इम्तेहान में रहे वो अव्वल
जिंदगी का रुख देख टूटा मनोबल
किताबी बातें काम न आईं 
फलसफा नहीं है ये जिंदगी असल
यहां ईमानदारी की नही कीमत कोई
सच्चाई एक अकेले कोने में रोई 
यहां किताबों का न होता अमल
यहां कर्मों का उल्टा मिलता फल ।।

©NC

#Sad_shayri #कविता हिंदी कविता कविता हिंदी कविता

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 छत असावे आई बाबांच्या आशीर्वादाचे 
नेहमीच डोक्यावर  !
तेव्हा कोणताही संकट पेलवेल अगदी हातावर...!
आई बाबांच्या आशीर्वादाचे छत असावे डोक्यावर .!
हात त्यांचा हातात जीव असतो निवांत
देवाने ही विश्वाचे अस्तित्व मानले आई बाबांच्या चरणात.!

©प्रा.शिवाजी ना.वाघमारे

आई बाबा

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White किसी से दो पल का आत्मीय संवाद, हृदय के बोझ को कितना कम कर देता है।" मैं सोचता हूँ, नदियाँ समंदर की ओर क्यों भागती है, हवाएँ क्यों बेचैन और गतिमान है, ये धरती, ग्रह, नक्षत्र, सबके-सब घूमते क्यों हैं? चंद्रमा अनंत काल से यात्रा पर क्यों है, और ये समंदर उद्वेलित और दग्ध क्यों रहता है? क्या ये भी हमारी तरह आत्मीय संवाद के लिए किसी की तलाश में है? ©Vikram Kumar Anujaya

#कविता #moon_day  White किसी से दो पल का आत्मीय संवाद,
हृदय के बोझ को कितना कम कर देता है।"
मैं सोचता हूँ, 
नदियाँ समंदर की ओर क्यों भागती है,
हवाएँ क्यों बेचैन और गतिमान है,
ये धरती, ग्रह, नक्षत्र,
सबके-सब घूमते क्यों हैं?
चंद्रमा अनंत काल से यात्रा पर क्यों है,
और ये समंदर उद्वेलित और दग्ध क्यों रहता है?
क्या ये भी हमारी तरह आत्मीय संवाद
के लिए किसी की तलाश में है?

©Vikram Kumar Anujaya

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